लघु-कथा--
मुर्गी
राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव,
‘’आ गया।‘’ औरत ने तपाक से पूछा, जैसे वह उसके इन्तजार में ही आतुर थी।
‘’हॉं।‘’ मर्द ने झुकते-झुकते झौंपड़ी में घुसकर खड़े होते हुये कहा, ‘’ लो चिकिन लेग्स गरम कर लो।‘’ जमीन पर बिछी चटाई पर बैठते हुये मॉंगा, ‘’चखना... और ग्लास दे दो।‘’
‘’...चल शुरूकर!’’ औरत ने अल्लहड़ अन्दाज में मर्द को देखा, मुस्कुराकर।
‘’तू ही बना पैग.....’’
मर्द ने ऑंखों में धधक रहे इश्क के शोले दागे, उसके चेहरे पर।
‘’उठा!’’ दोनों ने एकसाथ पैग थामकर, ‘’चेयरस!’’ बोले सांस खींचकर दोनों एक ही झटके में गटक गये....गट्य...गट्य यूँ...यूँ...डकार लेकर।
कच्चे कमरे में मध्यम धुंधली रोशनी तथा सन्नाटा था।
थोड़ी ही देर में परस्पर पिलाने-खिलाने की जोर जबरजस्ती का दौर चल पड़ा। शुरूर अपने शवाब पर आने लगा। दोनों की मिश्रित गर्म सांसें हवा में छलककर शौखियों को साकार करने लगी, जिन्होंने मर्द-औरत को अपने आगोश में समेट लिया।
‘’ऐ मर्द!’’ औरत ने अपने आन्तरिक रहस्यों से पर्दा हटाया, ‘’औरत के अंग-अंग में चिनगारी, शोला, शबनम, सबकुछ मसाला है; जो मर्द कश्मसाहट, जोश, जुनून सबका-सब कुछ ही पलों में स्वाहा....कर देती है। पिलपिले आम की तरह, चूस कर!’’
मर्द की जिज्ञासा जाग गई। औरत की अपनी जवां-ज्वाला शान्त करने में टूट पड़ी। दोनों परस्पर अपनी-अपनी भड़ास, प्यास, प्यार, सन्तोष-सुख सम्पूर्ण समेटने में ऐसे लिपटकर एकाकार हो गये जैसे बरगद की शिराऍं गुन्थ जाती हैं।
तीव्र सांसों का शिखर, पसीने का सैलाब अपने चरम पर था।
‘’हट्ट....अब हट!’’ औरत हॉंफते-हॉंफते लस्त-पस्त, अस्त-व्यस्त है।
‘’काम वासना. और-और धधक रही है।‘’
‘’मुर्गी का जोरदार जोश उतार देगा क्या पूरा।‘’ औरत चहचहाते, खिलखिलाते हुये कश्मशाने की कोशिश करती है, ‘’धांस तो दिया पूरा के पूरा।‘’
‘’और!....’’ मर्द स्थिर होकर औरत के अंगों की अंगड़ाई सी हलचल, आँखों से चूस रहा हो, बोला, ‘’और थेड़ी देर.......’’
♥♥♥♥♥♥
संक्षिप्त परिचय
नाम:- राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव,
जन्म:- 04 नवम्बर 1957
शिक्षा:- स्नातक ।
साहित्य यात्रा:- पठन, पाठन व लेखन निरन्तर जारी है। अखिल भारातीय पत्र-
पत्रिकाओं में कहानी व कविता यदा-कदा स्थान पाती रही हैं। एवं चर्चित
भी हुयी हैं। भिलाई प्रकाशन, भिलाई से एक कविता संग्रह कोंपल, प्रकाशित हो
चुका है। एवं एक कहानी संग्रह प्रकाशनाधीन है।
सम्मान:- विगत एक दशक से हिन्दी–भवन भोपाल के दिशा-निर्देश में प्रतिवर्ष
जिला स्तरीय कार्यक्रम हिन्दी प्रचार-प्रसार एवं समृद्धि के लिये किये गये आयोजनों
से प्रभावित होकर, मध्य-प्रदेश की महामहीम, राज्यपाल द्वारा भोपाल में सम्मानित किया है।
भारतीय बाल-कल्याण संस्थान, कानपुर उ.प्र. में संस्थान के महासचिव
माननीय डॉ. श्री राष्ट्रबन्धु जी (सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार) द्वारा गरिमामय कार्यक्रम में
सम्मानित करके प्रोत्साहित किया। तथा स्थानीय अखिल भारतीय साहित्यविद् समीतियों
द्वारा सम्मानित किया गया।
सम्प्रति :- म.प्र.पुलिस से सेवानिवृत होकर स्वतंत्र लेखन।
सम्पर्क:-- 145-शांति विहार कॉलोनी, हाउसिंग बोर्ड के पास, भोपाल रोड, जिला-सीहोर,
(म.प्र.) पिन-466001,
व्हाट्सएप्प नम्बर:- 9893164140] मो. नं.— 8839407071.
न्न्न्न्न्