bargad dada in Hindi Children Stories by टीना सुमन books and stories PDF | बरगद दादा

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बरगद दादा

बरगद दादा

चारों ओर हरियाली से परिपूर्ण एक सुंदर सा उपवन, "नंदन वन "जैसा नाम वैसा ही वातावरण !गगन को छूते हुए भरे पूरे पेड़ ,अठखेलियां करते हुए जानवर ,उन्मुक्त उड़ते हुए पंछी |

घर संसार की तरह एक पुरी तरह से परिपूर्ण परिवार! जिसमें थे जीव जंतु ,पशु- पक्षी और वहां के पेड़ -पौधे और उन्हीं सब में एक थे बरगद दादा|
" तकरीबन 400 वर्ष उम्र होगी बरगद दादा की ,आज भी देखो सीना तान के खड़े हुए हैं "-मोनू मंकी उछलते हुए बोला |

"सही कहा मोनू ,मेरे दादा कहते हैं उन्होंने बरगद दादा को इतना ही बड़ा देखा है ,तो सोच लो बरगद दादा की उम्र क्या होगी "-चुन्नू गिलहरी फुदकते हुए बोली|
मुनमुन चिड़िया कहां चुप रहने वाली थी -"हमारी तो कितनी ही पीढ़ियॉ बीत गई बरगद दादा की छांव में रहते हुए ,सच कहा तुम सबने और हमें भी तो कितने प्यार से रखते हैं बरगद दादा ,अपनी ऊंची -ऊंची टहनियों के सहारे कितने विशाल है बरगद दादा"|

पशु -पक्षियों की बात सुन पेड़ भी गपशप में शामिल हो गए ,अमरूद , नीम ,बबूल ,सागवान सभी पेड़ आपस में बतियाने लगे-" हम सब तो बरगद दादा की छांव में रहकर ही बड़े हुए हैं ,हर आंधी तूफान से बचाया है बरगद दादा ने हमें ,आज भी देखो सीना तान के खड़े हुए कितने प्यारे लगते हैं ,हम जवान है और बरगद दादा बूढ़े हो चुके हैं, फिर भी बरगद दादा की शानओ शौकत देखो ,हम सब फीके लगते हैं उनके आगे"|

अब तक सारी बातों को चुपचाप सुनते हुए बरगद दादा मंद मंद मुस्कुराते हुए बोले -"अरे मेरे बच्चों !तुम सब हो तो मैं हूं ,वरना मैं अकेला किस काम का ,तुम सभी तो मेरे घर संसार हो ,तुम सबको फलता फूलता हुआ देखकर ही तो खुश होता हूं , तुम्हारे बाप ,दादा ,परदादा सबको देखा है मैंने और सब को वचन दिया था उनकी आने वाली पीढ़ी का ध्यान रखूंगा, तो वचन तो निभाऊंगा बेटा

दिन हंसी खुशी बीत रहे थे ,पर !कहते हैं खुशियों को नजर जल्दी लग जाती है ,कुछ बुरे लोगों की नजर लग गई थी नंदनवन को ,!!

,"भूरिया देख तो सही कितने बड़े-बड़े पेड़ है ,सोच इन को काटकर अगर बेचेंगे तो कितना माल मिलेगा"|

"सही कह रहा है कालिया ,माल तो ढेर सारा है यहां पर और उसके बदले में जो माल मिलेगा वह भी बहुत सारा होगा ,चल मालिक को बताते हैं इन सब के बारे में"|
चुन्नू गिलहरी ने सारी बातें सुनी ,जाकर सबको बताया-" पता है आज 2 लोग आए थे पेड़ पौधे काटने के बारे में बात कर रहे थे, मुझे तो डर लग रहा है -"चुन्नू गिलहरी का डर सब में फैल गया था सब डरे सहमे से एक दूसरे की तरफ देख रहे थे |
2 दिन बाद वह दोनों फिर आए अपने मालिक के साथ, और इस बार जंगल में वह तीनों थोड़ा अंदर आए ,तभी! कालिया की नजर पड़ी बरगद दादा पर-
"मालिक देखो तो सही ,कितना बड़ा और विशाल पेड़ है, इसको काट कर तो हम मालामाल हो जाएंगे , मालिक यही पेड़ सबसे अच्छा है इसे ही काट देते हैं "|

मालिक -"पागल कहीं का इतने बड़े पेड़ को काटेगा तो सरकार को पता नहीं चलेगा ,पहले ही दिन पूरा खेल खत्म हो जाएगा ,छोटे -छोटे पेड़ से शुरू करेंगे तो हमारा काम भी लंबा चलेगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा"|
दोनों नौकर मालिक की बात सुनकर मुस्कुराए-" सच कहा मालिका आपने ,अब बताइए कब से काम शुरू करना है "?
"कब से क्या ?कल से शुरू करते हैं ,लाते हैं बड़ी-बड़ी मशीनें और काटते हैं इन सब पेड़ों को"|
चुन्नू गिलहरी ,मुनमुन चिड़िया ,बंदर ,जंगल के सभी जानवर ,छोटे- बड़े सभी पेड़ -पौधे अब भयभीत थे |सब एक दूसरे को दिलासा दे रहे थे |

अमरूद-" नीम भाई परेशान मत हो शायद हमारी किस्मत में इतना ही साथ था"|
बबूल बोला -" अमरूद भाई कुछ कहासुनी हो गई हो तो माफ करना।

बंदर भी परेशान था-" अमरूद भाई ,नीम भाई, बबूल भाई तुम सब ऐसा मत बोलो ,मुझे भी रोना आ जाएगा, अब किसकी डाली पर मैं उछल कूद करूंगा"|
जंगल में भय व्याप्त था किसी को भी सुकून नहीं था| बरगद दादा से पशु -पक्षियों ,पेड़ -पौधों की हालत देखी नहीं जा रही थी ,प्यार से बोले -"बच्चों डरो मत मैं हूं ना अभी तुम्हारे साथ ,सबसे बड़ा हूं मेरा फर्ज बनता है तुम सब की रक्षा करने का ,तुम लोग डरो मत "|

चुन्नू गिलहरी -"बरगद दादा वह इंसान है ,बड़ी-बड़ी मशीनें हैं उनके पास जानती हूं ,हर मौसम में आपने हमारी रक्षा की है ,पर !पर अब वह लोग आएंगे और हमारे पेड़ पौधों को काटकर ले जायेंगे, हम कुछ नहीं कर सकते "|
सभी की आंखों में आंसू थे ,एक दूसरे से गिला शिकवा दूर कर रहे थे ,और बरगद दादा अपने परिवार की यह हालत देख दुखी थे |

दूसरे दिन वह लोग फिर आए -"कालिया जा जल्दी से वह बबूल का पेड़ काट डाल "|बबूल का पेड़ सहम गया ,
जैसे ही बड़ी मशीन बबूल का पेड़ काटने के लिए बढ़ी, एक जोरदार आवाज हुई !!तेज गूंज के साथ ,सारे पंछी उड़ गए ,आवाज दूर तक गई ,सबने देखा ,
बरगद दादा जमीन पर धराशाई हो चुके थे ,बरगद दादा के चरमराने की आवाज सुनकर कुछ दूर रह रहे वन विभाग के अधिकारी हरकत में आए !अधिकारियों की आहट पाकर कालिया ,भूरिया वहां से भाग गए|

अधिकारी बरगद की हालत देखकर असमंजस में थे, -"इतना बड़ा पेड़ आखिरकार अपने आप धराशाई कैसे हो गया और उसकी जड़े भी तो मजबूत थी "|यह सब इंसानी समझ से परे था, पर !जंगल के जंगली जानवर, पेड़ -पौधे समझ चुके थे ,अपना घर संसार बचाने के लिए बरगद दादा ने अपनी बलि दी है |
बरगद दादा को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर ट्रक से ले जाया जा रहा था !सारे जंगल के जंगली जानवर ,पेड़- पौधे दुखी थे |
अमरुद ने कहा -"मुनमुन चिड़िया हम सब तो यहां से बाहर नहीं जा सकते ,ना ही यह जानवर ,पर !तुम तो चिड़िया हो तुम पर कोई भी बंधन नहीं है ,जहां चाहे वहां जा सकती हो ,जाओ अपने कुटुंब परिवार वालों को साथ लेकर और बरगद दादा को श्रद्धांजलि देकर आओ|

अब आगे-आगे ट्रक में बरगद दादा का पार्थिव शरीर जा रहा था
और पीछे पीछे मुनमुन चिड़िया।

मौलिक और स्वरचित रचना
टीना सुमन