Risate Ghaav - 19 in Hindi Fiction Stories by Ashish Dalal books and stories PDF | रिसते घाव - भाग १९

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रिसते घाव - भाग १९


डॉक्टर देसाई ने अमन का चैकअप कर लेने के बाद उसे बाहर वेंटिग रूम में इन्तजार करने को कहा और श्वेता को अपने पास रूकने को कहा । अमन कुछ सोचते हुए बाहर आ गया ।
‘देखिए मिसेस प्रधान....’
‘वी आर नॉट हसबेंड एंड वाइफ डॉक्टर ।’ श्वेता ने डॉक्टर देसाई की भूल सुधारते हुए कहा ।
‘ओह ! मुझे लगा कि ...खैर मि. प्रधान के साथ उनके परिवार से कोई है क्या ?’
‘आप जो भी बात है मुझे बेझिझक कह सकते है । वी आर क्लोज्ड फ्रेण्ड ।’ श्वेता ने जवाब दिया ।
श्वेता का जवाब सुनकर डॉक्टर ने श्वेता के हावभाव पर नजर डाली और फिर बोले, ‘मैं कहूँगा आप एक बार ओंकोलाजिस्ट की सलाह ले लें ।’
‘ओंकोलाजिस्ट ?? यू मीन कैन्सर रोग विशेषज्ञ ?’ श्वेता चौंक उठी ।
‘जी ! मैं डॉक्टर शिरीष मेहता को रिकमंडेशन लिख देता हूँ । मेरे क्लिनिक से दो किलोमीटर दूर ही उनका अस्पताल है ।’ डॉक्टर देसाई ने एक पेपर पर कुछ लिखते हुए कहा ।
‘तो अमन को कैंसर ....’ कहते हुए श्रेया ने डॉक्टर देसाई पर नजर डाली ।
‘नॉट श्योर ! हो भी सकता है और नहीं भी । दोनों बातों की सम्भावना फिफ्टी फिफ्टी है ।’
डॉक्टर देसाई के हाथ से रिकमंडेशन लेटर लेकर श्रेया भारी क़दमों से बाहर आ गई । रिशेप्सन डेस्क पर उसने फीस चुकाई और अमन की तरफ नजर डाली ।
‘तो चले अब घर ? मैंने कहा था न कि कुछ भी नहीं है । फालतू में ही आठ सौ रुपये दान कर दिए ।’
‘हर वक्त मजाक अच्छा नहीं लगता अमन । बी सीरियस ।’ अमन का मजाक सुनकर श्वेता झुँझला उठी ।
श्वेता का अचानक से बिगड़ा मूड देखकर अमन ने अभी कुछ बोलना उचित नहीं समझा और श्वेता के संग उसके साथ चलने लगा ।
‘कौन से रेस्तरां चलना है ?’ अमन ने बाइक स्टार्ट कर श्वेता से पूछा ।
‘डॉक्टर शिरीष मेहता’स हॉस्पिटल ।’
‘ये कौन सा रेस्तरां है ? डॉक्टर भी अब क्या पार्ट टाइम फूड बिजनेस करने लगे ।’ श्रेया की बात सुनकर अमन हँस दिया ।
‘अमन, यहाँ से सीधे ही लो । करीबन दो किलोमीटर पर उनका अस्पताल है । हम वहीं जा रहे है ।’
‘क्यों भला ?’ श्रेया के स्वर में छाई गंभीरता को समझते हुए अमन ने कारण पूछा ।
‘बी कॉज यू आर नॉट आल राइट ।’ श्वेता ने संक्षेप में जवाब दिया और अपनी आँखों में उभर आये आँसुओं को चुपके से पोंछ डाला । अमन ने उसकी यह हरकत गौर की लेकिन उस वक्त कुछ न बोलकर उसने चुपचाप बाइक आगे बढ़ा ली ।
‘सनातन कैंसर हॉस्पिटल’ अस्पताल के सामने पहुँचकर अमन की नजर जब साइन बोर्ड पर गई तो वह चौंक उठा । बाइक पार्क कर उसने श्वेता को देखा ।
‘श्वेता ? व्हाट इज दिस ?’
‘तुम्हारे कुछ टेस्ट करवाने है ।’ श्वेता ने जवाब दिया ।
‘कैसे टेस्ट ?’ अमन के चेहरे पर पसीने की बूँदे उभर आई ।
‘अमन । घबराओ मत । डॉक्टर देसाई ने कहा है फिफ्टी फिफ्टी चांसेस हो सकते है । बी पाजेटिव एण्ड थिंक ओनली अबाउट रेस्ट फिफ्टी ।’ कहते हुए श्वेता अमन से लिपट गई ।
‘पगली ! मुझे हिम्मत दे रही या मुझसे हिम्मत माँग रही है । चल अन्दर कुछ नहीं होगा । इस अमन प्रधान ने जिन्दगी की बड़ी बड़ी जंग जीती है ।’ अमन ने श्वेता का हाथ अपने हाथ में लिया और अस्पताल की सीढियाँ चढ़ने लगा ।
करीबन दो घण्टे के बाद अमन की एंडोस्कोपी करने के बाद डॉक्टर मेहता ने श्वेता को अपने केबिन में बुलाकर अमन की रिपोर्ट सौंपी ।
‘डॉक्टर, क्या हुआ है अमन को ?’ श्रेया डॉक्टर के चेहरे पर छाई उदासी भाँप गई ।
‘मुझे आपको बताते हुए दुःख हो रहा है लेकिन आपके हसबेंड को इसोफेगल कैन्सर है ।’
डॉक्टर मेहता ने जो कुछ भी कहा वह तो श्रेया ने सुना लेकिन फिर कैन्सर शब्द सुनकर उसके होश उड़ गए । वह काँपते हाथों से रिपोर्ट के पन्नें पलटने लगी ।
‘इसोफेगल कैंसर मतलब ?’ श्रेया के स्वर में घबराहट थी ।
‘सीधी भाषा में कहूँ तो फूड पाइप कैंसर है लेकिन आप घबराइये मत ।’ डॉक्टर मेहता ने जवाब देते हुए कहा । केस की सच्चाई जान लेने के बाद भी किसी भी डॉक्टर के लिए रोगी के रिश्तेदार को सांत्वना देने के अतिरिक्त कुछ भी बाकी नहीं रह जाता ।
‘ठीक तो हो जाएगा न अमन ?’ श्रेया ने बड़ा ही नादान सा सवाल किया ।
‘वेल ! सिटी स्केन किए बिना कुछ भी नहीं कहा जा सकता । उसके बाद ही पता चल पाएगा कि कैन्सर कौन सी स्टेज में है ।’ डॉक्टर मेहता ने तर्कसंगत जवाब दिया ।
‘तो वो भी जल्दी से कर दीजिए न !’ श्रेया के स्वर में घबराहट समाई हुई थी ।
‘उसके लिए आपको कल सुबह आना होगा ।’ डॉक्टर मेहता ने कहा तो श्वेता वहाँ से उठकर बाहर आ गई ।
अमन को देखकर उसकी आँखें भीग गई ।
‘तुम बहुत ही उदास दिख रही हो । क्या कहा डॉक्टर ने ।’ अमन श्रेया को आया देख खड़ा हो गया ।
‘तुम जल्दी ही ठीक हो जाओगे ।’ श्रेया आगे कुछ न बोल पाई ।