Dastak - last part in Hindi Love Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | दस्तक - (अंतिम भाग)

Featured Books
Categories
Share

दस्तक - (अंतिम भाग)

माँ का पत्र पढ़कर वह सोचने लगा।बेटा होने के नाते उसका माँ बाप के प्रति फ़र्ज़ था।भाई के नाते बहनों के प्रति भी जिम्मेदारी थी।काफी देर तक सोच विचार करने के बाद उसने मन ही मन में निर्णय लिया।और फिर संजना के नाम एक पत्र लिखने बैठ गया।उसने उस पत्र को संजना की मेज पर रख दिया।उसने आफिस में भी किसी को कुछ नही बताया।
संजना गांव से लौटी तब उसे यह पत्र मिला था।सुुुबह वह इस पत्र को नही पढ़ पायी थी।लेकिन लंच में उसने लिफाफा खोलकर पढ़ने लगी।
प्रिय संजना,
माँ का पत्र मुझे आज ही मिला।मैने अपने बारे में बताते हुए एक सच छिपाया था।अब जब तुमसे हमेशा के लिए दूर जा रहा हूँ,तो इस सच को बता देना जरूरी समझता हूँ।मैने गांव से दसवीं की परीक्षा अच्छे नंबर से पास की थी।मैं आगे पढ़ना चाहता था लेकिन मेरे पिता चाहते थे,मैं काम करू और मैं कानपुर चला आया।काम करके मैने इन्टर पास की।फिर मैं गांव गया था।पिताजी मुझ पर बहुत नाराज हुए।माँ बहनों की नही सुनी और मुझे घर से निकाल दिया।
मैं कानपुर लौट आया और मैने नौकरी के साथ पढ़ाई की।घरवालों से मेरा कोई संपर्क नही था।गांव के एज लड़के की यहाँ नौकरी लग गई है।वो माँ का पत्र लाया था।
पिता कई साल से बीमार है।बहने जवान हो गई है।परिवार के प्रति बेटे का फर्ज होता है।उसे निभाने के लिए जा रहा हूँ।
माँ ने मेरे लिए एक लफ़की भी देख ली हैं।मैं माँ से बहुत प्यार करता हूँ।उसकी पसंद को ठुकरा नही पाउँगा।
तुम मुझे भूलकर कोई मन पसंद साथी ढूंढकर शादी कर लेना।।मुझसे जाने अनजाने मे कोई भूल हुई हो तो मुझे माफ़ कर देना।
धीरज का पत्र पढ़कर संजना सोचने लगी।धीरज उसकी जिंदगी मे आने वाला पहला मर्द था।जिसे उसने चाहा, प्यार किया और अपना जीवन साथी बनाने का सपना देखा था।आज वे सब रेत के महल की तरह भर भरा कर गिर गए थे।
संजना सींचती थी।धीरज भी उसे चाहता है।प्यार करता है।लेकिन धीरज के पत्र ने साबित कर दिया था।उसका सोचना गलत है।अगर धीरज भी उसे चाहता होता,प्यार करता होता तो उसे इस तरह छोड़कर कभी भी नही जाता।
धीरज ने लिखा था, मुझे भूल जाना।लेकिन क्या औरत के लिए पहले प्यार को भूल जाना इतना आसान होता है।दूसरे मर्द से शादी करके अपना तन सौपने के बावजूद अपने मन मंदिर ने बसी प्यार की छवि को कभी नही मिटा पाती।संजना लगातार सोचे जा रही थी।
धीरज अचानक वर्षो बाद गांव पहुँचा तो परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई।माँ बहनों की ख़ुशी का ठिकाना नही था।बाप ने बेटे को घर से निकाल दिया था।वर्षो बाद बेटे को देखकर असक्त बाप बोला,"बेटा तेरे को देखने को तो आंखे तरस गई।"
सालों के गले शिकवे दूर हुए तब बहने बोली,"हमने भाभी पसंद की है।"
"हॉ बेटा ।मैं एक शादी मे गई थी।वंही एक लड़की को देखा था।"माँ उस लड़की की फ़ोटो लायी थी।फ़ोटो बेटे को देते हुए बोली,"तेरी बहनों को तो पसंद आ गई है।तू देख।तुझे लड़की पसंद है क्या?"
फोटो देखकर धीरज चोंक पड़ा।जिस संजना को छोड़कर वह दूर चला आया था।वही संजना हमेशा के लिए उसकी जिंदगी में आने के लिए दस्तक दे रही थी।