Tera Jikra in Hindi Love Stories by Neha Kariya books and stories PDF | तेरा जिक्र

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तेरा जिक्र

आज कल कम किया करते है, जिक्र तुम्हारा,
क्युकी मालुम है हमें , तुज्मे नही रहा अब हक हमारा !


बस इन सब्द से में ने अपना show खत्म किया, पर आज पहले जैसी बात ना थी , आज उसकी कमी थीं पर नही थी,,

में वहां से जा ही रहा था अचानक पीछे से आवाज़ आई "राहुल रुको"

ये आवाज़ ये तो जानी पहेचानी थी , ये तो ...
मैने मूड के देेेखा तो वो ही थी , वो जिसे मैने खुद से जायदा प्यार किया , वो जिसने मुझे इतने ज़़ख़म दिए ,

पर में बता ना नहीं चाहता था उसे की में तन्हा हूं उसके बिंना , में रुका, दिल में दर्द था पर हस के पूछा क्या है ?
कया कर रही हो ? इसी सहर में रहती हो?

उसने मुझे बीच में ही रुका और कहा " रुको यार , कितने सवाल एक साथ सब्र करो बताती हूं "

मैने कहा "ठीक है बोलो"

उसने पूछा"चा पिवोंगे" ?

मेने कहा "मोहबत है हमारी " फ़िर पुरानी बात
याद आय , और मेने कहा "actually, me chai ki bat kar raha hu "

वो बोली"मालूम है मुुुझे "

हम चाई पी ने बैठे , चाई खत्म होने को आई , ना उसने कुछ कहा, ना मेने पूछा !

आखिर ये दिल नहीं माना पूछा उनसे कुछ तो कहो
अपने बारे मैं !

उसने पूछा "सुन पाऊगे सच "

मेंने कह 4 साल पहले जो सुना था , उतना दर्द तो नहीं देेेगी अब कोइ बात , बोलो जो बोलना है !

वो बोली में ,उस दिन की ही बात करना चाहती हूं

मुझे बहोत गुस्सा आया बोला की "अब , अब कयू ? इन 4 साल में , तुम ने जानने की कोशिश तक ना की " ठीक है 10 मिनिट बाद मेरी बस है , जो बोलना है जल्दी बोलो ,
पर याद रखना। में तुम्हे कभी माफ नहीं करूंगा !

वो बोली"मालूम है कि नहीं माफ करोंंगे , पर कह ने दो ,
तो बात ये थी कि मेंरी फैमिली के कहने पर मेंेने तुम पे सक किया , तुम को छोड़ के किसी और से सादी की पर सच ये है की में कभी तुम्हें भुला ही नई पाई , तुम्हारी यादों में ही सुुकुन मिलता था , वो बाते जो तुम किया करते थे, वो सुुकुन अब कहा मिलता था... में तुम्हे भुला ही ना सकी ,, मेरे जुबा पे सिर्फ ओर सिर्फ तुम्हारा ही जिक्र रहता था.. एक दिन जब गलती से मेने तुम्हारा जिक्र मेरे पति के सामने किया, उसने पूछा और मेंने सब बता दिया तुम्हाारे बारे में, और अंत में जब तुम्हारा नाम दिया तो वो चोक सा गया..
जानना चाहते हो वो कौन था , जिनसे मेरी सादी। हुई थी ? "

मेने कहा "हा"

वो बोली "संजय , तुम्हारा बेस्ट फ्रेंड "

में चोक गया और बोला"वो मेरा बेस्ट फ्रेंड नही था, हम अलग हो गए थे .. कॉलेज में उनके नए दोस्त थे.. और मेने तो कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़ दी तो हम पहले कि तरह दोस्त नहीं रहे थे"

मुझे बीच में रोक कर " जैसे ही संजय को मालुम हुआ, वो तुम थे उसने मुझे छोड़ दिया, मालुम है कायू ?
क्युकी उसने कहा कि वो तुम्हे बचपन से जानता है , तुम्हारे जितना अच्छा इन्सान ....
और तुम्हे पता है ए सब होने के बाद जब मैं घर गए मुझे मालुम हुआ कि मेरी फैमिली ने हमें अलग करने को ये जुठ बोला कि तुम ...😥
में क्या करती यार ... मेने सपने में भी नही सोचा था कि मेरी फैमिली मेरे साथ aeisa करेंगी जस्ट because हमारी cast ... Wo रोने लगी ..."

2 मिनिट बाद बोली कि " जाने दो ये बीती बात , में इसी सहर में रहती हूं अकेली " तुम तुम्हारा बताव ..

कया बाताव में उसे अपने बारे मैं में बहोट ही खुश था , पर में कुछ नहीं बोला

इतने में मेरी बस आई ,मेरा ध्यान नहीं था पर वो बोली "तुम्हारी बस "

एक ही पल में मेरी खुशिया खत्म हो गई , मुझे लगा वो चाहती ही हैं कि में चला jaav ,

में बस की और बढ़ा , वो बोली" एक जवाब तो देते जाव"

मेने कहा" कोनसा जवाब, बोलो "

उसने बोला " सायार साब , ए आपकी सायरी में किसका जिक्र करते हो आप "

बोलना चाहता था कि "सिर्फ तुम्हारा हि हैं जिक्र , पर नहीं बोला बस मुस्करा के कहा , .. जिनका हमेशा से करता था उनका ही "

वो मुस्कराई , उसे देख के जाने दुबारा हि पयार हों गया , 4 साल की नाराज़गी खत्म हो गई 😊

इतने में बस चली गई , सच कहूं तो में चाहता ही था कि बस चली जाए और में रुक जाऊं .🤗..

( आज फिर जिंदा होने का एहसान है हुआ ,
सायाद दिल को फ़िर तेरी खुसबू महेसुस है हुए " )