बात कॉलेज के दिनों की है ।जब में और मेरी सहेली सीमा
स्नातक द्वितीय बर्ष में थे।हम दोनों में घनिष्ठ मित्रता थी।
सीमा खूबसूरत होने के साथ साथ काफी होनहार भी थी।
और हम दोनों ढेर सारी बातें किया करते थे।वो कहती थी कि लोग लड़कियों को बोझ क्यों समझते हैं।मुझे तो अपने
लड़की होने पर गर्व है। शादी ससुराल आदि के बारे में बातें चलती तो वह कहती सास कभी खराब नहीं होती ।अगर बहु उनका माँ जैसा ख्याल रखे तो वो भी बहु को बेटी की तरह प्यार करेंगी।खैर कॉलेज खत्म होते ही उसकी शादी हो गई।में सोच रही थी कि उसकी जैसी बहु पाकर तो उसके ससुराल वाले धन्य हो गए होंगे।फिर उससे एक साल बाद मुलाकात हुई जब वह मायके आई हुई थी।हमेशा खुश रहने वाली सीमा आज बुझी बुझी और उदास थी।उसके चेहरे की तो जैसे रौनक ही चली गई थी।मैंने उसका हाल चाल पूछा ।और जब ससुरालवालों के बारे में पूछा तो वह
बनाबटी हँसी हँसकर बोली वहाँ सब बहुत अच्छे हैं ।मुझे
बहुत प्यार करते हैं।मैंने उसकी हँसी के पीछे छिपे दर्द को
भाँपकर कहा।क्या बात है सीमा तू मुझसे कुछ छिपा रही है?सहानुभूति पाकर वह खुद को रोक न पाई और फफक
फफक कर रो पड़ी।मैंने उसे ढाँढस बँधाया और पूछा बता क्या बात है?वह बोली नेहा मेरी सास मुझसे किसी तरह भी
खुश नहीं रहती।में दौड़ दौड़ कर दिनभर सारे काम करती हूँ।एक गिलास तक भी उन्हें उठाने नहीं देती ।जब भी समय
मिलता है उनके पैर दबाती हूँ।लेकिन वह हर बात में कमीं निकाल कर क्लेश करती हैं।कभी सब्जी में मिर्च ज्यादा बताकर कभी त्यौहार पर मेरे मायके से आये सामान में कमी निकालकर।सुनील(सीमा का पति) भी इसमें अपनी माँ का साथ देते हैं।यह सब सुनकर मुझे झटका सा लगा।
इतनी अच्छी सोच रखने वाली लड़की की किस्मत में ऐसे लोग । सच ही तो है एक लड़की की जिंदगी जुए की तरह दाव पर लगी होती है अच्छा घर परिवार मिल जाए तो उसकी किस्मत वरना घुट घुट कर जीना उसकी नियति बन जाती है।
अपनी प्यारी सहेली ऐसी हालात देखकर मेरा मन बहुत दुखी हुआ मेरी आत्मा कराह उठी ।"क्यों एक औरत को ही किस्मत के हवाले कर दिया जाता है?जो माता पिता उसे इतने बर्ष सीने से लगाकर रखते हैं उसे हर मुश्किल से दूर रखते हैं बेटी के विवाह के बाद क्यों इतने पराये हो जाते हैं कि उसको परेशानी में देखकर भी कुछ नहीं कर पाते।क्यों उसकी किस्मत दूसरों के अधीन होती है वो अच्छे तो किस्मत अच्छी वर्ना जिंदगी भर की घुटन ? क्यों औरत को ही हर कदम पर कुर्बानी देनी पड़ती अपने सुख की,अपने सपनों की? क्यों उसकी जिंदगी दाव पर लगी होती है?।क्योंकि वो दिल से रिश्ता निभाती है इसलिये ज्यादा दुख पाती है।वह खुद से ज्यादा अपनों के बारे में सोचती है इसलिये दुख उठाती है।अगर औरत सहने से इन्कार करदे तो दुनिया की कोई ताकत नहीं जो उसे सहने पर मजबूर कर दे ।उसकी भावनात्मक कमजोरी का ही दुनिया फायदा उठाती है।
सीमा की गलती क्या थी कि उसने अपने माँ बाप की पसंद को अपनी पसंद मानकर शादी की, ससुराल में हो रहे अन्याय का विरोध नहीं किया। क्योंकि उसे डर था कि ऐसा करने पर उसके ससुराल वाले उसके माता पिता को बुलाकर अपमानित न करें।मेरे विचार से गलत का विरोध अवश्य करना चाहिये चाहे परिणाम कुछ भी हो।क्योंकि अगर दूसरा पक्ष भी दिल से रिश्ता निभा रहा है तो तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं होने देगा और यदि वो दिमाग से खेल रहा है तो उसके मोहरे बनने से बेहतर है तुम भी अपनी चाल चलो क्योंकि दिमाग वालों को दिल की भाषा समझ नहीं आती वो वही भाषा समझते हैं जो वो जानते हैं।
यूँ ही अपने आप को किस्मत के हवाले करना अक्लमंदी नहीं कही जा सकती।