अध्याय – 8
आओ सुमन, ऊपर अपने घर पर चलते हैं।
सुमन अपना घर छोड़ने पर उदास भी थी। ऊपर फ्लैट का ताला खोलते हुए चंदन बोला - देखो सुमन यहाँ तुम्हारा स्वागत करने के लिए तो कोई आएगा नहीं। तुम यही खड़ी रहो अंदर मत आना। मैंने सारी तैयारी कर रखी है, मैं अभी आता हूँ। यह बोलकर वह तेजी से अंदर चला गया।
अंदर से वो एक लोटा चावल और आरती की थाली सजाकर ले आया। ये देखकर सुमन ने मुस्कुरा दिया ये क्या कर रहे हैं आप ? सुमन बोली।
अब तुम इस घर की लक्ष्मी हो ना तो धन-धान्य लेकर अंदर आना। ये चावल से भरे लोटे को अपने दाहिने पैर से धक्का दो सुमन, और गिराने के बाद यही खड़ी रहना। फिर चंदन ने उसकी आरती ऊतारी। सुमन हँस रही थी।
ये तो महिलाओं का काम है चंदन जी। सुमन बोली।
अब मैं कहाँ से महिला लाऊँ मैडम, साड़ी पहनकर खुद ही आ जाऊँ क्या? चुपचाप बिना बोले खड़ी रहो।
अच्छा। सुमन बोलकर चुपचाप खड़ी रही। वो अब भी हंस रही थी।
मैं इसको रखकर आता हूँ तुम अंदर मत आना। आज मैं तुमको अपने घर की सैर कराऊँगा।
ठीक है जी मैं यही खड़ी हूँ। सुमन ने कहा।
चंदन आया और उसे अपनी बाहों में उठा लिया।
अरे रे रे!! ये क्या कर रहे हो आप ?
तुम पहली बार घर में आ रही हो ना तो मैं तुमको अपनी बाहों में उठाकर पूरा घर दिखाऊँगा। तुम बहुत हल्की हो गई हो सुमन। तुम्हारा वजन बढ़ाना पड़ेगा नहीं तो मेरे बच्चे को जन्म कैसे दोगी ? चंदन बोला।
सुमन शरमा गई ? अच्छा वो सब छोड़िए आप मुझे पहले घर दिखाईये।
ये देखो। ये हमारा ड्राइंगरूम है यहाँ सोफा टीवी सब इंतजाम मैंने कर रखा है।
सुमन ने देखा कि हॉल में रिया की एक बड़ी सी तस्वीर लगी है।
अच्छा आगे चलिए सुमन ने कहा।
चंदन उसको बेडरूम में ले गया।
ये देखो ये हमारा बेडरूम है और हॉल से चलकर हम ये आ गए किचन मे, और अब तुमको मैं लेकर चलता हूँ, दूसरे बेडरूम में। ये हमारा गेस्ट रूम सुमन। अब चलो तुमको हॉल में लेकर चलता हूँ।
वो सुमन को हॉल में लेकर आया और सोफे पर ऊतार दिया।
थकान नहीं हुई आपको ? सुमन बोली।
अरे! थकान क्यों होगी, तुमको खिलापिलाकर मोटी कर दूँगा ना तब शायद थकान हो।
मुझे मोटी नहीं होना है पतिदेव, मैं ऐसे ही ठीक हूँ। सुमन बोली और उठकर रिया के फोटो के पास गई। उसने फोटो के ऊपर हाथ फिराया और कहा -
थैंक्स रिया। तुमने बलिदान दिया है इसलिए मुझे ये सुख नसीब हो रहा है मैं ये बात कभी नहीं भूलूंगी।
चंदन उसके नजदीक आया और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला - तुम चेंज कर लो सुमन मैं तुम्हारे लिए दूध लेकर आता हूँ।
मैं दूध नहीं पीती।
पर अब से पीना पड़ेगा मैडम। मुझे तुमको स्ट्राँग बनाना है।
मैं नहीं पिऊँगी सर।
पर मैं तो पिलाकर रहूँगा मैडम। जाओ चेंज करो मैं आता हूँ।
सुमन चेंज करके बेड पर बैठी थी तब चंदन उसके लिए दूध लेकर आया।
चलो दूध पियो। चंदन बोला और गिलास उसके मुँह से लगा दिया। उसे पीना ही पड़ा।
मुझे मालूम रहता कि आप हर चीज में मेरे साथ जबरदस्ती करोगे तो मैं आपसे शादी ही नहीं करती।
अच्छा अभी तो मैंने आपको इस घर के रूल्स भी नहीं बताए है। चंदन बोला।
ओहो! इस घर के रूल्स भी हैं और वो क्या हैं बताईये जरा ?
पहला रूल ये है कि इस घर में आने वाले हर शख्स को मेरा दोस्त होना आवश्यक है, मतलब तुम मुझसे दोस्ती करोगी तभी यहाँ रह सकती हो।
और पत्नि का क्या वो कहाँ जाएगी बेचारी।
वो शादी के एलबम में पड़ी रहेगी और क्या ? तुम पत्नि की फोटो एलबम में ही छोड़कर आ जाओ।
अच्छा चलो ठीक है अगला रूल बताओ ?
हर संडे को हम मूवी देखने जाऐंगे और बाहर ही खाना खाकर आयेंगे। इस दिन तुम्हारे डायटिशिन की ऐसी की तैसी।
सुमन हँसने लगी। ये तो बड़ा अच्छा रूल है। वो बोली।
लेकिन बाकी दिन डॉक्टर्स को स्ट्रीक्टली फॉलो करेंगे।
ओ के। अगला ?
महीने में एक बार हम घूमने जाऐंगे। छुट्टी के दिनों को देखकर। जहाँ तुम बोलोगी, जैसे शिमला, मनाली, दार्जलिंग जहाँ तुम्हारा मन करे।
गुड और अगला ?
ये सबसे महत्वपूर्ण रूल है तुम्हें हर दिन कम से कम 50 किस देना होगा। चंदन बोला।
अच्छा , ये कौन से टाईप का रूल हुआ। हटाओं इसको।
मैं दिन भर आपको प्यार करते रहूँगी तो घर का काम कब करूँगी।
देखो ये कम्पलसरी रूल है मैडम, ना नुकुर करोगी तो एक शून्य बढ़ा दूंगा, फिर 50 की जगह 500 हो जायेगा, सोच लो।
अच्छा ठीक है आखिरी रूल के लिए सोचकर बताऊँगी।
सोचने वाली बात ही नहीं है। मैं बोला ना वो तो कम्पलसरी रूल है। तुम नहीं दोगी तो मैं धोखे से ले लूँगा।
सुमन हँसने लगी।
अच्छा ठीक है महोदय।
तो दोस्ती करोगी मुझसे। चंदन बोला।
हम तो पहले से ही दोस्त हैं ना ?
तो फिर तुम मुझसे जी और आप कहकर क्यों बात करती हो। मुझे ये पंसद नहीं।
ठीक है बाबा। नहीं बोलूंगी। मेरे नजदीक आओ।
अरे वाह। तुम तो मुझे नजदीक बुला रही हो।
भागो यहाँ से। मैं बोली मेरे नजदीक आकर बैठो।
ओह! सिर्फ बैठने बोल रही हो।
हाँ। मुझे तुम्हारे गोद में लेटना है। मुझे थकान महसूस हो रही है।
अच्छा। चंदन सरक कर उसके नजदीक बैठ गया और सुमन चंदन के गोद में सिर रखकर लेट गई। चंदन उसके सिर पर हाथ फेरने लगा।
चंदन। मुझे कल किसी गाइनेकालाजिस्ट के पास लेकर चलोगे। मुझे जल्दी माँ बनना है। बिल्कुल सुमन। पर मैं तब तक रिस्क नहीं लूंगा जब तक तुम्हारा शरीर इस लायक नहीं बन जाता।
सुमन, सुमन। चंदन ने उसे हिलाया पर वो गई थी। वो वैसे ही बैठा रहा।
तीन घंटे बाद उसकी नींद टूटी। उसने देखा कि वो अब भी चंदन के गोद में लेटी थी और चंदन जाग रहा था।
तीन घंटे से मैं सो रही थी चंदन। तुमने मुझे उठाया क्यों नहीं।
तुम गहरी नींद में थी सुमन। मैं तुम्हें डिस्टर्ब करना नहीं चाहता था। चंदन बोला।
उसकी आँख भीग गई। उसने उठकर चंदन को चूम लिया। तुम भी सो जाओ चंदन। मैं यहाँ सेवा कराने नहीं आई हूँ, बल्कि तुम्हारे लिए करके मुझे जो खुशी मिलेगी वो मेरे लिए अनमोल होगा। मुझे तुम्हारे लिए खाना बनाना है, टिफिन बनाना है, नमक कम होने पर डाँट खाना है, तुम्हारी नाराजगी देखनी है, तुम्हारे कपड़े धोने हैं। मैं किसी हॉस्पिटल में नहीं आई हूँ कि तुम नर्स की तरह मेरी सेवा करो। अगली बार जब मैं तुम्हारे गोद में सोऊँ तो जगा देना और खुद भी अच्छे से सोना।
इस बार चंदन ने उसे चूम लिया।
ठीक है सो जाओ। कल हम डाक्टर के पास चलेंगे।
सुबह उठकर सुमन चाय बना लाई।
चंदन उठो मैं तुम्हारे लिए चाय लाई हूँ।
चंदन उठा और देखा कि सुमन नहा धोकर एकदम फ्रेश दिख रही है तो एकटक उसकी ओर देखता रह गया।
क्या देख रहे हो ? सुमन बोली ।
यही कि मेरा बच्चा बहुत सुंदर होने वाला है सुमन। चंदन बोला।
चुप रहो। चुपचाप चाय पियो।
अरे ये तो मीठी है। चंदन बोला।
चाय तो मीठी ही होती है। सुमन बोली।
हाँ पर मैं मीठी चाय नहीं पीता। मैं नमक वाली चाय पीता हूँ।
ये तो अजीब है। नमक की चाय कोई पीता है क्या ?
मैं पीता हूँ सुमन। तुम जाओ और मेरे लिए एक कप नमक की चाय बनाकर लाओ।
इसके पीछे कोई बात अवश्य है।
है ना पर फिर कभी बताऊँगा।
सुमन दूसरा कप बना लाई फिर उसने उस विषय में पूछना उचित नहीं समझा।
वह कुक के साथ मिलकर रसोई बनाई और तैयार हो गई। चंदन भी तैयार हो गया था। फिर दोनो डॉक्टर से मिलने निकल गए।
हैलो डॉक्टर। वो दोनो एक स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास बैठे थे।
बताइये क्या बात है ? डॉक्टर ने पूछा।
डॉक्टर ये मेरी पत्नि सुमन है। इसे ब्रेस्ट कैंसर है और कुछ दिनों पहले इसकी ब्रेस्टेक्टामी भी करा दी गई है। ये रही इसकी केस हिस्ट्री।
मुझसे क्या चाहिए आपको ? डॉक्टर ने पूछा।
मैडम हम दोनो एक बच्चा चाहते हैं। क्या ये माँ बनने की स्थिति में है ? मुझे यही जानना है।
दिखाईये मुझे जरा केस हिस्ट्री।
डॉक्टर ने बारिकी से केस को देखा।
क्या ये दवाईयाँ अभी भी चल रही हैं।
जी मैडम।
ये तो बहुत स्ट्राँग दवाईयाँ है। इन दवाईयों के चलते तो तुम माँ नहीं बन पाओगी बेटा।
क्यों मैडम।
ये सभी पिरियड्स को डिस्टर्ब करने वाली दवाईयाँ है। क्या तुम्हारा पिरियड रेग्युलर है ?
नहीं मैडम कभी दो महीने में एक बार आता है, कभी एक महीने में दो बार आ जाता है।
फिर क्या करे मैडम।
कम पावर वाली दवाई का उपयोग करके पहले तुमको पहले अपना महीना ठीक करना पडे़गा। पर इससे तुम्हारा कैंसर बढ़ेगा, उसके ठीक होने की प्रक्रिया धीमी हो जायेगी।
मैं कुछ नहीं जानती मैडम आप चाहे जो रास्ता निकाले, मुझे माँ बनना है। मरने से पहले मैं माँ बनना चाहती हूँ। आप कुछ भी करिए।
अच्छा आपका डॉक्टर कौन है ?
डॉक्टर जोशी वो हमारे फैमिली डॉक्टर हैं।
मैं उन्हें जानती हूँ मैं उनसे बात करके कोई रास्ता निकालती हूँ। मैडम ने डॉक्टर जोशी को फोन लगाया और पता नहीं क्या बातचीत हुई।
देखिए मेरी बात हो गई है। हम दोनो मिलकर आपके लिए रास्ता निकालने का प्रयास करते हैं। ईश्वर ने चाहा तो आप माँ बन पायेंगी।
दोनो ये सुनकर खुश हो गए।
मैं आपके सभी दवाईयों में परिवर्तन कर रही हूँ। अगली बार जब आपको महीना आए तो तुरंत आप मुझे बताना। पिछली डेट मैंने इस पर लिख दी है। दवाईयाँ रेग्युलरली खाईये और अपना वजन बढ़ाईये। फल सब्जी अधिक मात्रा में खाईये, कोशिश करिए कि आप कम बीमार पड़े।
ठीक है मैडम। हम ध्यान रखेंगे। चंदन बोला।
मैंने कुछ ब्लड टेस्ट लिखे हैं आपके हारमोन लेवल को चेक करने के लिए। आप करवा लीजिए।
ओके मैडम। एक बात पूछनी थी, बच्चा तो इससे प्रभावित नहीं होगा। चंदन ने पूछा।
90 प्रतिशत नहीं होगा, अगर आप इनके स्वास्थ्य को और बेहतर कर पाएँ। इनके खाने-पीने का खास ध्यान रखिए।
थैक्यू मैडम।
दोनो खुश होकर घर वापस आए।
देखा सुमन मैडम ने भी वही कहा जो मैंने कही थी। तुमको अच्छे से खाना-पीना चाहिए।
ठीक है-ठीक है चुपचाप नाश्ता करो और ऑफिस जाओ ?
मुझे समझ नहीं आता आखिर तुमको खाने-पीने में इंटरेस्ट क्यों नहीं है। चंदन बोला।
नहीं है तो नहीं है तुमको क्या करना है ? सुमन नाराज हो रही थी।
करना है ना। अब जो कुछ करना है वो मुझे ही करना है।
तुमको अब जबरदस्ती खिलाना पड़ेगा।
चलो निकलो। ऑफिस जाओ बोली ना।
जा रहा हूँ, जा रहा हूँ। शाम को ढेर सारा खाने-पीने का सामान लेकर आऊँगा। यह कहकर चंदन गेट के बाहर निकलने लगा।
मैं मायके वापस चली जाऊँगी, बता रही हूँ।
चली जाना, चली जाना। मैं वहीं जाकर खिलाऊँगा। मैं भी बता रहा हूँ। चंदन जोर से चिल्लाकर कहा। ठीक है जा रहा हूँ दरवाजा बंद कर दो।
शाम को चंदन वापस घर आया तो उसके हाथ में बड़ा सा बॉक्स था।
आखिर तुम ले ही आए। दिखाओ जरा क्या-क्या लाए हो।
बस फल और ड्राई फ्रूड्स हैं। कुछ फ्रेश सब्जियाँ हैं और जूस है।
तुमको क्या लगता है मैं ये सब खाने वाली हूँ
हाँ जी। ये सिर्फ तीन दिन का स्टॉक है। तीन दिन में आपको खत्म करना है।
ठेंगा खाने वाली हूँ मैं। जरा खिला कर दिखाना।
खाओगी, खाओगी। चिंता मत करो जरूर खाओगी अभी ये सब फ्रिज मे रख दो।
जब खाना खाने बैठे तो चंदन फ्रिज से एक बॉक्स निकाल कर लाया। ये स्प्राउट्स हैं इसको मैंने थोड़ा इंटरेस्टिंग बनाया है। खाने के साथ खाओ अच्छा लगेगा।
मुझे सलाद पसंद नहीं।
असल में दवाईयों की वजह से तुम्हारे मुँह में स्वाद नहीं आता इसलिए खाने-पीने में तुम्हारा इंटरेस्ट खत्म हो गया है और मुझे मालूम है किन चीजो को किस तरह खाया जाए कि मुँह में स्वाद आए। खाकर देखो पसंद ना आए तो मत खाना।
सुमन ने खाकर देखा। वाकई अच्छा लगा।
क्या डाले हो इसमें चंदन।
नमक के साथ कुछ मसाले, चंदन स्पेशल। इसी तरह सभी चीजों को अलग ढंग से तैयार करके खाओ तभी स्वाद आएग।
सुमन देख रही थी कि चंदन उसके खाने-पीने और दवाईयों पर बहुत ज्यादा ध्यान देता था और उन्हें देना कभी नहीं भूलता था। सुमन रोज नाराज होती थी कई बार दिखावे के लिए और कई बार सचमुच में। पर चंदन उसक खिलाए बगैर नहीं मानता था। सुमन जानती थी कि पूरे छह दिन चंदन की बात सुनेगा लेकिन श्निवार को उससे कहा।
चंदन कल संडे हैं।
तो ?
तुमने मुझे संडे का रूल बताया था ना ?
हाँ मुझे मालूम है।
तो सुन लो, आज मैं जो मन करेगा खाऊँगी तुम्हारी एक नहीं सुनने वाली। तैयार हो जाओ हम मूवी चलेंगे और वहाँ से मैं जहाँ कहूँगी वहाँ चलेंगे।
चलो बाबा। अब रूल मैंने ही बनाया है तो फॉलो तो करना पड़ेगा ना। चंदन बोला।
दोनो मूवी देखने गये।
हॉल में चंदन ने सुमन को हाथ पकड़ा और दो तीन बार चूम लिया।
ये क्या कर रहे हो ? घर में नहीं मिलता क्या तुमको ?
दिन भर तो चूमते रहते हो।
मिलता है ना। पर पिक्चर हॉल मे प्रेमी-प्रेमिका जैसे बिहेव करने का आनंद ही अलग है।
छोड़ो, छोड़ो सब लोग देख रहे हैं।
अरे! सब लोग यही करने आते है। अंकल-आंटी लोग भी।
तुमको बड़ा पता है ये सब। सुमन बोली।
हाँ जी मुझे ये सब पता है क्योंकि मैं जब बैचलर था तो यही सब देखने आता था यहाँ पिक्चर देखने थोड़ी आता था, विश्वास न हो तो सिर इधर-उधर घुमाकर देख लो। पिक्चर तो अपन पेन-ड्राइव में देख लेंगे।
सुमन ने पिक्चर से ध्यान हटाकर इधर-उधर देखा तो सचमुच में कुछ कपल्स इसी में व्यस्स्त थे। वो जोर-जोर से हँसने लगी। तभी पीछे से आवाज आई, ओ मैडम थोड़ा धीरे हंसिए।
मुझे बाहर जाना है अभी। सुमन अपनी हँसी नहीं रोक पा रही थी।
क्यों ? थोड़ा और देखते हैं ना। चंदन बोला।
नहीं, नहीं उठो चलो। मुझे नहीं देखना है।
अच्छा चलो यार। तुम तो मजा लेना जानती ही नहीं हो।
दोनो बाहर निकलकर लॉबी में आ गए।
सुमन पेट पकड़कर जोर-जोर से हँसने लगी।
बदमाश, तुम यही सब देखने यहाँ आते थे। सुमन बोली।
तो क्या। तुमको तो कुछ सेंस ही नहीं है। अरे पिक्चर हॉल में आकर प्रेम करने का आनंद ही कुछ अलग है।
चलो- चलो मुझे गुपचुप खिलाओ। वो अब भी अपनी हँसी नहीं रोक पा रही थी। उसके आँखे भर आई थी। अच्छा तुम यहाँ बेंच में बैठ जाओ। पहले जितना मन करे हँस लो। सुमन बेंच पर बैठ कर हँसने लगी।
चंदन जमीन पर घुटने के बल उसके सामने बैठ गया। उसके दोनो हाथो को पकड़कर उसकी गोद में रखा और बोला।
तुमको मालूम है सुमन लगभग एक साल बाद तुमको इस तरह हँसते देखा है। आज मेरी अंतर आत्मा तृप्त हो गई।
सुमन ने गोद से चंदन का दोनो हाथ उठाया और चूम ली।
चलो मुझे गुपचुप खिलाओ। सुमन बोला।
गुपचुप तो बिल्कुल नहीं। वो तुम्हारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकता है। कुछ और बताओ। चंदन बोला।
नहीं, आज मैं बिल्कुल सुनने वाली नहीं हूँ। छह दिन तुम जोर जबरदस्ती करते हो उसका कुछ नहीं। मुझे तो गुपचुप ही खाना है बस। वरना मैं कुछ भी नहीं खाऊँगी, सोच लो।
अच्छा बाबा, चलो खिलाता हूँ।
चंदन उसको एक अच्छी साफ सुथरी जगह लेकर गया और सुमन ने छक कर गुपचुप उड़ाया। आज तो उसको मौका मिला था तो वो क्यों जाने देती।
तुम मेरे रूल्स का बहुत दुरुपयोग कर रही हो मैडम। चंदन बोला।
हाँ तो ? सुमन बोली।
हाँ तो मेरी भी बारी आएगी। छह दिन मैं भी इसका बदला लूँगा,
याद रखना।
अच्छा ले लेना। यहाँ से अब मुझे भैया के घर ले चलो।
चलो। चंदन बोला।
दोनो घर पहुँचे तो सभी चौक गए।
सुमन तुम तो बहुत फिट और स्वस्थ दिख रही हो। रमेश ने कहा। मुझे लगता है तुम्हारा वजन भी थोड़ा बढ़ा है।
सब इन्हीं की वजह से है भैया। ये दिन भर मुझे खिलाते ही रहते हैं। मेरा इतना ज्यादा ध्यान रखते हैं कि कभी-कभी मैं इनसे नाराज हो जाती हूँ।
पर ये तो अच्छी बात है सुमन कि चंदन तुम्हारा इतना ध्यान रखता है और तुम हो कि उस पर गुस्सा दिखाती हो। रमेश बोला।
नहीं-नहीं रमेश ऐसी कोई बात नहीं है मुझे उसका गुस्सा भी पसंद है।
देख लिए भैया। ये तो मेरी किसी बात से परेशान होते ही नहीं है।
मैं तुम दोनो को खुश देखकर बहुत खुश हुआ चंदन।
तुमने सच्ची दोस्ती निभाई दोस्त। रमेश का गला थोड़ा भारी हो गया था। ये बताओं रेडियोथेरेपी कब चालू होने वाली है।
इसी वीक से चालू करना है रमेश। डॉक्टर बोल रहे थे कि दवाईयाँ थोड़ी माइल्ड कर दी है तो रेडियोथेरेपी करना जरूरी है।
अच्छी बात है। खाना बन ही गया था है खाकर जाओ। ठीक है भैया आप लोग बैठिए मैं खाना लगाती हूँ।
दोनो खाना खाकर वापस लौट गए। इतने दिनो मे आज का दिन सुमन के लिए श्रेष्ठ गुजरा था। वो चंदन से लिपटकर सो गई।
इनको अगले सप्ताह बुधवार को डॉक्टर ने रेडियोथेरेपी के लिए समय दिया था।
रेडियोथेरेपी के बाद जब वो लोग वापस लौट रहे थे तभी सुमन बोली।
चंदन वो आगे मेडिकल स्टोर्स में रोको।
क्यों ?
मुझे पीरियड आ गया।
ओह! ये तो अच्छी बात है। मैडम ने कहा था कि जैसे ही पीरियड आये तो बताना।
अभी तो घर चलो, शाम को मैडम के पस चलेंगे।
शाम को दोनो मैडम के पास गये।
ओह गुड! तुम तो थोड़ी स्वस्थ दिख रही हो। इधर आओ, इस पर खड़ी हो जाओ, देखे तुम्हारे वजन कितना बढ़ा है। मैडम ने कहा।
सुमन जाकर मशीन के ऊपर खड़ी हो गई।
गुड लगभग साढ़े तीन किलो बढ़ गया है। जो कि अच्छा साइन है। मैंने तुम्हारे रिपोर्ट्स भी देखे है। हारमोनल सीक्रिट हो रहे है। ये भी अच्छा साइन है। सुमन तुम वाकई अच्छा कर रही हो। ऐसा ही चलता रहा तो तुम्हारा बच्चा भी होगा और तुम कुछ सालों की जगह पूरी जिंदगी जी पाओगी।
सुमन उठी मैडम के पैर छुई और बोली मैडम ये सब आपकी और मेरे इन देवता की वजह से है। ये मेरे भगवान है मैडम। मेरे दुख तकलीफ सब इन्होंने अपने ऊपर ले लिया है और अपने हिस्से की सारी खुशियाँ मुझ पर न्यौछावर कर दिया है। मैं सौ जन्म लेकर भी इसका ऋण नहीं ऊतार नहीं सकती।
चंदन तुम जैसे अभी ध्यान दे रहे हो। तुमको बच्चे के लिए कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए।
सुमन तुम्हारा महीना आज ही चालू हुआ है तो आज से 14 दिन बाद तुम लोग बच्चे केलिए प्रयास करना। अगर ईश्वर ने चाहा तो लग जाएगा और यदि एक बार लग गया तो आगे मैं संभाल लूँगी। गर्भ ठहरना महत्वपूर्ण है।
जी मैडम।
मैं ये कुछ और दवाईयाँ जोड़ रही हूँ जो हारमोन्स के स्त्राव को नियंत्रित करेगा। इसे ध्यान से खिलाना, गैप नहीं होना चाहिए।
मैं ध्यान रखूँगा मैडम। आपका बहुत शुक्रिया। आपने हमारे जीवन में आशा की किरण जगा दी है। चंदन बोला।
अच्छा मैं आप लोगों को एक सुझाव भी देना चाहूँगी।
बताईये मैडम। चंदन बोला।
देखो रायपुर तो बहुत गर्म स्थान है। आप लोग कुछ दिनों के लिए किसी हिल स्टेशन पर क्यों नहीं चले जाते। वहाँ शरी का मेटाबोलिस्म ज्यादा नियंत्रित रहेगा और गर्भधारण में भी आसानी होगी।
ये आप सही कह रहे हैं मैडम। तुरंत ही उसकी व्यवस्था करता हूँ। यह कहकर वे दोनो घर आ गए।
चंदन जी थैंक्स।
आज तुमने चंदन के साथ जी लगाया।
हाँ क्योंकि मुझे आपके पैर छूने है। कहकर वह नीचे झुकी।
ऐंसा क्यों कर रही हो सुमन। हम दोस्त हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि मैं देख रही हूँ कि आपने अपना सब कुछ मुझ पर लुटा रखा है। आपके जीवन में मेरे सपने को पूरा करने के अलावा कोई लक्ष्य नहीं है।
ये सिर्फ तुम्हारा सपना नहीं है मेरा भी सपना है। ईश्वर ना करे अगर तुम्हें कुछ हो गया या मुझे कुछ हो गया तो ये जो तीसरा आयेगा हमारे जीवन में, यही हमारे जीने का सहारा होगा। मुझे बच्चा नहीं चाहिए क्या? मुझे भी बच्चा चाहिए सुमन। इसलिए तुम अपने दिल पर कोई बोझ मत रखो। ये सब मैं अपनी खुशी के लिए भी कर रहा हूँ।
दूसरे दिन चंदन ने ट्रैवल एजेंट से बात किया और दस दिन बाद का शिमला जाने के लिए ट्रेन की टिकिट बुक किया।
सुमन की जाने से पहले एक और रेडियोथेरेपी करानी आवश्यक थी इसलिए डॉक्टर से पूछने के बाद ही उसने टिकिट बुक कराया था। उसने अपनी कंपनी में एक सप्ताह की छुट्टी के लिए भी आवेदन कर दिया था।
घर आया तो सुमन ने पूछा।
क्या हुआ आपने बताया नहीं।
सब अच्छा हुआ और क्या। आज मैंने शिमला जाने के लिए 10 दिन बाद की टिकिट बुक कर दी।
वो फ्रिज से फल निकालकर ले आया और सुमन को खिलाने लगा।
चंदन मेरे शरीर में दो जगह और गाँठे उभर आई हैं। मुझे डर लग रहा है।
चिंता मत करो हम डॉक्टर को दिखायेंगे। अभी उन्होंने तुम्हारी दवाईयाँ कमजोर कर दी हैं, शायद इस वजह से ये दिख रहा है अभी जब रेडियोथेरेपी कराने जायेंगे तब दिखा देंगे। अगर इसी बार तुम प्रेग्नेंट हो जाओ तो जल्दी फिर तुम्हारा प्रापर इलाज करा पाऊँगा। मुझे तुम्हारे जिद के आगे झुकना पड़ता है। यही तकलीफ है। मुझे तुम चाहिए हो सुमन। मेरे लिए तुम महत्वपूर्ण हो। तुमको दाँव पर लगाकर मुझे बच्चा नहीं चाहिए।
पर मुझे तो चाहिए। भूलना नहीं तुमने मेरे सपने को पूरा करने का वादा किया है। सुमन बोली।
तुम मेरी बात मानती क्यों नहीं हो ? चंदन बोला।
मुझे कुछ नहीं सुनना है। सुमन बोली और उठकर बेडरूम में चली गई।
चंदन उठकर बेडरूम में आ गया।
अच्छा बाबा सॉरी। फिर नहीं बोलूँगा, अब तो गुस्सा मत करो। चंदन बोला।
ठीक है दुबारा नहीं बोलना इधर आओ मेरे पास।
चंदन उसके पास गया तो वो उससे लिपट गई।
जब वो लोग डॉक्टर के पास गए तो डॉक्टर ने भी समझाईस दी।
सुमन, दवाईयों को कमजोर करना तुम्हारे स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। तुम्हे इस विषय में दुबारा विचार करना चाहिए।
नहीं डॉक्टर साहब मैंने अच्छे से विचार कर लिया है। मुझे बच्चा चाहिए।
ठीक है फिर जैसी तुम्हारी मर्जी। मैं तुम्हारी रेडियोथेरेपी तो करवाता हूँ। इससे शायद फायदा हो। सुमन ने रेडियोथेरेपी करवाया। जब भी वो रेडियोथेरेपी करवाती थी तो उसकी तकलीफ बढ़ जाती थी और दो तीन दिन तक उससे उबर नहीं पाती थी। पर चंदन के रहते उसे तकलीफ का जरा भी अहसास नहीं होता था। चंदन चाहता था कि शिमला जाने से पहले सुमन का कम से कम 1-2 किलो वजन और बढ़ जाए इसलिए वह उसको ढेर सारी स्वास्थ्यप्रद चींजे खिलाने लगा।
एक दिन सुमन ने कहा - चंदन तुम मुझे बस खिला-खिला कर मोटी कर डालो। जब मैं भद्दी दिखूँगी ना तब तुमको समझ आयेगा।
अरे! दो चार किलो बढ़ने को मोटापा थोड़ी कहते हैं। 20 किलो वजन बढ़ जाए तब मोटापा कहलाएगा। इसलिए मैं जो खिलाता हूँ ना उसे चुपचाप खा लिया करो। बहस मत किया करो।
इस तरह दस दिन किस तरह बीत गए उन्हें पता नहीं चला। नियत तिथि पर वो घर में बता कर शिमला पहुँच गए।
सुरम्य वादियों का शहर शिमला। ट्रेन से ऊतरते ही जैसे सुमन में जान आ गई। उसने अपने नजरें उठाई। कोहरे से ढके पहाड़, पहाड़ों पर ऊँचाई से लेकर तराई तक बसा शहर, रंग-बिरंगे घर, चर्च में बजती घंटियाँ और हल्की सी नमी भरी हवा उसके मन को गुदगुदा रही थी।
तुमने होटल कहाँ पर लिया है चंदन ?
चलो दिखाता हूँ तुमको मजा आ जाएगा। हनीमून सुईट बुक किया है।
अच्छा चलो।
होटल पहुँचकर सुमन जैसे होटल के कमरे में गई। वो एकदम खुश हो गई। कमरा बहुत ही सुंदर ढंग से सजाया गया था। पिंक कलर के थीम में सुंदर परदे थे, सोफे थे और बेड तो आलीशान था। जिस पर मखमली रजाईयाँ रखी हुई थी, अचानक उसका ध्यान बालकनी की ओर गया। वह जैसे ही बालकनी पर पहुँची। आह! क्या सुंदर नजारा था, ऐसा लग रहा था मानो वह बादलों के बीच खड़ी हो, और बादल उसे छूकर जा रहे थे।
पक्षियो के कलरव और कोहरे से ढंकी वादियाँ उसका मन प्रफुल्लित कर रहे थे। अचानक पीछे से आकर चंदन ने उसे अपने बाहों में भर लिया।
धन्यवाद महोदय, मुझे इतनी सुंदर जगह पर लाने के लिए। सुमन बोली।
वेलकम मैडम। बस आप खुश तो मैं भी खुश। चंदन बोला।
अच्छा ये बताओ कभी अतरंग हुए हो ? मुस्कुरा कर बोली।
ये क्या प्रश्न हुआ। तुम तो ऐसे पूछ रही हो जैसे मैंने दो चार शादियाँ पहले की हुई है।
मैं रिया की बात कर रही हूँ पागल। सुमन बोली।
नहीं यार। वो तो मेरे प्रेम के इजहार के बाद तुरंत रायगढ़ चली गई थी।
तो सर जी मेरे साथ कैसे निभायेंगे आप ? सुमन हँसते हुए बोली।
चैलेंज कर रही हो मुझे, चैंलेज कर रही हो ? चंदन ने उसे और कसकर पकड़ लिया। सुमन जोर लगाकर अपने को छुड़ाई और भागने लगी। चंदन ने खींचकर उसे अपनी बाँहो में उठा लिया।
अरे रे रे! छोड़ो मुझे।
नहीं छोड़ूँगा मैडम।
अच्छा, तो फिर मुझे इतना प्यार करो चंदन, इतना प्यार करो कि मेरे बच्चे की अतंर्रात्मा तक तुम्हारी आवाज जाए।
चंदन इमोशनल हो गया और ये सात दिन शिमला के उन्होंने जी भरकर जिया।
सात दिन बाद उन्होंने ट्रेन पकड़ी और वापस रायपुर आ गए। घर पहुँच कर सुमन रिया की फोटो के पास गई और उस पर हाथ फिराने लगी।
क्या हुआ सुमन। चंदन ने पूछा।
मैं तुमसे ज्यादा रिया की ऋणी हूँ चंदन। उसने अपने माथे का सुगंधित चंदन ऊतारकर मेरे माथे में लगा लिया। उसके हिस्से का सारा सुख मैं भोग रही हूँ।
सबका अपना नसीब होता है सुमन, कोई किसी का ऋणी नहीं। सबको अपने भाग्य के हिसाब से फल मिलता है।
तुम बार-बार ये कहकर मुझे छोटा महसूस कराती हो। चंदन बोला।
मुझे माफ कर दो चंदन। पर क्या करूँ मेरे मन मे ये बात आ ही जाती है।
कोई बात नहीं सुमन अब दुबारा मत कहना।
कल रेडियोथेरेपी का डेट है क्या ? सुमन ने पूछा।
है तो पर हम पहले मैडम से बात करेंगे। वह कहेंगी तभी रेडियाथेरेपी करायेंगे।
दूसरे दिन वे मैडम से मिलने गए तो मैडम ने उन्हें रेडियोथेरेपी कराने से मना किया और कहा कि सुमन 20 दिन कोई भारी काम ना करे सिर्फ आराम करे और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखे।
चंदन फिर उसे उसी लगाव, उसी निष्ठा के साथ उसकी सेवा करने लगा। दोनो अब कम ही बाहर निकलते थे। सुमन घर पर ही रहने लगी।
करीब एक महीने बाद वे दोनों फिर से मैडम के पास गए।
अब तक मेरा महीना नहीं आया है डेट निकले कुछ दिन हो गए।
अच्छा तो फिर अपना यूरीन सैंपल दो। मैं टेस्ट करवाती हूँ। संजय जरा इनका यूरीन सैंपल लेकर प्रेग्नेंसी टेस्ट करो। मैडम ने अपने लैब टेक्नीशियन से कहा।
सुमन उठकर सैंपल देने चली गई।
मैडम सुमन के शरीर में और गाँठे उभर गयी है, कोई दिक्कत तो नहीं है। मतलब जान का खतरा ?
दिक्कत तो है चंदन। बच्चे के चक्कर में कैंसर की रिकवरी नहीं हो पा रही है और अगर प्रेग्नेंट हुई तो एक साल और ध्यान नहीं दे पायेंगे। पता नहीं ईश्वर की क्या मर्जी है। तुम तो कोशिश कर ही रहे हो उसे स्वस्थ रखने की।
तभी सुमन आ गई।
थोड़ी देर में टेक्नीशियन रिपोर्ट ले आया।
चंदन लड्डू बाँटो। मैडम ने कहा।
ओह!!! क्या मैडम आप सच कह रही हैं ?
हाँ। मैं सच कह रही हूँ, सुमन पे्रेग्नेंट है।
ओ गॉड! मुझे यकीन नहीं हो रहा है।
सुमन एकदम चुप हो गई थी उसकी आँ से आँसू बह निकले। उसके लिए ये खुशी की पराकाष्ठा थी।
वहाँ से निकलकर दोनेा सुमन घर गए। ये खबर सुनकर रमेश ने चंदन को गले से लगा लिया।
चंदन ये सिर्फ तुम्हारे कर्मों का फल है जरूर सुमन ने पिछले जन्म में कुछ अच्छे कर्म किए होंगे कि उसको तुम मिले।
आप ठीक कह रहे हैं भैया इस सफलता मे मेरा लेशमात्र भी योगदान नहीं। सब इन्हीं के कर्मों का फल है। सुमन बोली।
यार आप लोग भी फिर से शुरू हो गए। सुमन मैंने तुमको मना किया था ना?
ओके, ओके सॉरी। मैं भूल गई थी। सुमन ने कहा।
पर दोस्त ये सब जो सुमन को मिल रहा है मेरी कल्पना से परे था। थैंक्स फॉर एवरीथिंग। यह कहकर रमेश ने चंदन को गले लगा लिया।
दोनो खाना खाकर घर आ गए।
घर आकर चंदन ने सुमन को बेड पर बिठाया और आड़ा तिरछा जोर-जोर से नाचने लगा।
ये क्या कर रहे हो तुम ? सुमन हँसते हुए बोली।
नाच रहा हूँ और क्या । चंदन नाचते हुए बोला।
पागल हो गए हो तुम। गिर जाओगे तो चोट लग जाएगी। इधर आओ चुपचाप बैठ जाओ।
चंदन पास आया, सुमन को चूमा और फिर जाकर नाचने लगा। सुमन उसको देखकर खुश हो रही थी। ये उसके लिए बहुत अद्भुत पल था। लेकिन चंदन को मालूम था कि आगे आने वाला समय बहुत मुश्किल होने वाला है क्योंकि अब उसको एक बीमार शरीर में दो लोगों की जान बचानी है।
वो सुमन का बहुत ध्यान रखता। हर 15 दिन में सोनोग्राफी कराने, डॉक्टर के पास लेकर जाता और वो सब करता जो दोनो के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण था।
लेकिन वह देख रहा था कि सुमन के गले वाला गाँठ थोड़ा और बड़ा हो गया है और उसके शरीर में कुछ और गाँठे निकल आई है। दोनो के लिए उसकी चिंता चरम पर थी। वो बेहद चिंतित था।
मैं देख रही हूँ आजकल तुम खुश दिखाई नहीं देते। बहुत चिंतित रहते हो, मैं मर जाऊँगी करके तुमको डर लगता है ? सुमन बोली।
ऐसा मत कहो सुमन, मैं तुम्हारे बगैर नहीं जी सकता। तुम्हारे बगैर मैं खुशियों की कल्पना भी नहीं कर सकता। उसकी आँख में आँसू आ गए।
चंदन, मुझे आभास होने लगा है कि मेरा जाना तय है। अंतर आत्मा की आवाज कभी गलत नहीं हो सकती। लेकिन मेरी कसम है तुमको मुझमें और बच्चे में यदि तुमको चुनना पड़ा तो प्लीज बच्चे को बचाना।
मुझे बच्चा नहीं चाहिए तुम चाहिए हो और प्लीज ऐसा दुबारा मत बोलना। चंदन रोने लगा।
रोओ मत चंदन, जितने भी दिन का साथ है हम खुशी से जियेंगे। यह कहकर उसने अपनी ऊँगलियो से चंदन का आँसू पोछा। चंदन सुमन की गोद में लेट गया ओर आनी आँखे बंद कर लिया। वह उसके बालों में हाथ फेरने लगी।
मेरे बच्चे को तुम खूब पढ़ाना चंदन। उसको तुम डॉक्टर बनाना और कैंसर की सबसे अच्छी दवाई बनाने कहना।
चंदन सुमन की गोद में अपना चेहरा छुपाकर रोने लगा।
चंदन के लिए ये सब बहुत ही कठिन होता जा रहा था परंतु वह पूरी निष्ठा और प्रेम के साथ सुमन की सेवा में लगा था।
इधर रिया को नागपुर में लगभग एक साल हो गये थे। अब वह बैसाखी के सहारे चल सकती थी। उसके दादाजी ने जोशी जी को कहा - जोशी जी आपने सगो से भी ज्यादा हमारे लिए किया है मैं हमेशा याद रखूँगा। रिया अब चलने फिरने लायक हो गई है और वो जॉब करने की जिद्द कर रही है। मुझे बहुत चिंता होती है पर वो मानने के लिए तैयार ही नहीं है। कहती है दादाजी मैं कब तक आपके ऊपर बोझ रहूँगी। मैं मजबूर हूँ जोशी जी, हम लोगों को अब रायगढ़ लौटना है।
अभी यहीं से अप्लाई करने दीजिए रिया को। जाते ही जॉब मिल जाएगा ऐसा जरूरी तो नहीं है जोशी जी ने कहा।
नहीं-नहीं जोशी जी। असल में रिया ने बिलासपुर के एक स्कूल में लेक्चरर के लिए अप्लाई किया था। उसका ज्वाइनिंग लेटर आ गया है तो जाते ही वो जॉब मिला जाएगा। मेरे पुराने ऑफिस में वो लेटर पड़ा हुआ है।
ठीक है भैया जी आप लोगों की जैसी मर्जी।
दादाजी ने सबको तैयारी करने को कहा और निकल गए रायगढ़ की ओर।
आज रिया अपने घर के सामने खड़ी होकर देख रही थी घर बहुत पुराना नजर आ रहा था। पूरा आंगन सूखे पत्तों से भरा हुआ था। उसे अपने बचपन के दिन याद आ रहे थे कि यहाँ वो उछल-कूद करती थी और पापा-मम्मी दिनभर उसके पीछे भागते रहते थे। उसकी आँखों में नमी थी।
वह घर अंदर आ गई और सोफे पर चुपचाप बैठ गई।
जैसे ही कॉलोनी में सबको उनके आने की खबर हुई सभी उनके घर पहुँच गए।
बगल वाले अधेड़ उम्र के अय्यर साहब भी आ गये थ। सभी हॉल में ही बैठे थे और पूरी घटना के बारे में जानकारी ले रहे थे। रिया के दादाजी विस्तार से सब को घटना की जानकारी दे रहे थे तभी अय्यर जी बोले।
सिंग साहब आपको एक बात को बताना तो मैं भूल ही गया था।
वो क्या अय्यर साहब ? दादाजी बोले।
आप लोगो के जाने के बाद एक अजीब घटना घटी।
क्या ?
आप लोगों के जाने के लगभग एक सप्ताह बाद रिया के बारे में पूछताछ करने के लिए एक लड़का आया था।
रिया के कान चौकन्ने हो गये। उसने सिर उठाकर अय्यर जी की ओर देखा।
क्या तो नाम था उसका। ठीक से याद नहीं आ रहा है। शायद चंदन नाम था उसका। हाँ चंदन ही नाम था। अय्यर जी बोले।
तो उसमें क्या अजीब बात है ? किसी ने पूछा।
अजीब बात ये है कि जब से उस लड़के को मैंने बताया कि ये रिया का घर है तब से रोज शाम को वो यहाँ आता था और दो तीन घंटे तक एकटक इनके घर की ओर देखते रहता था। कभी गेट को आकर छूता था कभी दीवारों पर हाथ फेरता था और फिर जाकर खड़ा हो जाता था। ऐसा लगभग छह महीने तक चला। छह महीने तक वो रोज आते रहा। मुझे तो वो पागल जैसा लग रहा था।
ये सुनते ही रिया जोर-जोर से रोने लगी और सबको सॉरी बोलकर अपने बेडरूम में चली गई। बेडरूम में वो अपना सिर पकड़कर बैठ गई और फूटफूटकर रोने लगी।
क्या वो अब भी आता है ? दादाजी ने अय्यर जी से पूछा।
नहीं। उस छह महीने के बाद मैंने उसे नहीं देखा।
ठीक है आप लोग प्लीज जाईये। रिया थोड़ी डिस्टर्ब है, मैं बाद में बात करूँगा।
रिया, बेटा रो क्यों रही हो ? दादाजी ने पूछा।
वो मुझसे बहुत प्यार करता है दादाजी।
इसीलिए वो कहता हूँ बेटा उसे सब बता दो। तुम कहो तो अभी मैं उससे बात करता हूँ। उसे नहीं मालूम कि तुम कहाँ हो पर तुम्हें तो मालूम है कि वो कहाँ है। तुम उससे बात कर लो बेटा क्यों इतनी तकलीफ सह रही हो ? दादाजी ने कहा।
नहीं दादाजी अब तक वो मुझे भूल गया होगा और याद दिलाकर मैं उसको मजबूर नहीं करना चाहती कि वो मुझे बोझ की तरह जीवन भर रखे। नहीं दादाजी मैं उसे नहीं बताऊँगी। चाहे जो भी हो जाए अब मैं उसके जीवन में वापस नहीं जाऊँगी। रिया ने रोते हुए कहा। दादाजी मुझे बिलासपुर ले चलिए मैं थोड़ा व्यस्त रहूँगी तो उधर ध्यान नहीं जाएगा।
ठीक है बेटा जैसी तुम्हारी मर्जी। एक दो दिन में हम सभी लोग बिलासपुर चले जायेंगे। मैं किसी परिचित को घर ढूँढने बोलता हूँ। स्कूल के आसपास ही ठीक रहेगा। दो तीन दिन बाद सभी लोग बिलासपुर शिफ्ट हो गए।
यहाँ सुमन को अब नौ महीने होने वाले थे, डिलीवरी का समय एकदम नजदीक आ गया था। वो ज्यादा चल फिर नहीं रही थी। एक दिन अचानक रात को दर्द उठा तो वो चिल्लाने लगी। चंदन उठ गया।
शांत रहो सुमन थोड़ा धैर्य रखो। मैं अभी तुमको मैडम के हॉस्पिटल लेकर चलता हूँ।
वह किसी तरह सुमन को गाड़ी तक लाया और बिठाकर हॉस्पिटल ले आया। मैडम को सूचना दी गई तो वो तुरंत आ गई। उन्होंने सुमन के फैमिली डॉक्टर को भी बुला लिया। ताकि कोई काम्प्लीकेशन हो तो संभाला जा सके।
सब कुछ नार्मल था तो मैडम ने सोचा कि नार्मल डिलीवरी के लिए इंतजार करना चाहिए। तीन से चार घंटो बाद अचानक उसकी पीड़ा बढ़ गई। उसे तत्काल डिलीवरी रूम में ले जाया गया। चंदन रूम के बाहर ही बैठा था इतने में रमेश और उसके माता-पिता सभी आ गए।
क्या हुआ चंदन ? रमेश ने पूछा।
सुमन को अभी अंदर ले गए रमेश। चंदन बोला।
अंदर सुमन कराह रही थी। पर बच्चा बाहर नहीं आ रहा था।
पुश करो सुमन, पुश करो। मैडम बोली।
पुश नहीं हो रहा है मैडम। कहकर सुमन और कराहने लगी।
उन्होंने सुमन को कोई इंजेक्शन लगाया औ कहा अब जोर लगाओ सुमन।
आ आ आ आ। सुमन एकदम ताकत लगाकर चिल्लाई और बच्चा बाहर आ गया परंतु तब तक उसके साथ एक भयंकर अनहोनी घटना हो चुकी थी उसके गले की गाँठ फूट गई और मुँह से खून बाहर आने लगा।
डॉक्टर हतप्रभ रह गए उन्होंने इसकी कल्पना भी नहीं की थी।
चंदन को बुलाओ, चंदन को बुलाओ। सुमन जोर-जोर से चिल्ला रही थी।
कुछ नहीं होगा सुमन तुमको हम लोग कुछ करते हैं। मैडम बोली।
आप भगवान के लिए चंदन को बुला दीजिए मैडम। मैं जानती हूँ मैं नहीं बचने वाली। सुमन बोली।
चंदन दौड़ते हुए अंदर आया। उसने देखा कि सुमन का गला खून से लथपथ था। वो जोर-जोर से रोने लगा। वो लगतार खून को अपने हाथ से रोकने की कोशिश कर रहा था। तभी डॉक्टर्स उसके गले पर खून रोकने के लिए कुछ लगा दिए।
मेरी बात सुनो चंदन। सुमन बोली।
चंदन अब भी जोर-जोर से रो रहा था।
तुम जाओ और मेरे बच्चे को इधर लाओ। जल्दी लाओ मेरे पास टाईम नहीं है। सुमन बोली।
चंदन बच्चे को ले आया।
चंदन, हमारे बेटी है कि बेटा है। सुमन अब थोड़ी शांत हो गई थी वो हाँफ रही थी और उसके आँख बंद हो रहे थे।
बेटी है सुमन।
तो मेरी एक बात मानोगे?
क्या सुमन। वो अब भी रो रहा था।
इसका नाम रिया रखना। सुमन बोली।
तुम ठीक हो जाओ सुमन, फिर जो मन करे वो नाम रख लेना। तुम मुझे छोड़कर मत जाना सुमन नहीं तो मैं जिंदा नहीं रह पाऊँगा।
नहीं चंदन अब मुझे जाने दो। तुमने मुझे सात जन्मों का सुख एक साथ दे दिया। फिर भी अगर हमारा दुबारा कहीं जनम हुआ तो मैं भगवान से प्रार्थना करती हूँ कि तुम ही पति के रूप में मिलो। बस एक कसक रह गई दिल में कि मैं अपने बच्चे को दूध नहीं पिला सकी। अब ये जिम्मेदारी भी तुमको पूरी करनी है। मुझसे कोई भूल चूक हो गई हो तो माफ कर देना चंदन। आई लव यू। ऐसा बोलकर वो बच्चे के सिर में हाथ रखी और अंतिम सांस ली।
सुमन, सुमन, सुमन। चंदन चिल्लाने लगा। तुम नहीं जा सकती सुमन। वो जोर-जोर से सुमन को हिलाने लगा।
वो अब नहीं रही चंदन। मैडम ने चंदन के कंधे को पकड़कर कहा।
ऐसा नहीं हो सकता मैडम, ऐसा नहीं हो सकता। बच्चे को लेकर वो जमीन पर बैठ गया और जोर-जोर से रोने लगा।
उसकी आवाज सुनकर सभी लोग अंदर आ गए। सुमन दम तोड़ चुकी थी। जवान बेटी की दर्दनाक मौत ने पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया।
चंदन ने बच्ची को उसकी माँ को दिया और सुमन के पास ही बैठ गया।
सुमन को घर लेकर चलते हैं चंदन। रमेश ने कहा।
नहीं, सुमन तुम्हारे घर नहीं जाएगी रमेश, वो अपने घर जाएगी।
वो लोग सुमन को चंदन के यहाँ लेकर आए और फिर विधिवत अंतिम संस्कार के लिए ले गए।
अंतिम संस्कार करके लौटा तो वो दो तीन घंटे तक तो बैठकर रोता ही रहा। अचानक उसे अपनी बेटी की याद आई। वो उठा और दौड़ते हुए रमेश के घर की तरफ भागा। पहुँचा तो देखा कि उसकी बेटी बेड पर सो रही है और उसकी नानी वहीं पर बैठी हुई रो रही है।
चंदन बच्ची के पास जाकर बैठ गया। उसने ध्यान से देखा कि बच्ची बिल्कुल सुमन की तरह दिख रही थी।
माँ क्या मैं अपनी बेटी को लेकर जा सकता हूँ। चंदन ने पूछा।
इतनी हड़बड़ी क्या है बेटा, आज तुम थके हो, आराम कर लो फिर कल लेकर चले जाना।
नहीं माँ उसके बगैर रह नहीं पाऊँगा। प्लीज मुझे लेकर जाने दीजिए। कोई दिक्कत होगी तो आपके पास फिर ले आऊँगा। चंदन बोला।
वह अपनी बेटी को घर ले आया। वो रात भर जागते रहा और एकटक अपनी बेटी को देखता रहा। जब भी वह रोती, वह उसको उठाकर गोद में ले लेता, उसको दूध पिलाता। वो सो जाती तो फिर से बेड पर लिटा देता। इसी तरह पूरी रात बीत गई। अगले दो दिन तक वह घर से नहीं निकल पाया और इतने समय तक उसने अपनी बच्ची को नाम से नहीं पुकारा था क्योंकि वह उसका नाम सुमन रखना चाहता था, परंतु सुमन ने ही उसका नाम रिया रख दिया था इसलिए दो दिन के बाद उसने पहली बार अपनी बच्ची को कहा।
रिया, इस घर में तुम्हार स्वागत है।
तभी घर की घंटी बजी। वो रिया को उठाकर गेट खोला तो देखा रमेश था।
कैसी है मेरी बेटी ? रमेश ने पूछा।
सुमन ने जाने से पहले इसका नाम रिया रखा था रमेश।
जाते हुए भी उसको तुम्हारी चिंता थी चंदन।
हाँ रमेश मुझे मालूम है।
तुम ऑफिस नहीं आए तो मुझे चिंता हुई इसीलिए तत्काल यहाँ पता करने आ गया।
अच्छा किया रमेश।
तुम ऑफिस के लिए कैसे करोगे चंदन। आखिर ऑफिस तो जाना ही है ना ? रमेश बोला।
हाँ तुम ठीक कहते हो रमेश। तुम्हीं बताओ कि मैं क्या करूँ। चंदन ने पूछा।
तुम दिन में रिया को माँ के पास छोड़ दिया करो चंदन।
हाँ, ये तुम ठीक सलाह दे रहे हो रमेश। मैं दिन में रिया को माँ के पास छोड़ दूँगा। अब मैंने कार खरीद ली है तो ज्यादा दिक्कत नहीं है। चंदन बोला।
अच्छी बात है फिर कल के हिसाब से सारी तैयारी कर लो। तुम्हारी कुक आती है कि नहीं उसको भी दिन भर के हिसाब से रख लो।
रख लिया हूँ भाई। थैंक्स फॉर कमिंग। मैं कल से आता हूँ ऑफिस ।
दूसरे दिन से चंदन दस बजे पहले रिया को अपनी नानी के पास छोड़ देता था उसके बाद ऑफिस जाता था। वापसी में अपनी बेटी को वापस लाता था और उसका खुद ध्यान रखता था। ये क्रम अनवरत चलता रहा। कैसा भाग्य था उसका मात्र 26 साल की उम्र में दो बार अपने प्यार को खो चुका था और एक बिना माँ की इतनी छोटी बच्ची को अकेले संभाल रहा था। देखते ही देखते समय कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता । रिया अब लगभग तीन वर्ष की हो गई थी। उसकी बातें इतनी सुंदर और मधुर होती थी कि कोई उससे आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता था। वह बिल्कुल सुमन की कॉपी थी। कोई भी परिवार का सदस्य या सुमन की सहेली देखकर बता सकती थी कि ये सुमन की बेटी है। वह अपनी टूटी फूटी भाषा में अक्सर अपने पापा से बात करती, जिससे चंदन का जी बहलता। एक दिन रिया ने पूछा।
पापा ये दोनो किसकी फोटो है ?
ये दोनो, ये दोनो आपकी मम्मी है बेटा ।
तो मेरी दोनो मम्मी कहाँ है ?
ये वाली मम्मी बेटा भगवान जी के साथ रहती हैं और ये वाली मम्मी पता नहीं बेटा भगवान जी के घर पर हैं या किसी और के पास।
तो पता करो ना पापा। यहाँ कॉलोनी में सबकी मम्मी है, बस मेरी मम्मी नहीं है।
पता करेंगे बेटा। चंदन की आँखो में पानी आ गया कब लाओगे मम्मी को? रिया ने पूछा।
मिल जाए तो आप और हम उनको रस्सी से बाँध कर लायेंगे बेटा। जाने नहीं देंगे। अच्छा अब तुम तैयार हो जाओ। मैं तुम्हे नानी के पास छोड़ दूँगा। मेरी गुडिया को कौन सा खिलौना चाहिए बताओ।
मुझे बड़ी वाली डॉल चाहिए पापा।
मैं शाम को ले आऊंगा बेटा। चंदन ने कहा और उसको लेकर पहले रमेश के घर छोड़ा फिर वहाँ से ऑफिस चला गया।
ऑफिस पहुँचकर उसने रमेश से कहा।
यार रिया के सवालों का मेरे पास कोई जवाब नहीं है।
क्यों ?
उसे मम्मी चाहिए क्योंकि और बच्चों की मम्मी को वो देखती है। अब मैं उसके लिए मम्मी कहाँ से लाऊँ।
एक बात कहूँ चंदन। तू एक बार फिर रायगढ़ में पता क्यों नहीं करता। रिया शायद जीवित हो और उसकी कोई खबर मिल जाए।
देख यार रमेश। अगर वो जीवित रहती तो 100 प्रतिशत मुझसे इन चार सालों में संपर्क करती। चार साल बहुत लंबा समय होता है रमेश। अब मुझे कोई आशा नहीं है कि वो जीवित होगी और एक रिया तो है ना मेरे पास जो मेरे जीने की वजह है फिर भी तू अगर चाहे तो अभय को उसका घर देखने भेज दे कि वो खुला है या बंद है। चंदन बोला।
मैं अभय को बोल दूँगा। वो एक बार जाकर उसका घर देख आएगा। अच्छा तुझे मैंने एक अच्छी खबर तो दी ही नहीं।
क्या ? चंदन पूछा।
तेरा प्रमोशन हो गया है। सेल्स मेनेजर के लिए और पोस्टिंग ?
पोस्टिंग बिलासपुर।
यहाँ पोस्ट नहीं है क्या ?
यहाँ तो त्रिपाठी जी पहले से हैं ना। बिलासपुर बस खाली था। देख यार सैलेरी में काफी अंतर है। ग्रास सैलेरी तेरा लगभग 55000 हजार बनेगा और 50000 तो शुद्ध हाथ में आयेगा। दिक्कत सिर्फ रिया के लिए है।
नहीं रमेश मैं जाऊँगा। आखिर कब तक मैं तुम लोगों के ऊपर निर्भर रहूँगा। थोड़ा आत्मनिर्भर भी होना जरूरी है और जब भी रायपुर खाली होगा तो वापस आ जाऊँगा। चंदन बोला।
लेकिन रिया भी अब तीन साल की हो गई है उसको संभालने के लिए घर पर एक परमानेंट आदमी चाहिए।
देखूंगा। सोच रहा हूँ उसको किसी स्कूल में प्ले ग्रुप में डाल दूँगा।
अपने जोशी सर है ना फैमिली डॉक्टर। वो आजकल बिलासपुर चले गए है। उनकी पत्नि शायद किसी स्कूल में प्रिंसीपल है। तू पता कर लेना। रमेश बोला। बाकी जब सब अरेंजमैंट हो जाए तभी यहाँ से जाना। मेड के लिए भी अभी से बात कर ले। मैं किसी को बोल देता हूँ।
थैंक्स यार। चंदन बोला।
रमेश ने एक दिन अभय को रायगढ़ में रिया के घर भेजा किंतु वहाँ ताला लगा था। क्योंकि रिया अपने दादा-दादी के साथ बिलासपुर शिफ्ट कर चुकी थी। वह वहाँ से चुपचाप वापस आ गया। उसने बताया कि वहाँ कोई नहीं है। इस बात से चंदन ने बची उम्मीद भी छोड़ दी।