Wow! महज़ एक शब्द, या फिर जसबात। part-3 in English Love Stories by Sejal books and stories PDF | Wow! महज़ एक शब्द, या फिर जसबात। part-3

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Wow! महज़ एक शब्द, या फिर जसबात। part-3

तो अभ यह तो समझ आ ही गया कि शुभम को प्यार डींमपल से तो नहीं था। और डींमपल के दिल में भी शुभम के लिए तो कभी कुछ रहा ही नहीं। तो आगे देखते हैं क्या होता है।
तो अब हल्दी का function था शाम का, और वक्त भी जल्दी ही बीत गया और program शुरू हो गया। हमारे यहां की हल्दी मे तो बहुत मज़ा आती है, बड़े हो छोटे हो सभी इस प्रकार घुल मिल जाते हैं और खुशियों का तो ठिकाना ही नहीं रहता। पर न जाने क्यों एभ तक पुरा माहौल शांत था। बड़ा सा DJ भी मंगाया गया था पर उसके आस पास नाचना तो दुर कोई गया तक नहीं था।
मेहमानों का-रिश्तेदारों का आना तो अभ तक जारी था। जादा मेहमान नहीं थे पर सभ के आने मे समय का काफी अंतर था। हा पर जीसका इंतज़ार डींमपल को था उसका तो अभ तक कोई ठिकाना नहीं था।
Function चालु हो गया तो शुभम भी अपने काम मे लग गया, photographer था तो तस्वीरें छीचने लगा। वो और उसका दोस्त दोनो मिल कर दुल्हन की, घर के सदस्यों की रिश्तेदारों कि सभी कि तस्वीरें लेने लगे।शुभम का दोस्त अभी भी डींमपल के ही पीछे था। उसके camera मे बाकी लोगो के मुकाबले डींमपल की हि जादा तस्वीरे खिंचि गयी थी।
दुल्हन का, डींमपल का, घर के बाकी सदस्यों का तो क्या खूब make-up था। सभी औरतें मराठी लुक के साथ तैयार हुईं थीं। बदन पर लुगडाँ, नाक मे नंथनि, गले में हार हाथों में चूढियाँ, और बालो का जुड़ा बना कर सज-धज गयी था। कुछ मेहमान अपने हिसाब से पहले ही पीलि साड़ी पहन कर तैयार हो कर आए थे। और आदमीयो का क्या वो तो बिचारे अपना कोई भी shirt और pant या jeans पहन कर आ जाया करते हैं। तो इस programपर भी इसी प्रकार तैयार हो कर आए थे।
शुभम तस्वीरें लेने में बस खो ही गया था कि तभी उसे camera के सामने एक चेहरा दिखाई दिया, मानो बस शुभम को उसके अलावा कुछ दिखाई दे ही नहं रहा हों। उसने देखा एक लड़की हँसते खिल-खीलातें प्यारी सी मुस्कान के साथ अंदर की ओर आ रही थी, उसकी नशीली आँखें उनमें एक चमक थी और शायद वह किसी को तलाश रही थी पुरे पांडाल मे नज़र घुमा कर किसी को ढूंढ रही थी। शुभम अपना काम छोड़कर बस उसे ही देखे जा रहा था और मानो यहीं चाहता हो कि ये कभी मेरी आँखों से दुर ही नाहं जाये और काश कि ये लमहां यहीं ठहर जाये। वह अपनी नजरें हटा ही नहीं पा रहा था। उसका चेहरा, उसकी चाल, उसकी मुस्कान को देख कर तो शुभम कही खों ही गया था। वह सामने से आ रही थी शुभम पलकों को झपकाए बिना उसकी तरफ देखे जा रहा था।
वह धीरे धीरे पास आते गई शुभम की दिल कि धड़कने बढ़ती गई। जैसे ही वह उसके बगल से गुजर रही थी शुभम को पता नहीं क्या हुआ उसके ज़ुबान पर एक शब्द आ गया और उसने उसके सामने ही कह दिया "wow!" यह सुनकर लड़की भी आश्चर्य में पड़ गई, उसे अहसास हुआ कि किसी ने उसके लिए कुछ कहा है, उसपर compliment दीया है। उसने पीछे मुड़ गयी उसने देखा कि शुभम भी उसे ही देख रहा था। शुभम के मन में हलचल मच चुकी थी वह खुद नहीं समझ पा रहा था कि उसके मन की सतिथी क्या है। उसके मन मे एक ही वक्त पर इतनी सारी भावनाएँ थी की उसका दिमाग ही नहीं चल पा रहा था। उसे शर्म से मुँह नीचे झुकाना था पर उसकी निगाह उस लड़की पर से हट ही नहीं पा रही थी।

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