shorr - 6 in Hindi Fiction Stories by अर्चना यादव books and stories PDF | शोर... एक प्रेमकहानी - 6

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शोर... एक प्रेमकहानी - 6

आज भाई और माँ ने जो जो बातें कहीं सब दिल को लगने वाली थी. एक कमी दुसरे की पूरक बन रही है. इसलिए एक को खत्म करने का आज मौका मिला है वो भी उसके साथ जिसे मैं दिल से चाहती हूँ. माँ कुछ देर बाद सो गयी तब घर से निकल गयी और कोर्ट में जाकर नरेन्द्र के साथ शादी कर ली.

शादी करके वापस आते समय लोगो ने देखा ये क्या है. क्या जो तेज़ ने केस किया था वो सच था. कुछ लोगों ने तेज़ को भी कॉल कर दिया. वो शेर की तरह दहाड़ता हुआ आया. नरेन्द्र ने बाइक रोकी और अंदर जाने लगा तो श्यामली भी पीछे पीछे जाने लगी तो नरेन्द्र ने जाने से मना कर दिया बोला- तुम्हारा घर तो वो है वहाँ जाओ यहाँ कहाँ आ रही हो. श्यामली के पैरों से जमीन सरकने लगी. क्या अब भी ये बदला ही लेना चाहता है. धीरे धीरे मोहल्ले के लोग जुटने लगे ये क्या है. शादी करने के बाद नरेन्द्र इसे अपनाने से मना क्यों कर रहा है. इस पर भी हर किसी ने श्यामली को दोषी ठहराया की क्या ये नहीं जानती थी की इसकी ही वजह से ये जेल गया था.

नरेन्द्र खुले आम ऐलान करके चला गया की जो इसके भाई ने मेरे साथ किया उसी का बदला है ये. मैं अपनी माँ के दर्द को नहीं भूल सकता. बाहर खड़ी श्यामली लोगो की बात सुनती, माँ आई उनके नाक काटने की बात, तेज़ आया उसके बदनामी की बात. जब बाहर शोर बढ़ा तो नरेन्द्र बाहर आया – बोला यहाँ कोई पंचायत नहीं बैठी है जाकर अपने मामले खुद सुलझाओ अपने घर. तुम्हें क्या लगा ऐसे ही छोड़ देता तुम्हे. तुमसे क्या बात करनी अरे तुम तो मुझसे डर कर अपनी बहन का सहारा लिए. अब भी देखो कुछ बचा हो तो उसके पीछे छिपो जाकर.

तना तनी में तेज़ बंदूक निकल लेता है और नरेन्द्र पर तानता है – आज मैं सारा खेल ही खत्म कर दूंगा तुम दोनों को मार दूंगा चाहें मुझे जेल में ही क्यों न सड़ना पड़े. कब से चुप चाप खड़ी श्यामली सदमें में नहीं थी वो समझने की कोशिश कर रही थी की उस रात जो मैंने सुना वो सचा था. मैं तो जानबूझ कर इस खेल का हिस्सा बनी तो चुप क्यों हूँ. वो नरेन्द्र के सामने आती है- मैंने उस रात सब सुना था जब तुम भाई से बदला लेने के लिए मुझे इस्तेमाल करने की बात कर रहे थे. मैं जानती हूँ की तुम मुझसे प्यार नहीं करते बल्कि बदला लेना चाहते थे भाई से. मैं जानबूझ कर तुम्हारे चक्कर में पड़ी जानते हो क्यों ... क्योकि मैं तुमसे प्यार करती थी. तुमसे तो कोई भी प्यार करने लगेगा प्यार की बातें ही ऐसी करते हो. जो प्यार की ऐसी बातें करता हो वो किसी से प्यार कैसा करेगा, मुझे लगता था तुम हीरो हो लेकिन अफ़सोस की बात ये है की तुममें और भाई में कुछ अंतर नहीं है उन्होंने तुम्हें नीचा दिखाने के लिए मेरा इस्तेमाल किया और तुमने भाई से बदला लेने के लिए मेरा इस्तेमाल किया. आप दोनों के बदले में शिकार मैं ही हुयी. भाई क्या औरत स्त्री लड़की सबसे बड़ी मोहरा है किसी भी बाजी को जीतने के लिए क्या मेरे बगैर आप इससे नहीं जीत सकते थे. आप तो बहुत पावरफुल हो ना फिर भी... और नरेन्द्र तुम... तुम तो हीरो थे मेरी जिंदगी के क्या भाई से बदला लेने के लिए मेरा सहारा लेना जरूरी था क्या तुम मेरे बगैर भाई से नहीं जीत सकते थे. क्या मर्दों के पास अब वो ताकत नहीं की मर्द मर्द लड़ सकें सचाई के साथ. अगर हाँ तब तो ठीक ही है मैं फिर हथियार बनने के लिए तैयार हूँ... लेकिन यहाँ बहुत शोर हो रहा है मैं अंदर जा रही हूँ आप लोग डिसाइड कर लो की कौन हारा और मुझे अब किसे हराने के लिए किसका हथियार बनना है ... मैं वापस आ जाउंगी ... इसी शोर से तो डर लगता है मुझे... कहती हुई श्यामली नरेन्द्र के घर के अंदर चली जाती है बाकि सब अवाक् देखते रहते है...