Manjhi - 1 in Hindi Adventure Stories by Rajesh Kumar books and stories PDF | मांझी - 1

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मांझी - 1

एक सीधा साधा होनहार युवा कल्पनाओं के पंख लगाकर जिंदगी की यात्रा में बढ़ रहा था। वक्त बिता माहौल बदला कल्पनाएं अपने अस्तित्व को खोने लगीं। वास्तविक चीजें धीरे धीरे उसकी जिंदगी का हिस्सा बनने लगीं।

वो योग्य तो था परंतु कोई आमदनी हेतु रोजगार नही था जीवनयापन करने को ये परम् अवश्य है। अपने बल पर खड़े होने की ये शुरुआत थी उसे पूर्ण विश्वास था कि एक दिन वो बहुत सफल व्यक्ति बन जायेगा और एक खुशहाल जिंदगी जिएगा।
इसी बीच उसकी भेंट एक लड़की से हुई। ये दोनों कब एक दूसरे के अधिक करीब आ गए मालूम न चला लेकिन थे बहुत खुश ये दोनों आजकल आम हो चुके प्यार के फंडे से अलग थे दोनों एकदम खुली सोच वाले थे। इनका प्यार कोई शर्त नही बल्कि स्वभाविक था और इसलिए इनके प्यार में गहराई भी बहुत थी। एक दूसरे ने विवाह का प्रस्ताव रखा और दोनों जीवनभर के लिए एक दूसरे में जीवन जीने के लिए तैयार थे।
लड़के की तरफ से हाँ होने के बाद भी अभी विवाह से इनकार था। वो पहले कोई रोजगार चाहता था जिसे कभी जीवन की नई यात्रा में आर्थिक आभाव न हो सके। वह अपनी होने वाली पत्नी को हर हाल में खुश रखना चाहता था। दिन-रात कठोर परिश्रम कि कोई सफल रोजगार मिल जाए जिससे जिंदगी में हसीन सपनों को नई उड़ान दी जा सके।
एक वर्ष की मेहनत के बाद इस युवा को रोजगार मिल गया ज्यादा वेतन वाला तो नही पर ठीक ही था, खुशी का वो पल भी आ गया जब दोनों प्रेमी विवाह के बंधन में बंध गए। ये नव विवाहित युगल एक दूसरे को समझते तथा एक दूसरे का सहयोग भी करते बड़ा ही गहरा प्रेम था दोनों के बीच।
जिंदगी की ये यात्रा बड़ी ही सुखद पगडंडी पर चल रही थी। पत्नी सुबह पति से पहले उठकर सभी दैनिक कार्य पूर्ण करती एक कुशल गृहणी के सभी कार्य बखूबी करती। पति के तैयार होने में भी सहयोग करती, हर रोज वो कॉलर को खुद सँभालती और पति भी जानबूझ कर कॉलर को खराब करता।
घर से ऑफिस जाने से पहले दोनों का एक दूसरे की बाहों में सिमटना और प्यार से एक दूजे को चुम्मन ये रोज का काम था। ढलती शाम में पत्नी को पति की प्रतीक्षा मानो ऐसे जैसे वर्षों बाद दोनों मिलेंगे। रात को दोनों की भविष्य की योजना और एक दूसरे की बाहों में सो जाना उनके प्रेम में चार चाँद लगता।

एक दिन अचानक पत्नी का स्वास्थ्य खराब हो गया, पति ने गांव के ही किसी डॉक्टर से पत्नी को दवाई दिलाई मगर कोई विशेष फायदा नही हुआ। स्वास्थ्य बहुत खराब होता चला गया। पति बड़ा परेशान अब क्या करूँ। वो पत्नी को किराए की गाड़ी से शहर के अस्पताल में ले गया। जल्दी से पत्नी को एडमिड करा दिया। जो भी पैसे उसके पास थे डॉक्टर की फीस और दवाइयां खरीद लीं। डॉक्टर ने पत्नी को देख कुछ चेकअप किए गए। डॉक्टर ने मेडिसन लगवा दीं।
डॉक्टर ने पति से कहा कोई चिंता की बात नही ठीक हो जाएंगी। एक दो दिन एडमिट रखनी पड़ेंगी। पति को बहुत ही चिंता हो रही थी। आखिर ये कैसे हो गया?? हमारी हंसती खेलती जिंदगी में ये सब.....
कुछ समय बाद पत्नी की हालत में सुधार होने लगा। पति की जान में जान आने लगी। शाम के वक्त अचानक से तबियत फिर बिगड़ने लगी, शरीर एक दम गर्म होने लगा। पति परेशान, दौड़ा और डॉक्टर को बुला कर लाया डॉक्टर ने दवाइयां लगाई मगर इसबार कोई लाभ नही हो रहा था।

आगे पढ़ने के लिए मिलेंगे अगले भाग में--