shorr - 5 in Hindi Fiction Stories by अर्चना यादव books and stories PDF | शोर... एक प्रेमकहानी - 5

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शोर... एक प्रेमकहानी - 5

समय बड़ा बलवान होता है बड़े से बड़ा घाव भर देता है. सब कुछ नार्मल है महीने में दो बार नरेन्द्र का इवेंट होता है उसकी वीडियो पर भर भर के विव आते हैं. तेज श्यामली के लिए फिर एक रिश्ता देखता है बात चीत चल रही है की उसके मामा की तबियत अचानक खराब हो जाती है इसलिए माँ को लेकर जाना पड़ता है मामा को देखने. एक रात के लिए श्यामली घर में अकेली रहती है उस दिन दोनों कॉल पर ही लगे रहे या तो मैसेज पर. रात के बारह बजे के बाद तक नरेन्द्र गली में चक्कर काट काट कर बात करता रहा बस एक ही बात की कोई नहीं है तुम्हारे घर इसलिए मैं तुम्हारे घर आना चाहता हूँ अब सिर्फ बात ही नहीं करना चाहता तुम्हें देखना चाहता हूं और श्यामली मना कर रही है. पता नही क्यों ज्यादातर लडकियाँ लडकों के सामने हार मान लेती हैं श्यामली भी तैयार हुई. डरते डरते गेट खोली और नरेन्द्र अंदर चला गया. जाते ही गले लगना चाहा लेकिन श्यामली ने मना कर दिया. बस अब जाओ कोई देख रहा होगा तो क्या सोचेगा. प्लीज जाओ. ठीक है लेकिन एक कि... श्यामली धक्का देकर बाहर कर देती है. तब नरेन्द्र ने भी चैलेन्ज दिया की अब तुमसे जब भी मिलूँगा शादी करूंगा.
ठीक है पहले भाई से बात करो.
शादी के बाद वो भी मान ही जायेंगे पहले तो गोली ही मार देंगे
और श्यामली हंस कर टाल दी.

तेज ने रिश्ता देखा तो अच्छा लगा और उन लोगों को भी श्यामली के रंग से कोई फर्क नहीं था इसलिए वो देखने के साथ ही सगाई भी करना चाहते हैं. जब श्यामली को पता चलता है तो नरेन्द्र को बताती है तब नरेन्द्र कहता है अब हम कल ही शादी करेंगे लेकिन श्यामली तैयार नहीं हुयी रात भर नरेन्द्र कनवेंस करता रहा लेकिन श्यामली की एक ही रट भाई से बात करो. और नरेन्द्र समझाता रहा की शादी के बाद सब ठीक हो जायेगा पहले वो गोली मार देंगे. और मैं तुम्हारे साथ जीना चाहता हूँ मरना नहीं चाहता. तो इस पर श्यामली निसार हो जाती लेकिन शादी के लिए तैयार नहीं होती. ऐसे ही सुबह चार बजे तक दोनों बात करते रहे नरेन्द्र ने साफ कह दिया मैं कल तुम्हारा कोर्ट में इंतजार करूंगा तुम्हारी मर्जी आओ या न आओ और घर से निकलने के साथ ही तुम्हें बता दूंगा के अब निकल रहा.

जो चार बजे सोयी तो नीद खुलने में देरी हो गयी तब तक तेज़ और माँ का पारा सातवें आसमान तक पहुंच गया. दोनों को जब भी श्यामली पर गुस्सा आता तो उसके रंग और शादी न होने को ही ताना बना कर बोलते जिससे श्यामली और भी दुखी होती क्योंकि इन दोनों में उसका बस नहीं है. जब दोनों के चिल्लाने से उठी तो आठ बज रहे. वो उठी चाय रखी नाश्ता बनाई नाश्ता भाई को दी वो खाकर काम पर गया माँ खाकर अपने काम करने लगी. जब श्यामली नहाकर वापस बाल बना रही थी तब नरेन्द्र की बाइक के दो हार्न बजे वो खिड़की पर गयी तो नरेन्द्र जा रहा था मोबाईल में एक मैसेज था - इंतजार करूंगा.