pain in love - 3 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | दर्द ए इश्क - 3

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दर्द ए इश्क - 3

विक्रम के पिता घर अकेले जाते है जिस वजह से विक्रम की माँ उसके पिताजी से पुछ्ती है की वह घर क्यों नहीं आया तो उनके पिताजी कहते हैं की उसे काम था इसीलिए वह बाद मे आयेगा एसा कोन-सा काम है जो घरवालो से भी बढ़कर है
तभी विक्रम के पिताजी कहते हैं की जवान लडका खेलने की उम्र है तो खेलने दो उस पर विक्रम की माँ कहती हैं

प्रेमा: सब जानती हूँ मैं आपका क्या मतलब है एक ही बैटा उसे भी जानवर बना दिया है आपने
धर्मानद: तुम चुप ही रहो इस दुनिया मे शरीफ़ रहकर कुछ नहीं मिलता ये बात तुम भी जानती हो और मै भी
प्रेमा: अरे शरीफ़ ना बनाते लेकिन एसा हैवान भी ना बनाते जो हर औरत को सिर्फ़ चीज समझता हो
धर्मानद: जो भी हो रहा है उसके भविष्य के लिये बहोत ही अच्छा है
प्रेमा: क्या अच्छा दिख रहा है आपको आँखो से पट्टी हटाए तो पता चले की वह खुद को एक जानवर बना रहा है अरे जब वह प्यार मे पडा था कम से कम एक उम्मीद तो थी वह आम इंसान की जिंदगी जीयेगा लेकिन नहीं आपसे तो वह भी बर्दाश्त नही हुआ
धर्मानद: आम इंसान वाह! कैसी होती है आम इंसान की जिंदगी वों जिसे कोई भी अमीर आदमी अपनी गाडी के नीचे कुचल दे या फ़िर वो जिसकी मा बहन के साथ रेप करके निर्दोष साबित हो जाये या फ़िर वो जिनहे कोई भी लोग दल मे आके मार के चले जाये प्रेमा तुम भी जानती हो और मैं भी यहाँ पर सिर्फ़ पावर की ही चलती है और पावर उनके पास है जिनके पास यह आम इंसान है तो उनहे हथियार बनाओ ना की खुद हथियार बनो
प्रेमा: इंसानियत नाम की कोई चिज बाकी है या फ़िर वो भी बैच दी आपने राजनीति मे अरे कम से कम विक्रम को तो प्यार भरी जिंदगी जीने देते उस लडकी का प्यार उसे बदल रहा था लेकिन नहीं आपसे वो भी नही देखा गया और उलटे सीधे सबूत दिखाकर विकी से क्या करवा दिया हाँ अगर उसे कुछ हो गया होता तो
धर्मानद: देखो तुम भी जानती हो की विकी को जरा सी खरोच आती है तो भी मैं देख नहीं पाता तो उसे खुद को मारने के बारे मे में सोच भी कैसे सकता हूँ मैं तो बस उस लडकी को विकी से दूर करना चाहता था बस
प्रेमा: हाँ तो हुआ क्या आपने उसे एक स्तुति का कातिल ....
धर्मानद: चिल्लाते हुये प्रेमाआ.... आज के बाद उसका नाम तुम्हारी जुबान पर ना आये समझी तुम
प्रेमा: चिल्लाने से सच्चाई बदल नहीं जायेगी
धर्मानद: वो जो भी हो पर सच्चाई यही है की वह बात उसी रात दफ़न हो गयी थी और आगे से मुझे उस रात के बारे मे कुछ भी बात सुनाई ना दे ये बात तुम जितनी जल्दी समझो उतना बेहतर है
प्रेमा: ठीक है नहीं करूगी बात लेकिन एक बात याद रखिए विक्रम के दिल मे वह बात दबी हुयी हैं और रहेगी क्योकी वह आज भी उससे प्यार करता है
धर्मानद: क्या फ़र्क पडता हैं वो प्यार करता है या नहीं क्योकी मरे हुये लोग वापस नहीं आते
प्रेमा: लेकिन दिल तो वापस धडक सकता है ना और वो फ़िर से जरुर धडकेगा
धर्मानद: आहाआअहाहाहा प्रेमा प्रेमा ये रीयल लाईफ़ है यहाँ पे ये डायलोग नहीं नाम चलता है और जो दो साल मैने उसे ट्रीटमेन्ट के लिए भेजा था उसमे मैने उसे एसा पथ्थर दिल बनाया है की अप्सरा भी आयेगी तो भी वह प्यार के बारे मे नहीं सोचेगा
प्रेमा: एक दिन आयेगा जब मेरा बेटा फ़िर से प्यार करेगा और उस वक्त मै आपके इस गन्दे विचार को उसकी ओर भटकने भी नहीं दुन्गी
धर्मानद: प्रेमा वो दिन आयेगा तब की तब देखेगे अभी तुम खाना लगाओ मुझे मीटीग के लिए देर हो रही हैं

प्रेमा गुस्से मे राजू को बुलाकर कहती है की साहब के लिए खाना लगाओ और सबजी मे मिर्ची ज्यादा डालने को कहती हैं जिससे राजू कहता है की बडे साहब तीखा नहीं खाते प्रेमा कहने ही वाली होती है की धर्मानद कहता है की आज कुछ ज्यादा ही मीठी बाते सुनी है तुम्हारी मेडम से तो हजम नहीं हो रही इसीलिए तीखा ही बनाओ यह कहकर धर्मानद हंसते हुए फ़्रेश होने चले जाते हैं