आलेख - एंजिना का नया उपचार
एंजिना पेक्टोरिस जिसे संक्षेप में एंजिना भी कहते हैं , एक ह्रदय रोग है जिसमें सीने में दर्द , टाइटनेस या भारीपन महसूस होता है . जब किसी धमनी / धमनियों में ब्लॉकेज या अवरोध के चलते दिल को समुचित मात्रा में खून की सप्लाई नहीं होती है और उसके चलते ऑक्सीजन की कमी होती है तब एंजिना होता है .
एंजिना के दो प्रकार
स्टेबल एंजिना - जब किसी काम या स्ट्रेस के चलते एंजिना हो और आराम के बाद जल्द ही ठीक हो जाए तो इसे स्टेबल एंजिना कहते हैं . इस तरह का दर्द बार बार किसी काम या स्ट्रेस के चलते होता है और आराम से या दवा से तुरंत ठीक हो जाता है .
अनस्टेबल एंजिना - जब बिना किसी तनाव या अतिरिक्त काम के आराम की स्थिति में भी एंजिना हो तो इसे अनस्टेबल एंजिना कहते हैं . इसमें छाती में दर्द अपेक्षाकृत ज्यादा होता है और बिना किसी निश्चित समय और कारण के ऐसा बार बार होता है . यह ज्यादा खतरनाक है .इसका उपचार न होने से हार्ट अटैक , हार्टफेल या स्ट्रोक हो सकता है .
दोनों प्रकार के एंजिना में कंधों , गला , बाहों या पीठ में भी दर्द हो सकता है . इसके अतिरिक्त मिचली , चक्क्रर , थकावट , पसीना आना या सांस में तकलीफ हो सकती है .
एंजिना के उपचार - डॉक्टर आवश्यकतानुसार ई सी जी , इको , स्ट्रेस टेस्ट या एंजिओग्राफी आदि टेस्ट कर आपको दवा , स्टेंट या सर्जरी की सलाह देते हैं .
एंजिना का नया उपचार - विगत कुछ वर्षों से कुछ परिस्थितियों में डॉक्टर आपको एक नयी तकनीक से उपचार की सलाह देते हैं जिसे EECP या ECP कहते हैं - इन्हैंस्ड एक्सटर्नल काउंटर पल्सेशन .
ECP क्या है - इस तकनीक का इस्तेमाल शुरू में 60 के दशक में चीन में हुआ था और विगत 10 वर्षों में यह अमेरिका सहित अनेक देशों में होने लगा है . यह एक थिरेपी है जिससे दिल को खून की ज्यादा मात्रा में सप्लाई होती है . इसके चलते हार्ट की धमनियों और मांसपेशियों को समुचित रक्त और ऑक्सीजन मिलते हैं और दिल को पंप कर शरीर के अन्य भागों में ब्लड सप्लाई करने में कम शक्ति लगानी पड़ती है .
इसमें रोगी को एक टेबल पर सुला दिया जाता है . उसके पैरों ( ऐंडी से कुछ ऊपर ) और जाँघों पर कफ बाँध दिए जाते हैं . फिर एक मशीन द्वारा इन कफ़ों से पैरों और जांघों पर दबाव दिया जाता है ( जैसे ब्लड प्रेशर कफ पर ) , हार्ट बीट से तालमेल खाते हुए कफ़ों का खुलना और बंद होना कंप्यूटर द्वारा प्रोग्राम किया जाता है . ऐसा करने से नीचे से ज्यादा खून हार्ट को मिलता है .यह थिरेपी 35 घंटों का होता है जिसे आमतौर पर प्रतिदिन एक घंटा करते हैं . इस थेरिपी का असर लगभग तीन साल तक रह सकता है . जरूरत पड़ने पर इसे दुबारा कर सकते है .
ECP से लाभ -
जब कोई दवा एंजिना में काम नहीं करती तो यह थिरेपी एंजिना में लाभदायक होता है .
यह एक आउटडोर नन इंवैसिव प्रोसेस है और किसी तरह की सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है .
धमनियों के छोटे मोटे ब्लॉकेज इससे खुल भी सकते हैं .
एंजिना में कमी होती है जिसके चलते आप पहले जैसे कुछ आउटसाइड गतिविधि फिर कर सकते हैं .
इसके बाद नाइट्रेट आदि दवा से छुटकारा मिल सकता है या उन पर निर्भरता कम हो सकती है .
ECP किसके लिए उपयुक्त - ख़ास कर निम्न्न श्रेणी के रोगी इस उपचार के उपयुक्त होते हैं -
किसी दवा , स्टेंट , बाईपास , या सर्जरी के बावजूद एंजिना में आराम नहीं मिले .
बिमारी , उम्र या किसी अन्य कारण से रोगी की एंजिओप्लास्टी ( स्टेंट ) या सर्जरी सम्भव नहीं हो .
स्टेंट प्रोसीड्योर असफल रहा हो .
रोगी सर्जरी या एंजिओप्लास्टी की जगह स्वयं इसी विधि से उपचार कराना चाहे .
ECP किसके लिए अनुपयुक्त -
अचानक हार्टफेल होने पर , स्टेनोसिस , वाल्व की खराबी होने पर
अनियंत्रित ब्लड प्रेशर ( 180 / 110 से ज्यादा ) या हार्ट बीट 120 से ज्यादा हो
गर्भवती महिला के लिए
DVT ( पैरों में ब्लड क्लॉट वर्तमान या निकट भूतकाल में ) या पैर की नसों में बीमारी हो
ECP के साइड इफेक्ट्स - आमतौर पर इसके साइड इफेक्ट्स विरले और मामूली देखने को मिले हैं -
चक्कर या सरदर्द , शुरूआती थकावट , मांसपेशियों में दर्द - जैसा कि किसी व्यायाम की शुरुआत में होता है .
कफ़ बाँधने की जगह पर मामूली छिलना - इसका समाधान अतिरिक्त पैडिंग से हो सकता है .
कुछ दवाओं की खुराक में एडजस्टमेंट .
ECP का खर्च कितना - भारत में इस थेरिपी पर करीब 1 लाख से 1, 40 , 000 रुपये खर्च हो सकता है