Wow! महज़ एक शब्द? या फिर जसबात। Part-2 in English Love Stories by Sejal books and stories PDF | Wow!महज़ एक शब्द? या फिर जसबात। Part-2

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Wow!महज़ एक शब्द? या फिर जसबात। Part-2

It is 2nd part of the story. If you haven't reed 1st part so plz watch it out..now let's beginnn

अब आता है हल्दी का दीन। मतलब शादी से पहले करी जाने वाली रसम। तो शादी के एक दिन पहले मनाई गई थी हल्दी। सभी परिवार के सदस्य तैयारी करने में जुट गए थे। डींमपल भी उनका हाथ बँटा रही थी। सभी मेहमानों का आना शुरू हो गया था, जो भी करीब के रिश्तेदार है उसको एक दिन पहले ही बुलाया गया था। और डींमपल को भी किसी का बेसब्री से इंतज़ार था। बाकी सभी के साथ ही शुभम भी आया,उसे शादी में photographer के तौर पर बुलाया गया था। आते ही सभसे पहले उसकी नज़र डींमपल पर पड़ी। वह अपने एक मित्र के साथ आया था। वह रोहन, डींमपल के छोटे भाई से मीला। न जाने क्यों पर रोहन उसे देख कर खुश हो जाता था। अब वह है भी सिर्फ ६ महीनों का ही,तो अगर उसके साथ कोई खेलता है तो वह खुश तो होगा ही।

शुभम थोड़ी देर बाद mobile मे व्यस्त हो गया। पर फिर उसका ध्यान charging पर गया तो वह अंदर कहने जा रहा था कि उसे phone charge करना है। पर जब उसने देखा तो सभी कामों में ही थे, डींमपल थक गई थी और सोफे पर बैठ गई। और अभी भी यही सोच रही थी कि, "अभ तक आ जाना चाहिए था! पर वह आस पास कही नहीं है। कब आएगे,और कितनी देर तक इंतज़ार में बीताना पड़ेगा " शुभम ने उसे आवाज लगाई और कहा," मेरे mobile की charging खत्म हो गई है, क्या तुम बता सकती हो मैं इसे काहा लगा सकता हूँ"? डींमपल ने कहा,"दो मैं लगा देती हूँ इसे charging पर"। शुभम ने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा," नहीं तुम धक गई हो थोड़ी देर आराम करो। बस मुझे switch board काहा है ये बता दो मैं खुद लगा लुगा।" डींमपल ने अजीब सी हैरानी के साथ उसे देखा और मन में ये सोच रही थी कि, वैसे मैं इतनी भी नहीं थकी हुँ की मुझे rest लेना पड़े, बाकी के लोग भी तो सुबह से काम कर रहे हैं। पर ये मेरी फिक्र क्यों कर रहा है? मैं खुद अपना खयाल रख सख्ती हुँ। तभी शुभम उसे खयालो से बाहर लाते हुए कहता है "काहा है switch board"? डींमपल उसे इशारा करते हुए बताती है "वहां, उस corner में"।

शुभम mobile को charging के लिए लगा कर अपने दोस्त के पास चला जाता है। वह आपस में बात कर रहे होते हैं, उसका दोस्त कहता है किं, "यार ये लड़की कितनी प्यारी है, मुझे तो अभी जा कर इससे बात करने का मन कर रहा है"। शुभम उससे कहता है कि, पागल हैं क्या हम उनके घर काम के लिए आए है इश्क करने नहीं"। उसका दोस्त एक बड़ी सी मुस्कान के साथ कहता है "अरे सुन मेरे भाई, इश्क जो हैं न उसे करने की ज़रूरत नहीं होती, वो तो बस अपने आप ही हो जाता है। तुझे अभ तक हुआ नहीं ना इसलिए ऐसा बोल रहा है, वैसे कही तुझे तो इससे प्यार नहीं हो गया!" शुभम अजीब सी हैरानी के साथ उसे कहता है "नहीं रे मेरे दिल में ऐसा कुछ नहीं है। तु फालतु बाते मत बना,समझा?"
वह बोला "ठीक है नहीं करता अब इस बारे में कोई बात"। शुभम ने हम्म्म किया और वह कुछ और बात करने लगे। पर डींमपल न जाने क्यों बार-बार दरवाज़े की और देखे जा रहीं थी और कितने बार वह दरवाजे के पास बेचैनी से घुम रही थी। शायद अभी भी उसका इंतज़ार जारी ही था।

Hey guys do you like my story..If yes then let me know and don't forget to follow me..meet you soon with another part.