अध्याय - 10
अगले दिन सुबह आठ बजे बेटी को स्कूल भेजने के बाद वह सोचा कि आज ऑफिस जाने से पहले दस बजे बेटी के लंच के वक्त वो स्कूल जाएगा इसलिए तैयार होकर बैठ गया। सवा दस बजे वह स्कूल के गेट पर पहुँच गया। उसने कार से देख लिया था कि उसकी बेटी किसी महिला के साथ पेड़ की छाँव मे बैठी है। पर उसने भी कार को अंदर आते देख लिया था। जैसे ही चंदन कार से उतरकर उधर आते दिखा वो उठकर जाने लगी। चंदन तेजी से उसके पीछे पहुँच गया।
सुनिए। सुनिए ना मैडम। चंदन ने पीछे से ही पूछा।
यह सुनकर वह दो कदम और आगे बढ़ गई पर जवाब कुछ नहीं दिया।
मैडम सुनिए ना प्लीज। मैं आपसे ही मिलने आया हूँ।
आप कौन है ? चंदन ने फिर से पूछा।
उसने फिर से नहीं सुना और आगे जाने लगी।
चंदन से और सहन नहीं हुआ और वह सीधे उसके सामने पहुँच गया। उसने उसे जैसे ही देखा उसे धक्क से लगा। वह जोर-जोर से रोने लगा और आगे बढ़कर उससे कसकर लिपट गया। रिया बुत बनी चुपचाप खड़ी थी। चंदन इतना रो रहा था कि वो कुछ बोलने की स्थिति में ही नहीं था। वो छूट ना जाए, वो चली ना जाए करके वो और कसकर लिपट गया।
ओ गॉड! हे भगवान ये तुम हो रिया, ये तुम हो। तुमने मुझे बताया क्यों नहीं रिया, तुमने मुझे बताया क्यों नहीं, इस घटना के बारे में। भगवान अगर ये होना ही था तो मेरे साथ क्यों नहीं हुआ। तेरा लाख-लाख शुक्र है भगवान, कम से कम तुम मुझे मिल तो गई। कहते-कहते वह अब भी रो रहा था।
पापा आप रो क्यों रहे हो ? कौन ये ये ? छोटी रिया पापा को रोता देखकर उसके पैरों से आकर चिपक गयी थी।
ये तुम्हारी मम्मी है बेटा। कहकर चंदन ने उसके सिर पर हाथ फेरा ।
मम्मी वो फोटो वाली ?
हाँ! वही फोटो वाली। मम्मी को जाने मत देना बेटा।
मैं अभी आता हूँ। कहकर वो प्रिंसिपल ऑफिस की ओर चला गया।
छोटी रिया इतने में अपने बैग से एक छोटा सा धागा निकाली और बड़ी रिया के ऊँगली में बाँधने की कोशिश करने लगी।
आपको जाने नहीं दूँगी मम्मी। आपको जाने नहीं दूँगी।
ये सुनकर रिया फफक कर रो पड़ी। वो नीचे बैठ गई और बच्ची को अपने सीने से लगा ली।
इधर चंदन प्रिन्सिपल मैडम को कह आया कि अब रिया यहाँ काम नहीं करेगी और वो उसका इस्तीफा एक दो दिन में भिजवा देगा। फिर वहाँ से निकलकर वो कार लेने गया और उसे रिया के ठीक सामने ले आया।
बैठो रिया हम घर जाकर बात करेंगे। चंदन बोला।
रिया चुपचाप बैठ गई उसने कुछ नहीं कहा। वह सिर झुकाए हुई थी और कुछ बोल नहीं रही थी।
घर पहुँचकर चंदन ने रिया को सोफे पर बिठाया और कहा तुम भी बैठ जाओे बेटा। मैं मम्मी और तुम्हारे लिए पानी लेकर आता हूँ।
चंदन गया तो रिया ने देखा कि हॉल में उसकी और सुमन की बड़ी तस्वीर लगी है। ये देखकर उसकी आँखें भर आई।
तभी चंदन पानी ले आया।
पानी लो रिया और प्लीज भगवान के लिए कुछ बोलो। चंदन ने कहा।
मैं अब तुम्हारी तरह नहीं रही चंदन। मेरे पैर नहीं रहे और इस तरह रहकर मैं तुम्हारे ऊपर बोझ नहीं बनना चाहती। वह रोते हुए बोली।
तुम जानती हो रिया यह सोचकर तुमने खुद को तो सजा दी है, मुझे और मेरी बेटी को ज्यादा बड़ी सजा दी है।
नहीं नहीं चंदन ऐसा मत कहो, मैं तुम्हे सजा देना नहीं चाहती थी। बल्कि मैं तो ये चाहती थी कि तुम किसी स्वस्थ, सुंदर और संपूर्ण लड़की से शादी करके खुशहाल जीवन बिताओ। रिया की आँखे गीली थी।
तुमने अपने से तय कर लिया रिया कि मैं दूसरे के साथ खुश रहूँगा। तुम्हारी बात तो मानी थी मैंने आखिर क्या हुआ ? तिल-तिल करके मरते देखा सुमन को। मैं और सहन नहीं कर सकता रिया। मैंने बहुत तकलीफ देख ली ।
भगवान के लिए इस बात को समझो कि मेरी खुशी तुमसे है। तुमको मालूम है रिया, मेरी बेटी का नाम किसने रखा, सुमन ने। उसने आखिरी वक्त में कहा था कि मैं बड़ी रिया को तो नहीं ला सकी आपके जीवन में किंतु ये छोटी रिया देकर जा रही हूँ। तुम उसके प्रेम का अपमान करना चाहती हो रिया।
ये सुनकर रिया जोर-जोर रोने लगी।
मम्मी आप क्यूँ रो रही हो। अपने कोमल हाथों से छूकर बेटी ने कहा।
एक बार इस बच्ची की ओर देखो रिया और बताओ क्या ये तुम्हारी बेटी नहीं है। क्या तुम इसकी माँ नहीं हो। क्यों इसके लिए तुम रोज खाना ला रही थी। क्यों अपने हाथ से खिला रही थी और अगर ये तुम्हारी बेटी नहीं है तो छोड़ दो उसको अपने हाल पर। क्यों प्रेम दिखा रही हो ?
चंदन थोड़ा कठोरता से बोला और उठकर बेटी को अलग हटाने लगा।
नहीं, नहीं चंदन इसको मुझसे दूर मत करो। मैं ही इसकी माँ ही हूँ, मैं ही इसकी माँ हूँ। रिया ने उसे खींचकर अपने सीने से चिपका लिया।
ये मेरी बेटी है। ये मेरी बेटी है। बोलकर वो जोर-जोर से रोने लगी।
छोटी रिया ने अपने कोमल हाथों से उसके गाल पर बहते आँसू को पोछा और कहा
मम्मी आप मत रोओ मैं पापा को खूब डाटूँगी।
रिया हँस दी और अपनी बेटी को गोद में लेकर चूमने लगी।
चंदन अब समझ गया था कि रिया मान गई तब उसने हल्के मूड में कहा।
अच्छा प्यार सिर्फ बेटी के लिए और बाप के लिए कुछ नहीं ?
देखो चंदन मैं तो अब उठ नहीं सकती अगर प्यार चाहिए तो तुमको ही उठकर मेरे पास आना होगा। आ जाओ दोनो और मेरे गले लग जाओ प्लीज। बरसो के इंतजार का फल तो नसीब हो।
चंदन उठा और जाकर रिया के सीने लग गया। सबने थोड़ी देर के लिए अपनी आँखे बंद कर ली ये अद्भुत पल था। तीनो के सुकून का चरम था। आज चंदन का परिवार पूरा हो गया था।
रिया आज तुमने मेरा परिवार पूरा कर दिया। मुझसे शादी करोगी ? चंदन ने पूछा और रिया की तरफ देखा।
मैंने तो तुमसे तभी शादी कर ली थी चंदन जब तुमसे प्यार किया था। हाँ अगर तुम्हारा मन है तो औपचारिकाताएँ पूरी कर लो। रिया बोली।
ठीक है मैं दादा-दादी को भी यहीं ले आता हूँ। हम सब मिलकर यहीं रहेंगे और मैं तुम्हारे लिए जयपुर पैर का भी आर्डर दे देता हूँ ताकि तुमको बैशाखी के सहारे ना चलना पड़े।
चंदन ने सारी व्यवस्थाएं कर ली और एक सादे समारोह में सभी रीति रिवाज के साथ रिया से शादी की।
चंदन रिया से बहुत प्रेम करता था वो उसकी हर इच्छा हर ख्वाहिश पूरी करने की कोशिश करता, परंतु रिया ने कभी भी अपने गर्भ से बच्चे के लिए नहीं कहा। उसे लगता था कि इससे छोटी रिया के लिए उसका प्यार शायद कम हो जाए।
इसलिए उसने कभी दूसरे बच्चे की कल्पना नहीं की। छोटी रिया को पढ़ा लिखा कर उन्होंने डॉक्टर बनाया। जो असल में सुमन की इच्छा थी। चंदन और रिया ने प्यार से लबालब भरी जिंदगी जी। इन्होंने एक दूसरे के साथ श्रेष्ठ और क्वालिटी टाईम जिया। और एक दिन उम्र के आखिरी पड़ाव में जब चंदन बीमार हुआ और उसे अहसास हो गया कि अब वो नहीं बचने वाला तो उसने हॉस्पिटल के बेड पर ही रिया को एक चिट्ठी दी और कहा -
रिया मैंने तुम्हारे साथ भरपूर जिंदगी जी। जो भी घटनाएँ मेरे साथ घटी उसका मुझे कोई अफसोस नहीं है। अच्छा हो या बुरा मैंने हर पल को हौसले और खुशी के साथ जिया। तुमने मेरा जीवन सार्थक बनाया इसके लिए तुम्हारा शुक्रिया। परंतु मैंने एक बात छिपाई है जो इस चिट्ठी में लिखी है। तुम्हें मेरी सौगंध है कि इसको मेरे चले जाने के बाद ही पढ़ना।
ऐसा मत कहो चंदन। मैं तो तुम्हारे बगैर जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकती। चलो उठो ठीक हो जाओ। तुम पहले जा नहीं सकते।
नहीं रिया अब मेरे जाने का वक्त आ गया है। तुम चिंता मत करो तुम्हारी बेटी तुम्हारा ध्यान रखेगी। बेटा अपनी मम्मी को खुश रखना और कोई तकलीफ होने मत देना। यह कहकर चंदन ने अंतिम सांस ली।
कई दिनो तक गम मे डूबे रहने के बाद एक दिन अचानक बड़ी रिया को ख्याल आया कि चंदन ने उसे एक चिट्ठी दी थी। उसने हड़बड़ी में उसे खोजा और जब पढ़ा तो वह अपने को कंट्रोल नहीं कर पायी और फूट-फूट कर रोने लगी। उसमे लिखा था -
प्रिय रिया,
तुम्हें तो मालूम है मैं कभी किसी से झूठ नहीं कहता। ना तुमसे ना अपनी बेटी से ना दुनिया में किसी और से। लेकिन एक बार मैंने तुमसे एक झूठ कहा है, याद है तुमको जब तुम और मैं एक होटल में पहली बार मिले थे और तुमने मुझे चाय में शक्कर के लिए पूछा था, मैं इतना नर्वस हो गया था रिया कि मेरे मुँह से शक्कर की जगह नमक निकल गया और तुमको प्रभावित होता देख मैंने अपनी मातृभूमि का उदहारण तक दे डाला। मुझे नमक की कड़वी चाय कभी भी पसंद नहीं थी रिया लेकिन सिर्फ तुम्हारे विश्वास को बनाए रखने के लिए मैंने जिंदगी भर कड़वी चाय पी, और तुम्हारी कसम रिया मैं हर जनम में कड़वी चाय पियूंगा, अगर तुम ये वादा करो कि हर जनम में तुम ही मेरी जीवन संगिनी बनोगी।
तुम्हारा चंदन।
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