यह एक क्राइम, सस्पेंस सीरीज है, जिसमे एक हत्या के मामले की पड़ताल सीरीज (धारावाहिक) की मुख्य किरदार इंस्पेक्टर शिवानी शुक्ला करेंगी। यह कहानी मुख्यतः कल्पना पर आधारित है जीवंत करने के उद्देश्य से वास्तविक जीवन के बहुत से तथ्यों को भी समाहित किया गया है। आइए सीरीज का पहला अंक शुरू करते है। -लेखक
थाना -अकबरपुर जिला कानपुर देहात
इंस्पेक्टर शिवानी आज थाने में शांति से बैठी थी, अपनी निजी जिंदगी में थोड़ा उथल पुथल से परेशान थी। उनके मंगेतर जो कि एक बिजनेसमैन थे वे चाहते है कि शिवानी पुलिस की नौकरी छोड़कर शादी के बाद उनके साथ रहे। लेकिन शिवानी को यह मंजूर नही था पुलिस की वर्दी उनके बचपन का सपना था और बड़ी मुश्किलों का बाद उन्हें यह मिली थी। वह चयन नही कर पा रही थी क्या करे अपने मंगेतर राजीव की बात सुन कर नौकरी छोड़ दे या दिल की सुनकर मंगेतर को छोड़ दे।
ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग.......(फोन की घण्टी बजती है)
शिवानी अपना फोन उठाती है जो कि उनकी सहेली रीमा का फोन होता है।
रीमा- "हेल्लो शिवानी"
शिवानी- "हेल्लो रीमा हाउ आर यू?"
रीमा- "मैं तो ठीक हु तू बता क्या चल रहा है?"
शिवानी-"क्या बताऊँ यार आजकल बड़े पंगे चल रहे है।"
रीमा-"क्यों क्या हुआ?"
शिवानी- "राजीव चाहते है कि मैं नौकरी छोड़कर उनके साथ रहूं लेकिन मेरा मन नौकरी छोड़ने का नही है। तू तो जानती है ना मुझे वर्दी से कितना प्यार है स्कूल के दिनों से ही।
रीमा-" इसमे क्या सोचना यार जब तुझे नौकरी से प्यार है तो तू इतना क्यों सोच रही है? वैसे भी जो इंसान तुझे अभी नही समझ रहा है वो आगे समझेगा इसकी क्या गारंटी है? मेरे हिसाब से तो तू नौकरी को चुन, बाकी तुझे जैसा ठीक लगे।"
"मैडम डायल 112 से मैसेज है कृष्णा पुरम मे किसी औरत और छोटी बच्ची की हत्या कर दी है।"- कांस्टेबल बलबीर यादव
शिवानी- "चल यार अभी कुछ काम आ गया है अभी मुझे जाना होगा तुझसे बाद में बात करती हूँ । ठीक है बाय लव यू"
रीमा- "ओके बाय लव यू टू"
"बलबीर ...!!! गाड़ी निकलवाये क्राइम सीन के लिए चलना है" -शिवानी
"जी मैडम"- कांस्टेबल बलबीर
(इंस्पेक्टर शिवानी, सब इंस्पेक्टर विकास, कांस्टेबल बलबीर यादव, कांस्टेबल मोनी पाल और हमराही (ड्राइवर) मोहन पाल क्राइम सीन कृष्णा पुरम पर एक मकान में पहुँचते है जहां पर लोगो की भीड़ जमा होती है।)
इंस्पेक्टर शिवानी वहां खड़ी महिला से पूछती है- "ये कैसे हुआ? कौन है ये? आप कैसे जानती हो इसको (मृतका को)?"
"जी ये मेरी किरायेदार थी, मैं दो दिन से बाहर थी आज आयी तो देखा ये दोनों मरे पड़े है तो मेरे बेटे ने पुलिस को फोन किया मेरा नाम सुशीला है। मै मकान मालिकन हूँ"- सुशीला (घबराते हुए महिला ने जबाव दिया)
शिवानी-" मोनी और बलबीर...!!! भीड़ को हटाइये और फोरेंसिक वालो को बुलाकर फ़ोटो, पंचनामा करवाइए। उसके बाद बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेजिए।"
शिवानी- "इसको कैसे जानती थी इसका क्या नाम है?"
सुशीला(मकान मालकिन)- "जी इसको मेरे मकान में रवि ने रखवाया था ये रवि के यहां घर का काम करती थी। मैं क्लियर तो नही जानती लेकिन पूजा और रवि का चक्कर चल रहा था।"
शिवानी- "पूजा कौन है?"
सुशीला- "जी यही जिसकी बॉडी है ये और ये इसकी बेटी है इसका नाम छुटकी है।"
इंस्पेक्टर शिवानी- "रवि कहाँ है?"
सुशीला-" साहेब मैने उसको फोन लगाया लेकिन फोन बंद है बेटा उसकी दुकान पर भी गया था वो भी दो दिन से बन्द है आस पास के लोगो ने बताया।" (आलमोस्ट रोते हुए)
शिवानी- " विकास...!!! इनके सबके बयान लो और सबके नम्बर ले लो। और सबको किलियर कर दो कि जब तक जांच चलेगी कोई शहर छोड़कर नही जाएगा।"
सब इंस्पेक्टर विकास- " जी मैडम"
(बॉडी का पंचनामा होने के बाद, पूजा के कमरे को सील कर दिया जाता है। छुटकी और पूजा की बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया जाता है। इतना सब होते होते शाम के दोपहर के 2 बज चुके होते है इंस्पेक्टर शिवानी जीप से थाने के लिए रवाना हो जाती है।)
.....शेष अगले अंक में