Aadmi ka shikar - 4 in Hindi Fiction Stories by Abha Yadav books and stories PDF | आदमी का शिकार - 4

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आदमी का शिकार - 4


नूपुर रीछों के बाहर जाने से पहले ही उठ गई. आज उसने रीछों के साथ बाहर जाने का फैसला कर लिया था. रीछों के साथ रहते उसे यहां कई दिन हो गए थे.यहां उसका मन ऊबने लगा था. वैसे भी रीछों के साथ जाने से दो फायदे थे.पहले तो उसे इस जंगल की भौगोलिक स्थिति का पता लग जायेगा. दूसरे उसका मन बहल जायेगा.
अभी नूपुर अपने विचारों में खोई हुई थी कि रीछों को बाहर जाते देखकर चौंक गई. उसने देर नहीं की ,फौरन रीछों के पीछे चल पड़ी.
कुछ दूर तक तो नूपुर यूँही चलती रही. लेकिन, जल्दी ही रीछ उसे अपने साथ आते देखकर ठिठक गये. उनकी नजरें नूपुर पर टिक गई. नूपुर यह देखकर सकपका गई. वह समझ नहीं पा रही थी कि अब रीछ उसके साथ कैसा व्यवहार करेंगे. एकबार के लिए उसने वापस लौट जाने का सोचा. लेकिन, फिर उसने यह विचार त्याग दिया. उसे भयभीत होकर इरादा बदलना अच्छा न लगा.तभी उसने एक खतरा मोल ले लिया. उसने रीछ की पीठ को थपथपाया और आगे बढ़ गई. रीछों ने एकबार नूपुर की ओर देखा .फिर वे आगे बढ़ गए.
रीछ लगातार चलते जा रहे थे. जंगल का एक हिस्सा पीछे छूटता जा रहा था. नई जगह सामने आती जा रही थी. जो नूपुर के लिए अनदेखी थी.वह यहां के हर स्थान को ध्यान से देखती जा रही थी.
अब,रीछ घने जंगल से गुजर रहे थे. इस जंगल में कुछ स्थानों पर काफी अंधेरा था.ऐसा नहीं था कि इस समय रात हो.दिन पूरी तरह निकल आया था .सूरज सिर पर चमक रहा था. किन्तु इस जंगल में कुछ स्थानों पर अभी भी रात जैसा अंधेरा था.इसका कारण-यहां पेड़ों और झाड़ियों का एक दूसरे से बहुत जायदा सटा होना था.
आगे का रास्ता काफी खराब हो गया था. जमीन पर छोटी-बड़ी ढ़ेरों झाड़ियां थी.जिनमें से रास्ता बनाना नूपुर को काफी मुश्किल हो रहा था.लेकिन रीछ बड़े आराम से चल रहे थे.नूपुर काफी थक गई थी. उसके पैर भी कई जगह से छिल गये थे.लेकिन, वह रुक कर आराम नहीं कर सकती थी. रीछ आगे बढ़ते जा रहे थे. वह भी हिम्मत करके रीछों के पीछे चलती रही.
अचानक रीछ रूक गए. नूपुर को भी रूक जाना पड़ा. अब रीछ चारों ओर घूम-घूम कर कुछ सूंघने का प्रयत्न कर रहे थे. नूपुर रीछ की यह हरकतें देख ही रही थी कि कुछ रीछ पास की झाड़ियों पर झपट पड़े. नूपुर कुछ समझ पाती .तबतक रीछों ने झाड़ियों में छिपे जानवरों को बाहर खींच लिया. यह जानवर खरगोश की तरह थे.लेकिन जायदा बड़े और काले.
नूपुर रीछों की अगली कार्यवाही देखने के लिए एक ओर हटकर खड़ी हो गई.
रीछों ने जानवरों को गर्दन से पकड़कर पटकना शुरू कर दिया. कुछ देर तड़पने के बाद जानवर ठंडे पड़ गये. कुछ देर सुस्ताने के बाद रीछों ने अपना मुँह जानवरों के तलवों से लगा दिया.
नूपुर के मुँह से एक गहरी सांस निकली.उसे अपने दादाजी की बात याद आ गई-रीछ जानवरों को मारकर उनके तलवों से खून पी जाता है.
रीछ जानवरों का खून पीने में जुटे थे. नूपुर की नजरें रीछों पर टिकी हुई थी. तभी पूर्व दिशा से एक तीर सनसनाता हुआ आया.इसके साथ ही रीछ की तेज चीख बातावरण में गूंज गई. तीर रीछ के पेट में घुसा थाऔर वह वहीं ठेर हो गया था.
नूपुर हक्की-वक्की रह गई. वह कभी मरे हुए रीछ को देखती. कभी और रीछों को.मरे हुए साथी को देखकर सभी रीछ क्रोध से चिल्लाने लगे .नूपुर ने सहम कर रीछों की ओर देखा.
तभी पूर्व दिशा से दौड़ते कदमों की आवाज आयी. ऐसा लगा कि कुछ लोग भागते हुए इधर ही आ रहे हैं. नूपुर स्थिति का जायजा ले ही रही थी. तभी एक रीछ ने नूपुर कोअपनी पीठ पर लादा.तुरंत सारे रीछ उसी दिशा में भाग चले जिधर से आये थे.
नूपुर रीछ की पीठ पर लदी हुई थी. रीछ भागे जा रहे थे. उसी समय नूपुर की आँखें आश्चर्य से फैल गई. रीछों के पीछे आठ-दस आदमी तीर कमान लिए भाग रहे थे. इन सभी आदमियों की वेशभूषा जंगली लोगों जैसी थी.किसी भी आदमी के शरीर पर कपड़ें नहीं थे.इनका नग्न शरीर जानवरों की खाल से ढ़का हुआ था. कुछ आदमी रीछ की खाल पहने हुए थे.कुछ हिरन की.एक आदमी के शरीर पर शेर की खाल थी.सभी के गले में हड्डियों की माला पड़ी थी.इन आदमियों का शरीर एकदम काला था.नूपुर को यह हब्शी लग रहे थे.
तभी कुछ आदमियों के धनुष से सनसनाते तीर निकले. इसके बाद ही तीन रीछ धराशायी हो गए.
अपने साथियों की मौत देखकर रीछ घबरा गए. उनके पैर हवा की तरह भागने लगे.देखते ही देखते तीर कमान वाले जंगली आँखो से ओझल हो गए.
कुछ समय बाद ही ,रीछ अपने अड्डे पर थे.रीछ ने नूपुर को जमीन पर उतार दिया. स्वयं कुछ दूर हटकर हाँफने लगे.नूपुर ने देखा-सभी रीछ हांफ रहे थे.
नूपुर रीछों से अलग हटकर पत्थर पर बैठ गई. वह अभी मिले जंगली आदमियों के बारे में सोच रही थी.वह यह जानकर खुश थी कि इस जंगल में इंसान भी रहते हैं.


क्रमशः