anaitik - 2 in Hindi Fiction Stories by suraj sharma books and stories PDF | अनैतिक - ०२ घर का प्यार

Featured Books
Categories
Share

अनैतिक - ०२ घर का प्यार

"कितने कॉल करोगी माँ? घर पर तो तब ही आऊंगा ना तब टैक्सी लाकर छोड़ेगी", मैंने घर में घुसते हुए कहा..

पर तूने तो एक भी कॉल नहीं उठाया? माँ की आंखों में खुशी थी और आंसू भी, अक्सर जब भी मै जर्मनी से आता या जाने के लिए निकलता तो माँ की ममता झलक ही जाती..

हाँ, वो बैटरी लो हो गयी थी! अगर कॉल उठात तो फोन पूरा स्विच ऑफ हो जाता, वैसे रात के २:३० बज गए है आप अब तक जाग रही हो? मै आगे कुछ बोलू उसके पहले पापा कमरे में से निकलते हुए बोले..

बेटा जब तू बाप बनेगा ना तब तुझे माँ बाप की फिक्र समझेगी, और पापा ने मुस्कुराते हुए प्यार से मुझे गले लगा लिया..

मै आगे कुछ बोल ही नहीं पाया या फिर बोलना भी नहीं चाहता था क्युकी मै जानता था उनकी बात बिलकुल सही है, इसीलिए मैंने बस "सही है पापा" कहा और मेरी आंखे भर आई, फिर माँ पापा दोनो मुझे हॉल में ले गए और हम बाते करने लग गये..

मैंने कहा, आप दोनो सो जाओ, कल बात करते है रात के ३ बज रहे है...

हाँ तो कोई बात नहीं छोटी, कल दिन भर सो जायेंगे कहते हुए पापा पूछने लगे कैसा था सफर?

ठीक था पापा, जब पापा मुझे छोटी कहते तो मुझे भी हँसी आती, वो बचपन याद आता जब पापा मुझे स्कूल में लेने आते और टीचर को पूछते मेरी छोटी कहा है तब मेरे सारे फ्रेंड्स हसते थे और मै भी पापा से झगड़ता था, की मुझे ऐसा मत बुलाया करो पर अब अच्छा लगता था, पापा की इच्छा थी एक बेटी की ...मेरा मन ये ख्वाब में डूबा ही था की इधर उधर माँ पर नज़र घुमाये पापा ने धीरे से मुझसे पुछा

बेटा मेरी वाइन तो लाये हो ना?...

क्या पापा आप भी,ये भी पूछने वाली बात है, बिल्कुल लाया हूँ... और माँ ने हम दोनों को देख कर आंखे छोटी करने लगी जैसे मानो प्यार भरा गुस्सा दिखा रही हो..

बेटा तुझे भूख लग गई होगी, रात को खाने की आदत है तुझे ,खाएगा कुछ? माँ ने पूछा..

नहीं माँ अब तो कल आपके हात के ढोकले खाने है कहकर मै आलास लेने लगा

माँ ने हसते हुए कहा, ठीक है बना दूंगी पर अब तू सो जा, थक गया होगा, थोड़ा आराम कर ले, तेरा रूम मैंने आज ही साफ करवाया है, शायद जल्दी जल्दी में पूरा हुआ भी है या नहीं पता नहीं! तेरे पापा ने मुझे कल बताया कि तू आ रहा है... वैसे तुझे इतने कम वक़्त में छुट्टी मिल गई? तूने तो एक बार बताया था कि ६ महीने पहले बताना पड़ता है..

मै अपने मोबाइल को निकलते हुए कहा, "मत पूछो माँ क्या झूट बोलना पड़ा, अब जाने भी दो! वैसे भी मेरी बॉस से बात हो गई है अब मै घर से काम कर सकता हूँ थोड़े दिन, तो सैलरी का भी टेंशन नहीं..

हां, ये अच्छा है, जा अब सो जा ..

और मै अपने कमरे में आ गया..

घर पर आकर मानो ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग मिला हो, एक अलग ही खुशी मिलती है, घर में मै अकेला होने के वजह से माँ पापा का प्यार मुझ पर बहोत ज्यादा था, जब भी अकेले बैठकर सोचता तो लगता यार एक भाई या बहन तो होनी चाहिए थी छेड़ने, झगड़ने और बाते करने के लिए पर जब भी माँ पापा का प्यार देखता तो लगता अच्छा ही है नहीं है वरना मुझे इतना प्यार कौन करता, नींद भी धीरे धीरे मुझे अपने आगोश में लेने लगी थी सुबह के ४ बज गए थे, सोचा अब सो जाऊं या एक्सरसाइज कर लू, नहीं थकान के मारे उटना भी नहीं हो राहा था.. सोचा पहले थोड़ा आराम की कर लेता हूँ और पता भी नहीं चला कि कब नींद लग गई, मै जब भी घर आता तो माँ अपना काम धीरे धीरे करती ताकि मुझे डिस्टर्ब ना हो, मेरी नींद खराब ना हो...सबेरे की धुप चेहरे पर आने लगी थी, पर उठने का मन नहीं था...

तभी दरवाज़ की घंटी बजी

माँ, देखो ना कौन है?

फिर एक बार घंटी बजी, मुझे लगा शायद रात को देर से सोने के कारण सब गहरे नींद में होगे, मैंने भी चुपचाप सोना ही ठीक समझा, गली के बच्चे बहोत शरारत करते घंटी बजा कर भाग जाते, पर मुझे तभी कॉल आ गया, मैंने देखा तो ११:०० बज गए थे, मैंने फोन लिफ्ट करके बात करने लगा कि घंटी फिर बाजी, मै बात करते हुए दरवाज़ा खोलने चला गया, एक लड़की थी, शायद २४-२५ साल की, बड़ी बड़ी आँखे मुझ पर टिकी हुइ थी या फिर कह रही थी दरवाज़ा खोलने में इतनी देर कैसे हुई, हवा में लहराती उसकी साड़ी जैसे सूरज को कैद किए हई थी, उसके गुलाबी होंठो के हर चोमिश पर मेरा दिल और तेज़ी से धडक रहा था, कमर पर झूलते भूरे सुनहरे बालो से आधा ढका उसका ख़ूबसूरत चेहरा कयामत ढा रहा था, मुस्कुराते हुए वो घर में आते हुए मुझे इशारे से कुछ पूछ रही थी और मै सम्मोहित सा बस उसे देखे जा रहा था, की तभी उसने मेरे नजदीक आकर मुस्ककुराते हुए काहा "आपका कॉल शुरू है, और एकदम से मेरा ध्यान उस पर से हट गया मैंने सुना मेरा बॉस "हेल्लो, हेल्लो,” कर रहा था..वो हंसती हुइ किचेन में गयी और कुछ लेकर बाहर चली गयी मै फिरसे अपने कॉल में लग गया, मैंने लड़कियां तो बहोत देखी थी पर आज पहली बार किसी परी को देख रहा था मानो सीधा आसमान से मेरे घर आई हो, एक पल के लिए मुझे कुछ समझ नहीं आया और कुछ समझ पाता उसके पहले माँ आ गई, तब तक मेरी कॉल भी हो गई थी....

.