MIKHAIL: A SUSPENSE - 14 in Hindi Fiction Stories by Hussain Chauhan books and stories PDF | मिखाइल: एक रहस्य - 14 - महान अकबर का मकबरा

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मिखाइल: एक रहस्य - 14 - महान अकबर का मकबरा


"गुड मॉर्निंग" माहेरा ने जय को किचन में आकर कहा जहा वो मॉर्निंग टी बना रहा था। जय के ढीले ढाले शर्ट में जो थोड़ी थोड़ी देर में उसके कंधे से खिसक जाती थी और उसके घुटनो तक भी मुश्किल से पहुंच पाती थी उसमें वो बेहद ही खूबसूरत दिखाई दे रही थी।

"सॉरी फ़ॉर यस्टरडे" माहेरा के गुड मोर्निंग का जवाब जय ने देते हुवे कहा और टी का एक कप माहेरा के हाथ थमा दिया।

"अच्छा होगा कि हम कल के बारे में बात नही करे" माहेरा ने अपने दोनों हाथों में टी का कप लेते हुवे कहा।

"नही, बस में तो यही कहना चाहता था कि जो कुछ भी हुवा....

"जो होना था सो हो गया, अब छोड़ो इन सब बातों को।" इससे पहले की जय अपनी बात पूरी कर सके माहेरा ने कहते हुवे अपनी उंगली जय के होंठो पर लगाकर उसे चुप करा दिया।

"ठीक है, कोई नही! चलो जल्दी से ब्रेकफास्ट कर लेते है, आज अकबर का मकबरा देखने जाना है और आज मेरा मिस्टर और मिसेज़ ओकले के साथ आखिरी दिन भी है।" जय ने बात बदलते हुवे कहा।

"तो मतलब तुम कलसे फ्री हो।" माहेरा ने पूछा जो अब भी अपनी चाय को फूंक मार के ठंडा कर रही थी।

"नही, कल मेरी आगरा से अहमदाबाद की फ्लाइट है, कुछ ज़रूरी काम है मुझे वहां फिर दो दिन के बाद में शिकागो लौट रहा हूँ।" जय ने ब्रेकफास्ट की प्लेट्स डाइनिंग टेबल पर रखते हुवे कहा।

"तुमने पहले क्यो नही बताया?" माहेरा ने थोड़े से रूखेपन से पूछा।

"अरे! अभी हमे मील वक़्त ही कितना हुवा है और ऊपर से ऐसी कोई बात भी तो नही निकली जिसे मैं तुम्हे बता सकू" जय ने तर्क देते हुवे कहा।

"क्या तुम चलोगी मेरे साथ, शिकागो?" अगले ही पल माहेरा कुछ बोल सके इससे पहले जय ने आफर करते हुवे पूछा।

"पत्नी बनाकर ले चलो, तुम जहा कहोंगें वहां चलूंगी।" माहेरा ने टीस करते हुवे जय से कहा।

"पत्नी तक का तो नही पता, लेकिन एक सच कहूं? जब से तुमसे मिला हू ऐसा लगता है दिल मे बरसो से कोई खाली जगह थी वो भर गई हो, तुम मेरी जीएफ बनकर क्यो नही चलती? हम एक दूसरे को और ठीक से जान पाएंगे। तुम्हारे हैकिंग के क्लास का भी वही अच्छा सेटिंग हो जाएगा। यकीन करो मेरा यह बिल्कुल घाटे का सौदा नही है, बॉयफ्रैंड और कैरियर दोनों एक साथ एक जगह मिल रहे है।" जय ने माहेरा की कुर्सी के पास खाली पड़ी कुर्सी पर बैठते हुवे कहा।

इससे पहले की माहेरा जय की कही बात का कोई जवाब दे पाती उनके घर की डोरबेल किसीने बजाई थी।

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"तुम्हे शैलेश मज़मुदार के बारे में इतना सब कैसे मालूम है?" भैयाजी ने कार में बैठते हुवे फ़ारूक़ से पूछा जो भैयाजी के साथ शैलेश मज़मुदार से मिलने सिम्बोर जा रहा था।

"सर, में एक छोटा मोटा जासूस हूँ, बस मेरी रोज़ी-रोटी निकल जाती है।" फ़ारूक़ ने हाथ जोड़ते हुवे भैयाजी से कहा।

"हम्म..." भैयाजी ने अखबार खोलते हुवे जय की बात का बिना उसकी तरफ देखे जवाब देते हुवे कहा।

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सिम्बोर एक बेहद ही छोटा द्वीप जो भारत के केंद्रशाषित प्रदेश दीव-दमन का हिस्सा है जिस पर भारत की आज़ादी के पहले पोर्तुगीज राज़ किया करते थे।

एक वक्त था जब उस छोटे से द्वीपसमूह पर मछवारे अपना बसेरा बसाया करते थे और अपने जीवन यापन के लिए मछवारी का काम किया करते थे। प्रवर्तमान भारत मे दीव-दमन के नागरिकों के अलावा शायद ही किसीको पता होगा कि ऐतेहासिक द्वीपसमूह सिम्बोर भारत का एक हिस्सा है। लेकिन गुज़रते वक़्त के साथ ऐतेहासिक स्थल सिम्बोर अपनी पहचान खो चुका और वक़्त की धूल में अपना स्थान गंवा चुका था।

फ़ारूक़ द्वारा दी गयी माहिती के मुताबिक अब इसी निर्जन द्वीपसमूह पर शैलेश मज़मुदार अपना दो नम्बरी धंधा करता था और रामदास पासवान के साथ हुए कांड के बारे में उससे बातचीत करने के लिए भैयाजी और फ़ारूक़ भैयाजी की कार में निकले थे जो महज़ 40 मिनट की दूरी पर था।

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"वेलकम मिस्टर एंड मिसेज़ ओकले, प्लीज कम इन।"जय ने अपने क्लाइंट्स का स्वागत करते हुवे कहा।

"सॉरी, इट्स लिटिल लेट, आई होप यु वोंट माइंड" ओकले दंपति को अपने होल के सोफे पर बिठाते हुवे जय ने कहा।

"एक्चुअली वी सलेप्ट वेरी लेट यस्टरडे सो...

"बोथ ऑफ यु आर लुकिंग ग्रेट एस कपल" जैसे ही माहेरा किचन से निकली तो मिसेज़ ओकले ने जय की बात काटते हुवे कहा।

"थैंक्स" जय और माहेरा ने एक साथ एक ही वक़्त पर जवाब देते हुवे कहा

बातें करते करते जय ने जल्द ही अपने फ़ोन से अकबर के मकबरे पर जाने के लिए एक कैब बुक कर दी जो शास्त्रीपुरम से 13 किलोमीटर की दूरी पर सिकंदरा में स्थित था।

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