akeli sham in Hindi Moral Stories by Mohini books and stories PDF | अकेली शाम

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अकेली शाम

स्मिता और प्रतीक दोनों की अरेंज मैरिज हुई थी,दोनों अपने अपने मा बाप के एक ही संतान थे.. पति पत्नी में..शादी के 10 साल में भी नया नया प्यार जैसा अहसास था...धन दौलत कि कोई कमी नहीं थी....पर दोनों को एक बात का हमेशा से ग़म था.मा बाप बनना उनके नसीब में नहीं था..।
दोनों के बीच में समझदारी काफी अच्छी थी...शादी कि हर सालगिरह पर ,दोनों हमेशा 15 दिन के लिए घूमने चले जाते थे..पर काफी समय से प्रतीक की तबियत नरम गरम रहेती थी...6 महीने पहले ही..प्रतीक को अटैक आया था..इसलिए ,स्मिता को पसंद नहीं था ,इस बार घूमने जाने का...और प्रतीक को उदासी बिल्कुल पसंद नहीं..प्रतीक, स्मिता का हमेशा ख्याल रखता और खुश भी रखता...।
"आज हमारी शादी की साल गिरा है...जल्दी आ जाना शाम को"..स्मिता ने पति से बोला,
पतिदेव:- "ठीक है,जल्दी आऊंगा तुम्हारे लिए बस..खुश मेरी जान...और हा ये तो बताओ तुम्हे क्या चाहिए गिफ्ट में..?
प्रतीक हमेशा से स्मिता की पसंदीदा गिफ्ट..स्मिता को पुछ के है लाया करता...।
स्मिता :- "नहीं जी.इस बार मुझे कुछ नहीं चाहिए..कितना कुछ दे चुके हो आप..। मै आपके प्यार से ही बहुत खुश हूं...ऐसे ही साथ देते रहना..love u jaan।"
पतिदेव :- " love u to..ok पर dinner के लिए तो जा रहे है ना हम..!"
स्मिता:-" नहीं,मै सोच रही हूं..क्यू ना मै आज आपको अपने हाथों से कुछ स्पेशल बना के खिला दू..क्या खयाल है पतिदेव जी..!डिनर हम घर पर ही कर ले..? "Ok, जैसी मेरी रानी की इच्छा "प्रतीक ने कहा।..
स्मिता :-".सुनो जी, डिनर में क्या खाओगे.?"
पति जी :- "आज मेरे लिए समोसा बना देना..और थोड़ा कुछ मीठा.."
स्मिता :-" dr.ने मना किया है आपको..ऐसी तली हुई चीजें खाने को ..आपको heart का problem है..तो मै ये थोड़ा टेस्ट करने जितना ही बनाऊंगी..और साथ में थोड़ा हेल्दी खाना भी बना देती हूं.." ।
पति जी :-" हा पर काफी वक्त हो गया..तेरे हाथो के वो गरम गरम समोसे खा के..पूछ लिया है तो pls थोड़ा ज्यादा बना दो ना..याद है जब मै तुझे पहली बार देखने आया था तेरे घर...तूने समोसे बनाए थे...और नमक डालना भूल गई थी..! बस आज फिर वही बिना नमक वाला समोसा बना दो.. love u my darling"। पतिदेव..अपनी स्मिता को मना लेते है। स्मिता अपने पतिदेव की शरारत समझ लेती है..और मान जाती है..।स्मिता :- चलो भी अब,पतिदेव जी घड़ी देखो.. bye,tc.."और दोनों एक दूसरे को bye बोल के प्रतीक अपनी ऑफिस के लिए रवाना हो जाता है..और स्मिता अपने किचन मे।शाम होने वाली थी...स्मिता दरवाजे पे बार बार चक्कर लगा रही थी ,पर अभी तक पतिदेव दिखाई नहीं दिए।शाम के 7 बज चुके थे,स्मिता call लगाने ही वाली थी कि उतने में Office से call आया..।
" मेडम, मै रामजी.office से बोल रहा हूं.. शेठ को अटैक आया है..घर आने को निकल ही रहे थे कि शेठ एकदम से गिर पड़े..मैंने तुरंत dr. को कॉल किया और वो शेठजी को अस्पताल ले गए है।"उतना बोल के राम रो पड़ा"..स्मिता,हॉस्पिटल पहोची ..अपनी स्मिता को आखरी बार देख लिया,उसके बाद प्रतीक ने हमेशा के लिए आंखे बंध कर ली..।और उस दिन से खुशी वाली शाम इंतेज़ार वाली शाम बन गई..शाम अकेली पड़ गई...।
-mohini