Rahashyo se bhara Brahmand - 3 - 10 in Hindi Science-Fiction by Sohail K Saifi books and stories PDF | रहस्यों से भरा ब्रह्माण्ड - 3 - 10

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रहस्यों से भरा ब्रह्माण्ड - 3 - 10

रहस्यों से भरा ब्रह्माण्ड

अध्याय 3

खंड 10

ये देख कर वो और भी अचरज में पड़ गया। क्योंकि उसको बिना अम्बाला के घर नहीं आना था। वो वापिस जंगल की ओर भागा पर जंगल में प्रवेश करते ही वो खुद को उसी जगह पाता है। जहाँ वो थोड़ी देर पहले गिरा था। ऐसा वो कई बार करता है। लेकिन असफल ही होता।

थक हार कर वो अपने किले की ओर जाता है। जंगल से किले तक उसने कुछ अजीब दृश्यों को देखा जैसे कुछ ऐसी इमारतें जो उसने खंडर हाल में छोड़ी थी अब एक दम नई हो गई थी।

कुछ लोग जिनको हम्जा ने अंतिम बार वृद्ध अवस्था में देखा था। मगर अब वो चमत्कारी रूप से युवा दिखाई देते थे। यहाँ तक कि हम्जा उनको रोक कर उनसे बात करना चाहता है। तो वो हम्जा की बातों को नहीं सुनते और अनदेखा कर वहाँ से निकल जाते है।

अपनी उलझनों के साथ जब हम्जा अपने महल पहुँचा तो वहाँ का नज़ारा देख कर उसको सब समझ आ गया। कि असल में हो क्या रहा है।

हम्जा अभी भी अपने वर्तमान समय में नहीं पहुँचा था, बल्कि ऐसे समय में पहुँचा था जिस समय में उसका जन्म हुआ था, वो भी खास अपने जन्म वाले दिन, जिसका अनुमान उसको महल की कुछ बातों से ले गया था। साथ में लोग उसको अनदेखा नहीं कर रहे थे बल्कि वो इस बार अदृश्य हो कर समय में पीछे आया था, जिसके कारण वो किसी को भी दिखाई नहीं दे रहा था।

इन सब का तो केवल एक ही अर्थ निकलता था, की ये वाली समय यात्रा में हम्जा को केवल कुछ जानकारी ही प्राप्त करनी है। और किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करना। बल्कि वो चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता, वो किसी भी बदलाव को करने में असमर्थ था।

अदृश्य होने के कारण वो बिना रोक टोक महल में प्रवेश कर लेता है। उसके बाद वो देखता है। उसके पिता अत्यंत चिंतित खड़े हम्जा के जन्म की प्रतीक्षा कर रहे है।

यहाँ हम्जा के पिता की अपने मंत्री से कुछ बातें वो सुनता है। जिसका आज से पहले हम्जा को कोई ज्ञान ना था।

राजा " महा मंत्री हमें भय है। कही इस बार भी हमारी संतान मृत पैदा ना हो।

महामंत्री " महाराज मुझे पूरा विश्वास है। इस बार ऐसा नहीं होगा,

राजा " पिछले तीन वर्षों में रानी ने तीन पुत्रों को जन्म दिया और दुर्भाग्य से तीनों ही संतान मृत पैदा हुई। इस बार भी अगर ऐसा हुआ तो मैं ये पीड़ा सहन नहीं कर पाऊंगा।

हम्जा अपने पिता की इन बातों को सुनते समय उनको भावुक देख कर खुद भी भावुक हो गया था। और मन ही मन बोल रहा था, पिता जी आज आपको निश्चिंत एक जीवित बालक होगा। जिसका नाम माँ हम्जा रखेंगी,

लेकिन ये क्या कक्ष से दाई निकल कर आई। और बोली " क्षमा कीजिये गा महाराज आपको इस बार भी मृत संतान हुई है।

इस बात ने मानो राजा का कलेजा चिर दिया हो। उनको ऐसी पीड़ा होने लगी जिसका भार उठाना उनके लिए असहनीय था। वही इन सब को सुन और देख हम्जा राजा से भी अधिक आश्चर्य में पड़ गया, और हो भी क्यों न यदि आपको अचानक पता चले कि आपके जन्म लेते ही आप परलोक सिधार गए थे तो आपको कैसा लगेगा।

अभी ये सूचना राजा को मिले हुए कुछ क्षण ही बीते थे कि एक सैनिक दौड़ता हुआ आया और बोला " महाराज बिना अनुमति आने के लिए क्षमा चाहता हूँ लेकिन बाहर एक स्वामी जी आये है। वो बेहद जोर डाल कर कह रहे है। आप के लिए एक महत्वपूर्ण सूचना है।

राजा इस समय अपने दुख में डूबा हुआ था उसको इस समय संसार की किसी भी बात से लगाव नहीं था इसलिए वो मोन रहा और राजा को मोन देख कर महामंत्री ने ही उसको आदेश दे दिया " स्वामी जी को बोल दो अभी उचित समय नहीं है। बाद में आए।

इस बात को सुन कर वो सैनिक अचम्भित हो कर बोला " महाराज मेरे आने से पहले उन्होंने कहा था महामंत्री तुम्हारी बात सुन कर स्वामी जी को वापिस जाने के लिए बोलेंगे, जो महा मंत्री ने बोला भी, उसके बाद मुझे क्या बोलना है, उन स्वामी जी ने मुझे बताया और..........

इतना बोल कर वो सैनिक रुक गया, अब राजा का भी ध्यान उस स्वामी की ओर गया और वो आगे की बात जानने के लिए बोले " और.. और क्या..?

इस पर सैनिक डरते हुए बोला " महाराज यदि मेरे मुंह से कुछ अनुचित निकले तो मुझे क्षमा कीजिएगा, स्वामी जी ने बताया आज आपको एक पुत्र की प्राप्ति होगी, जिसको मृत समझा जाएगा किन्तु वो मृत नहीं होगा।

हाँ यदि जल्द ही उस नए-नए जन्मे शिशु का उपचार न किया गया तो वो अवश्य मर जायेगा,

जिस प्रकार एक रेगिस्तान में भटकते प्यासे को पानी मिल जाने पर नया जीवन सा मिल जाता है। ठीक उसी प्रकार से अब राजा को भी एक नया जीवन दान मिलता नज़र आने लगा। राजा की जान में जान आ गई और राजा ने बड़े ही आदरपूर्वक स्वामी जी को लाने का आदेश दे दिया।

कुछ देर में स्वामी जी एक संदूक के साथ महल में प्रवेश करते है। जिन्हें देख कर राजा स्वामी के चरणों में जा गिरे और बड़े करुणामय स्वर में बोले " हे महात्मा कृपा मेरे जीवन को सफल करो मैं जीवन भर आपका क्षणी रहूंगा।

वो स्वामी राजा के नवजात जन्मे मृत शिशु को उसके सामने लाने का आदेश देता है। जिसे सुन कर शीघ्र ही आदेश का पालन किया गया।

स्वामी एक ओर उस बालक को ओर दूसरी ओर उस संदूक को रख कर। कुछ मंत्रों का जाप करना आरंभ करता है। अंत में उस संदूक से कुछ निकाल कर उस नव जात शिशु के मुंह में डाल देता है। इस क्रिया के समाप्त होते ही बालक चमत्कारी रूप से जीवित हो उठा। बालक की किलकारियां गुंज उठी जिसे सुन निर्बल पड़ी माता के भीतर भी जैसे प्राण आ गए हो और वो दौड़ती हुई अपने बच्चे को छाती से लगाने आ गई। इस को देख कर हम्जा को समझ आ गया कि वो कैसे जीवित है।

इसके बाद राजा स्वामी को बहुत सी धन राशि भेंट स्वरूप देते है। मगर वो कुछ नहीं लेता और वहां से चला जाता है। जिसको देख कर केवल राजा ही नहीं अब हम्जा भी उसको एक महापुरुष मानने लगा।

फिर हम्जा काफी देर तक अपने माता पिता को खुद पर प्रेम और स्नेह लुटाता देख इस दृश्य से आनंदित होता है। ऐसे आनंदमय दृश्यों को देखने का सौभाग्य कुछ दुर्लभ व्यक्तियों को ही प्राप्त होता है। इस लिए हम्जा इस के प्रत्येक क्षण का रस पान करने का इच्छुक था। मगर ऐसा ना हो सका तभी अचानक सब कुछ उसकी आँखों से ओझल हो गया।

वो खुद को फिर उस जगह पर पाता है। जहाँ वो थोड़े समय पहले आया था। वो फिर से दौड़ कर महल के अंदर गया। और महल में उसको फिर से वो सब होता दिखा जो कुछ देर पहले होता है। वही अपने पिता और महामंत्री की बातें होते देखना, दाई द्वारा उसको मृत घोषित करना और अंत में स्वामी जी का आगमन।

ये सब देख उसको ये तो समझ आ गया कि किसी कारण वश ही ये सब हो रहा है। और इन सब में ही कोई भेद छुपा है। अबकी बार वो महल में ना रुक कर उस स्वामी का पीछा करने लगा।

कुछ दूरी पर चल कर हम्जा देखता है। वो स्वामी उसी शापित जंगलों में से हो कर कही जा रहा था। इसे देख कर हम्जा भी उसके पीछे जंगल में प्रवेश कर गया जिसमें इस बार उसको किसी प्रकार की कठिनाई नहीं हुई, रास्ते में वो स्वामी अपने वस्त्र उतार कर एक नए रूप में परिवर्तित होने लगा जिसे देख कर साफ था वो कोई मनुष्य नहीं है। जब वो पूरी तरह से अपने असली रूप में आ गया तो हम्जा ने देखा कि उसका शरीर मांस का नहीं बल्कि जलते अंगारों से बना था। जो दहकती अग्नि समान लग रहा था वो अब भी चले जा रहा था और हम्जा उसका पीछा करता रहा। थोड़ी दूर चल कर वो रुक गया। तो वहाँ से आगे जा कर हम्जा ने देखा कि उसकी ही तरह दो लोग और वहाँ पहले से उपस्थित है। जिनमें से एक महिला और दूसरा पुरुष था।

इन सब की चाल ढाल इनका रूप इनका आकर और इनकी प्राकृतिक बनावट देख कर हम्जा समझ गया कि ये जीन परजाति के जीव है। इनके बारे में वो बचपन से किस्से कहानियों में अपनी माता गुल नाज़ से सुनता आया है।

हम्जा एक कोने में खड़ा हो कर देखता है। कि पहले वाला जिन उन दोनों जीनों के आगे झुक कर बोलता है। कार्य सम्पूर्ण हुआ स्वामी अब ये भेद मेरे बली दान से यही दफन कर दीजिए।

ऐसा बोल वो पहले वाला जीन अपनी गर्दन आगे कर देता है। और वो दोनों जीनों में से एक उसका सर धड़ से अलग कर उसको मार देते है।

हम्जा के लिए ये रहस्य सुलझने की जगह और भी अधिक उलझ गया था। वो कुछ समझ नहीं पा रहा था। की एक बार फिर वो उसी समय और स्थान पर पहुँच गया जहाँ वो लगातार दो बार आ चुका था।

अबकी बार वो महल में ना जाकर उस तरफ दौड़ता है। जहाँ वे तीनों जीन बातें कर रहे थे।

वहाँ पहुँच कर हम्जा अब जो देखता है। उसको जीनों का सारा रहस्य समझ आ जाता है। असल में वो महिला और पुरुष का जीनी जोड़ा और कोई नहीं जीनों के राजा रानी थे।

उनकी संतान एक ऐसी अवस्था में पैदा हुई जिसकी आत्मा तो जीवित थी पर शरीर निर्जीव अब उनको किसी भी हाल में अपनी संतान को जीवित रखना था तो उसके लिए उनके पास केवल एक ही उपाय था, जिसके लिए वो अंधकार की मदद द्वारा ऐसे मनुष्य की संतान जो एक विशेष नक्षत्रों में मृत पैदा हो उसका पता लगा कर अपने संतान की आत्मा का वास उसके शरीर के भीतर कर के उसको पुर्न जीवन प्रदान करें।

इस प्रकार उनकी संतान एक मानव शरीर में जीवित रह सकती थी। इस प्रकार से उनकी क्रिया द्वारा उनकी संतान को बचा लिया गया। और वो संतान खुद हम्जा था।

यदि हम अंधकार की सहायता लेते है। तो हमें अंधकार के साथ एक सौदा करना होता है। जिसका ज्ञान केवल अंधकार को और उस सौदा करने वाले को होगा। और इसी प्रकार से एक सौदा जीनों के राजा ने भी अंधकार के साथ किया था। जिसका मूल्य क्या है। ये किसी को नहीं पता।

हम्जा इन सब को अपनी आंखों से देखने के बाद भी इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहा था कि वो आधा जीन और आधा मनुष्य है। तभी उसके दिमाग में एक तेज चुभती आवाज़ हुई, जिससे उसको भयंकर कष्ट होने लगा साथ ही कुछ दृश्य उसके दिमाग में चलने लगे। और जब तक वो दृश्य उसको दिखाई देते रहे उसकी आँखों का रंग सफेद हुआ रहा।

उन दृश्यों में हम्जा सबसे पहले गजेश्वर राज्य को देखता है। फिर राजा भानु को जो संतान प्राप्ति के लिये जगह जगह जा कर प्राथना करते है। किंतु सब व्यर्थ जाता है।

उसके बाद उनके पास एक शैतान का पुजारी आता है। जो उनको अंधकार से मदद लेने को कहता है।

फिर हम्जा देखता है। राजा भानु अंधकार से संतान प्राप्ति के लिए एक सौदा करता है। उसके बाद वो इन्द्र और अम्बाला का जन्म देखता है। उसके बाद उस महायुद्ध की समाप्ति के बाद अम्बाला का उस पर हमला करना और अंत में हम्जा खुद को और अम्बाला को साथ देखता है। उसके बाद हम्जा को केवल अंधकार ही दिखाई देता है, और हम्जा अत्यंत पीड़ा के कारण मूर्छित हो कर गिर जाता है। उसकी आँखों से रक्त बहने लगा और वो मूर्छित ही रहा।

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