Risate Ghaav - 22 - last part in Hindi Fiction Stories by Ashish Dalal books and stories PDF | रिसते घाव - २२ - अंतिम भाग

Featured Books
  • चाळीतले दिवस - भाग 6

    चाळीतले दिवस भाग 6   पुण्यात शिकायला येण्यापूर्वी गावाकडून म...

  • रहस्य - 2

    सकाळ होताच हरी त्याच्या सासू च्या घरी निघून गेला सोनू कडे, न...

  • नियती - भाग 27

    भाग 27️मोहित म्हणाला..."पण मालक....."त्याला बोलण्याच्या अगोद...

  • बॅडकमांड

    बॅड कमाण्ड

    कमांड-डॉसमध्ये काम करताना गोपूची नजर फिरून फिरून...

  • मुक्त व्हायचंय मला - भाग ११

    मुक्त व्हायचंय मला भाग ११वामागील भागावरून पुढे…मालतीचं बोलणं...

Categories
Share

रिसते घाव - २२ - अंतिम भाग


अमन ठण्ड की वजह से काँप रहा था । वह उसे कोरिडोर से कुछ आगे ले जाकर खुली जगह में आ गई जहाँ सूरज की हल्की सी धूप पड़ रही थी । कुछ देर धूप में बैठने के बाद अमन की कंपकंपी दूर होने लगी । श्वेता ने जब उसकी तरफ देखा तो वह मुस्कुरा दिया ।
‘अमन, कुछ खाओगे ?’
श्वेता के पूछने पर अमन ने ना में सिर हिला दिया ।
‘ठीक है तो यह पानी पी लो ।’ उसने बोतल से गिलास में पानी निकालते हुए कहा ।
‘ना ! घर चलो । मुझे यहाँ घुटन हो रही है ।’ अमन के शब्द टूट रहे थे ।
‘घर भी चलेंगे पर पहले आज की ट्रीटमेंट तो पूरी हो जाने दो । अभी एक टेस्ट बाकी है । यह पानी पी लो तो वह भी जल्दी से हो जाएगा ।’ श्वेता ने अमन को समझाते हुए कहा ।
‘क्या फायदा ! मरना तो है ही एक दिन । आज मरुँ या कल क्या फर्क पड़ता है ।’ कहते हुए अमन के चेहरे पर एक फीकी सी हँसी छा गई । वह अपने जीने की सारी उम्मीदें खो चुका था ।
‘नहीं अमन ! तुम ठीक हो जाओगे । तुम्हारे लिए न सही कम से कम मेरे लिए तो यह पी लो ।’ श्वेता बड़ी मुश्किल से अपने आँसू रोक पाई ।
अमन ने श्वेता के चेहरे पर उठती हुई पीड़ा को महसूस किया और उसके हाथ से गिलास लेकर उसे अपने मुँह से लगा लिया । श्वेता के आश्चर्य के पार वह कुछ ही देर में खाँसी खाये बिना ही सारा पानी पी गया ।
‘अभी एक गिलास और बाकी है ।’ अमन के हाथ से खाली गिलास लेते हुए श्वेता ने उसे देखा ।
‘लाओ ।’
अमन के हाँ कहते ही श्वेता ने फटाफट दूसरा गिलास उसे दिया और वह उसे धीरे धीरे पीने लगा । तभी श्वेता का मोबाइल बज उठा । उसने अपने पर्स से मोबाइल निकाला तो स्क्रीन पर अपने बॉस का नबंर झलकते देख उसे याद आया कि आज उसे सुबह ११ बजे ऑफिस जाना था । उसने घड़ी पर नजर डाली । साढ़े ग्यारह बज रहे थे ।
‘गुड मोर्निग सर !’ कॉल कनेक्ट करते हुए वह बोली ।
‘गुड मोर्निग श्वेता ! कहाँ हो ? आज तुम ११ बजे आने वाली थी ?’
‘जी सर । दरअसल इस वक्त मै अमन के साथ अस्पताल में हूँ ।’ उसने जवाब देते हुए अमन की तरफ देखा । अमन धीरे धीरे पानी अपने गले से नीचे उतार रहा था ।
‘क्या हुआ उसे ?’
‘सर, कैसे कहूँ समझ नहीं आ रहा ?’ श्वेता बात को सही ढंग से रखने की उधेड़बुन में थी ।
‘मामला क्या है श्वेता ? तुम्हारी आवाज में परेशानी झलक रही है ।’
‘सर, अमन को कैन्सर है – फूड पाइप कैंसर ।’
‘व्हाट ?’ श्वेता का जवाब सुनकर उसके बॉस ने प्रतिक्रिया दी ।
‘जी सर । डॉ. मेहता के सनातन कैंसर अस्पताल में इलाज चल रहा है ।’ श्वेता ने स्पष्ट किया ।
‘ओह माय गॉड ! ठीक है तुम उसके साथ रहो और किसी बात की जरूरत हो तो नि:संकोच बता देना । मैं अमन के मैनेजर से बात कर लेता हूँ ।’
‘थैंक्स अ लॉट सर !’ अपने बॉस की बात का जवाब देते हुए श्वेता ने कहा और फिर मोबाइल वापस अपने पर्स में रख लिया ।
अमन अब तक सारा पानी पी चुका था । श्वेता उसकी तरफ देखकर मुस्कुराई और व्हील चेयर लेकर वापस अन्दर चली गई ।
XXXXX
सोनोग्राफी का आगे का टेस्ट करवाकर अमन को जैसे ही बाहर लाया गया वह श्वेता को देखकर जोर से चीख उठा । श्वेता उसकी चीख सुनकर घबरा उठी ।
‘श्वेता ! ये लोग मुझे आज ही मार डालेंगे । घर चलो अभी । मरने से पहले मुझे तुम्हें कुछ बताना है ।’ अमन ने श्वेता का हाथ पकड़ लिया और व्हील चेयर से खड़ा होने लगा ।
‘अमन ! कुछ नहीं होगा तुम्हें । मैं नहीं मरने दूँगी तुम्हें ।’ जवाब में श्वेता एक दर्द के साथ चीख उठी । यह दृश्य देख वहाँ मौजूद लोगों की आँखों में आँसू आ गए । श्वेता ने अमन को हाथ का सहारा देकर खड़ा किया और पास ही लगी कुर्सी पर बिठा दिया ।
‘अमन ! विश्वास रखो कुछ नहीं होगा तुम्हें । एक बार तुम्हारा रिपोर्ट आ जाए तो फिर आगे की ट्रीटमेंट शुरू हो जाएगी और तुम ठीक हो जाओगे ।’ श्वेता अमन का हाथ सहला रही थी ।
‘मैं यहाँ एक पल भी और रहा तो अभी मर जाऊँगा । मुझे यहाँ घुटन हो रही है । तुम अभी घर ले चलो मुझे । देखो मुझे कुछ नहीं हुआ है । चल फिर सकता हूँ ।’ कहते हुए अमन खड़ा हो गया ।
‘मुझे पता है तुम चल फिर सकते हो और सबकुछ कर सकते हो लेकिन थोड़ी देर तो रूको । मैं डॉक्टर से मिल लूँ और रिपोर्ट भी तो लेना है ।’ श्वेता अमन को समझाने लगी ।
‘जिसे मिलना है मिल लो पर यहाँ से जल्दी चलो ।’ अमन झुँझला उठा और वहाँ से बाहर जाने लगा ।
‘कहाँ जा रहे हो ?’ श्वेता ने उसके पीछे पीछे आते हुए कहा ।
‘मैं बाहर धूप में जाकर बैठता हूँ तुम डॉक्टर से मिलकर आओ ।’ अमन हिम्मत के साथ वहाँ से आगे बढ़ गया ।
उसका जवाब सुनकर श्वेता पीछे मुड़ गई और नर्स से कुछ बातें कर वह डॉक्टर मेहता के केबिन में चली गई ।
डॉक्टर मेहता से बात कर जब वह बाहर निकली तो अमन अब भी पैर फैलाकर बाहर बगीचे में धूप में बैठा हुआ था । श्वेता को अपनी तरफ आता देख वह खड़ा होकर उसकी तरफ बढ़ चला ।
‘चलो चलें अब ? आ गए रिपोर्ट ? कौन सी तारीख आई है ?’ श्वेता के समीप आकर अमन जोर से हँस दिया ।
‘कोई तारीख वारिख नहीं आई है । बंद करो अपनी बकवास ।’ श्वेता को अमन की बात अच्छी न लगी ।
‘ठीक है बंद कर दी । ये तो बताओं रिपोर्ट में क्या आया है ?’
‘रिपोर्ट शाम तक आएँगे । मैं आकर कलेक्ट कर लूँगी । अभी तुम घर चलकर आराम करो ।’ श्वेता ने कहा और अस्पताल से बाहर की तरफ निकलने लगी ।
‘तुम कहती हो तो कुछ देर आराम भी कर लेते है । पर श्वेता अब मुझे मुझसे ज्यादा तुम्हारी चिंता हो रही है ।’ अमन ने श्वेता के साथ चलते हुए कहा ।
‘बुरा मत मानना पर हकीकत तुम्हें भी पता ही है कि कैंसर के मरीज बहुत ज्यादा नहीं जीते और जो जी जाते है वो थोड़े बहुत ही होते है जो खुशनसीब होते है । तुम मुझे मेरे हाल पर छोड़ कर वापस चली जाओ । अभी कोई देर नहीं हुई है । तुम्हारी पूरी जिंदगी का सवाल है ।’ अमन ने अपने मन में उठ रही बातों को विस्तार से श्वेता से कही ।
‘ठीक है चली जाऊँगी लेकिन तुम्हारे मरने के बाद ।’ श्वेता अमन के बार बार मरने की बात सुनकर परेशान हो उठी थी और वह इस बारें में और ज्यादा बात नहीं करना चाहती थी इसलिए बात को यहीं पर खत्म करते हुए उसने लापरवाही से जवाब दिया और अस्पताल के गेट से बाहर निकलकर वहाँ कुछ दूरी पर खड़ी रिक्शा में बैठ गई । अमन उसके पास चुपचाप बैठ गया । श्वेता से उसे इस तरह के जवाब की उम्मीद न थी । वह सोच रहा था कि श्वेता कुछ और कहकर न जाने के बहाने बनाएगी लेकिन उसने तो बड़ी आसानी से साफ़ शब्दों अपना फैसला सुना दिया था ।
घर पहुँचकर अमन अपना मोबाइल लेकर कुछ मैसेज करने लगा तो श्वेता ने उसे टोककर जबरदस्ती बेडरूम में आराम करने के लिए भेज दिया और खुद रसोई में खाना बनाने में जुट गई ।
दोपहर को अमन ने भरपेट खाना खाया और उसे बिल्कुल भी खाँसी न हुई । श्वेता ने उसे आराम से खाना खाते देख राहत की साँस ली । खाना खाकर अमन सो गया ।
शाम को अमन ने जिद कर खुद ही चाय बनाई और बेडरूम में ही श्वेता के संग बड़े आराम से बातें करते हुए चाय की चुस्कियाँ लेने लगा । तभी श्वेता के मोबाइल पर रिंग आई । बेडरूम से बाहर आकर श्वेता ने फ्रीज के ऊपर रखा अपना मोबाइल उठाया ।
‘श्वेता स्पीकिंग !’
‘मैडम ! मैं डॉक्टर मेहता के अस्पताल से बोल रही हूँ ...’
‘आ गए रिपोर्ट ?’ श्वेता ने बोल रही नर्स की बात बीच में ही काटते हुए पूछा ।
‘नो मैडम ! रिपोर्ट्स ठीक से नहीं आए है । पेशेंट चैकअप के वक्त सपोर्ट नहीं कर रहे थे । कोशिश करने के बाद भी उनका रिपोर्ट ठीक से नहीं आया है ।’
‘व्हाट ? तो अब ?’ नर्स का जवाब सुनकर श्वेता चौंक उठी ।
‘आप एक बार डॉक्टर से आकर मिल लीजिए और कल की अपोइन्टमेंट ले लीजिए । सारे टेस्ट फिर से करने होंगे ।’
‘वेल ! ठीक है । आती हूँ ।’ जवाब सुन श्वेता ने एक ठण्डी आह भरी और वापस बेडरूम में आ गई ।
अमन अपने मोबाइल पर नजर गड़ाए कुछ देख रहा था । श्वेता को अंदर आया देख उसने पूछा, ‘किसका फोन था ?’
‘अस्पताल से था । अमन ! रिपोर्ट्स फिर से करवाने होंगे । प्लीज, इस बार सपोर्ट करना ।’ श्वेता ने जवाब देते हुए बड़ी ही हसरत भरी नजरों से अमन की तरफ देखा ।
‘नहीं .. नहीं .. मैं नहीं जाऊँगा फिर से । वहाँ बड़ी सी मशीन में वे लोग पूरा का पूरा अन्दर घुसा देते है । बड़ी घबराहट होती है ।’ श्वेता की बात सुन अमन ने उसकी बात मानने से साफ इन्कार कर दिया ।
‘अमन ! प्लीज ! तुम्हारे लिए न सही पर मेरी जिंदगी की खातिर तुम इतना नहीं कर सकते ?’ श्वेता ने बेहद ही भावनात्मक लहजे से अपनी बात रखी तो अमन आगे उसे मना न कर सका ।
‘तुम्हारे लिए तो जान भी दे सकता हूँ । ये रिपोर्ट्स निकलवाना कौन सी बड़ी बात है ।’ कहते हुए वह मुस्कुरा दिया ।
‘अभी जान देने की जरूरत नहीं है । जब जरूरत होगी तब माँग लूँगी ।’ श्वेता अमन का जवाब सुन मुस्कुरा दी । उसका जवाब सुन अमन ने उसे अपनी ओर खींच लिया और उससे लिपट गया ।
‘छोड़ो भी अमन ! ये क्या कर रहे हो ?’ श्वेता ने उसकी पकड़ से अपने आपको छुड़ाते हुए कहा ।
‘तुम्हारे प्यार को महसूस कर रहा था । मैं तुम्हें दुखी होता नहीं देख सकता ।’ अमन ने अपनी आँखों में छलक आये आँसुओं को पोंछते हुए श्वेता को देखा ।
‘ज्यादा सेंटी मत बनो अब । अच्छा ! मुझे अभी डॉक्टर मेहता से मिलने जाना है । मैं जाकर एक डेढ़ घंटे में आ जाऊँगी ।’ श्वेता ने अमन के गाल पर लुढ़क आई आँसू की एक बूंद को पोंछते हुए कहा और खड़ी हो गई ।
‘ठीक है । कल की अपोइंटमेंट लेना मत भूलना ।’ अमन ने उसे याद दिलाते हुए कहा ।
‘तुमसे ज्यादा फ़िक्र है मुझे तुम्हारी ।’ श्वेता उसकी तरफ देखकर हँस दी और वहाँ से चली गई ।
XXXXX
मेरी प्यारी श्वेता !
तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और इतना प्यार करता हूँ तुम्हें मैं दुखी होता नहीं देख सकता । बहुत सोचा तुम्हारे बारें ...अपने बारें में ....लेकिन फिर दो ही रास्ते नजर आए । एक शॉर्ट कट और दूसरा लम्बा रास्ता । लम्बे रास्ते पर चलकर थक जाने का डर और परेशानियों के बढ़ने की संभावना बहुत ज्यादा है । कैंसर का इलाज करवाते हुए खुद तो पीड़ा सहन करने की हिम्मत रखता हूँ लेकिन उसके पीछे तुम्हारी बढ़ती परेशानियाँ देखने की हिम्मत नहीं है । इसका इलाज करवाते हुए मेरी जिंदगी की साँसें कुछ महीनों या सालों के लिए बढ़ भी सकती है लेकिन उसके बाद भी जिंदगी की तो कोई गारंटी न है ना !
दूसरे रास्ते का परिणाम तो तुरन्त ही देखने को मिल जाता है – शॉर्ट कट जो है । वैसे मुझे जिंदगी के लम्बे रास्ते शुरू से ही पसंद रहे है लेकिन फिर तुम्हारी खुशियों की भी फ़िक्र मुझे लम्बे रास्ते पर जाने से रोक रही थी । मुझे पक्का यकीन है तुम मुझे तब तक नहीं छोड़कर जाओगी जब तक मैं खुद अपने आपको नहीं छोड़ देता ।
मुझे माफ कर देना श्वेता ! इस कैंसर का सरवाईवल रेट बहुत कम है – इलाज के बाद भी । आज नहीं तो कल तो मुझे अलविदा कहना ही है जिंदगी को तो आज ही क्यों न अलविदा कह दूँ । मैंने तुम्हें पहले भी कहा है कि तुम्हें दुखी होते नहीं देख सकता । जब तुम यह पत्र पढ़ रही होगी तब मेरी हालत देखकर तुम्हें रोना आएगा । रो लेना जी भरकर और फिर जिंदगी में मुझे तुम्हारा बीता हुआ कल मानकर जल्दी से भूल जाना, मेरी खातिर ! क्योंकि तुम्हें दुखी होते हुए नहीं देख सकता मैं ।
मेरे इस कदम से तुम शंका के दायरे में न आओ इसी से अपनी एक इच्छा बता देना चाहता हूँ । मेरे बाद मेरा यह फ़्लैट बिकता है तो जो भी पैसा आए वह जरूरतमंद कैंसर के मरीजों के इलाज में लगा देना ।
गुड बाय !
आज तक तुम्हारा
अमन
अस्पताल से लौटकर श्वेता ने जैसे ही बेडरूम में अपने कदम रखे तो वहाँ का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए और एक जोर की चीख उसके मुँह से निकल पड़ी । अमन पंखे से लटका हुआ था । श्वेता सुनमुन सी काफी देर तक बैठी रही फिर कुछ होश आने पर बिस्तर पर पड़ी चिट्ठी पर उसकी नजर पड़ी और उसे पढ़कर वह जोर से रो पड़ी ।
XXXXX
समाप्त