Pata Ek Khoye Hue Khajane Ka - 16 in Hindi Adventure Stories by harshad solanki books and stories PDF | पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 16

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पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 16

चौकी करने वाली शुरूआती टुकड़ी में भीमुचाचा, हिरेन और रफिक्चाचा शामिल थे. जब उनकी बारी खत्म होने में थोड़ा वक्त शेष रह गया था, तब एक नई घटना घटित होनी आरम्भ हुई.
वे दूरबीन से उस रौशनी की दिशा में वक्त वक्त पर नज़र बनाए हुए थे. इस उम्मीद में कि वहां कुछ घटित हो. हिरेन के हाथों में दूरबीन थी. अचानक वह अचंभे में पड़ गया. उसने देखा, वह रौशनी चलने लगी थी. उसने रफिक्चाचा और भीमुचाचा को भी इस अचरज की बात दिखलाई. वे भी अजूबे में पड़े. पेड़ों की वजह से कभी कभार वह रौशनी कम होकर गायब हो जा रही थी, तो कभी कभी पूरी तरह से साफ़ हो जा रही थी. तुरंत उन्होंने अपनी आग बूझा दी. और गौर से देखने लगे. वह रौशनी उनकी और ही आ रही थी.
तब तक दूसरी टुकड़ी भी जाग गई थी. उन्होंने अंतिम टुकड़ी को भी जगा दिया. और यह अद्भुत दृश्य दिखाया. सब को कोई नई मुसीबत की बू आई. वे अपने अपने हथियार संभाले सावधान हो गए.
पर फिर उस रौशनी ने अपना रुख मोड़ा. वह दाहिनी और मुड़कर पहाड़ी के पीछे तलहटी में गायब हो गई.
तब उनका ध्यान पड़ा कि वह रौशनी, जो उन्होंने शुरुआत में देखी थी, वह तो वहीँ है. तो यह रौशनी कोई और रौशनी थी, जो उनकी और आ रही थी और अब पहाड़ी के पीछे गायब हो गई थी. अब वे सोच में पड़े. वह रौशनी क्या थी और क्यूँ कर चल रही थी.
रात्रि को अन्य कोई अजूबे की बात पैदा न हुई. अतः, शेष टीम सो गई. और जिनकी बारी थी वह टुकड़ी चौकी करती रही. सुबह तक सब कुछ शांत रहा.
सूरज की किरण निकलने पर सब फ्रेश हुए, चाय नाश्ता किया और अपना डेरा उठाया. वे आगे बढ़ने लगे. हर छोटी बड़ी पहाड़ियों के पूर्व में एक एक खोह की तह लेते वे आगे बढ़ रहे थे. ऐसे वे एक पहाड़ी पर पहुँचे. अब उन्हें वह तालाब और वह अलग सी दिखने वाली घाटी नजदीक दिखाई दे रही थी. दोपहर हो गई थी. अब वे थके थे. अतः, बिछावन बिछाया और बैठे. नाश्ता किया. पानी पिया. फिर सुसताते पड़े.
पिंटू, संजय और हिरेन लघुशौच के लिए पेड़ों के पीछे गए हुए थे. यहाँ से पहाड़ी की तलहटी साफ़ दिख रही थी. तभी संजय की नजर तलहटी में होने वाली गतिविधि पर पड़ी. उसने गले में लटकी दूरबीन आँख पर लगाई.
"ओह! इंसान...!" वह चिल्लाया.
"क्या?" पिंटू और हिरेन ने उनकी और नजर की. संजय को दूरबीन लगाए घाटी में देखते देख दोनों ने तुरंत अपनी अपनी दूरबीन आँख को लगाई.
"अरे! ये तो आदमी हैं!" दोनों के मुंह से निकल पड़ा.
तुरंत हिरेन दौड़ा. उसने दूर से ही अपने टीम मेम्बर्स को चीख कर और हाथ के इशारे से आने को कहा. उनके चेहरे के भाव देखकर टीम मेम्बर्स को कोई नयी चीज घटित होने की भनक लगी. सभी जल्दी जल्दी उस और दौड़े. सब वहां पहुँचे, जहां संजय और पिंटू थे. पहुँचकर सभी ने अपनी अपनी दूरबीन निकाली और देखा. इस वीरान भूमि पर इंसान को देखकर वे भी हैरान रह गए.
तुरंत राजू ने कहा. "चलो आगे बढ़ते हैं. नजदीक पहुँचकर देखें. वे कौन हैं और क्या कर रहे हैं?"
सारा सामान उठाया और निकल पड़े. वे पहाड़ी की ढलान उतर रहे थे. छीपते छिपाते और सावधानी से वे तोह लेते बढ़ते जा रहे थे. पहाड़ी की मध्य ऊँचाई तक वे उतर आये. अब वे इंसान दूरबीन की मदद से साफ़ दिख रहे थे.
उनका हुलिया देख वे दंग रह गए. बदन का रंग काला था. औरत मर्द सब बिना कपड़ों के बिलकुल नंगे थे. नीचे पहाड़ी की तलहटी में कई गुफा जैसे मुहाने थे. और वे उनमें अन्दर बाहर आया जाया करते थे.
तो क्या वे गुफा निवासी थे? उनके मन में प्रश्न पैदा हुआ.
मेघनाथजी की बात अब उन्हें समझ में आने लगी. जो उन्होंने हजारों बरस पीछे जाने वाली बात कही थी, वह सायद इन्हीं गुफा निवासी आदिवासियों के सम्बन्ध में ही कही होगी. आखिर उनके दिमाग में यह बात रही ही होगी की हजारो साल पहले हमारे शुरुआती पुरखें गुफाओं में ही बसते थे. ऐसा सब अपनी स्कूली किताबों से ही पढ़ते आ रहे हैं. तभी उन्होंने हजारो बरस पीछे लौट जाने की बात कही होगी.
उन्होंने एक त्वरित निर्णय लिया. वे उस स्थान से थोड़े बगल में हटे. और उन इंसानों की नजर में न पड़े ऐसे पेड़ों के पीछे अच्छी जगह देखकर अपने टेंट गाड़ दिए. अब उन्होंने उस इंसानों की तोह लेना तै किया था. उन्होंने सोचा, सायद उनकी तलाश का पता इन्हीं लोगों से होकर निकलता हो!
इन इंसानों के मिलने से जेसिका इतनी ज्यादा खुश हुई कि इन लोगों पर से उनकी नजर हट ही नहीं रही थी. क्यूंकि उनका रिसर्च का सब्जेक्ट भी आदिवासियों पर ही था. और इसमें भी ये तो अति आदिम मनुष्य! जो अभी भी बिलकुल अपनी प्राकृतिक अवस्था में ही बस रहे थे. वह अपनी तरह से उन लोगों का अभ्यास कर रही थी. उनकी हर गतिविधि पर वह नजर बनाए हुए थी. इधर उधर होते हुए वह आगे ही आगे उन आदिम लोगों के नजदीक पहुँच रही थी. और निरिक्सं करती हुई अपनी डायरी में नोट्स लिखती जा रही थी. वह अपने टेंट में भी नहीं गई थी. अपने कार्य में वह इतनी मग्न हो गई थी कि उसे वह कहाँ है और कहाँ जा रही है यह भी पता नहीं चल रहा था. वह दूरबीन से देखती जा रही थी और डायरी में लिखती जा रही थी. इस क्रिया में उन्हें यह भी ज्ञान न रहा की उनके प्राणों पर संकट आ पड़ा है.
जब उसने अपने बगल में कोई आवाज़ सुनी, तब वह वास्तविक दुनियाँ में लौटी. उसने बगल में देखा. उसके होश उड़ गए. स्वयं मौत जबड़ा फैलाए उनकी और बढ़ रही थी.
दूसरी और देखा. वहां भी काल उनकी और ललचाई नजर गड़ाए खड़ा था.
तभी पीछे से किसी ने उनको धक्का दिया. और वह गिर पड़ी.
***************
सब कार्य से निवृत्त हुए तब राजू की टीम को जेसिका की गैरहाजिरी का पता चला. रात्रि होने को हुई थी पर जेसिका अभी तक लौटी नहीं थी. तुरंत उनको बुलाने दीपक और रफिक्चाचा को भेजा. वे जहाँ उसे छोड़ गए थे, वहां वे पहुँचे. पर वहां अब जेसिका नहीं थी. वे गभराए. चारों और दोड़ कर दूर तक खोजबीन की. जेसिका के नाम की आवाज़ भी लगाई. पर सब व्यर्थ! उनकी साथी, जो अभी तक उनके साथ थी, अब वह नहीं थी. उनका कोई अतापता भी नहीं था.
वे जेसिका के लापता होने की खबर देने के लिए पड़ाव की और मुड़ रहे थे. तभी उनके कानों में जंगली भेड़ियों की आवाज़ पड़ी. उनके दिमाग में तुरंत एक खयाल पैदा हुआ कि कहीं इस भेड़ियों की वजह से जेसिका कोई संकट में न पड़ गई हो!
पड़ाव की और जाने का खयाल छोड़ वे आवाज़ की दिशा में दौड़े. अचानक उनको रुकना पड़ा. आगे मार्ग में करीब पंद्रह फीट नीचे कि और खड़ी चट्टान थी. वे यहाँ से आगे जा नहीं सकते थे. पर सामने का दृश्य देख उनके रोंगटे खड़े हो गए.
***************
यहाँ पड़ाव में दीपक और रफिक्चाचा को गए लम्बा वक्त गुजर गया था. उनके और जेसिका के न लौटने से अन्य टीम मेम्बर्स को कुछ अनहोनी होने की दहशत पैदा हुई. वे जल्दी से खड़े हुए. और तीनों की तलाश में निकले. चारों और उनको ढूंढा. पर कोई न दिखाई दिया. तीनों के नाम की पुकार भी लगाई. पर कोई उत्तर न पाकर वे उनकी तलाश में आगे बढ़े. तभी उन्होंने एक कानफोड़ु धमाका सुना. साथ ही एक तेज रोशनी का गोला भी देखा. उन्हें कोई बड़े संकट की भनक लगी. वे गभराए. और धमाके की दिशा में भागे.
क्रमशः
जेसिका के साथ क्या हुआ? उनके अगल बगल में ऐसा क्या था की वह गभरा गई? दीपक और रफीकचाचा ने ऐसा क्या देख लिया था की उनके रोंगटे खड़े हो गए? राजू और उनकी शेष टीम को सुनाई देने वाले धमाके और रौशनी का क्या राज़ था? इन सब का हाल पता करने के लिए अगले हप्ते तक इन्तेजार करें.
कहानी अब अत्यंत रोचक दौर में प्रवेश कर चुकी है, अतः जानने के लिए पढ़ते रहे.
अगले हप्ते कहानी जारी रहेगी.