pain in love - 5 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | दर्द ए इश्क - 5

Featured Books
  • You Are My Choice - 40

    आकाश श्रेया के बेड के पास एक डेस्क पे बैठा। "यू शुड रेस्ट। ह...

  • True Love

    Hello everyone this is a short story so, please give me rati...

  • मुक्त - भाग 3

    --------मुक्त -----(3)        खुशक हवा का चलना शुरू था... आज...

  • Krick और Nakchadi - 1

    ये एक ऐसी प्रेम कहानी है जो साथ, समर्पण और त्याग की मसाल काय...

  • आई कैन सी यू - 51

    कहानी में अब तक हम ने देखा के रोवन लूसी को अस्पताल ले गया था...

Categories
Share

दर्द ए इश्क - 5

विक्रम घर पहूंचते ही अपनी मॉम को ढूंढ़ता है जब वह उन्हे कही नही मिली तो वह किचेन में देखता है वह बरतन साफ कर रही थी जिससे विक्रम को पता चल जाता है की वह किसी बात से नाराज़ है वह पीछे से अपनी मोम के कंधे पे सर रखते हुए मुस्कुरा रहा होता है जिससे उसकी मॉम उसकी ओर देखते हुए कहती हैं

प्रेमा : (गुस्से में )आ गया तू अब याद आया कि घर पे तुम्हारी कोई मां भी है
विकी : हमम.. क्या हुआ है
प्रेमा : मतलब ..
विकी : मतलब की आप बरतन साफ कर रहे हो..
प्रेमा : हां तो ?
विकी : तो डेड के साथ झगड़ा हुआ है ना?
प्रेमा : मै क्यों करू झगड़ा झगड़ा उनसे किया जाता है जो अपने होते हैं यह मेरा है कौन
विकी : ऐसी बातें क्यों कर रही हो क्या हुआ है प्लीज...
प्रेमा : जो सच है वहीं कह रही हूं
विकी : मॉम प्लीज क्या तुम मुझे अपना नहीं मानती
प्रेमा : अपना मान ने से अपने नहीं बनते अगर ऐसा होता तो मेरी बात सुनते..
विकी : मां हुआ क्या है प्लीज बताओ ना यार अब बहुत हो गया अब ...
प्रेमा : होना क्या है बाप है की बिगाड़ने पर तुला है और बेटा खुद को बर्बाद करने में कोई कमी नहीं रखी
विकी : साफ-साफ कहो किस बारे में बात कर रही हो
प्रेमा : उसी बारे में जो तू अभी उस लड़की की जिंदगी बर्बाद करके आए हो
विकी : हाहाहाआहा... क्या मां कितना अच्छा मजाक कर लेती हो तुम भी
प्रेमा : तुम्हें यह सब मजाक लग रहा है
विकी : मजाक नहीं तो और क्या है मैंने किसी की भी जिंदगी बर्बाद नहीं की वो खुशी खुशी मेरे पास आई थी मैंने कोई जबरदस्ती नहीं की यह बात आप भी जानती और मैं भी
प्रेमा :जबरदस्ती नहीं की इसका मतलब यह है कि तुम कुछ भी गलत नहीं कर रहे हर बार एक नई लड़की ......
विकी : मां जितनी भी लड़कीया आती हैं वह सब अपनी मर्जी से आती हैं मैंने किसी को भी कहीं भी अगर जबरदस्ती उसको बुलाया हो तो आप ऐसी एक बात बताओ
प्रेमा : कितने बेशर्म हो गए हो विकी तुम खुद को देखो क्या से क्या बनते जा रहे हो अपने बाप की तरह ही उसके गलत रास्तों पर मत चलो खुद को खो दोगे एक दिन...
विकी : खुद को तो मैं काफी साल पहले ही खो चुका हूं मैं मां अब ना ही मैं जिंदा हूं और ना ही मरा हुआ मैं जो भी हूं एक जिंदा मुर्दा ही समझ लो जिसे ना ही दर्द होता है ना ही दुख और ना ही खुशी..
प्रेमा : अभी भी वक्त है उस रास्ते से लौट आओ जो रास्ता तुम ने चुना है उसमें ना ही तुम्हारा भला है और ना ही परिवार का
विकी : भला चाहता ही कौन है मां अब तो बर्बाद होकर भी देखना है क्या मिलता है मैं कौन सा आबाद हूं तो और बर्बाद होने में क्या बुरा है
प्रेमा : विकी तुम समझ नहीं रही हो ...
विकी : देखो मां सीधी सी बात है मैंने ही यह रास्ता अपनी मर्जी से चुना है इसमें पापा की कोई गलती नहीं है तो आप उनसे नाराज ना हो इसमें मेरा भला होगा या बुरा इसका जिम्मेदार मै ही रहूंगा
प्रेमा : दिन आएगा जब तुम इतना पछताओगे कि तुम चाह कर भी कुछ बदल नहीं पाओगे और उस दिन तुम्हें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी
विकी : मां तब की तब देखेंगे लेकिन अभी तो मुझे बहुत भूख लगी है 2 साल हो गए आपके हाथ का खाना खाया क्या आप मुझे खाना देगी......
प्रेमा : हम्म... तुम फ्रेश होके आओ तब तक में टेबल पर खाना लगवाती हूं
विकी : ठीक है बट प्लीज आप उखड़े उखड़े लहजे मैं बात मत कीजिए आपको पता है ना जब आप नाराज होती है मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है
प्रेमा : ठीक है लेकिन तुम भी वादा करो कि तुम मैंने जो भी कहा उस बारे में एक बार सोचोगे
विकी : ठीक है वादा लेकिन अब आप प्लीज थोड़ा मुस्कुराए गी किसी और के खातिर ना सही मेरे लिए ही सही...
प्रेमा : ( मुस्कुराते हुए) तुम कभी नहीं बदल सकते..
विकी : अरे! अभी तो आपने कहा कि मुझे बदलना है.. आहाहाहाआ..
प्रेमा : अभी भी वेसे ही बदमाश हो...( मुस्कुराते हुए)
विकी : तो आप कौन सा बदल गई है मां अभी भी तो मेरे लिए चिंता करती है और ऐसे ही हंसते रहिए काफी अच्छी लगती है मुस्कान आपके चहेरे पर
प्रेमा : बातों में उलझा ना कोई तुमसे सीखे आखिर में अपने ही बात मनवाते हो
विकी : आहाहआहह.....बेटा आखिर किसका हूं धर्मानंद ठाकुर और प्रेमा ठाकुर का कोई मुझसे जीत सकता है क्या
प्रेमा :जाओ और फ्रेश होकर आ जाओ तब तक मैं तुम्हारे लिए खाना गरम करवाती हूं सारी चीजें तुम्हारी पसंद की बनी है आज...
विकी : तो फिर मैं यूं गया और यू आया तब तक आपके चहेरे की स्माइल खोनी नहीं चाहिए...
प्रेमा : (मुस्कुराते हुए )...
विकी : धेट्स लाइक माय मॉम ...

यह कहते हुए विक्रम किचेन से अपने कमरे की और जाता जैसे ही दरवाजा खोलता है तो रूम बिलकुल वैसा ही था जैसा वह छोड़कर गया था बस कुछ चीजें बदली गयी थी वह कबर्ट में से पैंट और टीशर्ट निकालता है तभी उसका ध्यान लॉकर पर जाता है वह सोचता है की उन लोगों ने यहां से भी सारी चीजे मिटादी होगी इसलिए वह लोकर खोलता है तो उसमें सारा सामान वहीं पड़ा था डायरी और बाकी कुछ गिफ्ट विकी जैसे ही डायरी को उठाता है तो उसमें से एक तस्वीर ज़मीन पर गीर जाती हैं वह उसे उठाता है और स्तुति की तस्वीर की और देखता हैं तो मानो उसके दिल की धड़कन बढ़ गयी हो वह वापस उस तस्वीर को डायरी में रख देता है और लोकर में लोक कर देता है और मन ही मन सोचता है की उसे कमजोर नहीं पढ़ना है पहले वाला विकी दो साल पहले ही मर चुका है खुद को समझाते हुए वह फ्रेश होने के लिए जाता है