Mita ek ladki ke sangarsh ki kahaani - 5 in Hindi Love Stories by Bhupendra Kuldeep books and stories PDF | मीता एक लड़की के संघर्ष की कहानी - अध्याय - 5

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मीता एक लड़की के संघर्ष की कहानी - अध्याय - 5

अध्याय-5

ट्रेन से उतरकर सुबोध ने पहले पेंईग गेस्ट वाले घर जाने का फैसला किया क्योंकि रहने का इंतजाम करना आवश्यक था इसलिए उसने तय किए गए घर की ओर रूख किया।
हैलो आंटी।
जी बोलिए।
वो आपसे पेंईग गेस्ट के सिलसिले में बात हुई थी।
क्या नाम है आपका ?
जी मीता के नाम से बात किया था।
अच्छा हाँ हाँ। आपने बात तो किया था। अंदर आईये। बैठिए।
जी आंटी। सुबोध बोला।
देखिए यहाँ पर तीन रूम है एक-एक रूम में दो-दो लड़कियाँ रहती हैं। अभी फिलहाल 5 लड़कियाँ है। एक रूम में एक ही लड़की है वही आप रह सकती है।
और खाने की क्या व्यवस्था है आँटी।
खाने के लिए टिफिन की व्यवस्था है और एक कॉमन इंडक्शन भी रखा हुआ है अगर चाय या मैगी आदि बनाना है तो।
चाय और मैगी सुनते ही सुबोध मुस्कुरा दिया उसने कहा लो भई तुम्हारी फेवरेट चीजों की व्यवस्था तो पहले से है। अच्छा आँटी रूम रेंट और खाने का कितना देना होगा ?
रूम रेंट 1000/पर कैंडिडैट और खाने का 800 रूपया महीना।
ठीक है आंटी करके सुबोध ने 1800 रूपया निकाला और दे दिया।
मीता तुम जाकर अपना रूम देख लो और सामान भी रख आओ।
मीता जाकर रूम देख आई और बोली रूम अच्छा है आँटी। मेरी रूम मेट का नाम क्या है ?
अंजलि।
तो अभी कहाँ गई है अंजलि ?
यही पास में ही पी.एस.सी कोचिंग है वही पढ़ने गई है।
ये तो और अच्छी बात है आँटी। आप हमको एड्रैस दे दीजिए हम लोग सबसे पहले वहीं जाते हैं। हम लोग भी आँटी कोचिंग ढूँढने ही आए हैं।
अच्छा ठीक है आप लोग नवीन मार्केट चले जाइए, यहाँ से आधे किलोमीटर पर ही है वही रोड पर आप लोगों को कोचिंग नजर आ जाएगा। ओ के आँटी। यह कहकर दोनो निकल गए।
नवीन मार्केट पहुँचते ही उन्हें पी.एस.सी कोचिंग नजर आ गया। वे वहाँ अंदर चले गए और काउँटर पर एंक्वायरी की।
यहाँ अंजलि मेहता नाम की कोई लड़की पढ़ती है क्या ? हमें उससे मिलना है ?
हाँ पढ़ती है। आप लोग उधर बैठ जाइए, अभी 5 मिनट में क्लास छूटने वाली है फिर मैं उसे बुला दूँगी। काउँटर में बैठी लड़की ने कहा। तभी क्लास खत्म होने की घंटी बजी। उसने जाकर अंजलि को बुला लाया।
हाय। मेरा नाम मीता है। आप अंजली हो ना ?
वो दास आँटी के यहाँ रहती हैं ?
हाँ मैं वही हूँ ? मैंने आपको पहचाना नहीं।
मैं अभी-अभी आपके रूम में शिफ्ट हुई हूँ।
और ये मेरे हसबैंड हैं।
ओह! अच्छा तो आप मेरी रूम पार्टनर हैं ?
हाँ। मैं भी यहाँ कोचिंग करने आई हूँ और इसी सिलसिले में आपसे बात करनी थी।
ओ के बताइए ?
बस हमें ये जानना है कि कहाँ पी.एस.सी. के लिए कोचिंग करना उचित होगा ?
देखिए मैं तो यहाँ इसलिए जॉइन की हूँ, क्योंकि ये एकमात्र कोचिंग है जहाँ फीस भी कम है और फैकल्टी भी ठीक है। कछ और भी कोचिंग है शहर में पर वो सब मंहगे भी है और घर से दूर भी। पढ़ना तो हमको खुद ही है इसलिए मुझे तो बेस्ट यही लगा।
अच्छा, इस कोचिंग की फीस कितनी है ? सुबोध ने पूछा।
प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा को मिलाकर लगभग 15 हजार। अंजलि ने बताया
ये तो ठीक है और एक साथ देना है या किश्त में दे सकते हैं।
किश्त में दे सकते हैं अभी आप पाँच हजार जमा कर सकते हैं।
सुबोध ने फार्म भरा और फीस जमा कर दिया। फिर वो वहाँ से रूम के लिए निकल गए। गेस्ट रूम में जाने से पहले मीता ने पूछा।
सुबोध तुम इतना खर्च मेंन्टेन कैसे करोगे ?
हो जाएगा मीता। तुम निश्चिंत रहो। अब मेरी तनख्वाह भी 12000 रूपये हो गई है और तुम्हारे रहने खाने पढ़ने में महीना 4000 रूपये से ज्यादा नहीं लगेगा। आराम से हो जाएगा मीता। तुम चिंता मत करो, तुम सिर्फ अपने पढ़ाई पर ध्यान दो।
मैं तुमसे अलग नही रह सकती सुबोध। कहकर मीता सुबोध से लिपट गई और रोने लगी।
पागल, रो क्यूँ रही है। ये अलगाव तो हमारे अच्छे जीवन के लिए है और वैसे भी हम हर 15 दिन में मिलेंगे ही। मन करे तो तुम शनिवार रविवार को भी आ सकती हो।
मीता अब भी सुबोध को कसकर पकड़ी हुई थी।
ऐसे कमजोर मत बनो मीता, छोड़ो मुझे। अब जाने दो, शाम हो रही है ट्रेन छूट जाएगी तो और देर हो जाएगी। ये 5000 और रख लो। तुम्हें किताबें खरीदनी पड़ेंगी। कुछ लेना हुआ तो ले लेना और अपना ख्याल रखना। उसकी आँखो में भी आँसू आ गए।
मीता फफक कर रो पड़ी।
अरे यार कैसे कर रही हो तुम। तुम तो मेरी शेरनी हो, बहुत हिम्मतवाली और इच्छाशक्ति वाली लड़की हो। मीता उसको छोड़ ही नहीं रही थी।
चुप हो जाओ मीता। कहकर उसने मीता को दो तीन बार चूम लिया।
अब मीता थोड़ी शांत हुई और बोली -
मैं आपको कभी माफ नहीं करूँगी। आप मुझे अपने से अलग कर रहे हो ना।
हम दोनो के भले के लिए कर रहा हूँ मीता। तुम प्लीज इस बात को समझो। आखिर घर पर रहकर तुम्हारा टाईम वेस्ट ही हो रहा था। चिंता मत करो मैं भी तुम्हारे साथ तैयारी करूँगा पर घर पर रहकर। हम दोनो फोन पर सारी चींजे डिसकस करेंगे। मैं भी सारे फार्म भरूँगा और तुम्हारे साथ एक्जाम दिलाऊँगा। किसी एक का भी लग गया तो हमारा परिवार सुधर जाएगा।
मीता शांति से सुन रही थी। अब मैं चलूँ।
ठीक है। मीता बोली और झुककर सुबोध के पैर छुई।
खुश रहो और जल्दी से अधिकारी बनकर वापस आओ। ऐसा कहकर वो वहाँ से निकल गया।
मीता गेट पर खड़ी होकर ऑटो के ओझल हो जाने तक देखती रही। फिर अपने रूम पर आ गई।
तभी अंजली रूम के अंदर आई।
हाय मीता। आओ बैठो।
तुम तो उदास दिख रही हो। हसबैंड चले गए इसलिए ?
नहीं ऐसी बात नहीं है। पहली बार अलग हुई हूँ ना इसलिए।
ओह! मतलब तन्हाई में राते कटेंगी इसलिए। अंजली व्यंग मारते हुए हँसी।
अच्छा। तो तुम बदमाशी भी करती हो अंजली।
हाँ बिलकुल करती हूँ और तुमसे तो ढेर सारी अंदर की बातें सीखूँगी।
चुप कर पागल। तुझे और कुछ नहीं सूझता। ये बता मैं कौन सी किताबें खरीदूँ।
कोचिंग वाले प्रोवाइड करेंगे ना तू चिंता क्यूँ करती है। हाँ दो चार किताबें जो उन्होंने बताया है वो मैं तुमको बता देती हूँ। अभी तो मेरे पास हैं तुम चाहो तो इसी से पढ़ सकती हो या चाहो तो अपना भी खरीद सकती हो।
थैंक्स यार अंजली। तुमने मेरी चिंता कम कर दी मैं तो सोच ही नहीं पा रही थी कि शुरूआत कहाँ से करूँ।
अच्छा ये बता तेरा कोई बायफ्रेंड है कि नहीं ?
अरे नहीं यार! मेरी ऐसी किस्मत कहाँ ? देख रही है ना मैं कितनी मोटी हूँ ऐसे में कोई मुझे क्यों पसंद करेगा। हाँ अगर किसी बड़े पोस्ट में चली जाऊँ तो वही प्रशासन अकादमी में ही किसी से चक्कर चला लूँगी।
अच्छा प्लान है तेरा। मतलब तुझे पोस्ट अच्छे लड़के के लिए चाहिए।
तो और क्या। अंजलि बोली।
हम दोनो के लक्ष्य कितने अलग हैं अंजली। तुझे पोस्ट लड़के के लिए चाहिए और मुझे आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए। है ना ?
यही जीवन है माई फ्रैंड। यही जीवन है। लो खाना भी आ गया। चलो पहले खाना खाते है फिर बात करते हैं।
नहीं यार आज मैं थक गई हूँ खाना खाकर बस सो जाऊँगी। कल बात करेंगे। दूसरे दिन कोचिंग जाने से पहले सुबोध का फोन आया।
ठीक से सोयी कि नहीं ?
पहले आप बताईये कि रात को कितने बजे पहुँचे और खाना खाया कि नहीं ?
मैं रात को 12 बजे पहुँच गया था और खाना खाकर ही सोया हूँ। तुम बताओ कि सोयी कि नहीं?
हाँ सोयी थी पर मात्र सुबह सुबह।
ठीक है तैयार होकर कोचिंग चली जाओ और अपनी तबियत का विशेष ख्याल रखना।
और तुम भी अपना ख्याल रखना टिफिन माँ से बनावा लेना। वो नीली शर्ट पहन लेना, धुली रखी है और तुम्हारा टिफिन भी मैंने वही किचन में रख दिया था।
बस, बस मेरी चिंता मत करो। तुम ना मुझे एकदम बच्चे जैसा ट्रीट करती हो।
तुम हो ही वैसे। तुम्हारा बिलकुल बच्चे जैसा ख्याल रखना पड़ता है।
मैं बच्चा नहीं हूँ मैडम। बड़ा हो गया हूँ।
हाँ मालूम है कितने बड़े हो गए हो। सर्दी होती है तो अपनी नाक तो ठीक ढंग से साफ नहीं कर पाते, वो भी मुझे ही करना पड़ता है।
बस अब हो गया ना। एक साल तक तुम सिर्फ अपनी चिंता करो। चलो जाओ अब कोचिंग।
ठीक है जाती हूँ बॉय । कहकर उसने फोन रख दिया और कोचिंग चली गई।

क्रमशः

मेरी दो अन्य कहानिया उड़ान और नमकीन चाय भी matrubharti पर उपलब्ध है कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दे- भूपेंद्र कुलदीप।