Kuchh Gaon Gaon Kuchh Shahar Shahar - 13 in Hindi Moral Stories by Neena Paul books and stories PDF | कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर - 13

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कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर - 13

कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर

13

लेस्टर और उसके आस पास के गाँवों की धरती उपजाऊ होने के कारण खेती-बाड़ी अधिकतर लेस्टर में ही होती थी। खेती के साथ धीरे धीरे किसानों ने बकरियाँ रखना आरंभ कर दिया था। पहले खेत और सड़क को अलग करने के लिए इसके बीचों बीच एक छोटी सी घास की स्ट्रिप होती थी। बकरियों के आ जाने के पश्चात सड़कों के किनारों पर झाड़ियों की हैज बनने लगी जो बकरियाँ खुली सड़कों पर न निकल जाएँ।

किसानों ने खेती-बाड़ी में भी खूब वृद्धि की। जब खेती-बाड़ी से अच्छा पैसा आने लगा तो लोगों ने कुछ और करने के लिए सोचा। तब उस समय का सबसे पहला कारखाना डारबी में बना जिसमें स्टीम पावर बिजली के लिए स्टीम इंजन बनते थे। इस प्रकार कारखानों की भी शुरुआत हुई।

"वो तो सब ठीक है लेकिन यहाँ लॉफ़्बरो में कुछ और भी देखने को है..." किशन ने सामने आते हुए पूछा।

"है न बहुत कुछ है..." डेविड खुश हो कर बोले। आपने यहाँ की मशहूर बैल फाउंडरी देखी है, क्वीन्स पार्क देखा है जिसमें लड़ाई के समय के शहीदों के नाम गुदे हुए हैं। डेविड ने निशा की ओर देख कर कहा इन्हें अपना पूरा लॉफ़्बरो दिखाओ भई अब शायद ये दोबारा यहाँ न आएँ। और हाँ इन्हें लॉफ़्बरो और लेस्टर की केनाल्स के विषय में कुछ बताया कि नहीं। आप लोगों ने इधर उधर आते जाते लॉफ़्बरो की केनाल्स तो देखी ही होंगी। मैं आपको इन केनाल्स की एक छोटी सी कहानी बताता हूँ जो शायद आपके काम आए।"

डेविड थोड़ा रुक कर बोले... "कभी इन केनाल्स के द्वारा ब्रिटेन का सारा व्यापार होता था। लोगों को कोई शिकायत नहीं थी। सबके पास रोजगार था। केनाल के व्यापार को गहरा धक्का तब लगा जब सरकार ने सागर से गैस निकाली। सागर से गैस निकालना ब्रिटिश सरकार के लिए बहुत बड़ी कामयाबी की बात थी परंतु उससे बहुत से लोगों की नौकरियाँ चली गईं। जब काम रुका तो पानी भी रुक गया। केनाल्स बन तो गईं लेकिन इनकी सफाई की ओर किसी का ध्यान नहीं गया।

जो नीचे की सतह पर केनाल्स थीं उनके पानी में सूएज का गंदा पानी आ कर मिलने लगा और उससे गंध आने लगी। जहाँ गंदगी हो वहाँ चूहे भी आएँगे। यह चूहे योरोप से पानी के जहाज द्वारा ब्रिटेन में आए थे। यह घरेलू चूहों के समान नहीं होते। यह चूहे गंदगी पसंद करते हैं। इनकी पीठ पर खून पीने के लिए फ़्लीस यानी कीड़े चिपके होते हैं। यह कीड़े चूहे, इनसान, जानवर किसी का भी खून चूसते हुए अपने प्लेग के किटाणु वहाँ छोड़ देते हैं। यही कुछ चूहों की पीठ से गिरे हुए कीड़े वहाँ काम करने वाले लोगों की टाँगों से चिपक कर खून पीते हुए अपने मुँह से प्लेग के किटाणु वहाँ छोड़ते चले गए।

किसी को पता भी नहीं चला और इन चूहों के द्वारा प्लेग की बीमारी लोगों को होने लगी। बस देखते ही देखते पूरे लॉफ़्बरो में प्लेग फैलने लगा। लॉफ़्बरो का कोई ऐसा घर नहीं था जहाँ मातम न छाया हो। कहीं तो परिवार के परिवार साफ हो गए। यह देख कर सरकार का माथा ठनका।

इससे पहले भी एक बार प्लेग इंग्लैंड में फैल चुका था। वह 13वीं सदि की बात थी। जब इंग्लैंड की 2/3 जनसंख्या इस जानलेवा बीमारी की शिकार हो गई थी। सरकार इतिहास को दोहराना नहीं चाहती थी।

डर था कि प्लेग कहीं पास के दूसरे गाँवों में और फिर शहरों में न फैल जाए। शीघ्र ही केनाल्स की सफाई करवाई गई। जगह जगह विष डाल कर चूहों का खात्मा किया गया। इस प्रकार प्लेग को फैलने से रोका गया।

उम्मीद करता हूँ बच्चो कि मेरी बातों से आपके ज्ञान में थोड़ी वृद्धि हुई होगी डेविड उनको इतने ध्यान से बातें सुनते देख मुस्कुरा कर बोले। अब आप लोग निशा के साथ जाकर लॉफ़्बरो की कुछ और ऐतिहासिक चीजें देखिए और मैं इन स्कूल से आए बच्चों को कुछ जानकारी दे दूँ।"

****

लॉफ़्बरो की मशहूर बैल फाउंडरी... जहाँ कभी सारे ब्रिटेन के चर्च के लिए घंटियाँ बनाई जाती थीं अपनी तरह की बस एक ही फाउंडरी थी। जिन घंटियों की आवाज सुबह शाम आज भी पूरे ब्रिटेन के चर्च में सुनाई देती है। यह बहुत ही भारी लोहे की बनी घंटियाँ होती हैं जिनका वजन कभी एक टन से ऊपर भी हो जाता है। इनको बनाने वाले कारखाने तो कब के बंद हो चुके हैं बस याद के लिए एक छोटा सा म्यूजियम जरूर रह गया है। जहाँ इतिहास में रुचि रखने वाले या कभी स्कूल के बच्चे अपनी अध्यापिकाओं के साथ जानकारी लेने के लिए आते हैं।

कार में सबको इतना खामोश देख कर किशन से रहा ना गया।

"यारों हम सब लोग इतना खामोश क्यों हैं उसने अलका को कंधा मारा जो उसके साथ ही बैठी थी... हम यहाँ मस्ती मारने आए हैं या लेडी जेन का शौक मनाने। जो बात सदियों पहले हो चुकी उसका आज क्या अफसोस करना। कम ऑन एवरीबॉडी चियरअप और साथ में ही किशन गाना गाने लगा।"

"जीसस क्राइस्ट किशन... तुम अपनी यह बेसुरी आवाज बंद करोगो या मैं तुम्हें कार के बाहर धक्का दे दूँ।"

"धक्का बाद में देना सायमन पहले यह जो सामने स्ट्रीट दिखाई दे रही हैं न इसी में कार पार्क कर दो। बस दो कदम पर ही बैल फाउंडरी है..." निशा ने दोनों को चुप करा दिया"

बैल फाउंडरी में पहुँचते ही उन्हें जल्दी ही कोई कर्मचारी मिल गया जो पूरा म्यूजियम घुमा सके और इस विषय में उनको कुछ बता सके। जो कर्मचारी सामने आया उस का नाम चार्ली था। चार्ली बहुत ही हँसमुख व्यक्ति निकला। उसके चेहरे पर छोटी सी सफेद दाढ़ी बड़ी जच रही थी।

चार्ली ने जब देखा कि सब का ध्यान उसकी दाढ़ी की ओर है तो बड़े प्यार से वह अपनी दाढ़ी पर हाथ फेर कर बताने लगा।

इस म्युजियम में आपको अधिकतर घंटियाँ उनका इतिहास और कुछ तोहफों के रूप में छोटी घंटियाँ मिलेंगी। यह कोई आम घंटियाँ नहीं होती थीं। यह जो सुबह शाम हम चर्च की घंटियाँ सुनते हैं इन्हें बजाना भी कोई आसान काम नहीं है। यदि आपको बजाना नहीं आता तो डोरी खींचते ही इसके साथ लहराते हुए ऊपर चले जाओगे। यह जो घंटी के साथ नीचे की ओर सात लड़ियाँ लटकते हुए देख रहे हैं सारा इन्हीं का कमाल है।

उस समय इन लड़ियों को खींच कर घंटियों को बजाने के लिए सात व्यक्ति होते थे। प्रत्येक व्यक्ति को मालूम था कि उसने किस समय अपनी रस्सी को खींचना है।

असल में यही संगीत के सात स्वर हैं। यह इन्हीं सात स्वरों का संगम है। जैसे हिंदी शास्त्रीय संगीत सात स्वरों स रे ग म प ध नी पर अधारित है वैसे ही अंग्रेजी संगीत में भी सात स्वर डो रे मी फा सोल ला सी पाए जाते हैं। संगीत किसी भाषा में भी क्यों न हो स्वर यही सात लगते हैं। इन घंटियों को बजाने के लिए भी शास्त्रीय संगीत की पूरी शिक्षा लेनी पड़ती है तभी तो इनका स्वर कानों को कितना मधुर लगता है। चार्ली ने सबको उपहार के रूप में छोटी-छोटी घंटियाँ दीं।

"बहुत धन्यवाद चार्ली आपने हमें केवल म्यूजियम ही नहीं दिखाया बल्कि संगीत के विषय में भी बहुत कुछ बता दिया है।" चार्ली का शुक्रिया अदा करके के सब लोग बाहर आए।

"भई अब तो पेट में चूहे उछल कूद मचा रहे हैं कार में बैठ के पहले खाना खा लेते हैं।"

"कार में क्यों। जब पिकनिक का सामान है तो पिकनिक मनाएँगे। पास में ही क्वीन्स पार्क है। पहले वहाँ बैठ कर खाना खाते हैं फिर मैं तुमको लॉफ़्बरो की एक और शान दिखाऊँगी।"

"मान गए निशा तुम्हारा शहर तो इतिहास का भंडार है। मैं अपने खजाने में बहुत कुछ लेकर जा रहा हूँ इसके लिए तो तुम धन्यवाद की हकदार हो..." सायमन ने प्यार से निशा के कंधे पर हाथ रख कर उसे अपनी ओर खींचते हुए कहा।

"तुम अकेले ही नहीं हो सायमन यह जो हमारी लेखिका साहिबा चुपचाप साथ चल रही हैं इन्होंने न जाने कितना कुछ दिमाग में इकट्ठा कर लिया होगा।"

सब की निगाह अलका की ओर घूम गई। "अरे हाँ तभी यह इतनी खामोश है," पार्क में घुसते हुए जैकी बोली।

"इसकी यही तो विशेषता है कि यह बोलती कम और सुनती ज्यादा है।"

"पार्क बड़ा सुंदर है पर बहुत ठंड है निशा। यदि यहाँ कहीं नीचे बिछा कर या ठंडे बैंच पर बैठ कर खाना खाया तो सभी कुकड़ु हो जाएँगे। ऐसा करते हैं पहले पार्क देख लेते हैं फिर किसी कैफे में बैठ कर गर्म कॉफी के साथ खाना भी खा लेंगे।"

"विचार तो बुरा नहीं है...। वो देखो इतनी सर्दी में भी फूल खिले हुए हैं।"

"हाँ जैकी इसका असली मजा लेना हो तो गर्मियों में आकर देखो जब सारा पार्क फूलों से और बच्चों के शोर से भरा होता है। ये जो छोटी सी नहर दिखाइ दे रही है न यह पार्क के चारों ओर है। इस नहर में एक पंप लगा हुआ है जिससे नहर में यही पानी चारों ओर घूमता रहता है। साल में एक बार इस की अच्छी तरह से सफाई करके इसमें नया पानी भर दिया जाता है जो बतखों की गंदगी के कारण कोइ बदबू न आए और बीमारी न फैले।

अभी तो ठंड के मारे काफी सारी बतखें झाड़ियों के बीच छुपी हुई हैं। असली नजारा तो गर्मियों में मिलता है जब इनका मेटिंग सीजन होता है। उस समय यह बतखें अपने छोटे-छोटे पीले पंखों वाले बच्चों को लेकर इस नहर में आती हैं। कोई बच्चा अपनी माँ की पीठ पर बैठा होता है... कोई पंखों में से झाँक रहा होता है... तो कोई साथ तैर रहा होता है। इस को बच्चे ही नहीं बड़े भी बड़ा आनंद लेकर देखते हैं और घंटों इस पार्क में धूप का मजा लेते हैं।"

"ये जो पार्क के बीचो बीच टावर खड़ा है इसकी ऊँचाई कितनी होगी निशा।

"यही कोई 40-45 मीटर होगी... ठीक से याद नहीं है। अंदर कोई ना कोई गाइड जरूर मिल जाएगा... चलो देखते हैं। अंदर जाने से पहले मैं कुछ और तुम्हें दिखाना चाहती हूँ...।

पहले बाहर से टावर की दीवार देखो। यहाँ नीचे से ऊपर तक पहले महायुद्ध में शहीद हुए 480 सैनिकों के नाम गुदे हुए हैं जो मौसम की इतनी मार खाने के पश्चात भी पढ़े जा सकते हैं।"

सब लोग खड़े हो कर उन शहीदों के नाम पढ़ने लगे।

टावर के अंदर जाकर थोड़ी सी प्रतीक्षा के पश्चात उन्हें वहाँ काम करने वाला एक कर्मचारी मिल गया जो प्रसन्नता पूर्वक इनके प्रश्नों के उत्तर देने को तैयार हो गया।

"पहले तो हमें यह बताइए कि यह टावर जिसे क्रिलियन के नाम से जाना जाता है कितनी ऊँची है और इसे बनाने का कारण क्या था..." सायमन ने पूछा।

"बड़ा अच्छा प्रश्न पूछा बेटा आपने... यह जो आप क्वींस पार्क के बीचो-बीच टावर देख रहे हैं इसकी ऊँचाई 46 मीटर है। यह प्रथम महायुद्ध के इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए है...।

इसको बनाने का बस एक ही मकसद था कि हम अपने देश पर शहीद हुए सैनिकों को सदैव याद रखें जिन्होंने लड़ते हुए छोटी आयु में अपनी जान गँवा दी।

इस स्मारक का पहला पत्थर 1923 में रखा गया था। वैसे तो पूरे ब्रिटेन में ऐसे 15 क्रिलियन हैं। लाफ़्बरो का क्रिलियन सबसे पहला और एक ही इस प्रकार का महान क्रिलियन कहलाता है जिस पर आज भी शहीद हुए सैनिकों के नाम देखे जा सकते हैं। सबसे विशेष बात तो यह है कि इस यादगार स्मारक चिह्न को बनाने का प्रत्येक सामान लॉफ़्बरो के कारखानों में ही तैयार हुआ है।"

"यह टावर कितनी मंजिलों में विभाजित है अलका ऊपर देखते हुए बोली..."

"यह क्रिलियन टावर तीन मंजिलों में है। सबसे नीचे प्रथम महायुद्ध के सैनिकों का लड़ने का सामान, उनके मैडल व और भी लड़ाई में प्रयोग होने वाला सामान मिलेगा।

दूसरी व तीसरी मंजिल पर अनेक घटनाओं को बताती हुई कुछ उस समय की तसवीरें, कुछ फाइलें हैं जिनमें शहीदों के बहादुरी के कारनामें हैं। दीवार पर टँगी हुई हर तसवीर की अपनी ही एक कहानी हैं। एक कहानी ने सबका ध्यान अपनी और आकर्शित किया... कैसे एक सिपाही की जेब में रेजर ब्लेड रह गया था और उसी के कारण उसकी जान बच गई। जो गोली उसकी जान लेने के लिए आ रही थी वह रेजर ब्लेड को लग कर नीचे गिर गई। इसको कहते हैं जाको राखे साइंयाँ मार सके ना कोय।"

थोड़ा रुक कर उस कर्मचारी ने आगे बताया कि सैनिकों को जी-जान से देश के लिए लड़ते देख 1914 के पाँचवें राजा किंग जार्ज व रानी मेरी की 17 वर्ष की बेटी राज कुमारी मेरी ने यह तय कर लिया कि जो भी सैनिक देश से बाहर लड़ रहे हैं उन्हें क्रिसमस पर उपहार जरूर भेजा जाए। इससे सैनिक और भी उत्साह से लड़ते थे यह सोच कर कि उन्हें देश के लोग ही नहीं बल्कि राज घराने के लोगों ने भी याद रखा।

सारी चीजों को बड़ी सुरक्षा से म्यूजियम में रखा गया है जो आने वाली पीढ़ी इस सब की सराहना करें और अपने स्थानीय सैनिकों के बलिदान को जानें और उनका आदर कर सकें। गर्मियों में तो यहाँ बहुत लोग आते हैं।

"ऐसी पुरानी वस्तुओं को एक स्थान पर सँभाल कर रखना भी देश भक्ति से कम नहीं है," निशा ने दोस्तों को संबोधित करते हुए कहा।

"सही कहा आपने..."

"आप बता सकते हैं कि ये ऊपर जाने के लिए करीब कितनी सीढ़ियाँ होंगी," किशन ने सवाल किया...।

"तीसरी मंजिल पर जाने के लिए 138 सीढ़ियाँ हैं जो टावर के अंदर से ही होकर जाती हैं। आप ऊपर जाएँगे तो 47 घंटियाँ टँगी हुई मिलेंगी जो लॉफ़्बरो बैल फाउंडरी में ही बनी हैं और यहीं के 47 बड़े लोगों द्वारा दान में दी गई हैं। इन घंटियों पर उस दान देने वाले का नाम और साथ में उस शहीद का नाम भी गुदा हुआ है जिसके परिवार को यह दान दिया गया था। इनके बीचो-बीच एक साढ़े चार टन की घंटी लटक रही है जो टेलर परिवार की ओर से दी गई है जिन के तीन बेटे इस युद्ध में शहीद हुए थे। रोज सबेरे-शाम इन घंटियों की आवाज पूरे लॉफ़्बरो में गूँजती है।"

"चलो अलका आओ देखते हैं एक साँस में यह 138 सीढ़ियाँ चढ़ कर कौन सबसे पहले ऊपर पहुँचता है..."

"अरे रहने दो किशन एक तो वैसे ही भूख के मारे मस्त हाथी पेट में घूम रहा है ऊपर से भाग कर सीढ़ियाँ चढ़ना अपने बस की तो बात नहीं," अलका बोली।

"अजी लड़कियाँ तो होती ही कमजोर और बुजदिल हैं उनका हमसे क्या मुकाबला। चलो सायमन जब यहाँ तक आए हैं तो ऊपर देख कर ही जाएँगे।"

"अच्छा हम दिखाते हैं कि कमजोर कौन है और तीनों लड़कियाँ भाग कर सीढ़ियाँ चढ़ने लगीं। मगर कहाँ जी, 138 सीढ़ियाँ एक साँस में चढ़ना कोई मजाक की बात तो थी नहीं। थोड़ा ऊपर जाते ही तीनों लड़कियाँ हाँफने लगीं जिसे देख सायमन और किशन उनको चिढ़ाते हुए आगे निकल गए। थोड़ी दूर जाकर उनकी टाँगों ने भी जवाब दे दिया।

जब निशा की टोली टावर से बाहर निकली तो क्या देखा कि बारिश हो रही है। यही तो है ब्रिटेन का मौसम जो पल में बदल जाता है। फिर बादलों का तो यहाँ घर है। जब जी चाहे घुमड़ के आ जाते हैं। खुश होते हैं तो बरसने लगते हैं, खफा होते हैं तो गरजने लगते हैं। बस ब्रिटिश वासियों को इनके मूड के साथ चलना पड़ता है।

किसी के पास भी छाता नहीं था। वैसे भी आज कल के युवा लोग छाता पकड़ने से अधिक भीगना पसंद करते हैं। सब लोग भीगते हुए कार की ओर भागे।

बारिश थोड़ी कम हुई तो वे कैफे की ओर चल दिए। कैफे में और कोई नहीं था। सबने खूब शोर के साथ कॉफी की चुस्कियाँ लेते हुए खाना खाया।

"निशा और भी कुछ देखने को बाकी है।"

"हाँ सायमन, है तो बहुत कुछ लेकिन बारिश हो रही है और सब लोग थक भी गए हैं। फिर कभी सही। घर चल कर आराम करते हैं। कल वापिस कॉलेज भी जाना है...।"

"अरे हाँ वो तो है..." इतनी मस्ती भरे मौसम में कॉलेज का नाम सुनते ही जो अभी खाना खाने से मुँह का स्वाद इतना अच्छा लग रहा था अचानक फीका पड़ गया।

कार में बैठ कर सबको थकावट महसूस हुई। वैसे भी ठंड में इधर से उधर घूमने से थकावट तो हो ही जाती है।

"माँ..." घर पहुँचते ही निशा ने आवाज लगाई। "माँ जरा गर्मागर्म अदरक तुलसी की चाय बना दीजिए इन नाजुक लोगों के लिए मैं नहीं चाहती कल कॉलेज जाकर कोई बीमार पड़ कर सब को तंग करे।"

"आंटी यह तीनों लड़कियों की बात हो रही है हमारी नहीं..." सायमन कहाँ पीछे रहने वाला था।"

"अच्छा तो तुम दोनों चाय नहीं पियोगे।"

"आने तो दो हम तुम्हारी भी पी जाएँगे..."

ऐसे ही एक दूसरे के साथ छेड़खानी करते हुए सब लोग कंबल लपेट कर बैठ गए। चाय के साथ सब ने ढोकला ऐसे खाया जैसे सुबह से भूखे हों।

"निशा अपने दोस्तों को लॉफ़्बरो का मशहूर फनफेयर नहीं दिखाओगी," माँ ने उन सबके साथ बैठते हुए कहा।

"अरे हाँ मॉम मैं तो उसे भूल ही गई थी। फनफेयर भी तो नवंबर में ही लगता है। इस बार कब है।"

"इसी गुरुवार को है। जब दोस्तों को लॉफ़्बरो दिखा ही रही तो तो लगे हाथ फनफेयर भी हो जाए।"

"नहीं मॉम पूरे सप्ताह कॉलेज छोड़ना पड़ेगा। पढ़ाई का बहुत नुकसान होगा।"

"आंटी आप ही कुछ बताइए इस फनफेयर के विषय में..."

"इस फनफेयर की लॉफ़्बरो के बच्चे पूरा वर्ष प्रतीक्षा करते हैं। लॉफ़्बरो में यह साल में एक बार तीन दिन के लिए आता है वह भी नवंबर के महीने में। यह एक चलता फिरता फनफेयर है जो शहर शहर में लगता है। इसे सर्दियों में पैक करने से पहले सब से अंतिम फेयर लॉफ़्बरो में लगता है। बच्चे ही नहीं युवा भी इसका इंतजार करते रहते हैं।"

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