har baar wo in Hindi Classic Stories by Afzal Malla books and stories PDF | हर बार वो

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हर बार वो

हर बार वो (कहानी नही है ये है सच्चाई)


हर बार वो पल्लू क्यों संभाले
तुम कभी अपनी नजरे संभाल लो

हर बार वोही घर क्यों संभाले
कभी तुम हाथ बटा लिया कारो

हर बार वो क्यों ताने सुने
प्यार से कभी तुम बात कर लिया करो

हर बार वो ही क्यो झुके
कभी उसके कंधे से कंधा मिला लिया करो

हर बार वो क्यों मन ही मन में रोये
कभी पास बैठके बाते कर लिया करो

हर बार एक स्त्री को नीचा दिखाने की कोसिस की जाती है,कहा जाते है के लड़की है क्या कर लेगी, हर बार उसपे उंगली की जाती है, पर कभी कोई उसके पास बेठेके बात क्यो नही करता, उसे क्या तकलीफ है कभी पूछा ? वो क्या चाहती है, उसे आ पसंद है, ये कभि जाना ?

वो बचपन से ये सुनती आ रही है के तू लड़की है तू ये नही कर सकती तू वो नही कर सकती, तू घर संभाल ने के लिए बनी है, उसे पढ़ाया तो जाता है पर उसे पूछा नही जाता के तुम्हें क्या पसंद है, वो बचपन से अपनी खुशियों की क़ुरबानी देती है, फिर शादी हो जाए तो घर को शम्भालना चाहे केसी भी तबीयत क्यो ना फिरभी बिना छुट्टी के वो घर शम्भालती है,क्या कभी ऐसा हुआ के किसि ने उसे पूछा के आराम किया आज बहोत थक गई होगी ना,क्या कभी किसी ने उसके पास जाकर प्यार से बात की पूरा दिन उसने क्या किया कभी पूछा नही, पर वो कभी नइ भूलती जब तुम घर आओ तो पूछती है कैसा रहा दिन, थक गए होंगे चलो खाना खा लो,
कैसे भी हालात हो वो बीमार हो या उसके मासिक आये हो उसे पेट में दर्द हो या सर दर्द हो पर वो कभी नही रुकती वो हर दिन काम करती है, हर दिन अपना घर संभालती है उसे ओर कुछ नही चाहिए बस आपका प्यार चाहिए उसे आपका वक़्त चाहिए ओर वो पूरा वक़्त नही मांगती जितना दे सको उतना दीजिये वो चाहे माँ हो बहन हो है पत्नी हो या फिर कोई लड़की ही क्यों ना हो उसे बस इज़्ज़त चाहिए बस वो इज़्ज़त दीजिये उन्हें फिर वो कुछ नही माँगेगी

अब काफी लोग सोच रागे होंगे के आज काल लडकिया हमारे साथ पढ़ाई करती है उनको समान अधिकार मिलता है ओर अब तो वो जॉब भी करती है पर अभी भी ऐसा कितनी जगह होता है जहा बेटियो को सिखाया जाता है के लडकिया सिर्फ घर संभालने के लिए होती है ये उन लोगो के लिए है ओर है उन लोगो के लिए भी जो लड़कियों को गंदी नजरो से देखते है जो बीच राह चलती लड़की को माल समझते है ओर उनपे गंदी नजर डालते है उन के लिए है।

बहोत चला लिया अपने पीछे
अब साथ चलना शिखाओं

बहोत निकली कमिया उसकी
अब थोड़ी छुपाना शिख लो

अब बहोत हो गया लड़के-लड़की का भेद
अब बस बेेटा बेटी एक समान का नारा सच्च करे

हर बार वो पल्लू क्यों संभाले
तुम कभी अपनी नजरे संभाल लो

हर बार वोही घर क्यों संभाले
कभी तुम हाथ बटा लिया कारो

हर बार वो क्यों ताने सुने
प्यार से कभी तुम बात कर लिया करो

हर बार वो ही क्यो झुके
कभी उसके कंधे से कंधा मिला लिया करो

हर बार वो क्यों मन ही मन में रोये
कभी पास बैठके बाते कर लिया करो.

Afzal Malla