khauf...ek ankahi dastan - 6 in Hindi Thriller by Akassh Yadav Dev books and stories PDF | खौफ़...एक अनकही दास्तान - भाग-6

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खौफ़...एक अनकही दास्तान - भाग-6

इस कथाकन न पांच भागों को पढ़ने के बाद आप सबको अहसास तो हो ही गया होगा कि ये एक बहुत ही बड़ी मिस्ट्री और सस्पेंस से भरी स्टोरी है....जो पाठक नए हैं उनसे बस इतना ही कहूंगा कि "ख़ौफ़... एक अनकही दास्तां" को बस शुरू करिए... अंत तक ले जाने का दायित्व मेरा ।।

पार्ट - 5 से :-
इधर ना जाने कौन कौन से खेल शुरू हो चुके थे। सब अपने आप को इस मकड़जाल से बचाने के लिए जी तोड़ कोशिश कर तो रहे थे पर उतना ही ज़्यादा वो इस खेल में फंसते जा रहे थे। और इस खेल का मुख्य किरदार अथार्त लिसा और एलिना का क़ातिल खुले आम चैन से जी रहा था और शायद अपने अगले शिकार की तलाश भी शुरू कर चुका था।

ना जाने कब पाशा पलटे और सारे रहस्यों का पर्दाफाश हो जाएं। इधर थोड़े से मानसिक आराम के लिए छुट्टी पर अपने घर गयी नंदिता ने जो इतना भयानक सपना देखा है, क्या ये सपना उसे आने वाले भयानक पलों के लिए आगाह करने को आया था...? कहानी जारी है....!!

क्रमशः
अब पार्ट - 6
: ★★★★
सारे सबूत साहिल के गुनहगार होने की इशारे कर रहे थे, लेकिन एडवोकेट चन्द्रशेखर गांगुली के बिछाए जाल में वे ताश के महल के मानिंद ही बेजान और बेबुनियाद से लग रहे थे।
इंस्पेक्टर कुंदन सिंह हेड कांस्टेबल गौरांगो कर्मकार से इस केस की तहकीकात के विषय मे और भी जानकारियां इकट्ठी कर रहे थे कि तभी उनके मोबाइल फोन पर एक अनजान नम्बर से फोन आया इंस्पेक्टर ने मोबाइल अपने कान से लगाते हुए बड़े ही संक्षिप्त शब्दों में कहा "हलौ "??
दूसरी तरफ से कहा गया "हलौ इंस्पेक्टर"
"अपना कीमती समय क्यूँ बरबाद कर रहे हो??"
"बोल कौन रहे हो...??"

"मैं जो कोई भी बोल रहा हूँ-तुम मुझे अपना हमदर्द समझ सकते हो,बाल बच्चेदार हो कर इतना जोश नही दिखाते बरखुरदार"।

"शट अप मिस्टर" गुर्राते हुए इंस्पेक्टर कुंदन सिंह ने उस अनजान व्यक्ति को डांटा। पर इंस्पेक्टर की डांट का उस पर कोई प्रभाव न पड़ा.."क्यूँ अपनी मौत को बुलावा दे रहे बेवकूफ" बेहद सर्द आवाज में कहा था उस अपरिचित ने।

इस बार तो इंस्पेक्टर बिफर ही पड़ा "हरामज़ादे एक बार तू अपना नाम तो बता,फिर तुझे बताता हूँ,कौन किसकी मौत बुलाता है"।
इसके जवाब में उधर से सिर्फ कहकहों की आवाज़ आई,ऐसी जिससे इंस्पेक्टर की इस बचकानी बात पर मखौल उड़ाया जा रहा हो।

फिर फोन डिस्कनेक्ट कर दिया गया ।

★★★
दुनियां की सबसे विचित्र आंखें इस वक़्त दीवार पर लगी एक HD LED टीवी के स्क्रीन पर स्थिर थी...गुलाबी होंठो पर बेहद दिलचस्प मुस्कान नृत्य कर रही थी..इस वक़्त वह डॉक्टर डेनियल और डॉक्टर गोयंका को आमने सामने खड़े देख रहा था।
डॉक्टर गोयंका के ऑफिस में कदम रखते ही डॉक्टर डेनियल के होंठो पर एक जीवंत मुस्कुराहट उभरी थी...और आगे बढ़ कर डॉक्टर गोयंका ने उनसे हाथ मिलाया...और बड़े ही धीमे स्वर में कहा... आओ डेनियल,मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था ।

विचित्र सी रहस्यमय आंखों ने यह साफ साफ महसूस किया था...की डॉक्टर गोयंका ने एक अजीब सी मज़बूरी के साथ डॉक्टर डेनियल से हाथ मिलाया था...और फिर बेमन से अपनी रिवाल्विंग चेयर पर बैठते हुए डॉक्टर गोयंका ने कहा
"डेनियल ये सब कुछ क्या हो रहा है मेरे हॉस्पिटल में??"
डॉक्टर डेनियल इस वक्त डॉक्टर गोयंका के मनोभावों को पढ़ने की कोशिश कर रहे थे....वे सोच रहे थे क्या ये वही गोयंका है ,जिनका वे पिछली रात पीछा कर रहे थे...क्या ये वही डॉक्टर गोयंका थे...जिन्होंने पिछली रात एक अपराधी को चोरों की भांति इस अस्पताल में ले कर आये थे..??
डॉक्टर डेनियल अब डॉक्टर गोयंका को सिर्फ एक डॉक्टर ही मान कर नही चल रहे थे...अब वे डॉक्टर गोयंका को एक शातिर अपराधी के रूप में भी देख रहे थे...ये अनुमान पिछली रात की डॉक्टर गोयंका के क्रियाकलापों को देख कर यकीन में तब्दील हो चुका था ।

जबकि डॉक्टर गोयंका अपनी मुश्किलों से पीछा छुड़ाने के लिए डॉक्टर डेनियल को सब कुछ सच सच बताने का मन ही मन दृढ़ निश्चय कर लिए थे... लेकिन जाने कौन सी ऐसी बात थी ,जो उन्हें ऐसा करने से रोक रही थी...!

डॉक्टर डेनियल के हाव भाव से भी डॉक्टर गोयंका को ये समय सब कुछ सच सच बताने के लिए मुनासिब नहीं लग रहा था... इसीलिए वे खुद पर ज़ब्त कर गए...और बात को बदलने की गरज से बोले
"डेनियल...अस्पताल में हुई लिस की हत्या ने मुझे बहुत डिस्टर्ब कर दिया है...इतना कि ,मैं तुम्हारे मरीज का हाल चाल भी तुमसे पूछना भूल गया"

"उसकी देखभाल के लिए मैंने मायरा और नंदिता को कहा था... पर वे दोनों ही हद से ज्यादा व्यस्त रहती हैं...इसीलिए मैंने अपने अस्पताल की एक नर्स को उसके लिए नियुक्त कर दिया है ।" डॉक्टर डेनियल बड़े ही इत्मीनान से डॉक्टर के इस चिंता को दूर कर दिया ।
मगर... ये सुनने के बाद गोयंका और भी चिंतित हो गए
"डेनियल..क्या तुम्हें अस्पताल के हालात के बारे में नही पता??""
"क्या सोच कर तुमने मुझ से बिना किसी सलाह के नर्स को नियुक्त कर दिया?" तुम्हें क्या लगता है, क्या यहां मायरा और नंदिता दो ही नर्सें है?"

"नही डॉक्टर..ऐसा नही है" डॉक्टर डेनियल बहुत ही गम्भीर स्वर में बोले।
"मैं चाहता हूं कि मेरे मरीज का इलाज मेरे हिसाब से हो"
"आप चिंतित न होइए...लावण्या अपने काम मे पूरी तरह दक्ष है"
"...और वो दिमाग के कई मरीजों के ट्रीटमेंट में मेरे साथ काम कर चुकी है ,उसे इसका काफी अनुभव भी है"।

"आइये चलिए ,मैं आपको उससे मिलवाता हूँ"
इतना कह कर डॉक्टर डेनियल अपनी कुर्सी से उठ खड़े हुए और साथ ही अपनी कुर्सी छोड़ कर डॉक्टर गोयंका भी जाने को तैयार हो गए...उनकी इस हड़बड़ाहट को डॉक्टर डेनियल की तेज नज़र ने झटके में महसूस कर लिया था,लेकिन उन्होंने ये ज़ाहिर न होना दिया।

वो रहस्यमयी आंखे तब तक LED की स्क्रीन पर जमी रही जब तक कि डॉक्टर गोयंका और डॉक्टर डेनियल उसकी नज़रों से ओझल नही हो गए ।

★★★

एडवोकेट चन्द्रशेखर गांगुली इस वक्त अपने आलीशान बंगले के बड़े से हॉल में बैठ कर कॉफ़ी पी रहे थे ,की तभी इंस्पेक्टर सुदीप्तो
हॉल में दाखिल हुआ।
"गुड मॉर्निंग सर" मुस्तैदी से सैल्यूट सा करता हुआ सुदीप्तो एडवोकेट गांगुली के सामने खड़ा हो गया ।
"अरे सुदीप्तो... आओ बैठो"
अपने सर से अपनी कैप को उतार कर हाथों में लेते हुए सुदीप्तो सोफे में लगभग पसर सा गया और बड़े ही भौंडी सी हंसी हंसते हुए बोला...."सर आपके सोफे में बैठने से स्वर्ग की अनुभूति होती है, बहुत महंगी होगी...नही ??"
इस पर एडवोकेट गांगुली बस मुस्कुरा भर दिए और फिर अपने गाउन को दुरुस्त करते हुए बोले :-

"सुदीप्तो मेरे क्लाइंट का मोबाइल तुमने बरामद किया या नही?"
"हां वो तो कल ही बरामद हो गया था सर,यही बताने के लिए तो आपके पास आया हूँ मैं" इंस्पेक्टर सुदीप्तो एक ही सांस में पूरी बात कह गया ।
तब तक राखाल एक कप कॉफ़ी बना लाया था...इसकी क्या जरूरत थी सर ,कॉफ़ी के कप को पकड़ता हुआ बोला था सुदीप्तो ।

सुदीप्तो अभी कॉफ़ी पीने के लिए कप को होंठो से लगाया ही था कि,एडवोकेट गांगुली के मोबाइल बजने लगा...
एडवोकेट गांगुली ने जैसे ही मोबाइल अपने कान से लगाया "हलौ एडवोकेट साहब ,मैं डॉक्टर मजुमदार बोल रहा हूँ"
"ग़ज़ब हो गया एडवोकेट गांगुली"
काफी घबराया हुआ आवाज था डॉक्टर मजुमदार का
इतना कि एडवोकेट गांगुली के चेहरे पर भी कुछ समय के लिए चिंता की लकीरें उभर आई ।

"यस डॉक्टर,टेल मी... क्या हो गया,आप इतना घबराए हुए क्यों हैं?"

"वकील साहब वो इंस्पेक्टर अभी दोबारा आया है और साहिल को उसी के वार्ड में बंद कर उससे पूछताछ कर रहा है"
किसी भी डॉक्टर या नर्स को अंदर जाने की इजाज़त नही दे रहा,दो कांस्टेबल उसने गेट पर छोड़ रखे हैं ।
एक ही सांस में कह गए थे डॉक्टर मजुमदार.... थोड़ी देर के लिए रुक कर अपनी सांसे दुरुस्त की और फिर बोले
"पिछले 40-45 मिनट से साहिल को उसने कैद कर रखा है उसी कमरे मे"
"ठीक है आप चिंता नही करिए, मैं अभी आ रहा हूँ"।
इतना कह कर एडवोकेट गांगुली ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया और सुदीप्तो की ओर मुखातिब होते हुए कुछ देर तक उसे समझाते रहे और फिर बोले
"सुदीप्तो अभी से ठीक आधे घन्टे बाद तुम नयनतारा नरसिंग होम में आ जाना"
मैं वहीं जा रहा हूँ।

"ओके सर ,मैं आ जाऊंगा"
"सरकारी नौकर हैं तो सरकारी ड्यूटी तो निभानी ही पड़ेगी न सर.." फिर वो एक जोरदार सैल्यूट मारता हुआ वहां से निकल गया।

एडवोकेट गांगुली भी थोड़ी देर बाद फौरन तैयार हो कर अपनी कार से नयनतारा नर्सिंग होम के लिए रवाना हो चुके थे ।।

★★★
जैसे ही डॉक्टर डेनियल और गोयंका उस वार्ड में दाखिल हुए
लावण्या उस याददाश्त गंवा चुके मरीज को टेबलेट्स खिला रही थीं, डॉक्टर्स पे नज़र पड़ते ही लावण्या ने बड़े ही आत्मीयता के साथ कहा "गुड मॉर्निंग सर"

"ये कैसे मरीज की देखभाल की जिम्मेदारी दे दी आपने मुझे..??"
"ये तो दवाईयां खाना ही नही चाहता"
इस बार लावण्या का लहज़ा शिकायत भरा था।

"तुम्हे तो ऐसे ही चैलेंज चाहिए होते हैं लावण्या..तभी तो तुम्हें यहां लाया हूँ मैं" इस मुस्कुराते हुए डॉक्टर डेनियल ने लावण्या से कहा था ।
लावण्या भी मुस्कुरा कर रह गई डॉक्टर की इस बात पर।

"गुड मॉर्निंग डॉक्टर डेनियल
"...एंड गुड मॉर्निंग डॉक्टर गोयंका सर"

अब तक चुप चाप अपने आप मे ही सिमटे हुए मरीज ने दोनों डॉक्टर्स का अभिवादन किया।
और फिर बड़े ही नाराज़गी दिखाते हुए बोला :-

"देखिए न ये नर्स बहुत सख्त हैं,कहती हैं खामोशी से दवाई खाओ नही तो ये मेरा ऑपरेशन कर देंगी"

"क्या ये सच मे मेरा ऑपरेशन कर देंगी..??""

"देखो भई... हमारी ये नर्स है तो बहुत सख्त
अगर तुमने इसकी बात नही मानी तो ये कुछ भी कर सकती हैं"।
डॉक्टर डेनियल भी उसकी हालत का मज़ा लेते हुए बोले।

इस बार वो सचमुच का और भी सहम गया..और अपनी हथेलियों से अपने चहेरे को ढंक कर उंगलियों के आड़ से लावण्या को देखने लगा !

लावण्या..लावण्या मुखर्जी
बर्दवान मेडिकल कॉलेज की एक बहुत ही काबिल स्टूडेंट और डॉक्टर डेनियल की राइट हैंड
हर केस में लगभग साथ साथ होते थे ये ।

लावण्या की उम्र 27-28 वर्ष थी,रंग ऐसा जैसे किसी ने दूध ने हल्का सा सिंदूर मिला दिया गया हो,तीखे नैन नक्श,ऊंची कद पुष्ट उरोज और अदाएं ऐसी की विश्वामित्र की तपस्या भी भंग कर दे ।
पर इस वक्त वो सिर्फ एक नर्स थी...साधारण से यूनिफॉर्म में भी वो मेनका सी लग रही थी।
और डॉक्टर गोयंका भी खुद को उसके रूप लावण्य से मोहित होने से नही रोक सके थे ।

इसीलिए वो अब तक खामोश थे...खामोशी से बस लावण्या को ही देख रहे थे ।

अब तक डॉक्टर डेनियल मरीज के काफी करीब आ गए थे और फिर उसकी आँखों मे आंखे डालते हुए पूछे
"अब तुम कैसा महसूस कर रहे हो??"

युवक उनकी आंखों में लगभग डूबता हुआ सा बोला "डॉक्टर मेरे तो कुछ समझ मे नही आ रहा है,की ये मेरे साथ क्या हो रहा है..??"

"मैं तो खुद यक़ीन नही कर पा रहा हूँ ,की जो कुछ फिल्मों में या उपन्यास की कहानियों में दिखाया जाता है,वो मेरे साथ वास्तव में हो चुका है"
बड़े ही मायूसी भरे शब्दों में बोला था वो...इतने की लावण्या को भी उसने अपनी मायूसी में छिपी मासूमियत भरे चेहरे की तरफ आकर्षित कर लिया था ।
कुछ देर की चेकअप के बाद डॉक्टर डेनियल और डॉक्टर गोयंका वापस अपने केबिन में लौट आए, जबकी लावण्या उसी मरीज के पास रह गई,जिसके इलाज के लिए खास तौर पर डॉक्टर डेनियल ने उसे यहां बुलाया था ।

★★★
एडवोकेट चन्द्रशेखर गांगुली जब "नयनतारा नर्सिंग होम" पहुंचे तो इंस्पेक्टर कुंदन की पूछताछ अभी पूरी नही हुई थी ।

साहिल के वार्ड का दरवाजा बन्द था और दोनों कांस्टेबल दरवाजे पर अवरोधक बने खड़े थे...मगर जैसे ही उनकी नज़र एडवोकेट चन्द्रशेखर गांगुली पर पड़ी, वे दोनों ही सकपका गए और चहरे पर आई घबराहट को छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए बोले "गुड मॉर्निंग सर"
इंस्पेक्टर साहब अंदर है, और किसी को भी अंदर जाने देने को मना किया है"।

प्रतियुत्तर में एडवोकेट गांगुली ने अपनी सुनहरे फ्रेम वाले चश्मे को आंखों से उतार कर,बस अपनी नज़रे टेढ़ी भर की,दरवाजा तब तक खुल चूका था,दोनो कांस्टेबल अपनी बगले झांक रहे थे।

कमरे में दाखिल होते ही एडवोकेट चन्द्रशेखर गांगुली इंस्पेक्टर कुंदन से मुखातिब हुए
"इंस्पेक्टर क्या मैं जान सकता हूँ ,तुमने किसकी इज़ाज़त से मेरे क्लाइंट को इस नर्सिंग होम के इस सेशल वार्ड में कैदी की तरह रखा है?"

इंस्पेक्टर कुंदन जो कि अब तक स्टूल में बैठ कर साहिल से जवाब तलब कर रहा था,एडवोकेट गांगुली की ओर मुड़ता हुआ बोला "सर सिटी हॉस्पिटल में जिस रिशेप्शनिश्ट का बलात्कार और फिर बलात्कार के बाद क़त्ल हुआ है...हमे शक ही नही बल्कि यकीन भी है कि वो साहिल ने किए हैं" और इसी सिलसिले में "मैं आपके क्लाइंट" से पूछताछ कर रहा हूँ !

और आपकी जानकारी के लिए बता दूं इसने अभी तक मेरे एक भी सवाल का ऐसा जवाब नही दिया है,जिससे कि मुझे लगा हो कि ये सच बोल रहा है !!

"आखिर तुम किस आधार पर ऐसा बोल रहे हो की वो खून साहिल ने किया है?""
"जबकि तुम साहिल की हालत को खुद देख रहे हो कि वो चलना तो दूर अपने पैरों पर खड़ा तक नही हो सकता"

अगर साहिल अपने पैरों पर खड़ा नही हो सकता ,तो क्या मैं जान सकता हूँ साहिल का मोबाइल उस वक्त उस अस्पताल में कैसे पहुंचा जिस वक्त लिसा का बलात्कार हो रहा था...कॉल डिटेल्स से ये साफ हो चुका है कि लिसा के फोन पर आने वाला आखिरी कॉल इसी साहिल ने किया था"।

जोर से ठहाका लगाया था इस बार एडवोकेट गांगुली ने और फिर अपनी जबरस्ती की हँसी को एक दम से रोकते हुए बोले "इंस्पेक्टर इससे ये कहाँ साबित होता है कि वो कत्ल मेरे क्लाइंट ने किया है?"
यही साबित करने के लिए मैं साहिल के मोबाइल फोन को अपनी कस्टडी में लेना चाहता हूं,ताकि सब कुछ दूध का दूध और पानी का पानी हो सके !!

इस बार डरे सहमे से साहिल के मुँह से बोल फूटा "इंस्पेक्टर मेरा फोन तो 3 दिन पहले ही एयरपोर्ट से चोरी हो गया है,मैं अपना फोन कैसे दे सकता हूँ भला बताइये तो??"

इस बार इंस्पेक्टर कुंदन का चेहरा पूरी तरह तमतमा गया "ये सब बहुत पुरानी चाल है बेटे खुद को बेगुनाह साबित करने के"।

"बेहतर होगा इंस्पेक्टर तुम पहले साहिल के मोबाइल को बरामद करो,और फिर अगर तुम में काबिलियत बची हो,तो असली गुनहगार को भी पकड़ने की कोशिश करो" एडवोकेट गांगुली लगभग चींखते हुए बोले।

पकड़ तो मैं लूंगा ही वकील साहब... पुलिस में मेरी नियुक्ति हुई ही इसीलिए है,की मैं गुनहगारों को दोज़ख तक पहुंचा सकूँ ।
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूं...पुलिस द्वारा जुटाए गए सबूतों एवं साक्ष्यों के आधार पर हमने लिसा रेप एंड मर्डर केस को अदालत में पेश कर दिया है...हमारी इन्वेस्टिगेशन और फॉरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार साहिल इस केस का मुख्य आरोपी है ।
इसीलिए कल कोर्ट में इस केस की पहली सुनवाई के लिए आपके क्लाइंट को अदालत में पेश करना मेरी ड्यूटी है...ये आपका क्लाइंट जरूर है,मगर फिलहाल ये सरकारी मेहमान है और इस वक़्त हमारी कस्टडी में है।
इसीलिए यहां चौबीसों घँटे हमारे कांस्टेबल तैनात रहेंगे....चाहता तो मैं इसे अपने साथ इसी वक्त हवालात में ले जा कर ठूंस देता,लेकिन इसकी हालत वाकई ऐसी नही है कि ये हवालात में थर्ड डिग्री बर्दाश्त कर पाए"...कहता हुआ इंस्पेक्टर कुंदन दनदनाता हुआ उस कमरे से बाहर निकला और अपने कांस्टेबलों को सख्त हिदायत देते हुए अपनी जीप की ओर बढ़ चला ।

★★★★

उफ़्फ़ सवाल ही सवाल ....ना जाने कहानी और कौन कौन से रंग दिखाएगी। कौन है जो सी.सी.टी.वी. कैमरे के बदौलत डॉक्टर गोयंका और डॉक्टर डेनियल पर नजरें जमाएं रखा है। ना जाने उन दो पीड़ितों के साथ न्याय हो पायेगा या नहीं।इतनी उलझन की दिमाग़ ही चकरा जाएं....पर कहानी सारे सवालों के जवाब बखूबी देगी। तब तक बस आप सब अपने दिमाग़ को दौड़ाइये और सोचिए असली क़ातिल कौन होगा...?शाहिल ने जब कोई ग़लती की ही नहीं तो फ़िर क्यों वो पुलिस को सब सच सच बता नहीं देता..? लिसा और एलिना के बाद क़ातिल का अगला शिकार कौन होगा। और क्यों वो इस हॉस्पिटल के पीछे हाथ धोकर पड़ा है...? जानेंगे अगले भागों में...!!!

क्रमशः