wo anjaan aadmi in Hindi Short Stories by Ashish Garg Raisahab books and stories PDF | वो अनजान आदमी

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वो अनजान आदमी

रात के 11 बज रहे थे , नंदिता अपने दोस्त की बर्थडे पार्टी से लौट रही थी ,कई ऑटो वालों को हाथ दिया मगर किसी ने भी मंगलम विहार की तरफ जाने के लिए हां नही की । कम से कम 3 किलोमीटर का पैदल रास्ता था तो उसने पैदल ही जाने की सोची ,घर से मां का फोन आया तो कह दिया कि 15 मिनट में पहुंच जाउंगी ।
कुछ दूर चलने पर रास्ते जैसे सुनसान होने लगे , क्योंकि उसका घर शहर से थोड़ा आउटसाइड ही पड़ता था ।
नंदिता सोच कर ही घबरा रही थी कि कहीं उसके साथ कुछ बुरा ना हो जाये ,कोई पीछा तो नही कर रहा ,रात को तो शहर भी पराया सा लगने लगा है ,दिन में जहां कितनी रौनके होती हैं वही रात में ऐसे सुनसान पड़ा है जैसे यहां कोई बसता ही ना हो । एक भी इंसान दिखाई नहीं पड़ रहा था ,नंदिता खूफ को कोस रही थी कि इतनी रात को आने की जरूरत नही थी , पार्टी के लिए मना भी कर सकती थी ,या दीपिका के घर भी सो सकती थी , उसके भाई ने कहा भी था कि दीदी आपको मैं छोड़ आता हूं घर पर मैं ही बहादुर बन गयी , खुद को इंडिपेंडेंट जो साबित करना था कि मैं किसी से नही डरती ।
नंदिता को चलते चलते काफी देर हो गयी , आज तो घर भी ऐसा लगता है जैसे दूर हो गया हो , दिन की चकाचोंध में तो इतना दूर कभी भी नही लगा ,ऐसा लग रहा था जैसे कई घंटे हो गए चलते चलते, लेकिन जब टाइम देखा तो अभी 5-7 मिनट ही हुए हैं ।
नंदिता को थोड़ी आगे चलने पर महसूस हुआ कि कोई पीछा कर रहा है , उसने मुड़कर देखा तो कोई आदमी उसके पीछे पीछे आ रहा है , उसकी घबराहट बहुत बढ़ गयी , दिल इतनी जोर से धड़कने लगा जैसे अभी निकल कर हाथ मे आ जायेगा , फिर दिमाग मे अटपटे विचार आ गए कि कहीं ये कोई चोर तो नही जो मेरा पर्स लेकर भाग जाएगा , ऐसा सोच कर उसने मोबाइल और कुछ पैसे निकाल कर अपने पलाज़ो की जेब में डाल लिए और पर्स को कसकर पकड़ लिया और लंबे लंबे कदम रखने लगी उसकी स्पीड बढ़ गयी जैसे वो भागना चाह रही हो , फिर उसने पीछे मुड़कर देखा तो उस आदमी ने भी अपनी स्पीड बढा ली थी वो उसके उतनी ही दूरी पर था जितनी पर पहले चल रहा था , उसे ऐसा लगने लगा कहीं ये कुछ गलत तो नहीं करेगा मेरे साथ ,आजकल जो सोशल मीडिया पर पढ़ने को मिल रहा है , अकेली लड़की के साथ रेप हो गया , सुनसान सड़कों पर ऐसा होने की संभावना बढ़ जाती है , सोच सोच कर वो पागल हो रही थी , उसे कुछ भी समझ नही आ रहा था , खुद को ही पागल सोच रही थी कि उसकी सभी सहेलियां अपने पर्स में पेपर स्प्रे रखती है सेफ्टी के लिए लेकिन वो तो बहुत बहादुर है ना इसकी जरूरत ही नही समझती , आज सारी बहादुरी निकलने वाली थी ।
नंदिता मन ही मन भगवान को याद कर रही थी कि हे भगवान मेरी रक्षा करो आज के बाद कभी इतनी रात को अकेली नही निकलूंगी। हे भगवान!! आज आज बचा लो
प्लीज !
अचानक सामने से एक लाइट की रोशनी दिखने लगी तो उसे कुछ आस हुई लेकिन एक ही पल में आस खत्म भी हो गयी बाइक पर तीन मनचले बैठे आ रहे थे, पीछे वाला लड़का भी मेरे बराबर चलने लगा , उसे लगने लगा कि कहीं ये सब मिले हुए तो नहीं जो अकेली लड़कियों को निशाना बनाते हैं ,अब उसे बहुत ज्यादा डर लगने लगा । लड़के बाइक को एकदम पास लाकर अपनी साइड बदल कर उसके लेफ्ट साइड से गुजरने लगे तो उस पीछे चलने वाले लड़के ने नंदिता का हाथ पकड़ कर उसे अपनी साइड खींच लिया और खुद लड़कों के सामने हो गया , लड़के अचानक से घबरा गए ,लड़कों ने बाइक रोकी नही ओर साइड से ही भगा कर ले गए ।
इस घटना से उसके दिल को तसल्ली हुई कि ये आदमी उसे नुकसान नही पहुंचाएगा । वो उससे बात करना चाहती थी लेकिन वो कुछ बोलती उस से पहले ही वो आदमी बोला ,
'बेटा इतनी रात को घर से मत निकला करो आजकल वक्त अच्छा नही है। , '
नंदिता को कुछ नही सूझा की वो क्या कहे उस आदमी से , कैसे उसे धन्यवाद कहे , वो क्या क्या सोच रही थी उसके बारे में ओर क्या हो गया । मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया उसने , अगली ही गली में उसका घर आने वाला था तो नंदिता ने कहा थैंक्स अंकल ! मेरी हेल्प के लिए ,
लेकिन आपने ऐसा क्यों किया , तो उनकी बात सुनकर नंदिता हैरान हो गयी ,
उस आदमी ने कहा कि मेरी बेटी भी 3 साल पहले रात को अकेली घर पर आ रही थी , सुनसान रास्ते मे 4-5 लड़को ने उसके साथ रेप किया और गला घोंट कर उसको मार डाला , तब से मैं हर रात को किसी अकेली लडकी को देखता हूँ तो चुपचाप उसके पीछे पीछे चलता हूँ और सुरक्षित उनको उनके घर पहुंचाता हूँ, ऐसा करके मुझे सकूं मिलता है ।
सब लडकियां मुझे अपनी बेटी सी नजर आती है ।
इतने में नंदिता का घर आ गया , ओर वो आदमी अब वापिस जाने लगा तो नंदिता ने कहा कि अंकल अंदर आ जाइये उस पर उस आदमी ने कहा बस बेटा फिर कभी , अभी कोई और बेटी को सुरक्षित घर पहुँचाना होगा जो रोड पर अकेली घर जा रही होगी ।
नंदिता घर मे चली गयी और जाकर बिस्तर पर लेट गयी लेकिन नींद अभी कौसों दूर थी , वो उसी आदमी के बारे में सोच रही थी जिसने आज उसकी हेल्प की , दुनिया में हर कोई बुरा इंसान नही होता कभी कभी ईश्वर के दूत भी स्वर्ग से धरती पर आ जाते हैं इंसानो की रक्षा के लिए , अनजान आदमी के रूप में .....।।