प्रकाशक : यह क्या उल्ल जुलूल लिख लाये लेखक महाशय
लेखक : नारी आत्मनिर्भरता, आत्मसम्मान, नारी उथान आदि पर एकदम बढ़िया कहानी लिखी है
प्रकाशक : बढ़िया किसे कहते है आपको पता भी है
लेखक : जी हां देखिये तो क्या लिखा है
लेखक : निर्मला की कॉलेज के बाद कि ज़िन्दगी के 10 साल जिसमे उसने मेहनत से IAS बनी । उसका पूरा विस्तृत वर्णन जैसे कि उसकी पढ़ने की टाइमिंग कोचिंग क्लासेज खाना पीना, सोचना का तरीका और तो और उसके टीचर्स का भी पूरा वर्णन किया है
प्रकाशक : इसमे वो टीचर का जिक्र नहीं है जिसने निर्मला से अच्छी कोचिंग के बदले शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास किया
लेखक : ऐसा कोई टीचर था ही नहीं
प्रकाशक : इसमे मा बाप का जिक्र नहीं जो लड़को को बढ़िया और लड़की को काम चलताऊ खाना देते थे और लड़की की पढ़ाई रोक देना चाहते थे ताकि लड़के की इंजीनियरिंग की पढ़ाई चलती रहे
लेखक : निर्मला के मा बाप ने ऐसा नहीं किया साहब, बल्कि अधिकांश मा बाप ऐसा नहीं करते
प्रकाशक : दहेज़ लोभी शराबी और मार पीट करने वाला पति कहाँ है
लेखक : निर्मला जी का पति इस श्रेणी में नहीं आता बल्कि अधिकांश पति नही आते
प्रकाशक : तब तो आप यह भी कहेंगे कि निर्मला के पति में पुरुष होने के कारण निर्मला को आगे बढ़ने से रोकने का प्रयास नहीं किया
लेखक : नहीं बल्कि उन्होंने तो निर्मला को प्रोत्साहित किया उनको कोचिंग का पूरा खर्चा दिया और घर पर भी निर्मला जी पढ़ाई कर सके इसके लिए माहौल तैयार किया
प्रकाशक : आस पड़ोस में ऐसा कोई आदमी है जिसके अश्लील व्यवहार के कारण निर्मला जी का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया हो
लेखक : नही बल्कि महेश जी का जिक्र है जो अक्सर निर्मला जी की सहायता लाइब्रेरी से बुक्स लाकर किया करते थे वो लाइब्रेरियन है
प्रकाशक : और कोई ऐसा आदमी जिसके कारण निर्मला जी को दिक्कत आयी जो
लेखक : नहीं
प्रकाशक : और आप अपनी रचना को अच्छी रचना बता रहे है
लेखक : बिल्कुल आप भाषा, व्याकरण, रोचकता, लेख की लंबाई किसी भी नज़र से देखिए अच्छी रचना है यह यकीन मानिए प्रतियोगिता में प्रथम या दूसरा स्थान अवश्य आएगा
प्रकाशक : हम तो आपको अच्छा लेखक मानते थे परंतु आप तो बुड़बक लेखक निकले
लेखक : आप मेरा अपमान कर रहे है
प्रकाशक : आपकी रचना नारी सम्मान, नारी आत्मनिर्भरता, नारी उथान आदि को समर्पित है और एक भी आदमी ऐसा नहीं जिसे अत्याचारी बताया गया हो और आप कहते है कि हम आपका सम्मान करें
लेखक : नारी उथान का अर्थ है महिला का अपनी मेहनत से प्रगति करना
प्रकाशक : नहीं नारी उथान की ऐसी कोई रचना नहीं हो सकती जिसमे पुरुषों को नीचा ना दिखाया जाए
लेखक : जरूरी तो नहीं
प्रकाशक : बहस नहीं काम कीजिये और ऐसा कीजिये कि महेश के करैक्टर पर काम कीजिये बताइये की कैसे सालों तक महेश निर्मला जी सेक्सुअल हर्षमेंट करता रहा जिसकी वजह से उनको अध्ययन करने में कठिनाई आई कैसे वो घर से निकलने से डरने लगी
लेखक : महोदय हम निर्मला जी की आत्मकथा पर काम कर रहे है और महेश एक शरीफ आदमी है
प्रकाशक : तो क्या हुआ आप बदलाव करके लाइये
लेखक : निर्मला जी कैसे स्वीकार करेंगी इस काल्पनिक कथानक को
प्रकाशक : उनको करना पड़ेगा क्या उनको महिला उथान की परवाह नहीं है
लेखक : लेकिन
प्रकाशक : ऐसा कोई साहित्य नहीं बन सकता जो नारी उथान पर हो और उसमे पुरुषों का अपमान ना हो
लेखक : समझा
प्रकाशक : और समझ लीजिए हम अधिकांश महिलाओं को आगे बढ़ने को प्रेरित नहीं कर सकते परंतु इतना तो कर ही सकते है कि पुरुषों को इतना नीचे गिरा दे कि महिलाएं बिना कुछ किये ही ऊपर आ जाये
लेखक : ठीक है में करता हूँ बाकी आप निर्मला जी से बात कर लीजिए
प्रकाशक : आप लिखिए निर्मला जी सिग्नेचर करेंगी उनको करना पड़ेगा आखिर नारी उथान का सवाल है
नोट : और बड़ी मेहनत करके लेखक महोदय ने महेश नाम के दरिंदे एवं अभिनव नाम के दहेज़ लोभी एवं शराबी पति के चरित्र का वर्णन किया एवं प्रथम पुरस्कार के साथ साथ निर्मला जी को नारी आत्मसमान की ज्वलित मशाल के रूप में स्थापित कर पाए