Peacock - 1 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | Peacock - 1

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Peacock - 1


आरव अचानक नींद से जाग गया ? “फिर वही सपना देखा क्या तुमने? अरुणा ने पूछा ।“ “हां रिदा अभी भी मेरे सपनों में आती है और बड़ी उम्मीद से मुझे देखती है, हँसती है, फ़िर जोर से रोने लग जाती है। पता नहीं कब मुझे इन सपनों से छुटकारा मिलेगा”?? उसने अरुणा की तरफ बेबसी से देखते हुए कहा। “बुरा न मानना आरव, तुमने जो उसके साथ किया है, शायद उसी का एहसास कराने वो तुम्हारे सपनों में आ जाती है, खैर छोड़ो उठो । तुम्हारे रेगुलर टाइम पास वाले यंग एंड ओल्ड कम्युनिटी तुम्हारा इंतज़ार कर रहे होंगे । मुझे भी अपने ऑफिस जाना है और कोई नई ब्रेकिंग न्यूज़ इंतज़ार कर रही होगी।“ अरुणा ने विषय बदलते हुए आरव से कहा। ठीक है बहन, उठ रहा हूँ। आरव कहकर बाथरूम में चला गया। अरुणा ने खिड़की से बाहर देखा पालमपुर की पहाड़ियों से चमकता सूरज हमेशा ही मन में कोई उमंग भर देता है। ‘जब माँ-बाबा ज़िंदा होते थें तो कैसे पूरा परिवार इन पहाड़ों का नज़ारा साथ बैठकर देखा करता था,’ अरुणा यह सोच ही रही थीं कि आरव तैयार होकर नाश्ता करने के लिए बैठ चुका था। “दीदी आओ, अब देर नहीं हो रही?” आरव ने अरुणा को पुकारकर कहा। “आती हूँ !!!” कहकर ने खिड़की बंद की और दोनों भाई-बहन नाश्ता कर अपने-अपने काम को निकल गये।
आरव पालमपुर में एक लाइब्रेरी कम कैफे चलाता है और तक़रीबन सभी बच्चे और बूढ़े उसके यहाँ आकर समय बिताते है और ज्ञान की चैटिंग और सेटिंग भी खूब चलती है । कभी पॉलिटिक्स पर बहस होती है, तो कभी फिल्मों की हीरोइन के पीछे जाते ह, इसलिए आरव ने अपने कैफ़े का नाम टाइमपास रख दिया । बच्चो और बूढ़े के हिसाब से बिलकुल सही नाम चुना था, आरव ने । मगर कहीं न कहीं हसी-ठठोली के बीच अपने मन की घुटन और बेचैनी को चाहकर भी नहीं मिटा पाता और आज “जब दीदी ने कहा कि तुमने रिदा के साथ ठीक नहीं किया तो ऐसा लगा कि उसके मन का बोझ और भी बढ़ गया हैं । “आरव किस सोच में डूबा है यार !” उसका कॉलेज का दोस्त बंटी उसके हाथों को हिलाकर बोला । “वहाँ देख वो पिंक ड्रेस वाली कोई सेक्सी सा इंग्लिश नावेल पढ़ रही है, जाते वक़्त रजिस्टर में उसका नंबर लिखवा लियो । थोड़े नोट्स मैं भी ले लूँ, बंटी ने हॅसते हुए कहा । “तू भी न बस हद करता है, मुझे नहीं लगता कि वो तुझे घास डालेगी देख पहले ही कोई पंछी उस डाल पर जाकर बैठ गया है।“आरव ने बंटी को उस लाल शर्ट वाले लड़के को दिखाते हुए कहा। “रुक मैं ज़रा इस साले के पर काटकर आता हूँ। कहकर बंटी चला तो गया, मगर सच में उसकी दाल नहीं गली और वह अपनी बाइक उठा खुनस में कैफ़े से निकल गया।

“बेटा इस बुक को घर ले जाओं” मिश्रा अंकल ने आरव को बुक दिखाते हुए पूछा। आरव ने उपन्यास को देखा और मुस्कुराकर बोला, “ ले जाओ! अंकल वैसे थोड़ा एडल्ट नावेल है ‘लोलिता’।“ “तभी तो ले जा रहा हूँ, बेटा इसको पढ़कर तेरी आंटी की याद आ गयी, वैसे नाम उसका लीलावती था। पर प्यार से उसे लोलिता कहकर बुलाता था।“ कहकर मिश्रा अंकल चले गए। पर आरव ने सोचा, ‘मुझे तो पूरा हिमाचल ही रिदा की याद दिलाता है। हर फूल में रिदा की हसीं बसी हुई है, उसका चेहरा बादलों से घिरे चाँद में नज़र आता है। मगर जब भी वह गौर से देखता है, तो चाँद बादलों में छिपने लगता है। रिदा मुझसे नफरत ही करती है। आख़िर, मैं इसी काबिल हूँ।“ सोचकर आरव की आँख भर आई और तभी मोबाइल बजा, अरुणा कह फ़ोन था। “भाई आज कैफ़े बंदकर जल्दी घर आना मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार, आज बहुत बारिश होने वाली है । अरुणा ने आदेश के लहज़े में कहा। बिलकुल मेरी रिपोर्टर बहन सही टाइम पर रिपोर्टिंग करूँगा!!!”” कहकर आरव ने फ़ोन रख दिया ।
शाम को बहुत तेज़ बारिश हुई । “सच में दिल्ली कैसे डूब रही है । देखो!” टीवी की और इशारा कर अरुणा ने आरव से कहा । “और पालमपुर यहाँ भी तो पानी भर जाएगा “ आरव ने कॉफी का घूँट भरते हुए कहा। “पालमपुर की बारिश तो बेहद खूबसूरत है, देखा नहीं कि जब बारिश आती है तो कैसे मोर नाचते है, पर दिल्ली में बस ट्रैफिक-जाम, प्रदूषण और बरसात तो इन्हें अच्छी नहीं लगती । मेरे ऑफिस के महेश ने एक स्टोरी दिल्ली के लाइफस्टाइल पर कवर की थी, ज़्यादतर लोग वर्षा के मौसम का रोना ही रो रहे थें ।“ अरुणा ने फिर टीवी की ओर देखते हुए कहा । “क्या पता, वहाँ भी कोई मोर नाच रहा हों ।“ आरव ने कटाक्ष करते हुए अरुणा को कहा ।