Bandish Bandits Review in Hindi Film Reviews by Mahendra Sharma books and stories PDF | बंदिश बैंडिट्स रिव्यू

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बंदिश बैंडिट्स रिव्यू

बंदिश बैंडिट्स
परिवार , परंपरा, प्यार और पण्डितजी का घंटा बंधन

इस वेब सीरीज़ का रिव्यू लिखने से पहले आपके सामने एक बात साफ़ शब्दों में स्पष्ट कर दूँ की मुझे शास्त्रीय संगीत की जानकारी उतनी ही है जितनी पहली कक्षा के बच्चे को बोर्ड परीक्षा की होती है।
एक अच्छा प्रेक्षक हूँ और हिंदी गानों के साथ अगर टेलिविज़न पर कोई शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम हो तो कुछ देर खुद को रोक लेता हूँ , सुर ताल को अपने अंदर प्रवेश करवाने का प्रयत्न ज़रूर करता हूँ। कुछ प्रवेश हो गया तो सुकून मिलता है नहीं तो घर पर चाय तो हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है ही।

हमें पहले यह तय करना होगा की आप क्या देखना पसंद करेंगे , फिल्में या वेब सीरीज़ ? भैया जिस विषय पर फिल्म बन ही सकती थी, और अच्छी ही बन जाती उसको चिविंग गम की तरह क्यों खेंच कर उसे प्रेक्षकों के मुंह पर नए नार्मल के नाम पर लम्बा चिपका दिया जाता है। बंदिश बैंडिट बढ़िया विषय है , एक अच्छी सी दो या ढाई घण्टे की फिल्म दिखा देते , दुआओं में याद रखते आपको। पर अब फिल्म प्रोडूसर्स को वेब सीरीज़ बनाने के तगड़े पैसे मिल रहे हैं और यह ओटीटी वाले प्रेक्षकों को लंबे समय तक बांधने के लिए वेब सीरीज़ नाम की रस्सी छोड़ने वाले नहीं।

अब दुनियादारी छोड़कर आते हैं पॉइंट पर। बंदिश बैंडिट वेब सीरीज़ टिकी है चार स्तम्भों पर जिनके नाम हैं परिवार, परंपरा , प्यार और पंडित जी का घंटा बंधन।

एक परिवार जिनके रहस्य एक एक करके हर एपिसोड में खुल रहे हैं , पहले एपिसोड में एक आदर्श सा दिखने वाला परिवार और दूसरा एपीसोड परिवार के छुपे रहस्यों को आपके सामने लाता है। और वह रहस्य इसलिए आपके सामने आ रहे हैं क्यूंकि परिवार का सबसे छोटा सदस्य राधे सबसे तेज़ और आशास्पद संगीतग्य बन रहा है, उस पर ज़िम्मेदारियों का पहाड़ टूटने वाला है।

राधे अपने दादा श्री राधे मोहन राठौड़ का शिष्य है और पूरा परिवार चाहता है की पोता मतलब राधे आगे जाकर इस राठौड़ घराने का उत्तराधिकारी बने। राजस्थान के संगीत घराने विश्व प्रसिद्ध हैं।

राधे एक निष्ठावान विद्यार्थी और संवेदनशील २१ साल का बेटा व पोता है। जिसे अनजाने में ही किसी ऐसी लड़की से प्यार हो जाता है जो उसकी तरह बिल्कुल नहीं है। राधे जितना शर्मीला है वह लड़की उतनी ही बोल्ड है। राधे एक बहुत ही अच्छा शास्त्रीय गायक बन रहा है और वह लड़की पॉप स्टार है। पर जैसे की अंग्रेजी में कहते हैं की ऑपोज़ीट एट्रेक्ट्स, वही यहां भी होता है। पर यहां फिर बात आती है संगीत की , कौन कितना अच्छा गा सकता है उसपर छिड़ती है जंग । 3 बार ब्रेकअप फिर पैचअप। आज कल कॉमन है लड़के लडकियों में।

यहां एक दिशा में नहीं अलग अलग दिशाओं में कहानी अपनी आज़ादी के मज़े ले रही है। परिवार के सदस्यों की कहानी जैसे राज़ पर राज़ खोलती जा रही है और पवित्र आदर्श समान पण्डितजी भी इतने पवित्र नहीं हैं जितने दिखते हैं। उनकी जवानी की कहानी तो सरप्राइज़ लेके आती है।

आपने प्यार की बात सुन ली ,सीरीज़ में देखने को प्यार बहुत है , देख लीजिएगा। राठौड़ घराने की परंपरा यह है की श्रेष्ठ गायक जिसे पण्डित जी चुनेंगे उसको दिया जाएगा घंटा बंधन का सम्मान। जिसे पाने के लिए पण्डितजी के पुत्रों ने भी प्रयत्न किए पर वे अनुशासन नहीं रख पाए और विफल रहे। राधे उस दहलीज़ पर आ चूका है जिसपर उसका घंटा बंधन तय है, पर क्या होगा उसका घंटा बंधन ? घंटा बंधन राधे के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है जिसके लिए उसने अपना जीवन और प्यार दोनों ही दाव पर लगा दिए हैं।

राधे जिससे प्यार करता है वह तम्मन्ना पॉप सिंगर है पर किस तरह राधे से मिलकर और उसके साथ काम करके उसे पता चला कि वह बहुत ही सामान्य गायिका है, असली हीरो तो राधे है क्योंकि उसने अपनी गायकी के लिए न केवल शिस्तब्ध तरीके से शिक्षा ली है पर एक बहुत ही कठिन परीक्षा से भी गुज़रा है। यह स्वपरिचय और आत्मनिरीक्षण का अहसाह बहुत ही मुश्किल घड़ी होती है जब आप खुद को श्रेष्ठ मानकर बैठे हो और कोई यह प्रमाणित कर दे कि आप केवल अच्छे हो पर श्रेष्ठ नहीं।

इस तरफ परिवार का एक सदस्य अचानक 4थे एपिसोड में एंट्री मारता है जिससे परिवार की नींव हिल जाती है। वह सदस्य बहुत करीबी होने के साथ संगीत का बढ़ा महारथी है। उसने अपनी गायकी से पूरी दुनियां में नाम कमाया है पर पण्डित जी ने उसे उसका योग्य स्थान मतलब उसका घंटा बंधन नहीं दिया, आखिर क्यों? घराने को लेकर सालों पुरानी तकरार और उनके बीच उलझे रिश्ते।

पर फिर सोचना यह है की क्या संगीत को किसी की जागीर बनाया जा सकता है ? इसकी कोशिश कई लोग यहां कर रहे हैं पर संगीत तो बहते पानी की तरह अपना रास्ता खदु ढूंढ रहा है।

राधे का किसी और लड़की से रिश्ता तय होना, फिर उस लड़की का निजी जीवन , फिर उस लड़की से पीछा छूटना, यह वेब सीरीज़ के 2 एपिसोड में इज़ाफ़ा देने के अलावा कुछ नहीं करता।

कलाकारों की बात करें तो पण्डितजी के रोल में हैं नसीरूदीन शाह, इनका स्क्रीन पर होना ही किरदार में जान डालता है और दूसरे कलाकार जैसे अपना बेस्ट देने की होड़ में लग जाते हैं। 4थे एपिसोड से मिलेंगे अतुल कुलकर्णी, अभी तक इनको जितना काम मिलना चाहिए इतना मिला नहीं पर इस सीरीज़ में बहुत ही बढ़िया एक्ट है।

राधे के रोल में ऋत्विक भौमिक बहुत ही प्यारा लग रहा है, बंदा बहुत आगे जाने के तेवर रखता है, तमन्ना के रोल में आई है श्रेया चौधरी, कुछ खास अभिनय कौशल नहीं दिखा इनका। शीबा चड्डा, जो ज़्यादातर फूफी जैसे रोल करती हैं , इस सीरीज़ में राधे की मां के किरदार में बहुत ही सशक्त स्त्री का रोल बखूबी निभाया है। इनके बगैर ज़िरीज़ में क्लाइमेक्स आना नामुमकिन था।

3 इडियट्स वाला मिली मीटर अब पूरा किलोमीटर बन गया है, राहुल कुमार ने राधे के नटखट दोस्त की भूमिका में सीरीज़ के कॉमिक पार्ट को चार चांद लगा दिए हैं। पर गालियां बहुत हैं इसके डायलॉग्स में, तो इसके आने पर म्यूट बटन ज़रूर दबाएं।
अमित मिस्त्री (चाचा), राजेश तैलंग (पिता) , दिलीप शंकर ( राजा ) ने अच्छा साथ निभाया।

जोधपुर की खूबसूरती का बेहतरीन चित्रण किया गया है। शास्त्रीय गायकी को इतने सुंदर व विशाल स्वरूप में प्रस्तुत करना एक बहुत बड़ा काम है जिसे डाइरेक्टर आनंद तिवारी ने बखूबी प्रस्तुत किया है। संगीत है शंकर अहसान लोय का जिन्होंने इस सीरीज़ की नींव मतलब गायकी और शास्त्रीय संगीत को न केवल संभाला पर बढ़ी खूबसूरती से निखारा है। एक बार फिर शंकर अहसान लोय ने बाज़ी मार ली है।

फ़िल्म में फैमिली वैल्यूज़ को बहुत बखूबी प्रस्तुत किया है और इसी लिए आज के युवाओं को यह वेब सीरीज़ ज़रूर देखने की सलाह दें। साथ ही यूट्यूब पर निम्न कक्षा की गायकी व संगीत के वीडयो अपलोड करने वालों पर भी यब वेब सीरीज़ कटाक्ष करती है। केवल श्रेष्ठ और कुछ नहीं, यही संदेश है इस सीरीज़ का। क्लाइमेक्स आपके रोंगटे खड़े कर सकता है, बस इत्मीनान से सीरीज़ देखें और जितना सीखने को मिले सीख लें।

दूसरी वेब सीरीज़ की तरह गोलियां, कातिल, पुलिस, गैंगस्टर वगैरह नहीं दिखे इसलिए मेरी तरफ से 5 में से 4 स्टार ।