wo bhuli dasta - 8 in Hindi Women Focused by Saroj Prajapati books and stories PDF | वो भूली दास्तां, भाग-८

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वो भूली दास्तां, भाग-८

समय पंख लगा बीत रहा था । चांदनी की शादी को चार महीने हो गए थे लेकिन यह चार महीने खुशियों से भरे व उसकी कल्पना से परे थे । हर दिन के साथ उनका प्यार और
और गहरा होता जा रहा था। चांदनी की कमियों पर भी आकाश अपनी मां के सामने यह कहते हुए पर्दा डाल देता "मम्मी समय दो इसे। सीख जाएगी घर के तौर तरीके। सभी लड़कियां अपने घर में लाडली ही होती है और फिर आप हो ना इसे सिखाने के लिए ।"
चांदनी जब भी अपनी पीहर जाती, आकाश की तारीफों के पुल बांधते ना थकती। उसकी मां और दादी बहुत खुश थे उसे इतना खुश देख कर ।
आकाश उसे 2 दिन से ज्यादा वहां ना छोड़ता था। दादी कितना भी जिद करती , वह हमेशा यही कहता " दादी 20 सालों से आपके पास थी ना। खूब लाड लड़ा लिए आपने। मेरा मन नहीं लगता इसके बगैर! नई नई शादी हुई है हमारी।‌ आप जरा हमें भी साथ में रहने का मौका दो। क्या आप हर दो दिन बाद फोन कर इसे इमोशनल कर देती हो। अपने दामाद का भी कुछ ख्याल रखो।"
उसकी बात सुन चांदनी तो शर्म के मारे लाल हो जाती । दादी भी हंसते हुए कहती "सचमुच जमाना बदल गया है। बस बेटा
भगवान सदा तुम्हारी जोड़ी यूं ही बनाए रखें।"
पिछले कुछ दिनों से चांदनी थका थका सा महसूस कर रही थी। थोड़ा सा काम करते ही वह थक जाती या उसे चक्कर आने लग जाते । शुरू में तो उसने ध्यान नहीं दिया। जब ज्यादा ही बढ़ गया तो एक दिन यह आकाश से बोली "आकाश मुझे अपनी तबीयत सही नहीं लग रही है ।चक्कर से आते हैं हर समय। थकावट भी ज्यादा लगती है।"

उसकी बात सुन आकाश खुश होते हुए बोला "चांदनी यह सारे लक्षण तो मुझे खुशखबरी के ही लग रही है। कहीं मैं पापा बनने वाला तो नहीं।" आकाश खुश होते हुए बोला
उसकी बात चांदनी थोड़ा शरमा गई।
वह बोली "मम्मी से बात करो। एक बार डॉक्टर को दिखा लेते हैं।"
"हां हां क्यों नहीं श्रीमती जी! वह भी सुन कर देखो झूमने लगेंगी।"
आकाश से सुन उसकी मम्मी चांदनी को डॉक्टर के पास लेकर गई।
चेकअप करने के बाद डॉक्टर ने उसकी मां बनने की संभावना से इनकार किया।यह सुन मीरा देवी बोली
"डॉक्टर फिर यह चक्कर व थकावट क्यों। आपने सही से चेक किया है ना!"
"हां हां मीरा जी प्रेगनेंसी रिपोर्ट नेगेटिव है। यह चक्कर और थकावट क्यों हो रहे हैं, इसके लिए मैंने इनका ब्लड सैंपल ले लिया है और कुछ टेस्ट भी किए हैं। दो-चार दिन में रिपोर्ट आ जाएगी फिर ही पता चलेगा इनका कारण।"
सुन मीरा देवी का चेहरा थोड़ा गंभीर हो गया। चांदनी का तो यह खबर सुनकर ही मुंह उतर गया था कि वह प्रेग्नेंट नहीं है। आकाश के लिए उसे बहुत दुख हो रहा था ।कितना खुश था वह अपने पिता बनने की सोच सोचकर।
प्रेगनेंसी रिपोर्ट नेगेटिव सुनकर आकाश का चेहरा एक बार उतर गया लेकिन चांदनी की और देख मुस्कुराते हुए बोला "अरे ठीक भी है। अभी तो हम खुद बच्चे हैं तो बच्चे को कैसे संभाल पाते । चांदनी मुझे लग रहा है, यह जो तुम हर समय मम्मी को खुश करने के लिए काम में लगी रहती हो और अपने खाने पीने का ध्यान नहीं रखती, उससे ही तुम्हारी तबीयत बिगड़ी है। अब से तुम अपनी सेहत व खानपान पर पूरा ध्यान दोगी। अगर तुमने थोडी भी ढील दी ना तो मैं नाराज हो जाऊंगा तुमसे और बात नहीं करूंगा।"
यह सुन चांदनी उसके मुंह पर हाथ रखते हुए बोली "आकाश कभी भूल से भी ऐसी बात मत करना मैं सब की नाराजगी बर्दाश्त कर सकती हूं, तुम्हारी नहीं।"कहते हुए उसकी आंखों से आंसू आ गए।
आकाश उसे बांहों में भरते हुए बोला "और मैं क्या तुमसे नाराज होकर रह सकता हूं ।ऐसा तुमने सोच भी कैसे लिया। बस तुम अपना ध्यान रखो। अच्छा अब जरा एक बार मुस्कुरा कर तो दिखा दो।" सुनचांदनी के चेहरे पर फिर से मुस्कान तैर गई।
1 सप्ताह बाद आकाश रिपोर्ट लेने डॉक्टर के पास गया । रिपोर्ट के बारे में पूछने पर डॉक्टर ने कहा "आकाश रिपोर्ट में तो ऐसा कुछ खास नहीं आया !"
"फिर डॉक्टर यह चक्कर व थकावट क्यों?"
"हो सकता है वह ज्यादा सट्रेस ले रही हो। कई बार शादी के बाद भी हमारे शरीर में कई प्रकार के बदलाव आते हैं। वह भी कारण हो सकता है। मैंने कुछ दवाईयां लिख दी हैं। आप ज्यादा परेशान मत हो, बस खान-पान पर ध्यान रखो।"

सुन आकाश ने राहत की सांस ली। घर आकर जब उसने अपनी मम्मी को यह सारी बातें बताई तो वह कुछ नाराज होते हुए बोली "हमने कौन सा इस पर काम का बोझ डाला हुआ है या खाने पीने से हाथ रोका हुआ है। बच्ची तो है नही जो सब कुछ किसके हाथों में दे। लोग सुनेंगे तो जगहंसाई और होगी।"
"मम्मी आप भी कहां की बात कहां ले जाती हो। अभी उसे घर में आए हुए समय ही कितना हुआ है। कमी कुछ नहीं बस आप थोड़ा उसे प्यार से दो बोल,बोल लिया करो। उसे अपने पास बैठाओ, अपनेपन का एहसास दो।"
सुन मीरा देवी बोली " तू कम है क्या यह सब करने के लिए, जो मुझे भी उसकी चाकरी में लगा रहा है। अब घर संभालूं या उसे देखूं।"
बात बढ़ती देख आकाश ने चुप रहना ही बेहतर समझा। वह नहीं चाहता था कि चांदनी यह सब सुने और दुखी हो।

दवाइयां लेने के बावजूद भी चांदनी की तबीयत में कोई खास सुधार नहीं आया था लेकिन वह घर में व आकाश के सामने इस तरह रहने की कोशिश करती कि उन्हें लगे कि वह अब सही है। सास को कहने का कोई फायदा नहीं था। इतने दिनों में तो चांदनी भी उनका स्वभाव समझ गई थी लेकिन वह फिर भी अपनी तरफ से उन्हें कोई शिकायत का मौका ना देती और खुश रखने की कोशिश करती ।
लेकिन अब उसे कुछ ज्यादा ही चक्कर आने लगे थे। वह खुद ही समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा कौन सा रोग लग गया है उसे जो जाने का नाम ही नहीं ले रहा। शादी से पहले तो उसे याद भी नहीं कि कभी उसे बुखार भी हुआ हो। फिर एकदम से यह क्या कि शरीर अंदर ही अंदर घुल रहा है। सही तो कहती है उसकी सास कि घर में कुछ कमी नहीं। आकाश भी उसका कितना ध्यान रखता है।
अपनी मां को तो उसने इस बारे में कुछ बताया ही नहीं था और आकाश को भी मना कर दिया था। वह नहीं चाहती थी कि मां सुन‌ चिंता करें।
रविवार का दिन था। आज सभी घर में मौजूद थे ।आकाश की बहने भी आई हुई थी। सुबह से ही घर में गहमागहमी थी। मीरा देवी ने रात को ही चांदनी से उनकी बेटी की पसंद की चीजों के बारे में बता दिया था और नाश्ते में वही सब बनाने के लिए बोला। चांदनी जब से उठी थी, उसे अपनी तबीयत कुछ ज्यादा ही खराब लग रही थी लेकिन उसने इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहा। उसे पता था कि अगर वह कुछ कहेगी भी तो उसकी सास यही समझेंगी कि आज उसकी बेटियां आ रही है तो काम ना करने का बहाना कर रही है इसलिए सुबह से ही वह उनकी आवभगत में लगी थी।

उसकी सास ने तो एक बार भी रसोई में झांक कर नहीं देखा।
वह बाहर ही बैठ अपनी बेटियों से बातें करती रही। आकाश बीच में एक दो बार उसके पास मदद के लिए आया भी तो चांदनी ने उसे यह कहते हुए वापस भेज दिया कि "आप बैठकर सबके साथ बातें करो ।अच्छा नहीं लगता दीदी इतने दिनों बाद आई है और आप उनके साथ ना बैठ मेरे साथ लगे रहो। चांदनी का एक पैर रसोई में और एक बाहर था। बीच-बीच में वह है घर के ओर काम भी निबटा रही थी।अचानक सबको रसोई में से बहुत तेज कुछ गिरने की आवाज आई। सब उस ओर दौड़े तो देखा चांदनी बेहोश पड़ी हुई थी।
क्रमशः
सरोज ✍️