मेरे पिता सरकारी अफसर है माँ बैंक में क्लर्क है। मैं अकेला हूँ ,मेरा कोई भाई बहन नही है मुझे पैसे की कमी कभी महसूस नही हुई, कमी महसूस हुई तो मुझे अंदर से।अकेलेपन मे इंसान कभी- कभी कुछ नही समझ पाता । मुझे आज भी याद है जब मैं 8वी क्लास में था पता नही सोते समय ऐसा क्या होता था जो मुझे बहुत आनंन्द देता था मैं जब रोज सुबह उठता तो मुझे कुछ अजीब सा लगता ,पैरों मे हल्कापन और मन मे एक अलग तरह की शान्ति की ,मैं चीजो को महसूस कर पा रहा था।कभी कभी लगता था । माँ से बोलू ऐसा कुछ मेरा साथ होता है लेकिन कह नही पाया। शायद कभी कभी लगता था मेरे अंदर पैदा हुई हवस का कारण ही ये अकेलापन है ।मेरे बहुत से दोस्त थे लेकिन ये सब बात करने मे मुझे शर्म आती थी । कुछ समय बाद मैं चीजों को समझने लगा था मैंने जब अपने अंग को पकड़ा था मानो कुछ ऐसा महसूस हुआ जो कभी नही हुआ। अब जब सोचता हूँ तो लगता है ये सच है मानव या कोई भी जीव हो उसका दिमाग इतना विकसित हो जाता है कि वो संभोग से जुड़ी क्रिया को समझने लगता है।
आने वाले कुछ साल बाद मेरी इस बुद्धि को समझ आया कि यह एक पुरुष की क्रिया है जो उसे कुछ क्षण के लिए एक अलग दुनिया मे पहुँचा देती है ।दोस्तो ने हमेशा इससे होने वाले आनंद की अनुभूति बताई लेकिन इससे होने वाले नुकसान से कभी अवगत नही कराया । ये बात उस समय की है जब मैं 16 वर्ष का था ।और ये 16 वर्ष की आयु एक ऐसी आयु जहाँ इंसान बन भी सकता है और बिगड़ भी सकता है लेकिन बिगड़ने की संभावना बहुत ज्यादा होती है और आप रोक भी नही पाओगें और मेरे हिसाब से बिगड़ना भी बहुत जरूरी होता है।
टिंग टिंग... करके मेरे फ़ोन की घण्टी बजी ,देखा तो प्रिया का मैसेज था
प्रिया- उस समय पढ़ा रही थी
मी -हम्म
प्रिया -खाना खाया तुमने??(चाहे कोई भी टाइम हो प्रिया की आदत थी जब भी बात करेगी ये बात जरूर पूछेगी)
मी-हम्म खा लिया(मेरा मन तो नही था प्रिया से बात करने का लेकिन मैं खुद को रोक नही पाता जो भी वो बोलती मैं बस बताता जाता ।
(मेरा मन नही कर रहा था बात करने का बस एक ही बात दिमाग मे उसने कैसे मना कर दिया अंदर ही अंदर मैं बहुत तिलमला रहा था )
मी -ओके मैं जा रहा ,माँ बुला रही है(ये बहाना कहकर मैंने नेट ऑफ कर दिया)
रात के 9 बजे,
माँ ने खाने के लिए बुलाया
सब खाने की टेबल पर बैठ गए,
माँ- आदित्य कुछ परेशान से लग रहे हो, क्या हुआ सब ठीक है??(माँ ने मेरे इस उलझन से भरे दिमाग को पढ़ लिया था)
मी- हॉ, कुछ नही
पापा तो कभी मुझसे पूछते तक नही थे मेरे मनमें क्या चल रहा क्या नही बस उनको उनके काम से मतलब था
जिंदगी इस सच्चाई को मैंने अंदर स्वीकार लिया था ,अब मेरा अकेलापन ही मेरा सच्चा दोस्त था।
रात की 10:30 बजे
आज तो पोर्न भी देखने का मन नही कर रहा है ,तभी प्रिया को मैंने मैसेज किया,
मी-क्या कर रही हों
प्रिया ऑनलाइन नही थी लेकिन उसके मैसेज पर डबल टिक हो रहे थे ,
प्रिया ऑनलाइन आ गयी, और मैसेज ब्लू टिक हो गया
प्रिया टाइप कर रही थी ..
प्रिया - कुछ नही यार भाई को पढ़ा रही थी अब खुद पढ़ने जा रही हु ,यार बहुत थक गयी हूं पढ़ने का मन भी नही हो रहा
मी-अच्छा थोड़ा आराम करो फिर पढ़ना
प्रिया-आज शनिवार है अब नही पढूंगी अब कल ही पढूंगी
मी- आई लव यू
प्रिया ने कुछ रिप्लाई नही किया
करीब 2 मिनट बाद मैंने मैसेज किया
मी- क्या हुआ , आई एम सॉरी यार लेकिन हर बार मे तुम्हारे हिसाब से चलता हूँ और तुम प्रिया एक बार भी नही.....प्रिया सिर्फ एक बार
प्रिया- आदित्य मे इस बारे मे बात नही करना चाहती
मी- मत करो बात , मुझे भी तुमसे कोई भी बात नई करनी
प्रिया- गुड नाईट , ख्याल रखना अपना (हमेशा की तरह ये बोलकर ऑफलाइन हो गयी
मैं फ़ोन पे प्रिया और मेरी फोटोज देख रहा था तभी उन लड़कियों की फोटोज दिख गयी वो उतनी भी कम नही थी शायद मैं उत्तेजित हो रहा था मुझे उस एजेंट की याद आयी ,देखा तो वो ऑनलाइन था,
मैने तुरंत मैसेज कर दिया
मी -हेलो
करीब एक मिनट बाद
एजेंट- हा सर् बताया नही आपने?
मी-मैंने कहा कल चाइये
एजेंट-शॉट्स या नाईट ?
मी -शॉट्स मतलब ???
एजेंट -एक शॉट का 2 हजार और नाईट का 5 हजार
(मैंने मन मे सोचा मेरे पास 10 हजार है बैंक में और 2 हजार माँ ने दिए थे)
मैने कहा-2 शॉट्स
और मैंने एक फिर से फ़ोटो भेज दी और बोला यही वाली चाइये
एजेंट-ओके सर्
एजेंट-बुकिंग करनी पड़ेगी सर्
मी-समझा नही?
एजेंट-500रुपए बुकिंग चार्ज देना होगा जिससे ये रहेगा यही लड़की आपके पास आएगी हम कही और नही भेजेगें
(मेरे मन मे एक बार ख्याल आया कि किसी अनजान को ऐसे भेजना सही रहेगा?? हवस ने मेरे दिमाग पे भी काबू पा लिया
एजेंट- ये रहा मेरा गूगल पे नंबर 98******45 ,करने के
बाद मुझे स्क्रीनशॉट भेजिए
पैसे भेज दिए उससे उसके बाद उसका स्क्रीनशॉट लिया और उसे भेज दिया
एजेंट-हा सर् बुकिंग हो गयी अब जगह बताये किस जगह पर चाइये
(मैंने एक एप्प से होटल मे कपल बुकिंग करी
फिर उसे मेसेज करा)
मी-डायमंड होटल
एजेंट-ओके सर् , टाइम??
मी-11बजे तक
सुबह आज मैं कुछ ज्यादा ही जल्दी उठ गया,सब्र नही हो रा था अभी भी प्रिया ऑनलाइन नही आई मैंने सोचा कॉल करू क्योंकि वो जल्दी उठ जाती है लेकिन फिर नही किया ।
सुबह 10 बजे
मैने उसे कॉल करी और बोला-सब तैयार है ना???
एजेंट-हा सर् एक घण्टे में होटल प आ जायेगी
मैंने ओके कहकर फ़ोन कट कर दिया
मैं तैयार होकर जाने लगा तभी माँ ने मुझसे पूछा कहा जा रहा
मैंने कहा- माँ दोस्त के घर जा रहा हूँ ,शाम तक आ जाऊँगा कहके तुरंत निकल गया
माँ -सुन तो बेटा.....
जब तक माँ को मै सुन पाता तबतक मैं अपनी बाइक से काफी आगे निकल गया था
11 बजे,
मैंने एजेंट को कॉल करी उसने मुझसे कहा सर् मैं आपको ड्राइवर का नंबर भेज रहा हूं
उसने नंबर भेजा
मैंने तुरंत कॉल करि और अपना नाम बताया कहा कि इस नाम से मेरी बुकिंग है
ड्राइवर-हा सर् ,मैडम को ला रा हूँ
करीब 15 मिनट बाद मैंने फिर कॉल करि
मी -कहा हो??
ड्राइवर-हा सर् मैडम मेडिकल स्टोर पर रुकी है पैकेट ले री है।..