नूपर और योका को जंगल में भटकते हुए कई दिन हो गए थे. लेकिन, शिकार के लिए युवक अभी तक नहीं मिला था.विदेशियों के आने म़े केवल एक दिन बाकी था.नूपर और योका का थकान से बुरा हाल था. वह थक कर एक पेड़ का सहारा लेकर बैठ गई.
"क्या हुआ?"नूपर को बैठते देखकर योका ने पूँछा.
"अब नहीं चला जाता."नूपर पैर फैलाते हुए बोली.
"थोड़ी देर आराम कर लो."योका भी नूपर के पास बैठ गया.
नूपर ने चारों ओर दृष्टि डाली तो चौंक गई. उनसे कुछ दूरी पर दो आदमी बैठे थे. जो देखने में भारतीय नजर आ रहे थे. इनमें एक आदमी काफी लम्बा-चौड़ा था.दूसरा कुछ नाटे कद का.नूपर ने योका का हाथ दवा कर आदमियों की तरफ इशारा किया. आदमियों को देखकर योका के थके चेहरे पर चमक आ गई. वह आदमियों को फंदे में कसने के लिए कमर से रस्सी खोलने लगा.
तभी आदमियों की बातचीत नूपर के कानों में पड़ी.
"यह केस हल न हुआ तो खुफिया विभाग की इज्ज़त मिट्टी में मिल जायेगी."लम्बा आदमी बोला.
"हां,शम्भु, खुफिया विभाग को हम पर बहुत भरोसा है."नाटा आदमी बोला.
"चीफ ने बहुत विश्वास के साथ हमें यह केस हल करने को भेजा है."लम्बा आदमी फिर बोला.
"लेकिन, अभी तक कोई सूत्र हाथ नहीं लगा है."नाटे आदमी का का स्वर निराशा में डूबा हुआ था.
"रतन,बिना केस हल किये हुए हम यहां से नही जायेंगे."लम्बे आदमी ने दृढता से कहा.
अब नूपर को यह समझते देर न लगी कि यह आदमी भारतीय खुफिया विभाग के हैं. नूपर उनके पास जाने के लिए उठी तब तक योका ने उन्हें रस्सी के फंदे में कस दिया .
नूपर कुछ कह पाती तब तक योका ने उन्हें अपने पास खींच लिया.
खुफिया विभाग के दोनों आदमी योका पर छंलाग लगाने बाले थे.तभी नूपर बीच में आ गई-"अंकल,हम आपके दोस्त हैं."
"इस तरह दोस्ती?"लम्बा आदमी व्यंग्य से बोला.
"योका भाई,इन्हें खोल दो."नूपर योका से बोली.
"यह क्या कह रही हो. जश्न कैसे होगा?"
"जश्न होगा. यह लोग हमारी सहायता करेंगे."नूपर ने पूरे विश्वास के साथ कहा.
योका ने अनमने मन से उन आदमियों की रस्सी खोल दी.
"तुम लोग कौन हो?"लम्बे आदमी ने पूँछा.
"अंकल, हम लोग पास की बस्ती में रहते हैं. इस बस्ती में एक देवता भाई है.वह बस्ती के लोगों से आदमी का शिकार करवाता है."नूपर ने बताया.
"यहां से मानव अंग विदेश को जाते हैं?"लम्बे आदमी ने जल्दी से पूँछा.
"हां,अंकल, देवता भाई विदेशियों को मानव धड़ देता है और बदले में उनसे शराब लेता है."नूपर बोली.
"यह देवता भाई कौन है?"नाटे आदमी ने पूँछा.
"इस बस्ती का पुजारी."योका ने बताया.
"अरे,हमें इन्हीं लोगों की तलाश थी."लम्बा आदमी जल्दी से बोला.
"अंकल, आप लोगों ने अपना परिचय नहीं दिया."नूपर बोली.
नाटा आदमी मुस्कुरा कर बोला-"मुझे रतन कहते हैं मैं भारतीय खुफिया विभाग का आदमी हूँ. यह हमारे देश का पिछड़ा इलाका है.यहां से लम्बे समय से मानव अंग विदेश भेजे जा रहे हैं. इन्हीं अपराधियों को पकड़ने आया हूँ."
"मेरा नाम शम्भु है. मैं भी भारतीय खुफिया विभाग का आदमी हूँ. रतन के साथ ही यह केस हल करने आया हूँ."
"तुम भी अपना परिचय दो.यहां की तो लगती नहीं हो"रतन ने कहा.
"मेरा नाम नूपर है. मैं अपने मामाजी के साथ लंदन जा रही थी. रास्ते में जहाज दुर्घटना हो गई. मैं रास्ता भटक कर यहां आ गई. मामाजी का पता नहीं चला."नूपर ने आपबीती सुनाई.
"ओह!"रतन ने गहरी सांस ली.
"तुम्हारे मम्मी पापा कहां रहते हैं.?"शम्भु ने पूँछा.
"76/Bडिफेंस कालोनी, नई,दिल्ली."नूपर ने बताया.
"केस हल होते ही तुम्हें तुम्हारे मम्मी पापा के पास पहुंचा देगें."शम्भु ने कहा.
"नुप्पू, तुम चली जाओगी?"नूपर के जाने के नाम से काफी देर से चुप खड़ा योका बोल पड़ा.
"योका भाई,तुम्हें भी अपने साथ ले चलेंगे."नूपर ने सांत्वना दी.
"सच,नुप्पू."योका खुश हो गया.
"यह कौन है?"रतन ने योका की ओर इशारा किया.
"बस्ती के सरदार का बेटा है. यह हमारे साथ है."नूपर ने बताया.
"यह तो अच्छी बात है."शम्भु खुश होकर बोला.
योका मुस्कुरा दिया.
"अंकल, आप इस केस को हल करना चाहते हैं तो शाम से पहले एक युवक की लाश लाकर दीजिए."नूपर बोली.
"लाश का क्या होगा?"रतन और शम्भु एक साथ बोले.
नूपर ने योका की शिकार की योजना, देवता भाई की विदेशियों से मानव धड़ देने की बातचीत आदि सभी बातें विस्तार से रतन और शम्भु को बता दीं.
"ठीक है, सूरज छिपने से पहले तुम लोग यहां आ जाना.युवक की लाश मिल जायेगी."नूपर की सारी बात सुनने के बाद रतन ने कहा.
"अच्छा, अंकल, अब हम लोग चलें. शाम को यही मिलते हैं."नूपर हाथ जोडकर बोली.
"हां,शाम को लाश मिल जायेगी. तुम लोग अपना ध्यान रखना."शम्भु ने नूपर की पीठ थपथपाते हुए कहा.
नूपर सिर हिलाया और चल दी.योका ने भी चलते समय उन्हें हाथ जोड़कर नमस्ते की.
क्रमशः