Animal Farm - 6 in Hindi Moral Stories by Suraj Prakash books and stories PDF | एनीमल फॉर्म - 6

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एनीमल फॉर्म - 6

एनीमल फॉर्म

जॉर्ज ऑर्वेल

अनुवाद:

सूरज प्रकाश

(6)

पूरे बरस पशुओं ने गुलामों की तरह काम किया। लेकिन वे अपने काम में खुश थे। वे किसी मेहनत या त्याग से भुनभुनाए नहीं। उन्हें अच्छी तरह से पता था कि वे जो कुछ भी कर रहे हैं, खुद के लिए और अपनी ही तरह की आने वाली पीढ़ियों के लिए कर रहे हैं। उनकी मेहनत निठल्ले उचक्के आदमी लोगों के लिए तो नहीं ही है।

पूरे वसंत और गर्मियों के दौरान वे रोजाना दस-दस घंटे तक काम करते रहे। अगस्त में नेपोलियन ने घोषणा की कि अब से रविवार की दोपहरों को भी काम हुआ करेगा। यह काम पूरी तरह स्वैच्छिक था, लेकिन यदि कोई पशु अनुपस्थित रहता, तो उसका राशन काट कर आधा कर दिया जाता। इसके होने के बावजूद कई काम अधूरे छोड़ देना जरूरी हो जाता। फसल पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ी कम सफल रही थी, और दो खेत, जिनमें शुरू गर्मियों में कंदमूल बो दिए जाने चाहिए थे, नहीं बोए जा सके क्योंकि उन खेतों की जुताई समय रहते पूरी ही हो नहीं पायी थी। यह साफ-साफ नजर आ रहा था कि आने वाली सर्दियां तकलीफदेह होंगी।

पवनचक्की ने अनुमान से परे की कठिनाइयां खड़ी कीं। बाड़े पर ही चूने के पत्थर की एक अच्छी खदान थी और नौकर-चाकरों वाले कमरों में से रेत और सीमेंट काफी मात्रा में मिल गए। इस तरह इमारती सामान वहीं मिल गया था। लेकिन शुरू-शुरू में जिस समस्या से पशु पार नहीं पा सके, वह थी कि पत्थरों को काम लायक आकारों में किस तरह तोड़ें। इसे करने के लिए गैंती और सब्बल के सिवाय कोई तरीका नजर नहीं आ रहा था, और यही काम पशु नहीं कर पा रहे थे, क्योंकि कोई भी पशु पिछली दो टांगों पर खड़ा नहीं हो सकता था। यह तो कई हफ्तों की बेकार हुई मेहनत के बाद किसी को सही तरीका सूझा कि गुरुत्वाकर्षण के बल का प्रयोग करके देखा जाए। बड़े-बड़े शिलाखण्ड खदान की तली में चारों तरफ बिखरे पड़े थे। ये इतने बड़े थे कि इन्हें इसी आकार में कहीं इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था। पशुओं ने इनके चारों तरफ रस्सियां बांधी और तब सब गाय, घोड़ा, भेडें कोई भी पशु, जो रस्सी थाम सकता था, यहां तक कि नाजुक क्षणों में कभी-कभी सूअर भी आए, मिलकर बेहद धीमी गति से ढलान से पत्थर घसीटते हुए खदान के ऊपरी सिरे तक ले जाते। वहां इन पत्थरों को किनारे से नीचे लुढ़का दिया जाता, ताकि नीचे गिर कर पत्थर टुकड़े-टुकड़े हो जाएं। टूट जाने के बाद पत्थर ढोना ज्यादा आसान पड़ता। घोड़े उन्हें गाड़ियों में भरकर ले जाते, भेड़ें एक-एक पत्थर घसीटतीं, यहां तक कि मुरियल और बैंजामिन भी एक पुरानी छोटी गाड़ी में खुद को जोत लेते और इस तरह काम में अपना हिस्सा बंटाते। गर्मियों के ढलते-ढलते पत्थरों का अच्छा-खासा भण्डार जमा हो गया था। तब सूअरों की देखरेख में इमारत बनने का काम शुरू हुआ।

लेकिन यह प्रक्रिया धीमी और हाड़तोड़ थी। कई बार तो एक अकेले शिलाखंड को घसीटकर खदान के ऊपरी सिरे तक ले जाने में पूरे दिन की थका डालने वाली मेहनत लग जाती। कई बार ऐसा भी होता कि किनारे से ढकेले जाने पर शिलाखण्ड नीचे आकर टूटता ही नहीं। बॉक्सर के बिना कुछ भी हासिल नहीं हो सकता था। उसके अकेले की ताकत बाकी सारे पशुओं की इकट्ठी ताकत के बराबर प्रतीत होती। जब शिलाखण्ड लुढ़कना शुरू करता और पशु उसके साथ-साथ पहाड़ी से नीचे खुद को भी घसटता पाते तो हताशा से चिल्लाना शुरू कर देते। ऐसे में हमेशा बॉक्सर ही आगे आता और रस्सी को रोकने में एड़ी-चोटी का जोर लगा देता और शिलाखण्ड को रोक लेता। वह दृश्य, जब वह ढलान पर एक-एक इंच के लिए जी-जान से मेहनत कर रहा हो, उसकी सांस धौंकनी की तरह चल रही हो, उसके खुरों के पोर जमीन को फोड़ डाल रहे हों और उसके मजबूत कंधे पसीने से तरबतर हों, उसके प्रति सबको सराहना से भिगो देता। क्लोवर कई बार उसे चेताती कि वह अपना ख्याल रखे, खुद को इतना न थकाए, लेकिन बॉक्सर कभी भी उसकी सलाह पर कान न धरता। उसके दोनों नारे ’मैं और अधिक परिश्रम करूंगा‘ और ’नेपोलियन हमेशा ठीक ही कहता है‘, उसकी सारी समस्याओं के लिए अचूक हल प्रतीत होते। उसने मुर्गे से यह व्यवस्था कर ली थी कि वह अब उसे सुबह आधा घंटे के बजाए पौना घंटा जल्दी जगा दिया करे। वह खाली वक्त में, हालांकि आजकल उसके पास खाली वक्त ज्यादा बचा नहीं था, अकेला खदान में चला जाता, और टूटे पत्थरों की ढेरी इकट्ठी करता, और बिना किसी की मदद के पवनचक्की की जगह पर लुढ़काता ले जाता।

अपने काम की मुश्किलों के बावजूद पूरी गर्मियों का मौसम पशुओं के लिए इतना बुरा नहीं रहा। अगर उसके पास जोन्स के दिनों की तुलना में खाने के लिए ज्यादा नहीं था तो कम भी नहीं था। सिर्फ खुद अपने खाने-पीने की व्यवस्था करने और साथ ही पांच फिजूल खर्च आदमी लोगों की देखभाल न करने की सुविधा इतनी बड़ी थी कि कई-कई असफलताएं भी इसके आगे छोटी पड़तीं। कई रूपों में पशुओं के तरीके से काम करना अधिक कुशल होता और मेहनत भी बचती। उदाहरण के लिए खरपतवार निकालने जैसे काम इतनी सफाई से किए जा सकते थे, जितने आदमी लोगों के लिए असंभव ही होता, और फिर, चूंकि अब कोई भी पशु चोरी नहीं करता था, इसलिए चरागाह को कृषि योग्य भूमि से अलग करने के लिए बाड़ लगाने की जरूरत ही नहीं रह गयी थी जिससे बाड़ और गेट वगैरह के रख-रखाव पर लगने वाली काफी मेहनत बच जाती। यह सब होते हुए भी जैसे-जैसे गर्मियां बढ़ती गयीं, कई तरह की अनदेखी कमियां एक-एक करके सामने आने लगीं। पैराफिन का तेल, कीलें, डोरी, कुत्तों के बिस्किट, घोड़ों की नालों के लिए लोहा इन सबकी जरूरत थी। ये ऐसी चीजें थीं जिन्हें बाड़े में पैदा नहीं किया जा सकता था। बाद में बीजों और कृत्रिम खाद की, और साथ ही, अलग-अलग औजारों की और आखिर में पवनचक्की के लिए मशीनरी की जरूरत पड़ने वाली थी। कोई सोच भी नहीं पाता था कि ये चीजें आखिर कैसे जुटाई जाएंगी।

एक रविवार की सुबह, जब पशु अपने-अपने आदेश लेने के लिए जमा हुए तो नेपोलियन ने घोषणा की कि उसने एक नई नीति के बारे में फैसला किया है। अब से पशु बाड़ा पड़ोसी बाड़ों के साथ कारोबार किया करेगा ः अलबत्ता इसका कोई व्यापारिक मकसद नहीं होगा, सिर्फ यही उद्देश्य रहेगा कि कुछेक तत्काल ही निहायत जरूरी चीजें हासिल की जा सकें। उसने कहा कि पवनचक्की की जरूरतों को अवश्य ही दूसरी चीजों से ऊपर रखा जाना है। इसलिए वह इस बात की व्यवस्थाएं कर रहा है कि सूखी घास का एक ढेर और इस साल की गेहूं की फसल का कुछ हिस्सा बेचा जा सके और बाद में, यदि और धन की आवश्यकता पड़ी, तो इसे अण्डों की बिक्री से जुटाया जाएगा, जिनकी विलिंगडन में हमेशा मांग बनी रहती है। नेपोलियन ने कहा कि मुर्गियों को पवनचक्की के निर्माण के लिए अपनी ओर से विशेष योगदान के रूप में इस त्याग का स्वागत करना चाहिए।

एक बार फिर पशुओं ने एक अस्पष्ट सी बेचैनी महसूस की। आदमी लोगों के साथ कभी कोई लेन-देन न करना, कभी कारोबार न करना, कभी धन का इस्तेमाल न करना, क्या ये सब जोन्स को भगाए जाने के बाद हुई पहली विजय बैठक में पारित शुरुआती संकल्पों में से नहीं थे? सभी को याद था कि इस तरह के संकल्प पारित किए गए थे या कम से कम उन्होंने सोचा कि उन्हें यह याद था। चार युवा सूअरों ने, जिन्होंने नेपोलियन द्वारा बैठकें समाप्त किए जाने का विरोध किया था, डरते-डरते अपनी आवाजें उठायीं,लेकिन उन्हें कुत्तों की भयंकर गुर्राहट से एकदम शांत कर दिया गया। तब, हमेशा की तरह, भेड़ों ने ’चार टांगें अच्छी, दो टांगें खराब‘ का राग अलापना शुरू कर दिया और थोड़ी देर के लिए जो फूहड़पन आ गया था, उससे पार पा लिया गया। अंततः नेपोलियन ने शांति बनाए रखने के लिए अपना पैर ऊंचा किया और बताया कि वह पहले ही सारी व्यवस्थाएं कर चुका है। किसी भी पशु के आदमी लोगों के संपर्क में आने की कोई जरूरत नहीं है। यह साफ तौर पर बिल्कुल पसंद नहीं किया जाएगा। वह सारा का सारा बोझ अपने कंधों पर उठाने की मंशा रखता है। विलिंगडन में एक वकील मिस्टर व्हिम्पर रहते हैं, उन्होंने बाड़े और बाहरी दुनिया के बीच बिचोलिया बनना स्वीकार कर लिया है। वे हर सोमवार की सुबह हिदायतें लेने के लिए आया करेंगे। ’नेपोलियन ने पशुबाड़ा अमर रहे के, अपने घिसे पिटे नारे के साथ अपना भाषण समाप्त किया और ’इंग्लैंड के पशु‘ गीत गाने के बाद पशुओं को दफा कर दिया गया।

बाद में स्क्वीलर ने बाड़े का एक चक्कर लगाया और पशुओं के दिमाग ठण्डे कर दिए। उसने आश्वस्त किया कि कारोबार करने और धन के इस्तेमाल के खिलाफ कभी भी संकल्प पारित नहीं किया गया था, और न सुझाया ही गया था। यह पूरी तरह कपोल-कल्पित बात है, शायद जिसकी जड़ें, शुरू-शुरू में स्नोबॉल द्वारा प्रचारित झूठों में कहीं मिल जाएं। कुछ पशुओं को अभी भी धूमिल-सा संदेह था, लेकिन स्क्वीलर ने उनसे धूर्तता से पूछा, ’क्या तुम्हें पक्का यकीन है कि तुमने इस तरह का कोई सपना नहीं देखा है? कॉमरेड्स, क्या तुम्हारे पास इस तरह के संकल्प का कोई रिकार्ड है? क्या यह कहीं लिखा हुआ है? और चूंकि यह तो तयशुदा सच था कि इस तरह की कोई चीज लिखित में मौजूद नहीं थी, पशुओं को संतोष हो गया कि वे गलती पर थे।

हर सोमवार को की गई व्यवस्था के अनुसार मिस्टर व्हिम्पर बाड़े में आता। वह एक चालाक-सा दिखने वाला, लंबे गलमुच्छों वाला नाटा आदमी था। वह कारोबार की दृष्टि से बहुत ही मामूली किस्म का वकील था लेकिन वह इतना तेज था कि उसने किसी और से पहले ही यह ताड़ लिया था कि पशु बाड़े को एक दलाल की जरूरत पड़ेगी और मिलने वाला कमीशन अच्छा-खासा होगा। पशु उसका आना-जाना भयातुर होकर देखते और जहां तक हो सकता, उससे कतराते। यह होते हुए भी, नेपोलियन का वह दृश्य, जब वह चौपाया होते हुए भी दो पैर वाले व्हिम्पर को आदेश देता, सबको गौरव से भर देता और उन्हें नई व्यवस्थाओं के प्रति कुछ हद तक मना लेता। मनुष्य जाति के साथ अब उनके संबंध पहले की तरह बिल्कुल नहीं रह गए थे। आदमी-लोग अभी भी पशु बाड़े से, जबकि वह फल-फूल रहा था, कम घ‘णा नहीं करते थे बल्कि वे इससे पहले से भी ज्यादा घृणा करते। हर इन्‍सान अपने मन में यह धारणा बनाए चल रहा था कि देर सबेर यह पशु बाड़ा दिवालिया हो जाएगा और पवनचक्की तो विफल ही होनी है। वे सार्वजनिक जगहों पर मिलते और एक-दूसरे के सामने रेखाचित्रों के जरिए सिद्ध करते कि पवनचक्की तो धराशायी होनी ही है, और अगर यह खड़ी भी रही तो भी काम नहीं कर पाएगी। फिर भी, अपनी इच्छा के विपरीत वे उस कुशलता के लिए एक तरह का सम्मान करने लगे थे, जिनके साथ पशु अपने कामकाज खुद संभाल रहे थे। इसका एक प्रमाण तो यह था कि अब लोगों ने बाड़े को इसके वास्तविक नाम से पुकारना शुरू कर दिया था और अब यह दिखावा करना छोड़ दिया था कि इसका नाम मैनर फार्म था। अब उन्होंने मिस्टर जोन्स की हिमायत करना भी छोड़ दिया था। जोन्स ने भी अपना फार्म वापिस पाने की उम्मीद छोड़ दी थी और देश के किसी दूसरे कोने में रहने चला गया था। व्हिम्पर के जरिए पशुबाड़े और बाहरी दुनिया के बीच जो सम्पर्क था, उसके सिवाय इन दोनों के बीच कोई सम्पर्क नहीं था, लेकिन लगातार अफवाहें फैलती रहती थीं कि नेपोलियन या तो फॉsक्सवुडके मिस्टर विलकिंगडन के साथ या पिंचवुड के मिस्टर फ्रेडरिक के साथ पक्का कारोबारी करार बस करने ही वाला है। लेकिन यह पाया गया कि यह दोनों के साथ एक साथ नहीं करेगा।

यह लगभग वही वक्त था जब सूअर अचानक फार्म हाउस में शिफ्ट कर गए और उसे अपना आवास बना लिया। फिर से पशुओं को लगा कि उन्हें याद सा आ रहा है कि शुरू के दिनों में इसके खिलाफ संकल्प पारित किया गया था। फिर से स्क्वीलर उन्हें समझाने-बुझाने में सफल हो गया कि ऐसी कोई बात नहीं थी। उसने बताया कि यह निहायत जरूरी था कि सूअर जोकि फार्म का दिमाग हैं, काम करने के लिए शांत जगह पर रहें। यह नेताजी की गरिमा के भी अधिक अनुरूप पड़ता है। (कुछ अरसे से उसने नेपोलियन का नेताजी के रूप में जिक्र करना शुरू कर दिया था) कि वे मामूली खोबार में रहने के बजाए एक घर में रहें। इसके बावजूद कुछ यह जानकर व्यथित हुए कि सूअरों ने न केवल रसोई में भोजन करना शुरू कर दिया है, और ड्राइंगरूम को मनोरंजन कक्ष की तरह इस्तेमाल करने लगे हैं, बल्कि बिस्तरों पर सोने भी लगे हैं। बॉक्सर ने इसे भी नेपोलियन हमेशा ठीक करते हैं, के साथ हमेशा की तरह उड़ा दिया, लेकिन क्लोवर को लगा, उसे याद है कि बिस्तरों के खिलाफ पक्का नियम बनाया गया था। वह बखार के आखिर की तरफ गयी और वहां खुदे हुए सात धर्मादेशों की गुत्थी सुलझाने की कोशिश की। अलग-अलग अक्षरों से आगे कुछ भी पढ़ पाने में खुद को असमर्थ पा कर, वह मुरियल को पकड़ लायी।

’मुरियल, उसने कहा, ’मुझे चौथा धर्मादेश पढ़कर सुनाओ, क्या इसमें बिस्तर पर कभी न सोने के बारे में कुछ लिखा हुआ है?‘

थोड़ी सी तकलीफ के बाद मुरियल ने हिज्जे करके पढ़ लिया। इसमें लिखा है, ’कोई भी पशु चादरों के साथ बिस्तर पर नहीं सोएगा‘ उसने अन्ततः बताया।

आश्चर्य की बात थी, क्लोवर को यह याद नहीं रहा कि चौथे धर्मादेश में चादरों का जिक्र है, लेकिन अब चूंकि यह दीवार पर लिखा हुआ था, यह ऐसा ही रहा होगा। स्क्वीयर जो संयोग से उसी वक्त दो या तीन कुत्तों की आगवानी में वहां से गुजर रहा था, ने सारा मामला ही सही नजरिए से साफ करके बता दिया।

’तो आपने सुन लिया है, कामरेड्स, कि हम सूअर लोग फार्म हाउस में बिस्तरों पर सोते हैं? और आखिर क्यों न सोंएं? आप लोग यह तो नहीं ही मानकर चल रहे होंगे कि बिस्तरों के खिलाफ कोई कायदा है? बिस्तर का मतलब तो सिर्फ सोने की जगह होता है। थान में पुआल के गट्ठर को ठीक ठाक कर बिस्तर मान लिया जाता है। काननू तो चादरों के खिलाफ था, जो कि मनुष्य का आविष्कार है। हमने फार्म हाउस के बिस्तरों से चादरें उठा दी हैं और कम्बलों के बीच सोते हैं, और वे बिस्तर हैं भी काफी आरामदेह। लेकिन मैं आपको बता सकता हूं, कॉमरेड्स कि हम आजकल जितना दिमागी काम करते हैं, उसे देखते हुए ये हमारी जरूरत से ज्यादा आरामदेह नहीं हैं। आप हमें हमारे आराम से तो वंचित नहीं करेंगे? क्या आप ऐसा करेंगे, कॉमरेड्स? आप नहीं चाहेंगे कि हम इतना थक जाएं कि काम ही न कर सकें? निश्चित ही आपमें से कोई भी जोन्स को वापिस नहीं देखना चाहेगा?‘

पशुओं ने तत्काल ही उसे इस मुद्दे पर आश्वस्त कर दिया। इसके बाद सूअरों के फार्म हाउस में बिस्तरों पर सोने के बारे में और कुछ भी नहीं कहा गया, और जब, कुछ दिन बाद यह घोषणा की गई कि अब से सूअर सुबह के वक्त दूसरे पशुओं की तुलना में एक घंटा देर से उठा करेंगे तो इसके खिलाफ भी कोई शिकायत नहीं की गई।

शरद ऋतु के आते-आते पशु थक चुके थे, फिर भी खुश थे। उन्होंने एक कठिन, तकलीफदेह बरस गुजारा था। और सूखी घास और मकई का कुछ हिस्सा बेच देने के बाद भी सर्दियों के लिए अनाज के भण्डार बहुत अधिक तो नहीं थे, लेकिन पवनचक्की ने सब चीजों की भरपाई कर दी थी। अब तक यह लगभग आधी बन चुकी थी। फसल के बाद कुछ अरसे के लिए साफ-शुष्क मौसम आया तो पशुओं ने पहले की तुलना में यह सोचकर और ज्यादा मेहनत की, वे पत्थर ढोने के नीरस काम में दिन भर खटते रहे कि ऐसा करके वे दीवार को एकाध फुट और ऊपर चढ़ा लेंगे। बॉक्सर रात के वक्त भी बाहर आ जाता और शरद ऋतु की चांदनी में एक-दो घंटे काम करता। अपनी फुर्सत के क्षणों में पशु अधूरी बनी चक्की के आसपास चक्कर काटते। इसकी दीवारों की मजबूती और इसकी समकोण पर खड़ी लम्बाई की तारीफ करते। वे खुद पर आश्चर्य करते कि वे भी ऐसी कठिन चीज खड़ी कर सकते हैं। सिर्फ बैंजामिन ही पवनचक्की को लेकर उत्साहित होने से इंकार कर देता। अलबत्ता, हमेशा की तरह अपनी गूढ़ टिप्पणी दोहराता कि गधे लंबे समय तक जीवित रहते हैं।

नवंबर आया तो तेज दक्षिणी-पश्चिमी हवाएं चलने लगीं। इमारत का काम रोक देना पड़ा क्योंकि अब सब कुछ इतना गीला रहता था कि गारा तैयार करना मुश्किल हो जाता। आखिर एक ऐसी रात आयी जब आंधी इतनी भयानक थी कि बाड़े की इमारतें अपनी बुनियादों तक हिल गयीं।बखार की छत से कई टाइलें उखड़ कर परे जा गिरीं। मुर्गियां आतंकित होकर तेजी से चिंचियाती नींद से उठ बैठीं। उन सबने एक कहीं दूर बंदूक की गोली छूटने का सपना देख लिया था। सुबह अपने-अपने थानों से बाहर आकर उन्होंने पाया कि झण्डे का डण्डा उखड़कर नीचे आ गिरा है। फलोद्यान के द्वार पर लगा हिमरोई का पेड़ गाजर-मूली की तरह उखड़ा पड़ा है। उन्होंने अभी यह देखा ही था कि सब पशुओं की घुटी-सी चीख निकल गई। उनकी आंखों ने एक भयानक नजारा देखा। पवनचक्की धराशायी हो चुकी थी।

सब एक साथ उस जगह की तरफ लपके, नेपोलियन, जो शायद ही चहलकदमी से ज्यादा तेज चलता था, सबसे आगे दौड़ा। हां, यहां पड़ा है मिट्टी में मिला हुआ उनके सारे संघर्ष़ों का फल। वे पत्थर जिन्हें उन्होंने तराशा था, इतनी मेहनत से ढोकर लाए थे, अब चारों तरफ बिखरे पड़े थे। कुछ भी कहने में असमर्थ, पहले तो वे गिरे पड़े पत्थरों के ढेर को अफसोस के साथ घूरते रहे। नेपोलियन बिना कुछ बोले आगे-पीछे होता रहा। बीच-बीच में वह जमीन सूंघने लगता। उसकी पूंछ एकदम कड़ी हो गई थी और तेजी से दाएं-बाएं फड़क रही थी। यह इस बात का संकेत था कि वह गहरे तनाव से गुजर रहा है।

’कॉमरेड्स‘, उसने धीमे से कहा, ’क्या आप जानते हैं कि इसके लिए कौन जिम्मेवार है? क्या आप उस दुश्मन को जानते हैं जो रात में आया और हमारी पवनचक्की को तहस-नहस कर गया?‘ ’स्नोबॉल‘ वह अचानक तूफानी आवाज में गरजा, ’यह काम स्नोबॉल ने किया है। एक निरे बैर भाव से, यह सोचकर कि वह हमारी योजनाओं को धूल में मिला देगा और इस तरह अपने बदनामी भरे निष्कासन के लिए बदला चुका लेगा, वह विश्वासघाती रात के अंधेरे में घुस आया और हमारी बरस-भर की मेहनत पर पानी फेर गया। कॉमरेड्स, मैं अभी और यहीं स्नोबॉल को मृत्युदण्डकी सजा देता हूं। जो भी उसे यह सजा देगा उसे ’पशु वीर मध्यम कोटि‘ और ’आधी पेटी सेब‘ मिलेंगे। उसे जिंदा पकड़कर लाने वाले को पूरी पेटी सेब मिलेंगे।‘

पशु यह जानकर अपनी कल्पना से भी परे हतप्रभ थे कि स्नोबॉल भी इस तरह की किसी हरकत के लिए दोषी हो सकता है। चारों तरफ रोष की चिल्लाहट होने लगी। हर कोई स्नोबॉल को, अगर वह कभी वापिस आता है, पकड़ने की तरकीबें सोचने लगा। लगभग तभी टेकरी से थोड़ी ही दूर घास में एक सूअर के पैरों के निशान मिल गए। वे सिर्फ कुछ गज तक ही देखे जा सके। लेकिन ऐसा लगता था कि वे बाड़े में छेद की तरफ जाते हैं। नेपोलियन ने गहरी सांस लेकर उन्हें सूंघा और घोषित कर दिया कि ये निशान स्नोबॉल के ही हैं। उसने अपनी यह राय भी जाहिर कर दी कि स्नोबॉल शायद फॉsक्सवुडफार्म की दिशा से आया था।

’अब और देर नहीं, कॉमरेड्स‘, पैरों के निशानों की पहचान कर लेने के बाद नेपोलियन ने कहा, ’हमें काम करना है। हम आज सुबह ही पवनचक्की को दोबारा बनाना शुरू कर दें। इसे हम पूरी सर्दियों, बरसात या गर्मियों में बनाते रहेंगे। हम उस विश्वासघाती को यह पाठ पढ़ाकर ही रहेंगे कि वह हमारी मेहनत पर इतनी आसानी से पानी नहीं फेर सकता। याद रखो, कॉमरेड्स, हमारी योजनाओं में कोई भी रद्दोबदल नहीं होना चाहिए। वे आखिरी दिन तक पूरी की जाएंगी। आगे बढ़ो कॉमरेड्स, पवनचक्की अमर रहे। पशु बाड़ा अमर रहे।‘