Punarmilan in Hindi Short Stories by Ratna Raidani books and stories PDF | पुनर्मिलन

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पुनर्मिलन

आज आकाश, शुचि, भूमि, समीर और सलिल ने क्षितिज के घर पर मिलना तय किया। बाकी सारे मित्र समय पर पहुँच गए पर समीर को आने में काफी देर लग गयी।

उसके आते ही आकाश ने उससे पूछा, "कितनी देर लगा दी तुमने, समीर?"

"अरे क्या बताऊँ आकाश, मैं पिछले दो घंटे से ट्रैफिक में फंसा हुआ था। हॉर्न्स की आवाज़ और गाड़ियों के धुंए ने मेरी हालत ख़राब कर दी। जिस रास्ते से मैं आ रहा था वहां एक बहुत बड़ी फैक्ट्री आती है, उसकी चिमनी से ऐसी गैस निकल रही थी की मेरा दम घुटने लग गया। देखो, मेरी नयी सफ़ेद टी-शर्ट कैसी गन्दी लगने लगी।"

भूमि ने समीर की परेशानी समझते हुए कहा, "सही बात है, आजकल सड़क पर इंसान कम और वाहन ज्यादा दिखाई देते हैं। हमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट और कार पूलिंग जैसे तरीकों को अपनाना चाइये और बिना बात के खाली सड़कों पर हॉर्न्स बजाने वालों को तो पकड़ कर फाइन लगाना चाहिए।"

थोड़ी देर इधर उधर की बात करने के बाद सलिल अपने बैग से पानी की बोतल निकालकर पानी पीने लगा। शुचि से चुप नहीं रहा गया और उसने अपने मित्र की टांग खींचते हुए बोला, "अरे क्या सलिल, तुझे क्या लगा क्षितिज हमें पानी भी नहीं पिलायेगा जो तू अपनी बोतल साथ में लेकर आया है?"

"हा हा हा... अरे नहीं शुचि ऐसी कोई बात नहीं है। हर कहीं पर तो फिल्टर्ड पानी नहीं मिल पाता इसलिए जब भी कहीं बाहर जाता हूँ तो मैं अपनी पानी की बोतल साथ में रखता हूँ। लोग नदियों में इतना कचरा बहाते हैं, जैसे वो कोई कूड़ादान हो। लोग समझते हैं कि डुबकी लगाकर अपने पाप धो लेंगे पर यह नहीं समझते की वो उसे गन्दा कर रहे हैं। जिस गंगा जल को इंसान के मुँह में मृत्यु के समय डाला जाता है उसे जीते जी पीना किसी के लिए भी संभव नहीं है।"

"सही कह रहा है भाई तू। ऑक्सीजन सिलेंडर्स और मिनरल वाटर के रूप में अब ये कुदरती चीज़ें भी मुफ्त नहीं रही।" आकाश ने सलिल का समर्थन करते हुए कहा।

"चलो छोड़ो ये बातें, आओ एक सेल्फी लेते हैं।" समीर ने अपना मोबाइल फ़ोन निकलते हुए कहा। सब लोग पोज़ देने में लग गए। लेकिन भूमि सबसे पीछे खुद को छुपाने में लगी हुई थी।

"अरे भूमि आगे आ ना, तेरा चेहरा अच्छे से नहीं आ रहा।" शुचि ने आवाज़ दी।

"नहीं नहीं मैं यही ठीक हूँ। मेरी फोटो अच्छी नहीं आती।" भूमि ने अलग हटते हुए कहा।

"अरे क्या हो गया है तुझे?" शुचि और बाकी सारे दोस्तों ने उसकी तरफ मुड़ते हुए पूछा।

"क्या बताऊँ यार आज कल की लाइफस्टाइल में अपना ध्यान रख पाना इतना मुश्किल हो गया है। मुझे तो कहीं बाहर जाने में भी शर्म आती है। जिस कम्युनिटी में मैंने घर लिया था वहां पहले इतनी हरियाली हुआ करती थी, पर अब वहाँ चारों तरफ बड़ी बड़ी इमारतें खड़ी कर दी है। व्यू तो गया ही साथ में ताज़ी हवा भी रुक गयी। हर खाने पीने की चीज़ में हानिकारक रसायन मिला दिया गया है। नेचुरल चीज़ों को छोड़ कर उसके सप्लीमेंट्स खाने पड़ते हैं।" भूमि रुआँसी सी हो गयी।

सबने उसके चेहरे को ध्यान से देखा। एक समय में उनके ग्रुप की सबसे सुन्दर सदस्य हुआ करती थी वो। पर अब पूरा चेहरा दाग धब्बों से भरा हुआ था। सर पे कई जगह बाल कम होने के कारण अंदर का पटल दिख रहा था। चेहरे की रौनक ही गायब हो गयी थी।

सबने उसे सांत्वना दी और हिम्मत बँधायी। तभी अचानक बिजली गुल हो गयी। क्षितिज ने सबको बालकनी में चलकर बैठने को बोला।

"ओफ्फो हवा को तो नामोनिशान ही नहीं है और इतनी तेज धूप है। लग ही नहीं रहा की नवंबर का महीना चल रहा है। मई जून जैसी गर्मी लग रही है। पिछले कुछ सालों में मौसम कितना बदल गया है ना?" शुचि ने अपने हाथ से ही खुद को पंखा झलते हुए कहा।

"सही कह रही हो शुचि, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स से निकलने वाली विषैली गैसों की वजह से ओजोन लेयर भी पतली होती जा रही है।" आकाश ने कहा।

"अरे इतना ही नहीं, इस ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बड़े बड़े ग्लेशियर्स भी पिघल रहे और समुद्र में उफान ला रहे हैं। सुनामी के बाद की तस्वीरें देखकर तो मैं सहम ही गया।" सलिल ने भी अपनी टिपण्णी दी।

एक दूसरे की समस्याओं को सुनकर सभी मित्रों का मन खिन्न हो गया। क्षितिज ने सबको उदास देखकर कहा, "ये सब बातें तो चलती ही रहेंगी, चलो खाना खाते हैं। आज मैंने तुम सबकी पसंदीदा डिशेस बनायीं हैं और साथ में मीठे में गाजर का हलवा भी है।"

गाजर का हलवा सुनते ही सबके चेहरे पर एक बार फिर उदासी आ गयी।

"गाजर का हलवा? वो तो मानव का फेवरेट हुआ करता था।" सलिल ने कहा।

"हाँ याद है, वो किसी और को चखने भी नहीं देता था।" भूमि ने भी उदास होते हुए कहा।

"तुममे से किसी की बात होती है उससे?" शुचि ने सबकी और देखते हुए पूछा?

"अरे कहाँ यार, जबसे वो विकास से उसकी दोस्ती हुई है, धीरे धीरे उसने हम सबको खुद से अलग कर दिया।" समीर ने जवाब दिया।

"सिर्फ अलग ही नहीं, उसने हम सबका फ़ायदा उठाया और खुद को बहुत बड़ा समझने लग गया है वो।" आकाश की आवाज़ में दर्द के साथ गुस्सा भी झलक रहा था।

"हम लोगों ने उसे कई बार समझाया पर उस पर कोई असर ही नहीं हुआ।" भूमि को भी अब गुस्सा आ रहा था।

"मैंने तो उससे ये भी कहा की हमें उसकी और विकास की दोस्ती से कोई परेशानी नहीं है, बस वो अपने फायदे के लिए, गलत इरादों से हमारा इस्तेमाल न करे।" सलिल ने भी आवाज़ ऊँची करते हुए कहा।

"अपना ग्रुप कितना अच्छा था पहले।" शुचि ने आह भरते हुए कहा।

तभी अचानक दरवाजे की घंटी बजी। क्षितिज ने दरवाजा खोला और देखा मानव सामने खड़ा था। उसको देखकर सभी दोस्त चकित रह गए।

क्षितिज ने सबकी और देखते हुए बोला, "ये रहा तुम लोगों के लिए सरप्राइज।"

सभी दोस्तों ने उसका हाल चाल लिया। कुछ देर बाद आकाश ने मानव को गंभीर देखते हुए पूछा, "क्या बात है मानव, तुम थोड़े परेशान लग रहे हो?"

अब मानव के सब्र का बाँध टूट गया और उसने अपने दोस्तों के सामने अपना दुःख बांटा।

"मैं जानता हूँ कि तुम लोग मुझसे बहुत नाराज़ हो। मैंने काम ही ऐसे किये हैं। विकास के दिखाए हुए सपनों में इतना खो गया की ये भी भूल गया की तुम सब मेरी ज़िन्दगी के कितने महत्वपूर्ण हिस्से हो। तुम लोगों का शुक्रिया करने के बजाय मैंने तुम लोगों का गलत फायदा उठाया और सोचने लगा की अब मुझे किसी की जरूरत ही नहीं है। अपने स्वार्थ में मैंने कई ऐसे काम किये जिससे हमारी दोस्ती ही नहीं बल्कि मेरे परिवार और समाज के लोगों को भी भारी कीमत चुकानी पड़ी। पर अब मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है और मैं तुम लोगों से अपने पूरे दिल से माफ़ी मांगता हूँ। I am really sorry."

सारे दोस्तों ने उसे गले लगाया और सबने जायकेदार खाने का लुत्फ़ उठाया और एक बार फिर से वातावरण उनके ठहाकों से गूँज उठा।