Choklet in Hindi Short Stories by SURENDRA ARORA books and stories PDF | चॉकलेट

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चॉकलेट

चॉकलेट

उसने जब से होश संभाला उसका बाप जिसे वो बापू कहता था, उसके लिए हर शाम दफ्तर से लौटते हुए एक चॉकलेट लाता और उसे अपनी गोद में भरकर भरपूर प्यार करता ।

उसके बाद अपनी पतलून की जेब से दारू की बोतल निकालता, जो अक्सर अंग्रेजी होती और उसकी माँ को एक भद्दी सी गाली देते हुए पानी और गिलास मंगवाकर घर की बैठक में ही पीने बैठ जाता । माँ को हिदायत होती कि जब तक उसकी व्हिस्की की बोतल खत्म न हो जाय, वो वहां से हिलेगी नहीं ।

बीच - बीच में बापू माँ के गालों को थपियाता भी रहता ।

उसके प्यार करने का यही तरीका था । सोने से पहले बापू नाम का वो शख्स माँ को जेब से निकाल कर ढेर सारे नारंगी नोट भी देता । साथ ही कहता, " बापू की मूरत से सजे ये नोट न होते तो न दारू की ये बोतल होती, न तेरा शबाब होता और न ही मेरा ये चॉकलेटी बेटा ही होता । "

माँ चुपचाप उसकी बातें सुनती और घिसे हुए गालों को सहला कर, उसके दिए हुए नोट अपने ब्लाउज के ऊपरी हिस्से में खोंच लेती ।

वो जब कुछ बड़ा हुआ तो उसकी समझ आने लगा कि बापू हरदिन इतने सारे नोट आखिर लाता कहाँ से है ।

समझने के बाद एक दिन वो बोला, " बापू मैं न तो तुम्हारा लाया चॉकलेट खाऊंगा और न ही माँ को तुम्हारे सामने बैठने दूँगा । तुम्हें दारू पीनी है तो पियो । "

यह सुनते ही बापू का दिमाग ठनक गया ।

बोला, " अबे हराम की औलाद, तुझे चॉकलेट नहीं लेनी तो न ले पर ये औरत मेरी बीबी है, मैं इसे जहां चाहूं, बिठाऊँ । तू कौन होता है मेरी जिंदगी में दखल देने वाला । "

उसने कहा, " ये तुम्हार बीबी ही नहीं, मेरी माँ भी है । इसके साथ कोई जोर जबरदस्ती करे,यह मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता । "

बापू ने अब तक बोतल खोलकर उसके कुछ हिस्से को खाली भी कर लिया था ।

उसने कहा, ऐसा मैं फ्री में नहीं करता," गांधी जी की मूरत वाले नोट भी इसे हर रोज़ देता हूँ ।"

बेटा भी पूरी तैश में था, मैं जानता हूँ बापू, तू इन नोटों को किन लोगों की जेब से जबरन निकालता है । अब या तो वो नोट इस घर में आने बन्द होंगे या फिर तेरा इस घर में आना बन्द होगा । तेरा भला इसी में है कि तू कोई एक रास्ता चुन ले । "

" मैं ऐसा कुछ भी न करूं तो तू क्या कर लेगा ?" बोतल उसके सर चढ़ कर बोल रही थी ।

" करना क्या है, तुझसे वो सारे हक़ छीन लूंगा जिनके चलते तू मुझे चॉकलेट खिलाता है या मेरी माँ के गाल सहलाता है । " बेटे ने दो टूक कहा ।

उसने पाया कि वो औरत जो उसके लिए गिलास लाती थी और फिर देर तक वहीं बैठी रहती थी, अपने बेटे की छाया में सिमटी खड़ी थी ।

सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

साहिबाबाद ( उ. प्र .)

पिन : 201005