उजाले की ओर--7
---------------
आ. स्नेही व प्रिय मित्रों
नमस्कार
इस छोटी सी ज़िंदगी में न जाने कितने किरदार ऐसे मिल जाते हैं जो हमारी ज़िंदगी का भाग बन जाते हैं| कुछ ऐसे लोग होते हैं जो अपने गुणों के कारण हमारे मनो-मस्तिष्क पर एक सकारात्मक गहरी छाप छोड़ जाते हैं तो कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपने ग़लत व्यवहार के कारण एक नकारात्मक छाप छोड़कर जाते हैं और हमारे जीवन में सदा के लिए एक नकारात्मकता को जन्म दे जाते हैं | यह बिलकुल सत्य है कि मनुष्य के ऊपर अच्छी चीजों के स्थान पर गलत चीजों का अधिक व शीघ्र प्रभाव पड़ता है |इसमें किसीकी त्रुटि नहीं है ,बस ज़रा सी चेतना की आवश्यकता है |हमें हर पल सचेत रहना होता है|
वास्तव में ये सकारात्मकता तथा नकारात्मकता जीवन के दो पहलू हैं |कभी हम एक में डूबते-उतरते हैं तो कभी दूसरे में डूबते-उतरते हैं |बिलकुल जैसे धूप और छाँह | मार्ग पर चलते हुए हम कभी चिलचिलाती धूप में से गुज़रते हैं तो कभी हमें वृक्ष की शीतल छाया भी मिल जाती है |पसीने से सराबोर तन को एक शीतलता का अहसास होता है तो मन की उद्विग्नता भी दूर होती है | यही है सकारात्मकता तथा नकारात्मकता का प्रभाव भी |
जीवन जीने की शैली हम पर निर्भर करती है |हम कैसे अपने जीवन की शैली को संवारें?यह अधिकाँश रूप से हमारे ऊपरही निर्भर करता है|दुनिया में झंझटों की कमी नहीं है,हमारे पास दो ही विकल्प होते हैं या तो उनमें कूदकर अपने जीवन को अभिशिप्त कर लें अथवा उनमें से निकलकर जीवन को एक सुमार्ग दें और अपने छोटे से जीवन को सकारात्मकता की आनन्दानुभूति से भर लें|
हमें मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी भी एक अलौकिकता से भर देते हैं |बस जरा सा उनसे संबंध बनाने की ही बात है |एक कटोरे में जल रखने से महा ग्रीष्म में दूर से पक्षी उड़ते हुए अपनी प्यास बुझाने आ जाते हैं| आप किसी जानवर को रोटी डालना शुरू कर दें ,देखेंगे कि वह जानवर दरवाज़े पर अपने नियत समय पर पहुँच जाएगा |कैसा सुन्दर रिश्ता बन जाता है अबोलों के बीच भी ! फिर यदि मनुष्य का मनुष्य से एक सुन्दर रिश्ता स्थापित हो सके तब जीवन में कितनी मधुरता आ जाती है |सकारात्मक विचार हमें जीवन जीने की नई शैली सिखा जाते हैं और नकारात्मक विचार हमें रुसवाई दे जाते हैं |
जीवन में सभी प्रसन्नता व आनंद में रहना चाहते हैं इसके लिए बस थोड़ी सी सोच और थोड़ी सी जीवन-शैली में बदलाव की आवश्यकता है |एक बात अवश्य है कि अपनी जीवन-शैली में बदलाव लाना किसी के कहने से नहीं होगा वरन स्वयं की सोच से ही संभव हो सकता है |आइये, हम सब सोचें ,समझें और अपने जीवन को स्नेह,प्रेम व सकारात्मकता से ओत-प्रोत कर लें और जितना जीवन उस विधाता ने हमें प्रदान किया है,उस परमपिता को हर पल धन्यवाद अर्पित करते हुए जीवन की सकारात्मक राह पर चलें |
जीवन में न जाने कितने लोग हैं जिनकी परेशानियाँ देखकर हम द्रवित हो उठते हैं,इस दुनिया में न जाने कितने लोग हैं जिन्हें पेट भर रोटी नहीं मिल पाती |अथक परिश्रम करने के उपरान्त भी वे उतना प्राप्त नहीं कर पाते जितना वास्तव में उन्हें आवश्यकता होती है किन्तु फिर भी वे जीते हैं | हमारे हाथ बरबस ही अपने पालनहार की ओर जुड़ जाते हैं और हम नमन करते हैं उस परमपिता को जिसने हमें इतना कुछ प्रदान किया है |हम उसके प्रति कृतग्य हो उठते हैं |बस यही सकारात्मकता हमें जीवन में जीने की उर्जा दे जाती है और हम सोचने लगते हैं कि ज़िन्दगी को किस शैली से जीया जाए ? हमें उसका उत्तर भी अपने भीतर से प्राप्त हो जाता है बस जरा सी चेतना की ही आवश्यकता है |
मैं कैसे धन्यवाद दूँ ,ओ मेरे प्रभु
तूने तो इतना दे दिया कि आँख नम हुईं
तूने ज़मीन दी है और आसमां दिया –और
स्नेह बांटने को ये सारा जहाँ दिया
बस उस ईश का धन्यवाद करते जाएं और सबमें अपना स्नेह बाँटकर जीवन में सकारात्मक उर्जा फैलाते रहें |
आप सबकी मित्र
डॉ. प्रणव भारती