दो साल पहले की बात है | बरसात का सीजन था| सुबह के आठ बजे थे| मैं रोज़ की तरह टीवी देखने बैठ गया| लाइव न्यूज़ चल रही थी," काल रात की भारी बरसात के वजह से सड़कों पर पानी भर गया है"| ये न्यूज़ सुनते ही मैने मेरे घर वालों को समझाया की ,कोई घर के बाहर मत निकलना सड़कों पर पानी भरने की वजह से कोई भी हादसा होने की आशंका बढ़ चुकी है| सोनम और आयुष मेरे दो बच्चे ,कहा किसी का कहना मानते हैं |दिन भर बाहर घूमते रहते हैं| दीवार पे टंगी घडी 10 बजे का इशारा कर रही थी| मैने फटाफट अपनी तयारी की और ऑफिस निकल गया |
मैं अपने स्कूटर पर बैठ कर रोज की तरह गाना गुनगुनाते जा रहा था |तभी रस्ते में एक खड्डा आया |मैं उस खड्डे के बाजु से गुजर जा रहा था की, तभी एक कार उस खड्डे में से गुजर गई |खड्डेमें का सारा पानी पलक झपकते ही मेरे ऊपर आ गया |मैं जोर से चिल्लाया "दीखता नहीं क्या"? तभी वह कार इतने स्पीड से भागी की पूछो ही मत |हद है! लोग इतने मतलबी हो गए की ,किसीकी ओर देखते भी नहीं |
मैं ऐसी हालत में तो ऑफिस नहीं जा सकता |मैंने तुरंत ऑफिस में कॉल लगाया| वहां के एक एम्प्लोयी ने मेरा कॉल उठाया |मैंने उससे कहा "आज मैं थोड़ा लेट हो जाऊंगा" एम्प्लोयी ने तुरंत जवाब देते हुए कहा "आज बारिश की वजह से मौसम की सम्भावना को देखते हुए सरकार ने रेड अलर्ट जारी किया है "|मैंने कहा "क्या"? " यह कब हुआ"? एम्प्लोयी बोला "अभी न्यूज़ में आ रहा हैं"| आज ऑफिस को छुट्टी है |इतना कहते ही फ़ोन रख दिया मैं |
मैंने स्कूटर का रास्ता बदला और घर की ओर चल पड़ा |तभी रस्ते में मुझे एक बुजुर्ग दिखाई दिया| वह बारिश के पानी से भरे खड्डे में गिरे हुए थे|
मैंने तुरंत स्कूटर बाजु में खड़ा किया और उनको उठाने खड्डे की ओर चल पड़ा |मैंने उनको खड्डे से बाहर निकाला | उनका पीला रंग का कुरता और सफ़ेद रंग का पैजामा पूरी तरह से कीचड़ और गंदे पानी से भीग गया | उनके हाथ और पैरों में कुछ मामूली सी जखम आयी थी|
मैंने उनको पानी पिलाया और कहा "बावजी आप यहाँ कैसे"? "बेटा मैं बाहर किसी काम से आया था" उन्होंने मुझे ऐसा जवाब दिया| मैंने उनको मेरे स्कूटर पर बिठाया और सीधे अपने घर ले गया |
मेरे घर में मैंने उनको नहाने भेज दिया |उन्होंने मेरे कपडे पहन लिए |हाँ यह बात जरूर है की ,मेरे कपडे उनको काफी ढीले हो रहे थे| मेरी बीवी ने उनके जख्मों पर मलमपट्टी कर दी | बाद में वह बोले की " बेटा मुझे तुम्हारे फ़ोन से एक कॉल लगाना है "|उन्होंने मेरे फ़ोन से अपने बेटे को कॉल लगाया और उनके बेटे को मेरे घर का एड्रेस देते हुए लेने के लिए बुलाया|
मेरी बीवी हम दोनों के लिए चाय लाती हैं| हम चाय पि रहे होते हैं| तभी दरवाजे पे दस्तक होती है |मेरी बीवी दरवाजा खोलती है |दरवाजा खोलतेही मुझे आवाज़ देती है ,"ऐ जी जरा यहाँ आइए"| (डरे हुए स्वर में)
मैं दरवाजे के पास गया और देखा तो पुलिस| 2 सेकंड के लिए तो मेरा चेहरा मानो जैसे सफेद ही पड़ गया | सारे चेहरे पर के एक्सप्रेशन गायब | मेरी तो मानो जैसे सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गई |मैंने दोनों पुलिसवालों को घर के अंदर बुलाया| पुलिस को देख कर ,एक मुझे हेड साहिब लगे और दूसरा कोई कांस्टेबल था| दरवाजे के देहलीज़ पे पैर रखते ही हेड साहिब मुझे मेरे मेरा चेहरा देखकर कहा, "क्यों जगताप हमें देख के तो तुम्हारे चेहरे की सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गई "| तभी बुजुर्ग आदमी दरवाजे पर आ जाते हैं और कहते हैं "बेटा तुम आ गए"| बुजुर्ग आदमी का यह शब्द सुनकर तो मैं और मेरी बीवी हम दोनों के जान में जान आ गई |
अब जाहिर सी बात है ,कोई पुलिस अफसर वर्दी में किसी के घर आये तो कोई भी व्यक्ति मेरी तरह ही डर जाएगा |
मेरी बीवी ने दोनों पुलिस अफसर को चाय पिलाई | हेड अफसर ने मुझे बहुत-बहुत धन्यवाद दिया और कांस्टेबल से कहा "गाड़ी में से रखी चीजें ले आओ"| कांस्टेबल घर के बाहर निकल गया और एक बड़ा सा तोहफ़ा जो ,पीले रंग के पेपर से लिपटा था उसे ले आया| साथ में एक कार्ड भी था |पुलिस अफसर ने दोनों चीजें अपने बावजी के हाथों से मुझे देने के लिए कहा |मैं तो मना कर रहा था ,लेकिन फिर भी दे दिया| वह भी जबरदस्ती से ,अब एक पुलिस के सामने कैसे चलेंगी मेरी |मैंने दोनों चीजे ले ली | पुलिस अफसर और बावजी दोनों चले गए |जाते-जाते बोले शादी में जरूर आना |मैने उस कार्ड को पढ़ा | वह शादी का कार्ड था | बावजी के बेटी की |
मैं उस शादी में गया था| शादी को देखकर वह लोग मुझे काफी बड़े लोग दिखे | मैने मेरी तरफ से कुछ ढाई हजार तक का गिफ्ट दिया था |वह लोग बहुत ही खानदानी थे| उनके शादी में एक रिवाज था | वह अपने कुछ खास मेहमानो को चाँदी का सिक्का दे रहे थे |बावजीने मुझे भी दिया एक चाँदी का सिक्का|
बरसात के मौसम में होने वाली लोगों की नाला- नाला जिंदगीका ,एक मोड़ मेरे लाइफ में ऐसा भी था |