जब से मै जान पाई थी कि जानू की जिन्दगी अलग है मै ने ख़्वाब देखना बन्द कर दिया , अब जो प्रेम पनपा वो निस्वार्थ भाव से, अपने ही दिल में करना।
लेकिन हूं तो आखिर मनुष्य ही है, जब प्रेम होता कुछ प्रेमी से कुछ चाह हो जाती है, मुझे सिर्फ शब्दों का सहारा चाहिए था अगर सच में प्यार है मुझे शब्दों का सहारा मिल भी रहा था इस तरह से कभी झगड़ा कभी बाते कभी हसना कभी रोना।
आज भी जब बारिश होती है वो पूरा लम्हा याद आ जाता है जब हम जानू के साथ बगीचे में थे बहुत धूप थी और बारिश होने लगी , मुझे बारिश हमेशा अच्छी लगती थी लेकिन पहली बार मुझे बारिश का अहसास हुआ था।
एक पेड़ के नीचे खड़े हुए तो बारिश बहुत तेजी की हम दोनों एक दूसरे में समय जितनी बूंदे जानू के बदन से होते हुए मुझ पर गिर रही थी वो अलग से थी।
एक बार मै किसी बात से जानू से नाराज थी मुझे कॉलेज जा रही थी मुझे वो बराबर पूछ रहा था कि कहा हो और मेरा जवाब ना मिलने पर शरदी के मौसम में लोअर टीशर्ट में, कॉलेज के रास्ते पर आ गए वहा मुझे रुकना पड़ा उसके साथ फिर कॉलेज गए और वापस भी लेने आया।
हमारा साथ जैसे कभी छूट नहीं पाएगा कभी एसा लगता है कि जैसे हमेशा हमेशा के लिए साथ हो कोई भी चीज दूर नहीं कर सकती है।
लेकिन कुछ एसा बदलाव जो मुझ से सहा नहीं जा रहा पिछले एक महीने से जानू से बात नहीं कर पा रही हूं , मुझे एसा महसूस हो रहा जैसे जानू कुछ बदल गया है, कई बार एसा हुआ कि मुझे ना तो कॉल की जाती ना मेरी कॉल उठाई जाती किसी मेसेज का जवाब काफी देर बाद दिया जाना , मेरे पूछने पर ये कह देना कि मै ने देखा नहीं। कैसे ये बात मान लू जो इंसान फोन हाथ में लिए इंतेज़ार करता हो वो कैसे मेरे फोन का जवाब दिए बिना रह लेता होगा।
मैं इस असमंजस में डूबी राहू मेरी बात बुरी लग गई मुझ से एसी क्या गलती हुई।
मेरे कहने से जानू ने मिलने को हा कह दिया इस बीच हमारे झगड़े भी बड़ गए थे, हम मिले और जानू को पकड़ के खूब रोए की जानू हमारे बीच कुछ बदल रहा जो मुझे जीने नहीं देता।
मेरे किसी काम में मन नहीं लगता नींद नहीं आती मेरी सांसे कम हो गई है क्यो मुझे मेरी सांसों से दूर ना करो मै मर जाऊंगी, क्यो एसा कर रहे हो।
जान कुछ नहीं बदला है क्यो परेशान हो सब ठीक है।
मुझे चुप करा दिया गया लेकिन जो सच है उसे कैसे कोई नहीं समझेंगे, मेरी आस टूट गई और उस दिन के बाद ये बात भी सच साबित हुई और हम टूटने लगे इक दूसरे से, हम मिलकर भी मिल नहीं पाए कभी , मेरी रातों की नींद उड़ गई
जब मै कहूं कि जानू मुझे फोन कर लो हा करता हूं वो हा पूरे दिन में भी पूरी ना हो मै फोन हाथ में पकड़े राहू की जानू का फोन आ जायेगा और फोन ना आए मै ने इतना मजबुर खुद को कभी नहीं पाया, एसा लगता मै जिंदा नहीं मेरे अंदर जान नहीं है, वो जान कहीं खो गई, एसा लगता मेरी सांसे कम हो गई है कहा से लाऊं। जब कभी ज्यादा दर्द हो प्यार का तो मै जानू से ठीक से कह ना पाती और उसने जैसे मेरी हालत समझने से इंकार कर दिया हो जैसे उसका दिल तो वो रहा ही नहीं। इस बीच मैंने खुद को संभालने के लिए अपने पुराने दोस्तो से बात की किसी से भी बात करने में मन ना लगे लेकिन खुद को किसी भी काम में लगा कर मन बहलाना था। एक रोज एक दोस्त को फोन किया की मुझ से इस क़दर बात करो कि तुम्हारी प्रेमिका हू,
बहुत ही अच्छा इंसान है उसने मुझ से कुछ परेशानी करना है तुम्हे, एसा करना ठीक नहीं है लेकिन मेरी जिद पर उसने किया । मै किसी भी तरह से जानू को समझाना चाहती थी कि मेरी हालत क्या है। जब वो रेकॉर्डिंग भेजी उस से भी कुछ ख़ास फर्क नहीं था।
मैंने वरुण के पास फोन किया और खूब रोए मै ने वरुण से पूछा कि तुम मुझे इतना मुझमें कमी क्या है, वरुण को मेरी हालत समझ आ रही थी उसने मुझे बहुत समझाया और पूछा किसी ने कुछ गलत किया है , लेकिन उस कुछ बता नहीं पाई बस रोती रही।
ये बात भी सच होती है जिस से हमे प्यार होता है वो कभी हमरी भावनाओं की कदर नहीं करता, मै ने ना जाने कितने लोगो को इंकार कर दिया कभी सीधे मुंह बात तक नहीं की, अब एसा लगने लगा उन लोगो की बदुवा लगी है मुझे और कितने लोगो को फोन करके माफी मागी एसा लगता मै पागल हो गई हो घंटो मैं नहाया करती मेरे पास जैसे कोई काम ना हो ना कुछ करती। ना ठीक से सोती ना कुछ खाती,
ऐसे हालत कभी ना हुई थी मेरी कोई पूछता तो कह देती मेरी कुछ तबीयत ठीक नहीं और खामोश हो जाती।
इस से आगे के दर्द को अगले भाग में।