Is riste ko kya naam du ? - 2 in Hindi Fiction Stories by Kalpana Sahoo books and stories PDF | इस रिश्ते को क्या नाम दूँ ? - 2

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इस रिश्ते को क्या नाम दूँ ? - 2

    अबतक आप पढे हैं की स्रुती को दुबारा प्यार हो जाती है, वो भी अपने साथ काम करनेबाला एक लेडका से । अब आगे........

       इस बार भी स्रुती को प्यार करनेबाला लेडका बहत अच्छा था । वो उसे सायद अपने जान से भी ज्यादा पसन्द करता था । दोनो एक दुसरे के साथ बहत खुलमिल जाते थे । लेकिन क्या है ना जब रिस्ते में दोनो के अलावा कोई तिसरा लोग घुसता हैं तो रिस्तों में दरार आ जाती हैं । पर एक बात तो है की जबतक हम दुसरों के बातों को अपने अन्दर आने नहीं देते हैं तबतक रिस्ता सभ्मल जाती है । मगर एकबार दुसरो के बेहकाबे में आगेये तो खुद अपना घर को बर्बाद करने पर उतर जाते हैं ।

      स्रुती के साथ भी कुछ यैसा हुई थी । वो बहत समझाया अपनी Partner को, पर वो उसके साथ रेहना ही नहीं चाहँता था । फिर स्रुतीने बोला ठीक है तुम्हे जीसमें खुसी मिलता है तुम वो करो । तुम्हे मेरी साथ रेहना है तो रहो बरना तुम्हे जिससे खुसी मिलता है तुम उसके साथ रहो । में तुम्हे नहीं रोकूगीं । फिर हुआ ये की दोनो अलग हो गये । 

        स्रुती को मालुम चला की उसकी boyfriend ने उसको नहीं किसी ओर से प्यार करता था । वो समझ नहीं पा रही थी की अगर वो उसे प्यार ही नहीं करता था तो इतने दिनों तक उसके साथ क्युं था ? क्युं उसके लिये वो अपना झूठी फिकर दिखा रहा था ? यैसे कई सारे सबालसे स्रुती परेसान थी । वो हरबक्त खुदको ही कोसती रेहती थी । बहत अकेला पड गयी थी बेचारी । फिर भी चुप् रेहती थी । 

       स्रुती अब नौकरी छोड दी क्युंकी कहीं वहां उस लेडके से उसकी फिरसे मुलाकात नहीं हो जाये इसलिए । 

            3years later.........

       एक दिन स्रुती अपनी facebook चेक कर रही थी कि वो एकदम् से चोकं गयी । देखा की उसकी दुसराबाला boyfriend ने उसको Friend request भेजा है । कोन खुस नहीं होगा अपना प्यार पाकर ? वो भी खुस हो गयी पर उसे डर थी इसलिए वो request को cancel कर दी । येसे ही 6-7 बार cancel करने के बाद अब accept कर ली थी । फिर थोडी बहत बाते भी हो रही थी messenger पर ।
 
        लेडका ने माफी मागंकर स्रुती को मनालिया था और वो उसका गलती था ये भी मानलिया वो । वादा भी किया दुबारा यैसा कभी नहीं करेगा । ये बातों में कितना सचाई था वो तो उसको ही पता होगा फिर भी उसके बातों पर भरोसा किया स्रुतीने । क्युंकी स्रुती सोचा हर किसीको जीन्देगी में दुबारा मौका मिलती हैं । क्युंना में अपनी प्यार को ये मौका दुँ , हो सकता है वो सुधर गया हो !

      यैसे ही उनकी प्यार की पटरी करीब 8महीने तक चली । फिर एक दिन वो दोनो घुमने केलिए कहीं गये । वहां कुछ यैसा हुआ जिसकी बजाह से उनकी बीच झगडे हुये । हाँ पेहले भी झगडे होते थे पर इसबार कुछ ज्यादा हो गेया । स्रुती उसपर भरोसा करके फिरसे धोखा खा गेयी । 
   
      उस झगडे के बाद ना वो दोनो कभी मिले नाही एक दुसरे से बात किये । स्रुती बहत उदास रेहती थी । फएसला कर बैठी की वो अब किसीसे आखं बन्द करके भरोसा नहीं करेगी । नाही किसीसे बेमतलब प्यार करेगी । 
 
       :-  मतलबी दुनियां है मतलब में उतरता हैं, अगर मतलब ना हो तो किसीका अपना नहीं होता है । 
 
 
             To be continue.........