Sapna - 5 - last part in Hindi Fiction Stories by Shivani Verma books and stories PDF | सपना - 5 - अंतिम भाग

Featured Books
Categories
Share

सपना - 5 - अंतिम भाग

शाम को मोहित सपना को लेकर कंप्यूटर सेंटर पहुंचा. किसी लड़के से पता चला कि सत्यम अभी किसी काम से बाहर गए है....तभी मोहित ने सपना से उसके कार्ड वाले नम्बर पर कॉल करने को कहा.
हेलो...सत्यम जी??

"जी.. मैं सत्यम बोल रहा हूँ, आप कौन??"

'मैं सपना...पारुल की दोस्त.'

'अरे सपना जी आप....क्या हुआ आप ठीक तो है.' परेशान होकर सत्यम बोला.

'मैं बिल्कुल ठीक हूं...हम और भैया आपके सेंटर आये है पर आप तो यहाँ है नही. आप कब तक मिल सकते है.'

'अच्छा... मैं थोड़ा काम से बाहर आया था. आप रुकिए, मैं अभी 15-20 मिनट में पहुचता हूं, अच्छा ये बताईये कहीं आपके भैया मुझे फिर से मारने तो नहीं आये है.' गंभीर होकर सत्यम ने पूछा??? फिर फोन काट दिया. तबतक मोहित सत्यम और सेन्टर के बारे में आस-पास बात करने लगे. कुछ देर बाद सत्यम भी आ गया.

सत्यम, उन दोनों को वहां देख कर सच मे हैरान हुआ. उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसके सामने सपना खड़ी है. मोहित ने सत्यम से हाथ मिलाते हुए सपना के कंप्यूटर सीखने की इच्छा बताई. सत्यम यह देखकर खुश हुआ की कि सपना के घर वाले उस पर विश्वास करते हैं. औपचारिक बातचीत के बाद सत्यम ने सपना को एक फॉर्म भरने को दे दिया. सत्यम का शांत और मिलनसार स्वभाव मोहित को भी अच्छा लगा. एक बार फिर से मोहित ने सत्यम को सपना को बचाने के लिए, साथ ही सपना को जीने की उम्मीद देने के लिए धन्यवाद दिया. सपना का एडमिशन करा कर वह दोनों वापस घर आ गए.
अगले दिन से सपना कंप्यूटर सीखने जाने लगी. कभी-कभी सपना मोहित के साथ चली जाती और कभी अकेली ही जाती. मुहल्ले वाले सपना को लेकर तरह-तरह की बातें करते लेकिन वो सब को अनसुना कर सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान दे रही थी. मदनलाल थोड़ा खुश हुए कि उनकी बेटी अपने भविष्य के बारे में सोच रही है.
शुरुआत में सपना जल्दी किसी से न बोलती बस अपने कंप्यूटर पर बैठी रहती या थ्योरी पढ़ती रहती. सत्यम सपना का ध्यान रखता पर उसे यह जाहिर ना होने देता कि वह उसकी सच्चाई जानता है. सत्यम ने सपना का एडमिशन जानबूझकर उस बैच में किया जिसमे सीखने वालो की संख्या कम थी, क्योंकि वो ज्यादा से ज्यादा सपना के साथ समय बिताना चाहता था. धीरे-धीरे कम बोलने वाली सपना भी सत्यम से बातचीत करने लगी. कुछ भी समझ ना आने पर वह सत्यम से बेझिझक मदद ले लेती. सत्यम पहले ही सपना को पसंद करता था और अब उससे प्यार भी करने लगा. कंप्यूटर सीखते हुए सपना को लगभग दो महीने हो गए. ऐसे ही एक दिन सपना अपने में खोई कंप्यूटर पर अपनी लिखी चंद पंक्तियां टाइप कर रही थी उसे जरा भी आभास न हुआ कि कब सत्यम पीछे से आकर उसकी कविता को पढ़ रहा था.
"आप तो बहुत अच्छा लिखती हैं...."

"वो ऐसे ही....बस कभी-कभी कुछ....." कहते हुए सपना कुछ झेप सी गयी.

तब सत्यम ने उसे "प्रतिलिपि" के बारे में बताया जहाँ वह बेझिझक कुछ भी लिख कर पोस्ट कर सकती है. सत्यम ने स्वयं उसका एकाउंट प्रतिलिपि पर बना दिया और साथ ही साथ उसको उपयोग करना भी सिखा दिया. अब सपना को एक नया मंच मिल गया अपने जज्बातों को सबसे बाँटने का. अब जब भी वो परेशान होती या घबराती तो वो बस अपनी डायरी में लिख लेती.

दूसरी तरफ सपना अभी भी हर पेशी पर मयंक से मिलने वाली धमकियों से परेशान थी. मयंक की उल्टी-सीधी बातों से परेशान होकर, मोहित ने सपना का मोबाइल नंबर बदल दिया और साथ घर का नंबर भी चेंज कर दिया. मोहित हमेशा सपना को हौसला देता कि उसे घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है. वह जल्द से जल्द इस मुसीबत से छुटकारा दिलाएगा.
मयंक को जाने कैसे सपना के कंप्यूटर सीखने की बात पता चल गई. एक-दो बार उसने सपना का पीछा भी किया पर मोहित के साथ होने पर वो कुछ कर नही पाया. मयंक की धमकियों से तंग आकर सपना एक बार पेशी पर भी नहीं गई. भड़का हुआ मयंक एक दिन अचानक ही उसके कंप्यूटर सेंटर पर पहुंच गया और सपना को उल्टा-सीधा कहते हुए सत्यम के साथ उसके चरित्र पर उंगली उठाने लगा. सभी के सामने मयंक सपना की इस तरह से बेज्जती कर रहा था जिससे सत्यम आग बबूला हो गया और उसने आगे आकर सपना का बचाव किया साथ ही पुलिस को भी कॉल कर दिया. इस हादसे के बाद सपना बहुत डर गई अब उसे घर से बाहर निकलने में भी डर लगने लगा. उसे लगने लग कि कहीं मयंक उसपर एसिड न फेक दे क्योंकि इसकी धमकी वो पहले दे चुका है. इसी कारण कई दिन वह कंप्यूटर सेंटर भी नहीं गई. धीरे-धीरे सत्यम के समझाने पर सपना फिर से सेंटर जाने लगी अब हमेशा उसके साथ कोई न कोई रहता पर फिर भी वो सहमी और घबराई रहती.
सत्यम अब सपना को और दुखी नही देख सकता था. इसलिए एक दिन सत्यम ने मौका पाकर सपना से बात करने की सोची..... "सपना...मुझे तुमसे कुछ कहना है...."

प्रश्नभरी नज़रों से सपना ने उसे देखा

'मैं तुम्हें पसंद करता हूं और शादी करना चाहता हूं. प्लीज तुम मना मत करना.'

थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली सपना "क्यों पसंद करते हो तुम मुझे?? क्या जानते हो मेरे बारे में???? मेरी खूबसूरती से तो कोई भी प्यार कर लेगा, पर क्या मेरी असलियत को तुम अपना पाओगे.....आसूं भरे आँखों से कहती गयी सपना..... "मेरी शादी हो चुकी है, तलाक का केस चल रहा है, आत्महत्या का कदम उठा चुकी हूं. ऐसी लड़की के साथ कोई कैसे प्यार कर सकता है." सपना ने अपने अतीत को सत्यम के सामने रख दिया

"ऐसी लड़की क्या इंसान नहीं होती, उनको जीने का अधिकार नहीं होता है और मैं तुम्हे दिल की गहराईयों से प्यार करता हूं." अपने प्यार का विश्वास दिलाते हुए बोला सत्यम.

"यह प्यार नहीं है... तुम्हारी हमदर्दी है. तुम्हें मेरे बारे में अभी तो पता चला है, इतनी जल्दी तुम प्यार करने लगे." हंसते हुए उठ कर जाने लगी.

सत्यम ने सपना का हाथ पकड़कर रोकते हुए कहा.... "मुझे तुम्हारे बारे में सब पता है सपना. जब तुम पारुल को अपना अतीत बता रही थी, उस वक्त मैं तुम दोनों को बुलाने छत पर ही आ रहा था. तब मैंने तुम्हारी बातों को सुना. मैं नहीं चाहता था कि तुम्हें तुम्हारी तकलीफ का ज्यादा एहसास हो इसलिए सब जानते हुए भी अनजान बना रहा."

आश्चर्यजनक निगाहों से सपना उसको देखने लगी.

"और रही शादी की बात तो क्या ज़िन्दगी को दूसरा मौका नही दिया जाना चहिये. और तुम्हारा तलाक तो मैं अब बहुत जल्द करवा दूंगा." कहते हुए सत्यम ने उसका हाथ अपने हाथों में मजबूती से थाम लिया.
सपना के लिए अभी इतनी जल्दी ये सब स्वीकार करना सम्भव नही था. एक बार प्यार में धोखा खाया इंसान दूसरी बार बहुत मुश्किल से ही किसी पर भरोसा कर पाता है. सपना भी सत्यम को बस अपना एक दोस्त एक हमदर्द ही समझती थी. अभी उसके इस जख्म को भरने में बहुत समय लगेगा.
सपना अब फिर कम बोलने लगी बस अपने काम से काम ही रखती. सत्यम ने सपना से खुलकर कह दिया था कि जबतक वो इस रिश्ते के इसके लिए तैयार नहीं होगी तबतक वो इस बारे में किसी से कुछ नही कहेगा. उसके ऊपर कोई दबाव नही है.
एक दिन सत्यम सपना के घर पहुँच गया और उसने एक वकील के बारे में सपना के घरवालो को बताया जो इस केस को जल्द से जल्द खत्म करने में मदद करेंगे. सपना के घर वाले भी इस केस को जल्द से जल्द खत्म करना चाहते थे. उधर मयंक कंप्यूटर इंस्टीट्यूट में जाकर अभद्रता करने के कारण जेल में बंद हो गया, किसी तरह जमानत पर उसको रिहाई मिली. इस तरह से यह सब सपना के केस को और मजबूती दे रहा था. सत्यम के प्रयासों से और सपना के मजबूत हौसलों से 6 महीने के अंदर सपना और मयंक का तलाक हो गया. साथ ही कोर्ट की तरफ से मयंक को हिदायत दी गई कि अगर वह आगे से सपना या उसके घरवालों को किसी भी तरह से परेशान करेगा तो उसके ऊपर सख्त से सख्त कार्यवाही होगी.
सपना को अब सत्यम का साथ अच्छा लगने लगा. अब तक सत्यम को सपना के घर वाले भी अच्छे से जान चुके थे. मोहित भी सपना को सत्यम को अपनाने के लिए मनाने लगा. साथ ही उसको पूरा समय दिया इस नए रिश्ते को अपनाने के लिए. सत्यम ने अपने घर पर सपना को अपनाने की बात की. थोड़े से ना-नुकुर के बाद सत्यम के पापा इस रिश्ते के लिए मान गए बल्कि सत्यम की मां को अपने बेटे के इस फैसले पर गर्व हो रहा था कि आखिर उसका बेटा एक नेक काम कर रहा है. पारुल भी अपनी सहेली को अपनी भाभी बना कर खुश हो रही थी. एक साल बाद सपना शादी के जोड़े में दुल्हन बनी कोई अप्सरा लग रही थी. सब की नजर उस पर से हट ही नहीं रही थी. सत्यम भी उसे बार-बार देखता उस पर से नजर ही नहीं हटा पा रहा था. सब तरफ खुशियां ही खुशियां फैली थी. साथ ही सपना के मां बाप अपनी बेटी को दोबारा दुल्हन बनी देख अपने खुशी के आंसू रोक नहीं पा रहे थे.

🙏समाप्त🙏

....शिवानी वर्मा

'शांतिनिकेतन'