स्काउट-गाइड प्रशिक्षण
(उत्तरप्रदेश भारत स्काउट और गाइड जनपद गोरखपुर)
~~~~~~~~~~~~🎊~~~~~~~~~~~~~
(स्मरण पुस्तिका)
प्रार्थना-
दया कर दान भक्ति का हमे परमात्मा देना।
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना।
हमारे ध्यान में आओ प्रभु आंखों में बस जाओ।
अंधेरे दिल मे आकर के परम ज्योति जगा देना।
वहां दो प्रेम की गंगा वहां दो प्रेम का सागर।
हमें आपस मे मिल जुल कर प्रभु रहना सीखा देना।
हमारा कर्म हो सेवा हमारा धर्म हो सेवा।
सदा ईमान हो सेवा और सेवक कर बना देना।
बतन के वास्ते जीना वतन के वास्ते मरना।
वतन पे जान कुर्बान करना प्रभु हमको सीखा देना।
दया कर दान भक्ति का प्रभु हमको सिखा देना ।
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना।
रचयिता: श्री विरदेव वीर
प्रार्थना समय: ९०सेकंड
~~~~~~~~~~~🎊~~~~~~~~~~~~~~
झण्डा गीत-
भारत स्काउट-गाइड झंडा ऊँचा सदा रहेगा।
नीला रंग गगन सा वृस्त्रित भातृ भाव फैलाता।
त्रिदल कमल नीत तीन तीन प्रतिज्ञाओं का याद दिलाता।
और चक्र कहता प्रतिफल, आगे कदम बढ़ेगा।
ऊँचा सदा रहेगा झण्डा ऊँचा सदा रहेगा।
रचयिता: श्री दयाशंकर भट्ट
समय: ४५ सेकंड
~~~~~~~~~~~~🎊~~~~~~~~~~~~
स्काउट-गाइड प्रतिज्ञा:-
मैं मर्यादा पूर्वक यह प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं यथा शक्ति
1). ईश्वर और अपने देश के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करूँगा।
2). दुसरो का सहायता करूँगा।
3). स्काउट नियम का पालन करूँगा।।
स्काउट नियम:-
1). स्काउट विश्वशनीय होता है।
2). स्काउट बफादार होता है।
3). स्काउट सबका मित्र और प्रत्येक दूसरे स्काउट का भाई होता है।
4). स्काउट विनम्र होता है।
5). स्काउट पशु-पक्षियों का मित्र और प्रकृति
6). स्काउट अनुशासनशील और सर्वाजनिक की रक्षा करने में सहायक होते है।
7). स्काउट मन वचन कर्म से शुद्ध होते हैं।
नोट-
स्काउट-गाइड का एक नियम होता है उपरोक्त उसके नौ बिंदु होते हैं।
स्काउट सिद्धान्त- तैयार रहो!
सैलूट- यह दो प्रकार का होता हैं।
1). स्काउट चिन्ह या (हॉप सैलूट)-
१). अपना परिचय देते समय!
२). दीक्षा लेते समय!
३). प्रतिज्ञा दोहराते समय!
2). सैलूट- यह पांच अवसरों पे किया जाता है-
१). राष्ट्रगान को!
२). राष्ट्रध्वज को!
३). सदस्यों को पहली बार देखने पर!
४). स्काउट गाइड ध्वज को!
५). मृतक व्यक्ति को!
चिन्ह का अर्थ-
१). सवल द्वारा निर्बल की रक्षा करना।
२). तीनो प्रतिज्ञाओं और नौ नियमो का बिंदु।
३). एकता का गोला।
नित्य सेवा करना-
स्काउट-गाइड को नित्य(रोज) एक सेवा करना चाहिए।
जैसे- बुढो की सेवा, मरीजो की सेवा, भूले-भटके को रास्ता दिखाना आदि।
बायां हाथ मिलाना-
स्काउट-गाइड एक-दूसरे से बाया हाथ मिलाते हैं। जिसका अर्थ निम्न है-
यह प्रथा सर्वप्रथम दक्षिण अफ्रीका के राजा प्रेमपेह ने वेडेन पावेल से मिला कर प्रारम्भ की थी।
१). स्काउट गाइड के दाएं हाथ में लाठी होती है।
२). बाए तरफ हृदय होता है।
यह विरोचित्त था हृदय से स्वागत करने का प्रतीक हैं।
स्काउट-गाइड इतिहास-
स्काउट-गाइडिंग के जन्मदाता का नाम वेडेन-पावेल है।
इनका जन्म २२ फरवरी 1857 ई को लंदन में हुआ था। ये अपने पिता के छठे पुत्र थे।
पढ़ाई-लिखाई के बाद बड़े होने पर अंग्रेजी सेना में भर्ती हो गए।
दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेजो का राज्य था। जिसे छुड़ाने के लिए 900 (नौहजार) छपसियो ने प्रेमपेह के नेतृत्व में अंग्रेजो पे हमला कर दिया । जिसे बाबर युद्ध के नाम से जाना जाता है।
जब इस युद्ध मे अंग्रेज हारने लगे तब वेडेन पावेल को भारत से दक्षिण अफ्रीका बुलाया गया। और इस युद्ध की कमान उनको सौप दी गयी। वेडेन पावेल ने इस युद्ध को जीतने के लिए बच्चों का सहारा लिया। और बड़ी कुशलता और चतुराई से लड़ते हुवे इस युद्ध को जीत लिया। तब इन्हें लार्ड की उपाधि मिली।
विश्व का प्रथम स्काउट कैम्प-
१९०७ ईसवी में ब्राउन्सिद्वीप में बीस (२०) बालको का प्रथम स्काउट कैम्प लगाया गया।
भारत मे इसका आगमन व वृस्तार- १९०९ ईसवीं में भारत के वैनगलौर शहर में १०,०००(दस हजार) बच्चों का विशाल मार्च पास्ट आयोजित किया गया। जिसमें नौ लडकिया भी थी। तभी से गाइडिंग की शुरुआत मानी जाती है।
भारत मे इसके विस्तार के लिए माननीय मदनमोहन मालवीय जी, श्री राम वाजपेयीजी, डॉक्टर हृदयनाथ कुंजरू जी, श्रीमती एनिबेसेन्ट महोदया जी ने अपना महत्वपूर्व योगदान प्रदान किया।
यह एक विश्वव्यापी, वर्दीधारी और राजनैतिक विश्व २०६ देश इसके सदस्य है।
स्काउट-गाइड ध्वज-
यह नीले रंग का होता है। जो की भ्राति भाव का प्रतीक हैं। तथा बीच में पीले रंग का त्रिदल कमल बना होता है। त्रिदल कमल के बीच में नील रंग का चक्र बना होता हैं। इसकी लंबाई व चौड़ाई में ३:२ का अनुपात होता है। सामान्यतः यह १८० सेमी लंबाई तथा १२० सेमी चौड़ाई होती है।
वर्दी- सल्ट ग्रे रंग का आधे बाह का ढक्कनदार जेब व कंधा पट्टी।
कैप व कैप बैज (कैप ऊनि वैरेट हो) स्काउट व वागेल सिटी व सीटी ,डोरी, वेल्ट।
वेल्ट- नायलॉन का स्लेटी ग्रे रंग का काला जुटा, काला मोजा।
सदस्यता बैज- हरे रँग का बाए जेब पर विश्व बंधुत्व बैज- वैगनी रंग का दाएं जेब पर उत्तरप्रदेश बैज दोनों कंधों पर।
प्रथम सोपान-
प्रवेश परीक्षा उतीर्ण करने के नौ माह बाद।
टोली- यह वह प्रणाली हैं। जिसके माध्यम से कठिन से कठिन कार्य को एक निश्चित संख्या के माध्यम से किया जा सकता हैं।
इसके नायक को टोली नायक कहते है।
दल या कम्पनी- के टोलियों के मिलने से एक दल या कम्पनी का निर्माण होता है। जिसकी संख्या ३२ होती है। इसके नायक को दल नायक कहते है।
पेट्रोल या टोली का कोना-
जिस स्थान पर बैठकर कोई कार्य किया जाता हैं। उसे उस टोली का कोना कहते हैं।
३७६ या वेडेन-पावेल की छः कसरते-
१). सिर के लिए
२). साइन के लिए
३). पेट के लिए
४). कमर के लिए
५). कमर के निचले हिस्से के लिए
६). पैर के पंजे के लिए
सिटी का संकेत-
१). एक लंबी सिटी- सावधान
२). छोटी-2 कई सीटियां- एकत्र हो जाओ
३). लम्बी सिटी - विसर्जन
४). ३ छोटी एक लंबी सिटी- टोली नायक आओ
गाठे-
१). रीफ नाट, डॉक्टरी, चपटी, वरसकल गाठ पट्टी, बांधने तथा एक ही एक ही सिरे के, दो सिरों को बांधने का काम।
२). सीट बैंड या जुलहा गाठ-
दो असमान रस्सियों को जोड़ने का कार्य।
जैसे- कपड़े का कोना, रस्सी या मोटी या पतली रस्सी
३). खुटा फास-
जानवरो को खुटा में बांधने तथा बन्धन बनाने का कार्य।
४). लघुकर गाठ-
बिना काटे रस्सी को छोटा करना तथा कमजोर रस्सी को मजबूत करने का कार्य।
५). टेण्ट गाठ-
एक घेरा दो अर्ध फास टेण्ट बनाने का कार्य।
६). मछुआ गाठ- मछुआ गाठ तथा माचुआ फास- दो गीली रस्सियों को जोड़ने का कार्य।
७). ध्रुव या अटल गाठ-
स्थायी फंदा बनाने तथा डूबते को बचाने का कार्य।
~~~~~~~~~~~🎊~~~~~~~~~~~
सजोयक- प्रधानाचार्य जी श्री रविन्द्र सिंह जी के संयोजन में श्री राम रेखा सिंह इन्टर कॉलेज उरुवा बाजार गोराखपुर उत्तरप्रदेश के प्रांगण में प्रशिक्षक श्री अजय कुमार सिंह जी, श्री रणजीत सिंह जी, श्री संदीप कुमार जी, श्री दीपातांश त्रिपाठी जी के सानिध्य में मैं दुर्गेश तिवारी मेरा रोल नंबर-४७ , कक्षा-८
दिनांक ३०-१०-२००९ से ०१-११-२००९ मैनें अपना प्रशिक्षण पूर्व किया।।