do baalti paani - 30 in Hindi Comedy stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | दो बाल्टी पानी - 30

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दो बाल्टी पानी - 30

सुनील के इस व्यवहार से बेताल बाबा नाराज होकर बोले “ अरे मूर्ख सुधर जा वर्ना गुजर जायेगा, हमसे विद्रोह ना कर, यही तो वो चुडैल चाहती है” | ये कहकर बाबा सुनील को अपने आश्रम मे लाने के लिये कह कर चले गये |

सुनील के ऊपर चुडैल है ये पता लगते ही स्वीटी उसे देखने के लिये उतावली हो गई और मन ही मन उदास हो गई |

धीरे धीरे और भी ना जाने कितनी औरतों की चोटी कट चुकी थी जिससे अब खुसफुसपुर गांव की औरतें घर से निकलती ही नही थीं |

और फिर एक दिन ......

“ अरे सुनती हो आज हमे जरा देरी हो जायेगी, घबराकर बाहर मत बैठ जाना” वर्मा जी ने कहा |

“ काहे भला, देर काहे हो जायेगी” वर्माइन ने जासूसी स्वर मे कहा |

“ अरे जरा शहर जाकर पता करें कि ट्रांसफार्मर इस जनम मे आयेगा या अगले जनम में” ये कहकर वर्मा जी घर से निकल लिये |

पानी की परेशानी अब फिर से गांव मे पैर पसारने लगी थी और पुरुषों का बुरा हाल हो रहा था, क्युंकि चुडैल के डर से कोई भी स्त्री बाहर नही जाती थी |

इसी बीच मौका पाकर सुनील घर से भाग गया और सीधा पिंकी के पास आया |

पिंकी उदास अपने कमरे की खिडकी के पास बैठी थी | तभी सुनील ने उसे धीरे से पुकारा तो उसने अपना मुँह घुमा लिया और खिडकी बन्द कर दी |

सुनील ने आव देखा ना ताव घर के अन्दर घुस गया और सीधा पिंकी के पैरों मे जा गिरा, पिंकी उसे घर में देखकर घबरा गयी और बोली “ अब काहे आये हो, वो चुडैल जब हमारा गला काट दे तब आना, हाय राम, कित्ता भरोसा किया था तुम पर पर तुम तो .....” |

“ अरे .........अब हम तुम्हे कईसे बतायें कि कहां फंस गये थे वो जो चुडैल से भी खतरनाक हमारी अम्मा हैं वो हमे जकड ली थी, अरे तुम्हारी चिंता मे देखो लौकी से तुरई बने जा रहें हैं ससुर के .......अब हमे और कुछ नही मालूम तुम बस हमे माफ कर दो, और एक बात तो है, चोटी कटने के बाद तुम तो और भी चमक गई हो” सुनील ने पिंकीं को लुभाते हुये कहा |

पिंकी शरमा गई और बोली “ काहे ....का हमारी चोटी इत्ती खराब थी” |

सुनील बोला “ नहीं ...नहीं.....अईसी बात नही है वो बात ये है कि अब तो तुम शहरी मेम लगने लगी हो, अच्छा हम चलते हैं वर्ना अम्मा को पता लग गया तो हमारे साथ साथ तुम्हारी भी सुताई कर देंगी” | ये कहकर सुनील वापिस घर चला गया और पिंकी का गुस्सा शांत हो गया |

शाम होने से पहले वर्मा जी और मिश्रा जी बिजली के दफ्तर गये जहां कुछ गांव वाले पहले से आकर उनका इंत्जार कर रहे थे |

मिश्रा जी ने दफ्तर के एक बाबू के पास जाकर कहा “ राम राम बाबू जी....वो का है....कि हम ये पता करने आये हैं कि हमारे गांव मे बिजली कब आयेगी, अरे बिजली के मारे पानी की परेसानी बढती ही जा रही है” |

बाबू ने मिश्रा जी को उपर से नीचे तक देखा और अपने मुंह मे भरी गुटखा को एक तरफ करते हुये बोला “ काहे भाई ...बडी जल्दी मे हो ...आते देर नही कि बस इनकी सुन लो, अरे देख नाही रहे फाइलों मे उलझे हुये हैं, जाकर उधर बैठ जाओ और डेढ घंटे बाद आना ....समझे.....” |

ये कहकर उस बाबू ने अपने मुंह की सारे गुटखा पास रखे डस्ट्बिन मे उडेल दी |