Raho pyar se in Hindi Children Stories by Anil jaiswal books and stories PDF | रहो प्यार से

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रहो प्यार से

रहो प्यार से

अनिल जायसवाल

मिंटू बंदर और चंपा बंदरिया भागते जा रहे थे। बड़ी मुश्किल से आज वे बनवारी मदारी की चंगुल से छूटे थे। उन्होंने तय कर लिया था कि अब कभी किसी की जाल में नहीं फसेंगे।
मिंटू ने पीछे मुड़कर देखा, दूर बनवारी डंडा लेकर भागकर उनकी ओर नजर आया। मिंटू चिल्लाया," चंपा, तेज भाग, वह भूत अभी भी हमारे पीछे है।"
शहर में ना ज्यादा पेड़ थे और ना घने जंगल, जहां जाकर दोनों छिप जाते। तभी उन्हें एक ऊंची चारदीवारी दिखी। कोई और रास्ता ना देखकर, दोनों कूदकर चारदीवारी के उस पार चले गए।
यह छोटे बच्चों का एक स्कूल था। दोनों छिपकर एक पेड़ पर जा बैठे। अभी स्कूल शुरु नहीं हुआ था। बच्चे स्लाइडर पर स्लाइड कर रहे थे। दोनों आंखें फाड़कर बच्चों को इस तरह खेलते देख रहे थे। इस फिसलन पट्टी पर बच्चे उलटा-पुलटा होते हुए नीचे आ रहे थे, पर किसी के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी।
तभी स्कूल की घंटी बजी और सारे बच्चे इमारत की ओर भाग खड़े हुए। तभी एक बच्चे के हाथ से केला गिर पड़ा। जब सारे बच्चे चले गए और खेल का मैदान खाली हो गया, तो मिंटू और चंपा पेड़ से नीचे उतरे और फिसलन पट्टी पर जा पहुंचे। चंपा ने मिंटू से कहा," मिंटू , तू इस पर फिसलकर दिखा।"
"ना बाबा ना, मैं तो पेड़ पर कूदते हुए ही अच्छा हूं। वैसे तू क्यों नहीं फिसलती? वैसे भी ये इंसान कहते हैं, लेडीज फर्स्ट।"
चंपा का मन तो कर रहा था, पर डर भी लग रहा था। वह हिम्मत कर पहले फिसल पड़ी। जब वह नीचे आई, तो उसे एक केला दिखाई दिया। उसने वह केला उठाया और फिर से फिसलन पट्टी के ऊपर आ गई। जब मिंटू भी फिसलकर फिर से ऊपर आया, तो चंपा के हाथ में केला देखकर उसके मुंह में पानी आ गया।
उसने कहा, "मुझे भी केला दे दो ना।"
"न बाबा न।" चंपा कहते हुए मुस्कुराई, "तूने मुझे बताया था ना कि इंसान कहते हैं लेडीज़ फर्स्ट। ऐसे ही मैं तुझे बताती हूं कि इंसान यह भी कहते हैं,"जोखिम उठाने वाले ही सबसे आगे रहते हैं। देख ले, पहले मैं फिसली, तो मुझे केला मिला, तू फिसलता, तो तुझे केला मिलता।"
कहकर चंपा ने केला खाना शुरू किया। मिंटू के उतरे हुए चेहरे को देखकर वह हंसने लगी। फिर आधा केला उसे देकर बोली, "इंसान यह भी कहते हैं, मिल-बांटकर खाने से प्यार बढ़ता है।"
खेलकूद के बाद दोनों के मन में उत्सुकता जगी कि देखें, इस बिल्डिंग में जाकर बच्चे क्या खेल रहे हैं? दोनों कूदते फांदते एक क्लास की खिड़की पर जा पहुंचे। वहां टीचर बच्चों को पढ़ा रहा था। सारे बच्चे ध्यान से टीचर के बाद सुन रहे थे।
टीचर ने कहा," भगवान ने हम सबको समान बनाया है। चाहे वह इंसान हो, जानवरों हो, पक्षी हो या कोई और जीव जंतु। सबके रहने और खाने का इंतजाम इस प्रकृति ने किया हुआ है इसलिए हमें सबसे प्यार करना चाहिए और किसी को भी दुख नहीं देना चाहिए।"
चंपा ने यह सुना, तो वह कूदकर क्लास में आ गई। टीचर की मेज पर खड़े होकर वह बोली," क्या यह सब उस मदारी को नहीं पढ़ाया गया था? और जो लोग मदारी के तमाशे को हंसकर देखते हैं और हमें परेशान करने पर मदारी को पैसे भी देते हैं, क्या वे सब भी अनपढ़ हैं? अगर हम सब समान हैं, तो हमें बंधक बनाकर मदारी क्यों खुश होता है और हमारा तमाशा देखकर लोग खुश क्यों होते हैं?"
चंपा अपनी भाषा में बोले जा रही थी, पर उसे सुन कौन रहा था? बंदर को देखकर बच्चों से पहले टीचर भाग खड़ा हुआ था और उसके पीछे-पीछे बच्चे क्लास छोड़कर भाग निकले थे।
केवल एक बच्चा बंटी क्लास में रह गया था। उसे अपने टीचर की बात याद थी। उसने अपना टिफिन बॉक्स खोला। उसमें दो रोटियां थी और दो केले। उसने उन्हें निकालकर चंपा के सामने रख दिया। फिर मुस्कुराते हुए क्लास से बाहर चला गया।
मिंटू भी अब क्लास में आ गया। चंपा ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए एक केला और एक रोटी उसकी तरफ बढ़ा दिया। दोनों ने अपना हिस्सा लिया और खिड़की के रास्ते बाहर निकल गए। वे समझ गए थे कि सारी दुनिया और सारे लोग एक जैसे नहीं है। अब भी एक दूसरे से प्यार करने वाले लोग इस दुनिया में हैं।
6.8.2020