केबीएल पांडे के गीत
संधि पत्र
अंधकार के साथ जिन्होंने संधि पत्र लिखिए खुशी से
उन्हें सूर्य के संघर्षों का कोई क्या महत्व समझाएं
मेले संदर्भों पर जीवित यह ऐसी आधुनिक शिक्षाएं
मोहक मुखपृष्ठ पर जैसे अपराधों की सत्य कथाएं
सबके सिर पर धर्म ग्रंथ है सबके शब्दों में हैं सपने
किस न्यायालय में अब कोई झूठ शक्ति का न्याय कराएं
अंधकार के साथ प्रश्न लौट आते अनाथ से
कहीं नहीं मिलता अपनापन
अपने साथ ही रूप घरों में खोया सा लगता हर दर्पण
अलग-अलग आलाप रे रहे जहां बेसुरे कंठ जीतकर
उस महफिल में सरगम की मर्यादा बोलूं कौन बचाए
अंधकार के साथ जिन्होंने संधि पत्र लिख दिए खुशी से
उन्हें सूर्य के संघर्षों का कोई क्या महत्व समझाएं
आप कुल संभागों में कितनी बैठा सही तब भाई भाषण पाई
भाषा पाखंडी शब्दों में लेकिन लिख दी चारों और निराशा
हर क्यारी में जहां लगी हैं नागफनी की ही कक्षाएं
उन्हें सुनील के संघर्षों का कोई क्या महत्व समझाएं
दर्द का क्या जाने के चौड़े चौड़े रिक्त हाशिए
कैसा राजयोग तीन कौन है दक्षिण के अधिकार पालिए
सब ऐसे सेहमी सेहमी हैं जैसे चलते हुए सफर में
गांव पास आए दुश्मन का जूही तभी रात हो जाए
उन्हें सूर्य के संघर्षों का कोई क्या महत्व समझाएं ्
गीत
तो कितना कम समय
डाल पर अपना पाते फल
हमारे पास कितना कम समय है
कौन मौसम के भरोसे बैठता है
वह चाहतों के लिए पूरी उम्र कम है
मंडियां संभावनाएं बनती है
स्वाद के बाजार का अपना नियम है
मिट्ठू का वंश है भूखा
यहां तक आज का दुर्भिक्ष भय है
डाल पर अपना पाते फल हमारे पास कितना कम समय है
अरे बनके सिर्फ कुछ विवरण बचे हैं
भरी मठ में ली उदासी क्यारियों में
आग की बातें हवा में उड़ रही हैं
आज ठंडी हो रही जिन गाड़ियों में
वह इससे क्या सारणिक लेगा
यहां पर आरंभ से निस कर सकता है
हमारे पास कितना कम है
वहां जाने क्या विवेचन चल रहा है
उसी के वक्तव्य बेहद देखें
यहां सड़कों पर हजारों बिखरे रूट से
वास्तविक है पूछने पर बस यही उत्तर
यह गंभीर चिंता का विषय है
डाल पाते फल हमारे पास इतना कम समय V3
कभी-कभी बस आते रहना यही बहुत है बंधु आजकल
कभी-कभी बस आते रहना
वैसे इस आपाधापी में किसको फुर्सत आए जाए
ब्याह बधाई शोक सांत्वना मिल जाते हैं छपे छुपाए
फिर भी कभी इधर से निकलो
हम पर दया दिखाते रहना
कभी-कभी बस आते रहना
राजकाज कितना मुश्किल है
छोटे लोग भला क्या जाने त्याग तपस्या
ke swarnakshar hura Gyani kya pahchane
राजकाज कितना मुश्किल है
छोटे लोग भला क्या जाने
त्याग तपस्या के स्वर्णाक्षर
हम अज्ञानी क्या पहचान है
किस निशान पर बटन दबाना मालिक हमें बताते रहना
कभी-कभी बस आते रहना
भला आप भी क्या कर सकते
जब सबका अपना नसीब है
यह तो प्रभु की लीला ठहरी
वह अमीर है वह गरीब है
सभी चैनलों पर पूरे दिन हमें यही समझाते रहना
कभी-कभी बस आते रहना
छोड़ो हम भी क्या ले बैठे
दो कौड़ी छोटी बातें बातें छोटी
आखिर देश प्रेम भी कुछ है
जब देखो तब रोटी रोटी
करतल ध्वनि में आजादी का झंडा आप चलाते रहना
कभी-कभी बस आते रहना