Do balti pani - 25 in Hindi Comedy stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | दो बाल्टी पानी - 25

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दो बाल्टी पानी - 25

उधर सरला ने सुनील की चारपाई हिलाते हुए आवाज दी “ लल्ला...ओ लल्ला... उठ जा रे...बहुत सो लिया” | सुनील ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी | सरला ने फिर आवाज लगाई “ अरे उठ जा अब, तूने तो मेरा जीना हराम कर लिया, रात भर वहां चुडैल के साथ नैन मटक्का करेगा और दिन चढे सोयेगा” |

इस बार भी सुनील नही जगा तो सरला ने चारपाई पर जोर से लात मारी तो चारपाई घूम गई और सुनील हड्बड़ा के उठ् पड़ा, रात भर जगे सुनील की आंखों में नींद भरी थी और रात भर जगने चिल्लाने फड़फड़ाने के कारण ऐसा लग रहा था जैसे उसके पूरे शरीर पर डंडे पड़े हों, वह कराहते हुए चारपाई से उठा की मुँहभरा गिर पड़ा | सरला चिल्लाई “ अरे लल्ला का कर रहा है... तू भी कमाल करता है देख के उतर ना” |

सुनील की नजर अपने पैर पर गई तो देखा उसका एक पैर रस्सी से बंधा था और उसमें भी ताला पड़ा था | सुनील यह सब देखते ही बिलख पड़ा “ अरे का अम्मा... आज तुम हमें बता ही दो...क्युं कि तुम हमारी सगी अम्मा तो हो ही नहीं हो सकती, अरे तुमसे तो हमारी कोई खुसी देखी नहीं जाती, अरे अम्मा काहे हमारे ऊपर सनीचर जैसी घूमा करती हो और ये का है, अरे अपनी औलाद को कोई रस्सी में बांधता है, अरे वो भी ताला लगाकर..... अम्मा ना हुई, थानेदार हो गईं, अरे हम बता दे रहे हैं... हम कुछ कर लेंगे ऐसा वैसा, फिर तुम रोती हुई घूमना, अरे हम जवान हो गए हैं, हमें जरा घूमने फिरने दो, अब हम तुम्हारी धोती से ही हमेसा बंधे रहें का, अरे ससुर के .... किसी को हमारी नहीं पड़ी सबको अपनी पड़ी है” |

सुनील की कड़वी बातें सुनकर सरला अंगीठी की तरह सुलगने लगी और बोली “ हां.. हां... जा आजाद हो जा, अपनी अम्मा को छोड़ कर चला जा और सुन जो मर्जी आये कर, अरे यही सुनने के लिए तो हमने तुझे नौ महीने पेट मे रखा और छाती का दूध पिलाया, पैदा किया पाल पोस कर इतना बड़ा किया है, अरे सांप को भी दूध पिलाओ तो वो भी नही डसता और एक तू है...” |

ये सुनकर सुनील बोला “ हां...हम हैं सांप ...वो भी जहरीले वाले और हम बताये दे रहें हैं कि हमारे बीच मे जो भी आयेगा हम उसे डस लेंगें” | सरला को ये सुनकर बहुत गुस्सा आया, उसने सुनील की पीठ पे एक चप्पल मारी और बोली “ हरामी.....तेरा अगर कोई छोटा भाई होता तो आज यह दिन हमे ना देखना पड़ता, अरे तुझे आजादी चाहिए, तेरे बाप को भी आजादी चाहिये थी, तेरी तरह बाप भी ऐसे ही नखरे दिखा कर चला गया, आजादी चाहिए थी उसको, अरे एक दिन आजादी दे दी, दोबारा कभी वापस नहीं आया.... अरे न जाने क्या दूसरा ब्याह रचा लिया या कहां मुंह मार रहा होगा..... वही हाल तेरे हैं, बाप के सारे लक्षण बेटे में आ गए, अरे हमारे तो एक भी लक्षण ना आये तुझमें, हाय रे हमारी तो किस्मत ही फूट गई ऐसा कुलक्ष्न बेटा पैदा करके” | ये कहकर सरला सर पीट पीट कर रोने लगी |