wo bhuli daasta - 13 in Hindi Women Focused by Saroj Prajapati books and stories PDF | वो भूली दास्तां, भाग-१३

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वो भूली दास्तां, भाग-१३

रश्मि ने सारी बातें चांदनी की मम्मी को बताई तो वह बोली "बिटिया मैं तो पहले ही उसका असली चेहरा देख चुकी हूं । सच्चाई तेरे सामने भी आ ही गई है लेकिन तेरी सहेली का क्या करूं! वह तो मानने को तैयार ही नहीं कि आकाश ऐसा भी कह सकता है। वह तो आस लगाए बैठी है कि वह जरूर आएगा। हमारी एक नहीं सुन रही है । किसी दिन समय निकालकर आ जा और इसे समझा दे। मैं समझती हूं कि तेरी भी नई नई गृहस्ती है और बार बार तेरा यहां आना तेरी सास को अच्छा ना लगे लेकिन क्या करूं। मेरे बाद एक तू ही है जिसकी बात वह मानती है और अपने दिल की हर बात कहती है। आ जा एक बार और इस पगली को समझा । शायद तेरी बात ही समझ जाए। ना तो हंसती है और ना ही बोलती है। अंदर ही अंदर घुट रही है।" कहते हुए चांदनी की मम्मी भी रो पड़ी।
"चाची संभालो अपने आप को। अगर आप ही टूट गए तो! आप फिकर मत करो। मैं एक दो दिन में जरूर आऊंगी। कह रश्मि ने फोन रख दिया।
एक हफ्ते बाद रश्मि चांदनी के यहां पहुंची । उसे देख चांदनी की मम्मी ने कहा "तेरे ही आने इंतजार कर रही थी बिटिया कई दिनों से। जा तेरी सहेली ऊपर है बात कर उससे । समझा उसे।"
रश्मि चांदनी के कमरे में गई तो वह लेटी हुई थी। उसके पास बैठते हुए रश्मि ने कहा " मेरी सहेली कहां खोई हुई है। जो उसे मेरे आने का पता भी ना चला।"
उसकी और देखते हुए चांदनी जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश करते हुए बोली "अरे तू कब आई और मैं क्या किसके ख्यालों में खाऊंगी। एक ही तो है, बस उनके बारे में ही सोच रही थी। बता तू आकाश जी से मिली थी क्या! कैसे हैं वो! आ गए क्या अपने चाचा जी के यहां से! मेरे बारे में कुछ पूछ रहे थे! कब लेने आ रहे है मुझे। बताया तुझे उन्होंने इस बारे में कुछ!" चांदनी ने उत्सुकता से उससे पूछा।

"हां मिली थी मैं उनसे और उन्हें क्या हुआ है बिल्कुल ठीक-ठाक है वह। हां हुई तेरे बारे में बात। बात तो चाची ने!भी की थी ना तेरे बारे में उनसे। जवाब सुना नहीं तुमने आकाश का। फिर बार-बार क्यों पूछती हो! भूल जा उसे। वह अब नहीं आएगा, तुझे लेने। धोखेबाज व डरपोक निकला वह।"

"तू झूठ बोल रही है। मां ने कहा है ना तुझे यह सब कहने के लिए। सच बता!"
"ना मैं झूठ बोल रही हूं और ना तुम्हारी मम्मी। तू हमारा यकीन क्यों नहीं करती। अरे, मेरा छोड़ चाची का तो विश्वास कर। अपनी आंखों पर से उसके अंधेप्रेम की पट्टी उतार दे। भूल जा उसे और आगे बढ़। यही तेरे लिए और सबके लिए अच्छा होगा।"
"पागल हो गई है क्या तू! मेरी दोस्त है क्या दुश्मन! जो मुझे ऐसी सलाह दे रही है। हो सकता है वह परेशान हो या अपनी मां के दबाव में हो। देखना जैसे ही हालात सुधरेंगे, मुझे लेने जरूर आएंगे।"
"वहम है, बस तेरा उनके बारे में। वह तुझे चाची को झूठी और धोखेबाज समझता है। अगर तुझे इतना ही प्यार करता था तो उसकी मम्मी की हिम्मत होती जो तुम्हारी मां को इतना कुछ सुना देती। वह कोई दूध पीता बच्चा नहीं, जो मां का डर माने। तुझे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुए कितना समय हो चुका है, आया मिलने तुझसे! नहीं ना। अब वह कभी नहीं आएगा । तेरे जीजा जी बता रहे थे कि बहुत जल्दी तुझसे तलाक लेकर, दूसरी शादी करने के बारे में सोच रहा है वह। उसकी मम्मी ने तो लड़की ढूंढ भी शुरू कर दी है।"
"झूठे हो तुम सब। मुझे किसी की बात पर विश्वास नहीं है। मैं खुद ही उससे मिलूंगी और उसे समझाऊंगी। देखना मुझसे मिलने के बाद वह सब भूल कर मुझे अपना लेंगे। हां मैं कल ही जाऊंगी, उनसे मिलने।"
"पागल हो गई है तू! अपने आत्मसम्मान को ताक पर रख उसके सामने गिड़गिड़ाएगी। भीख मांगेगी उससे। जिसके दिल में तेरे लिए प्यार तो क्या दया भाव भी नहीं। जो अपनी मां की बातों में आकर उल्टे सीधे लांछन लगा रहा है तुझ पर। कुछ नहीं होगा। जब तेरी दादी की और मेरी बात ही नहीं रखी उसने तो ! " चांदनी की मम्मी ने उसे समझाते हुए कहा।

तभी नीचे से उसकी दादी की आवाज आई है। सब नीचे गए तो देखा एक आदमी खड़ा हुआ था। पूछने पर उसने बताया कि वह आकाश का वकील है और तलाक का नोटिस लेकर आया है। यह सुनकर सबकी रही सही उम्मीद भी जाती रही।

उसके जाने के बाद चांदनी की मम्मी ने उससे कहा "अब इसे देखकर क्या कहेंगी। क्या अब भी तू हमें झूठा कहेंगी। तेरा दर्द समझती हूं मैं। पर तू जितना जल्दी हो सके, इस सच को स्वीकार कर ले। पता है, यह सब इतना आसान नहीं है लेकिन करना होगा। तभी जीवन में आगे बढ़ पाएगी। अरे, उसके लिए अपने जीवन नरक बना रही है। जो तुझे कब का भुला आगे बढ़ गया है।"
"चांदनी चाची सही कह रही है। आप सुलह सफाई की कोई गुंजाइश नजर नहीं आती है। साइन कर और उसके मुंह पर मार यह पेपर। आजाद हो जा, इस झूठे बंधन से। " रश्मि ने उसे समझाते हुए कहा।
"ऐसे कैसे भूल जाऊं ! दिल से चाहा है मैंने उसे ! पति है वो मेरा!"
" तो जीवन भर उसके लिए यूं ही रोती रहेगी क्या और हमें भी रुलाती रहेगी। तूने तो सदा अपनी मां की बात मानी है। इसी मैं तेरा और हम सबका भला है।"
"मम्मी मुझे थोड़ा समय दो। मुझे भरोसा है। सब सही हो जाएगा। प्लीज मम्मी। मेरी इतनी सी बात मान जाओ। जबरदस्ती मत करो। मैं वादा करता हूं । अगर 6 महीने के अंदर उसका यही रवैया रहा और वह मुझे लेने नहीं आया तो जो आप कहोगे वही करूंगी।"
" ठीक है इतने महीने देख लिए, छः महीने और सही। मैं तो भगवान से प्रार्थना करती हूं कि तेरे मन की मुराद पूरी हो जाए और उसकी बुद्धि फिरे और वह तुझे ले जाए। लेकिन बस एक ही डर है । हमारी देरी का कहीं वह गलत मतलब ना निकाल ले।" चांदनी की मम्मी ने चिंतित स्वर में कहा ।
रश्मि ने भी उसकी बात से सहमति जताई।
धीरे-धीरे 4 महीने बीत गए और आकाश का कोई फोन नहीं आया। हां तलाक के नोटिस पर साइन के लिए जरूर वह किसी ना किसी के हाथ अपनी बात पहुंचा रहे थे।

उड़ते उड़ते चांदनी की मम्मी के कानों में यह अफवाह भी पहुंची कि चांदनी इसलिए तलाक नहीं दे रही है कि इस एवज में उसे बहुत मोटी रकम चाहिए। सुनकर बुरा तो बहुत लगा उन्हें। फिर यह सोचकर वह चुप्पी लगा गई कि जब चांदनी ही लोगों को बातें बनाने का मौका दे रही है तो वह कर भी क्या सकती है!
और एक दिन शाम को अचानक आकाश का फोन आ गया। चांदनी की मम्मी ने फोन पर उसकी आवाज सुनी तो उसे यकीन ही नहीं हुआ। उसने खुश होते हुए पूछा "बेटा कैसे हो! घर पर सब कैसे हैं!"
"इन बातों का का जवाब देने के लिए मेरे पास समय नहीं है। आप चांदनी को बुला दीजिए। मुझे उससे जरूरी बात करनी है।" आकाश ने रूखी की आवाज में कहा।
"हां हां बेटा बुलाती हूं ।वह तो कब से तेरे फोन के इंतजार में बैठी है। "कह उसने चांदनी को आवाज दी।
आकाश का नाम सुनते ही चांदनी खुशी से दौड़ती हुई आई और जैसे ही फोन कान पर लगाया उसके बोलने से पहले ही है आकाश गुस्से से बोला " आखिर तुमने साबित कर ही दिया कि तुम झूठी मक्कार तो थी ही मुझे पता चल गया कि तुम पैसे की भी लालची हो। बोलो कितने रुपए चाहिए। पैसे ले लो और मेरा पीछा छोड़ दो।"
सुनकर चांदनी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह आकाश है। जिसने उससे कभी ऊंची आवाज में बात भी ना की थी! जिसकी आवाज सुनने के लिए वह इतने महीनों से तरस रही थी। इस तरह की कड़वी बातें करेगा उससे। सुनकर उस की आंखों में आंसू आ गए। शब्दों को जोड़कर किसी तरह उसने पूछा "क्या आप आकाश जी ही बोल रहे हैं!"
"हां मैं आकाश ही बोल रहा हूं। मेरे पास इतना समय नहीं है बोलो कितने रुपए चाहिए!"
"आकाश जी मुझे रुपए नहीं, आपका प्यार चाहिए। आपका फिर से साथ चाहिए!"
"वह तो इस जन्म में क्या सात जन्म में भी नहीं मिलेगा तुझे समझी! यह नाटक छोड़ो और अपनी मांग बताओ। इन्हीं पैसों के लालच में तो तुमने मुझसे शादी की थी ना। "
"नहीं आकाश जी यह सब झूठ है! मैंने सिर्फ आपसे प्यार किया है और कुछ नहीं चाहिए मुझे।"
"इन बातों का कोई मतलब नहीं। पैसे लो और मुझे अपने फरेबी बंधन से आजाद करो। तुम तो खूबसूरत हो फंसा लेना किसी और को। वैसे भी तुम दोनों मां बेटी का यही तो काम है। सीधे-साधे लड़कों को फंसाना और फिर पैसे ऐंठना। पर मेरा पीछा छोड़ो!"

"बस करिए आकाश जी! मेरी मां के बारे में एक शब्द भी कहा तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। आपको तलाक चाहिए ना मिल जाएगा। लेकिन यह कीचड़ उछालना बंद करिए और आज से और अभी से मैं आपको शादी के बंधन से मुक्त करती हूं। पर एक बात आप ध्यान रखिए। आपने बिना जाने समझे मुझ पर जो आरोप लगाए हैं, जिस दिन आपको सच्चाई पता चलेगी, आप अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाएंगे। मैंने हमेशा आपको सच्चे दिल से प्यार किया है। आपके बारे में चाह कर भी बुरा नहीं सोच सकती। बस भगवान ही मेरा हिसाब करेगा। वही गवाह है मेरा कि मैं सच्ची हूं या झूठी।" कह चांदनी ने फोन रख दिया।
वह अंदर गई और डाइवोर्स के पेपर पर साईंन कर अपनी मां को पकडा दिए।
चांदनी की मम्मी ने भी उससे कुछ नहीं पूछा। वह उसके चेहरे की पीड़ा देख सब समझ गई थी। कुछ भी पूछ कर वह उसे और तकलीफ नहीं देना चाहती थी। वैसे भी उन्हें पता था
कि एक ना एक दिन तो चांदनी को सच्चाई का सामना करना ही होगा। उन्होंने बिना कुछ उसे अपने गले लगा लिया। दोनों ही मां बेटियों की आंखें व दिल , आंसू व दुख से
सराबोर थे।
क्रमशः
सरोज ✍️