अब लेटर बॉय का शोर पूरे कॉलेज में गूंज रहा था। इस शोर के साथ कुछ लड़कों के द्वारा एक लड़के को हवा में उछाला जा रहा था। मोहित गेट के पास से यह सब देख रहा था। मोहित को उस लड़के का चेहरा साफ नहीं दिख रहा था। शोर धीरे-धीरे कम होने लगा और मोहित के उनके करीब पहुंचने तक शोर बंद हो चुका था। अब मोहित और उस लड़के और मेघा को साफ देख सकता था। वह लड़का और कोई नहीं मोहित का दोस्त था, जिसका नाम संजय था।
मोहित के मन मैं कई सारे सवाल एक साथ उठ रहे थे। जैसे कि संजय लेटर बॉय कैसे बना, क्या संजय ने दूसरों को बताया कि वह लेटर बॉय है? क्या संजय भी मेघा को पसंद करताा है? ऐसे कई सारे सवाल मोहित के मन मैं थे। और उनके जवाब मोहित के पास नहीं थे और फिर मोहित ने मेघा को खुश देखकर इन सवालों के जवाब के बारे में सोचना छोड़ दिया। इसके साथ ही मोहित ने फैसला लिया कि अब वह मेघा को लेटर बॉय की सच्चाई के बारे में नहीं बताएगा।
मोहित मेघा और संजय दोनों से मिला और इसके बाद वह सब क्लास में चले गए।
अब हमेशा मेघा और संजय दोनों साथ दिखते थे। इसके साथ ही कॉलेज में अब सब संजय को उसके नाम की बजाय लेटर बॉय कहकर पुकारते थेऔर ऐसे ही कई दिन बीत गए।
एक शाम को संजय मोहित के घर गया।संजय ने मोहित से कहा तू तो जानता है कि 2 दिनों के बाद वैलेंटाइन डे है।मोहित ने कहा हां, संजय ने फिर से कहा मेघा और अपने कॉलेज की दूसरी लड़कियां चाहती है कि मैं मेघा के लिए उस दिन कुछ लिखूं।
- तो लिख दे।
- वह चाहती है कि जैसे लेटर लिखा था उस से भी प्यारा,
- तो उसमें क्या है तू तो लिख सकता है।
- नहीं लिख सकता हूं, क्योंकि लेटर मैंने नहीं लिखा है।
(मोहित ने वैसी ही प्रतिक्रिया दिखाई जैसे यह खबर जानने पर कोई दूसरा लड़का दिखाता। )
- यह तू क्या कह रहा है?
- यार मैं लेटर बॉय नहीं हूं।संजय ने आगे कहा तू तो जानता है, कि जिस दिन लेटर मिला मैं उस दिन से कॉलेज नहीं आ रहा था और जब मैं आया तो हर जगह एक नाम था वह लेटर बॉय था। मैंने भी सब से पूछा कि लेटर बॉय कौन है? पर किसी को भी नहीं पता था कि लेटर बॉय वह कौन है? और इसी का फायदा उठाकर मैंने सब से कह दिया कि मैं ही लेटर बॉय हूं।
- मोहित ने उससे पूछा क्या तुम मेघा को पसंद करता है।
- हां, मैं उसे पसंद करता हूं।
- तो बात खत्म इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि असली लेटर बॉय कौन है? मोहित ने आगे कहा मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं।
- क्या तुम मेरे लिए वैलेंटाइन डे के दिन के लिए कुछ लिख सकता है?
- नहीं नहीं......., मुझे लगता है कि तुझे खुद लिखना चाहिए।
- हां, मैं जानता हूं पर तु मेरे लिखने के बारे में जानता है।
- मगर यह गलत होगा, तुझे उसके बारे में जो अच्छा लगता है वह सब लिख दे।
- बस मेरी इस बार मदद कर दे, अगली बार से मैं खुद लिख लूंगा, वैसे भी बस कल का दिन बचा है।
- ठीक है पर यह पहली और आखरी बार है।
फिर मोहित ने लेटर लिखकर संजय को दे दिया।
वैलेंटाइन डे वाले दिन कई लड़कों ने अपनी अपनी वैलेंटाइन के लिए कुछ ना कुछ किया इसके साथ कुछ अन्य कार्यक्रम भी हुए, और आखिर में लेटर बॉय का नाम पुकारा गया। क्योंकि सब जानते थे कि लेटर बॉय ने सबसे अच्छा लिखा होगा। संजय के स्टेज पर जाने के बाद उसने मोहित के द्वारा दिए हुए पेज को अपने हाथ में ले लिया और मेघा को देखो जो उसके सामने बैठी थी। संजय उस पेज पर लिखी लाइनों को पढ़ते-पढ़ते यह समझ गया था कि मोहित ही लेटर बॉय हैं। यह लाइनें उस लेटर के बाद की ही थी संजय ने उस पेज को पढ़कर खत्म किया और पूरे हॉल में लेटर बॉय का शोर गूंजने लगा। संजय ने सब को शांत किया और कहां मेघा मुझे माफ करना कि मैं लेटर बॉय नहीं हूं। सभी लड़के लड़कियां संजय को घूर कर देखने लगे। उस में से किसी ने कहा तुम यह क्या कह रहे हो?
संजय ने कहा मैं सही कह रहा हूं। फिर किसी ने कहा तो क्या तुम जानते हो असली लेटर बॉय कौन है?
संजय ने कहा हां, लेटर बॉय वह है जिसने आज मेरे लिए यह लाइन लिखी है और उसका नाम मोहित है।
इसके साथ ही सब की फुसफुसाहट शुरू हो गई। वह सभी हॉल में चारों और मोहित को ढूंढने लगे पर किसी को भी मोहित होल में नहीं दिखा क्योंकि मोहित वहां था ही नहीं।
मेघा की आंखें भी मोहित को ढूंढने के लिए हॉल में चारों और घूम रही थी।
एक लड़की ने कहा मैंने मोहित को कुछ देर पहले लाइब्रेरी में जाते हुए देखा था, मेघा लाइब्रेरी की ओर गई।
मोहित लाइब्रेरी में चार नंबर की कतार में खड़ा होकर किताबों को घूर रहा था। इतने में मेघा ने वहां आकर कहा उसे घूरने से तो तुम्हें ज्ञान नहीं मिलेगा इसके लिए तुम्हें उसे पढ़ना होगा। मोहित अपनी नजरें मेघा पर करते हुए कहता है मैं जानता हूं पर तुम यहां क्या कर रही हो? क्या फंक्शन खत्म हो गया?
- लगभग पर तुम वहां क्यों नहीं थे।
- बस ऐसे ही,
- सच में, फिर मेघा ने मोहित को एक पेज दिया।
मोहित ने उसे पड़ा उसके एक तरफ लिखा था कि तुम्हें झूठ बोलना नहीं आता है लेटर बॉय और उसके दूसरी तरफ लिखा था क्या तुम मुझे अपनी लेटर गर्ल बनाना पसंद करोगे। फिर मोहित ने कहां तो क्या तुम्हें पता चल गया।
मेघा ने कहा हां, संजय ने बताया वैसे उसे छोड़ो मुझे तुम बताओगे क्या तुम्हें मेरे छोटे बाल पसंद नहीं
- मैंने ऐसा कब कहा
- संजय ने आज अपनी लाइनों में पड़ा था और वह तुमने ही लिखा था। इसलिए अब तो मैं अपने बाल बिल्कुल भी नहीं बढ़ाने वाली हूं।
- ठीक है, और मैं आगे से ऐसा नहीं कहूंगा।
फिर दोनों हंसते हुए लाइब्रेरी के बाहर एक साथ आए।
The End